पर्यावरण प्रदूषण का कारण और बचाव के उपाय पर निबंध पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ प्रदूषण के कारण तथा प्रकार प्रदूषण से होने वाली हानियाँ पर्यावरण प्रदूषण
पर्यावरण प्रदूषण का कारण और बचाव के उपाय पर निबंध
पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ - पर्यावरण शब्द दो शब्दों (परि + आवरण) से मिलकर बना है। इसका अर्थ है-वायुमण्डल से सम्बन्धित चारों ओर का वातावरण। इसका क्षेत्र व्यापक है जिसमें जल, वायु एवं ध्वनि आदि सभी तत्व शामिल हैं, यह सभी तत्व सही मात्रा और अनुपात में होने पर ही वातावरण में सन्तुलन स्थापित करने में सहायता करते हैं। आज के वैज्ञानिक युग में बढ़ती हुई जनसंख्या तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिकाधिक उत्पादन हो रहा है। इस क्रिया में हजारों कल-कारखानें रात-दिन कार्य कर रहे हैं, किन्तु इस औद्योगीकरण की अति ने वर्तमान में प्रदूषण की समस्या उत्पन्न कर दी है। इससे प्राकृतिक वातावरण दूषित हो गया है तथा विश्व का जैविक सन्तुलन बिगड़ गया है। सन्तुलन बिगड़ने से अनेक प्राणघातक रोगों का जन्म हुआ है। विषाक्त वातावरण में साँस लेना कठिन हो गया है। अनेक घातक बीमारियाँ मानव को काल का ग्रास बना रहीं हैं।
प्रदूषण के कारण तथा प्रकार
जल-प्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा ध्वनि-प्रदूषण प्रदूषण के मुख्य रूप हैं। अत्यधिक औद्योगीकरण पर्यावरण-प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके परिणामस्वरूप कारखानों के आस-पास अत्याधिक कचरा जमा होने लगता है। कचरे की दुर्गंध से प्राकृतिक-सुन्दरता भी नष्ट हो जाती हैं। नदियों में फेंके कारखानों के इस जल में अनेक रासायनिक तत्त्व घुले रहते हैं जो नदियों के जल को भी विषाक्त बना देते हैं। इससे जल चरों का जीवन नष्ट हो जाता है। उदाहरण के लिए-नदियों का जल दूषित और विषाक्त होने से सैकड़ों टन मछलियाँ मर गयीं। इस पानी की सिंचाई से मिट्टी भी विषैली हो जाती हैं। इस मिट्टी में उत्पन्न फसलें विषैली होकर मानव को पेट सम्बन्धी अनेक बीमारियों से ग्रस्त करती हैं।
आज वायु प्रदूषण मानव के सामने एक चुनौती उपस्थित कर रहा है। कारखाने, मोटर वाहन, इंजनों का घूँआ तथा गैसें, घरों में जलाया जाने वाला कोयला, स्टोव में जलने वाला कैरोसिन आदि से कार्बन-डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन एवं सल्फ्यूरिक ऐसिड आदि तत्त्व वायु प्रदूषण को विस्तृत कर देते हैं। यह प्रदूषित वायु मनुष्य के साँस लेने पर उसके शरीर में पहुँचकर अनेक रोग उत्पन्न करती है। इसका सर्वाधिक प्रभाव मनुष्य के फेफड़ों पर पड़ता है।
ध्वनि प्रदूषण भी हानिकारक हैं। महानगरों में वाहन, लाउडस्पीकर तथा मशीनों के शोर के कारण जन्म लेने वाले ध्वनि-प्रदूषण के कारण मानव की श्रवण शक्ति का ह्रास हुआ है। इसका मानव हृदय तथा मस्तिष्क पर घातक प्रभाव पड़ता है।
प्रदूषण से होने वाली हानियाँ
प्रदूषण से अनेक गम्भीर बीमारियाँ जन्म लेती हैं-चर्म रोग, श्वास रोग, खाँसी, दमा, जुकाम, क्षय तथा फेफड़ों का कैंसर आदि । ताप और दुर्गंध भी इसके कारण हैं। ताप तथा परमाणु बिजली घरों से निकलने वाली ऊष्मा जलवायु तथा ऋतु चक्र को बिगाड़ देती है। वायुमण्डल में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से ताप अधिक हो जायेगा जिससे हिम खण्ड पिघल जाऐंगे। इससे बाढ़ तथा प्रलय आ सकती है। अतः विश्व में प्राणि रक्षा के लिए पर्यावरण की रक्षा आवश्यक है।
पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय
प्रदूषण के सम्बन्ध में सम्पूर्ण विश्व में पहली बार 5 मई 1977 को विचार हुआ। इसमें पर्यावरण की शुद्धि के उपायों पर विचार किया गया। कारखानों को बस्तियों से दूर करने का सुझाव दिया गया। धुँआ कम किया जाए। अधिक मात्रा में वृक्ष लगाए जाऐं।
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