सबसे बड़ा आदमी एकांकी भगवतीचरण वर्मा Sabse Bada Aadmi सबसे बड़ा आदमी सारांश एकांकी की समीक्षा सबसे बड़ा आदमी एकांकी का उद्देश्य शीर्षक की सार्थकता
सबसे बड़ा आदमी एकांकी भगवतीचरण वर्मा
सबसे बड़ा आदमी एकांकी भगवतीचरण वर्मा जी द्वारा लिखित प्रसिद्ध एकांकी है। प्रस्तुत एकांकी में एकांकीकार ने बताया है कि व्यक्ति को समय के साथ-साथ व्यावहारिक भी बनना चाहिए नहीं तो वह जीवन के किसी भी मोड़ पर ठोकर खा सकता है।
सबसे बड़ा आदमी सारांश
गजाती एक दुकानदार है और चाय की दुकान या रेस्तराँ चलाता है। वह अपने नौकर चिरौंजी को डाँटता है कि उसने एक रोटी में केवल आठ स्लाइस ही काटे हैं जबकि उसे सोलह स्लाईस काटने का आदेश दिया गया था। इसलिए चिरौंजी की तनख्वाह से आठ आने काटे जाएंगे। चिरौंजी विनय करता है कि आगे से वह बत्तीस स्लाईस निकाल देगा, पर इस बार उसे क्षमा कर दिया जाय। उनके वार्तालाप के मध्य में ही आवाजें आनी शुरू हो जाती हैं और फिर राधे और शंकर बहस करते हुए रेस्तराँ में प्रवेश करते हैं।
शंकर और राधे की बहस का कारण प्रख्यात अंग्रेजी कवि शेली और प्रसिद्ध फ्रांसीसी योद्धा नेपोलियन हैं राधे शेली का पक्षधर है और शंकर नेपोलियन की श्रेष्ठता सिद्ध करने की चेष्टा करता है। राधे कहता है कि जितनी गहराई, पवित्रता और सत्यता शेली के काव्य में हे वह अन्यत्र नहीं मिलेगी। शेली ने हमें प्रेम का मार्ग दिखाया, इसके विपरीत नेपोलियन योद्धा था और पशुता और बर्बरता का उपासक था। शंकर इसका विरोध करते हुए कहता है कि नेपोलियन शक्ति का पुजारी था और उसमें सामर्थ्य थी कि वह इस संसार को अपनी कल्पना के अनुसार बदल सके। इसके विपरीत शेली तो केवल कल्पनालोक में विचरनेवाला और संसार की वास्तविकता से पलायन करनेवाला व्यक्ति था । गजाती एक चतुर दुकानदार की भाँति दोनों का बारी-बारी से समर्थन करता है ।
राधे और शंकर में बहस बढ़ती है और शंकर, राधे को धमकी भी देता है। उसी समय वहाँ आए शर्माजी उन्हें शांत करने की चेष्टा करते हैं परंतु दोनों ही उनकी मध्यस्थता से खीझ उठते हैं। इसी मध्य एक और व्यक्ति रेस्तराँ में प्रवेश करता है जो एक वकील है । शर्माजी गाँधी के अनुयायी हैं और सत्याग्रही भी हैं। वे बतलाते हैं कि सत्याग्रह करने के समय पुलिस ने उन्हें पीटा, शराब की पिकेटिंग करने के समय शराबियों ने मारा और करबंदी आंदोलन के समय जमींदारों ने पीटा पर उन्होंने कभी क्षमा नहीं माँगी। वर्माजी जो एक वकील हैं, मानहानि का मुकदमा करने की राय देते हैं पर शर्माजी उन्हें झिड़क देते हैं। पर वर्माजी भी स्वीकारते हैं कि महात्मा गाँधी ही बड़े हैं क्योंकि उन्होंने वकील के रूप में अपना जीवन आरम्भ किया था और जो वकील नहीं हुआ वह बड़ा आदमी नहीं हो सकता।
इसी समय एक साम्यवादी अहमद रेस्तराँ में प्रवेश करता है और चाय के लिए कहता है। शंकर वर्माजी के हुलिए का मजाक उड़ाता है तो राधे उसे टोककर शरीफ आदमी का मजाक न करने को कहता है। अहमद भी वार्तालाप में सम्मिलित हो जाता है और कहता है कि वकील और शराफत ऐसा विरोधाभास नहीं हो सकता। शर्माजी भी उसका साथ देते हैं और गाँधीजी के कथन को उद्धृत करते हैं कि वकालत छोड़ देनी चाहिए। अहमद शर्माजी का भी विरोध करता है और गाँधीजी का मजाक उड़ाता है । शर्माजी कहते हैं कि यदि गाँधी का मज़ाक उड़ाया तो नरक में जाना होगा। इस पर अहमद कहता है कि रूस का क्रांतिकारी नेता लेनिन बहुत पहले ही नरक के विचार को खारिज कर चुका है। राधे लेनिन को भी हत्यारा बतलाता है पर अहमद मानता है कि लेनिन ही दुनिया का सबसे बड़ा आदमी है। रेस्तराँ में प्रवेश करने वाला नया आदमी रामेश्वर है जो लेनिन, गाँधी, नेपोलियन और शेली सभी की प्रशंसा करता है पर फिर कहता है कि ये सब दानव थे- मानव नहीं; क्योंकि मानवों के मध्य मानव प्रतिष्ठित नहीं हो सकता, केवल दानव ही प्रतिष्ठित होते हैं । रामेश्वर के इस व्यंग्य को सुनकर अहमद पूछता है कि क्या वह शायर है और उसने कौन-कौन सी पुस्तकें लिखी हैं ।
रामेश्वर शायर होना स्वीकारता है पर कहता है कि अभी तो पुस्तकों के लिए विषय ही एकत्रित कर रहा है। पेशे के बारे में पूछे जाने पर वह हँसता है और कहता है कि मौज-मस्ती ही उसका पेशा है। वह लोगों को समझाता है पर उसके बाद का सत्य कोई नहीं जान सकता। रामेश्वर स्वीकारता है कि वह एक विचित्र व्यक्ति है परंतु केवल वह ही नहीं शेली, नेपोलियन, गाँधी और लेनिन सभी अपने समय के विचित्र व्यक्ति ही थे। परंतु वे सब मर चुके हैं और अब किसी से कुछ नहीं वसूल सकते। अब वे केवल नाम बनकर रह गए हैं। इसके विपरीत वह अभी जीवित है इसलिए वही दुनिया का सबसे बड़ा व्यक्ति है। इसके साथ ही रामेश्वर रेस्तराँ से बाहर चला जाता है Į
शंकर, अहमद, वर्मा और राधे रामेश्वर की आलोचना करते हैं और शर्माजी उस पर दया प्रदर्शित करते हैं। परंतु जब सब लोग अपनी जेबों को टटोलते हैं तो पाते हैं कि उनका धन जा चुका है और उन्हें पता भी नहीं लगा। गजाती का कैश बक्स भी गुम है। रामेश्वर कब यह सब कर गया किसी को पता नहीं चला।
सब उसकी बातों से सम्मोहित थे और वह अपना काम करता गया। गजाती अंत में स्वीकारता है कि वही दुनिया का सबसे बड़ा आदमी था।
सबसे बड़ा आदमी एकांकी की समीक्षा
भगवतीचरण वर्मा द्वारा रचित सबसे बड़ा आदमी आधुनिक संदर्भ में एक सफल प्रयोग है। सामाजिक मूल्यों का बदलता स्वरूप इस एकांकी में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। नाटक दर्शाता है कि व्यक्ति को समय के साथ-साथ व्यावहारिक भी बनना चाहिए नहीं तो वह जीवन के किसी भी मोड़ पर ठोकर खा सकता है।
एक रेस्तरां में चाय की चुस्कियों का आनंद लेते हुए कुछ लोग, जिनमें राजनैतिक विचारधारा रखनेवाले लोग, एक एडवोकेट व अन्य व्यक्ति भी हैं; विभिन्न विषयों को लेकर चर्चा करते हैं। कभी वार्ता गम्भीर होती है तो कभी हास्य के छींटे भी दिखाई देते हैं। नाटक में चरित्रों का वार्तालाप उनके अनुरूप है यथा गम्भीर विचारधारा वाला व्यक्ति जीवन तत्व की गूढ़ता की बात करता है-कहीं लोकतन्त्र पर चर्चा है तो कहीं साम्यवादी विचारधारा के दर्शन हैं। कथोपकथन पात्रों के अनुकूल है जिससे नाटक और अधिक प्रभावी बन गया है। नाटक की भाषा सरस और प्रवाहमय है। अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग से भाषा कहीं भी बोझिल नहीं हुई है । अनूठी शैली के प्रयोग ने नाटक को और भी अधिक प्रभावी बनाया है।
रेस्तरां में हर व्यक्ति अपना-अपना दृष्टिकोण एक दूसरे को समझाने का प्रयास कर रहा है। कभी-कभी जब परस्पर विचारों में भिन्नता होती है तो टकराव की स्थिति भी आती है परन्तु वातावरण पुनः सामान्य हो जाता है। इन्हीं लोगों के बीच एक अपरिचित व्यक्ति इनके वार्तालाप में सम्मिलित होता है। सब इस व्यक्ति की बातचीत से प्रभावित होते हैं परन्तु बाद में ठगे से रह जाते हैं जब वही व्यक्ति इन सबको चकमा देकर इनके पैसे लेकर चम्पत हो जाता है। नाटक यह संदेश भी देता है कि आज के युग व्यक्ति को अपनी आँखें, अपने कान खुले रखने चाहिए नहीं तो कहीं जाने-अनजाने में धोखा अवश्य खाया जा सकता है।
भगवतीचरण वर्मा का जीवन परिचय
श्री भगवतीचरण वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के शफीपुर, जिला उन्नाव में सन् 1903 में हुआ। आपने कवि के रूप में साहित्य के क्षेत्र में प्रवेश किया। आप एक सफल कवि के साथ ही सुप्रसिद्ध उपन्यासकार भी रहे।
नाटककार के रूप में आपने विशेष ख्याति न प्राप्त करते हुए भी नाट्य जगत् में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। आपने जितने भी एकांकी लिखे हैं वे उच्चस्तरीय एकांकी रहे हैं। सामाजिक विषमताओं का सजीव चित्रण आपकी विशेषता रही है। सामाजिक रूढ़ियों की हास्य और व्यंग्यात्मक शैली में प्रस्तुति आपकी विशेषता रही है। वर्माजी की भाषा में ओज गुण की प्रधानता है। सशक्त शब्दों का चुनाव और उनका प्रवाहपूर्ण भाषा में प्रस्तुतीकरण उनकी भाषा में चार चाँद लगाता है।
प्रकाशित पुस्तकें :- ‘अपने खिलौने', 'पतन', 'तीन वर्ष', 'चित्रलेखा', 'सामर्थ्य और सीमा रेखा', 'वह फिर नहीं आयी', 'सबहिं नचावत राम गोसाईं', 'प्रश्न और मरीचिका', 'युवराज चूण्डा', 'घुप्पल' (उपन्यास), 'मेरी कहानियाँ', 'मोर्चाबन्दी' (कहानी संग्रह), 'मेरी कविताएँ' (कविता संग्रह)। 'मेरे नाटक', 'वसीयत' (नाटक), 'अतीत के गर्त से' (संस्मरण)।
सबसे बड़ा आदमी एकांकी का उद्देश्य
सबसे बड़ा आदमी चाय की प्यालियों पर सिद्धांतों और व्यक्तियों की चर्चा-परिचर्चा करने वाले लोगों के ऊपर एक करारा व्यंग्य है। राधे और शंकर शेली और नेपोलियन की तुलना करते हुए वाद-विवाद में उलझ जाते हैं यद्यपि ये दोनों ही भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि हैं और सिद्धांततः इनकी तुलना सम्भव नहीं है। इसी प्रकार शर्माजी गाँधीजी के सिद्धांतों के आधार पर उन्हें सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने की चेष्टा करते हैं। अहमद लेनिन से प्रभावित है और उसे ही दुनिया का सबसे बड़ा आदमी मानता है। चारों का वाद-विवाद निरर्थक है क्योंकि शेली, नेपोलियन, गाँधी और लेनिन अपने-अपने कारणों से दुनिया के बड़े आदमियों में माने जाते हैं। परंतु राधे, शंकर, शर्मा और अहमद अपने तर्क के आधार पर अपने विचारों की श्रेष्ठता सिद्ध करने की चेष्टा करते हैं और समय व्यर्थ करते हैं। गजाती चालाक दुकानदार है। वह किसी का विरोध नहीं करता । इसके विपरीत रामेश्वर उसे ही श्रेष्ठ मानता है जो दुनिया को अपने लिए इस्तेमाल कर सके। मरे हुए आदमियों को वह केवल एक नाम मानता है और कहता है कि आज हस्ती उसी की है जो जीवित है। रामेश्वर के जाने के पश्चात् सब लोगों को अपने लुट जाने का अहसास होता है।
इस प्रकार लेखक इस एकांकी में सफलतापूर्वक यह दर्शाता है कि दूसरों को श्रेष्ठ सिद्ध करने की चेष्टा केवल बातों से ही नहीं करनी चाहिए। बातें और बातें, केवल बातें ही करते रहने वाले लोग अंततः किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचते और केवल अपना समय ही नहीं खोते बल्कि अपनी धन-सम्पदा से भी हाथ धो बैठते हैं। इसलिए जो आदमी जागरूक रहकर कर्म करता है वही दुनिया का सबसे बड़ा आदमी होता है।
सबसे बड़ा आदमी एकांकी शीर्षक की सार्थकता
इस एकांकी का शीर्षक “सबसे बड़ा आदमी” सर्वथा उपयुक्त है। संसार में सबसे बड़ा आदमी कौन है ? रेस्तराँ में बैठे लोग चर्चा कर रहे हैं। हर व्यक्ति अपना-अपना मत प्रकट कर रहा है। तभी एक अन्य व्यक्ति रेस्तराँ में आता है और सबको बातचीत में उलझाकर इन लोगों के पैसे, झोला और कैश बक्स लेकर चम्पत हो जाता है और बाकी लोग हाथ मलते ही रह जाते हैं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि जो व्यक्ति आधुनिक युग में व्यावहारिक है वही 'सबसे बड़ा आदमी' है ।
सबसे बड़ा आदमी एकांकी के प्रमुख पात्रों का चरित्र चित्रण
गजाती का चरित्र चित्रण
रेस्तराँ का मालिक है जिसकी उम्र लगभग पच्चीस से पैंतीस तक की अन्दाजी जा सकती है। वह स्वभाव से कंजूस है इसलिए वह बात-बात पर अपने बैरे को डाँटता है और अपने नुकसान की भरपाई वह नौकर की तनख्वाह में से पैसे काटकर करना चाहता है। वह किसी भी प्रकार अपनी आमदनी में नुकसान नहीं चाहता। गजाती को अपनी दुकान में आने वाले लोगों की आपसी चर्चा सुनने में आनन्द आता है। गजाती साहित्यप्रेमी भी है। उसने साहित्यकारों के ग्रंथ भी पढ़े हुए हैं। वह लोगों के आपसी विवाद भी सुलझाता है। जब भी वह स्थिति गंभीर देखता है तभी चाय का आर्डर दे देता है। अपने हिसाब-किताब और दुकानदारी में पक्का रहने पर भी वह रामेश्वर जैसे बहुरूपिये द्वारा ठगा जाता है।
राधे का चरित्र चित्रण
शंकर का परम मित्र है। वे दोनों गजाती के रेस्तराँ में नियमित रूप से चाय पीने आते हैं और बातचीत द्वारा अपना समय व्यतीत करते हैं। राधे साहित्यप्रेमी है इसलिए वह शेली जैसे प्रख्यात कवि की प्रशंसा करता नहीं अघाता। वह शंकर द्वारा शेली के विरुद्ध किसी भी प्रकार की टीका-टिप्पणी सहन नहीं करता। उसने शेली पर एक महान् लेखक द्वारा लिखी गई 'एरियल' पुस्तक पढ़ी है। वह शेली के प्रेम के संदेश की चर्चा करता है। नेपोलियन के बर्बरता और पशुता के सिद्धान्त का वह खण्डन करता है। उसे दुःख है कि उसका मित्र शंकर जीवन में कवि की महत्ता को नहीं समझता। राधे एक सुलझा हुआ समझदार व्यक्ति है जो हर परिस्थिति का धैर्य से सामना करता है।
शंकर का चरित्र चित्रण
राधे का मित्र है जिसके विचार राधे से सर्वथा भिन्न हैं । जहाँ राधे शेली का उपासक है वहीं शंकर शक्ति और शासन का प्रशंसक है। वह शक्ति को सत्य मानता है और नेपोलियन को शेली की तुलना में महान् मानता है। शंकर परिस्थिति की गंभीरता नहीं समझता इसीलिए बिना सोचे-समझे वह टीका-टिप्पणी करता है जिससे कभी-कभी अनबन के लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं। वह वकील साहब के पहनावे और हुलिये के विषय में बात करता है जो एक अपमानजनक बात है। शंकर स्वभाव से हठी है, इसलिए अपनी गलत बात भी मनवाने के लिए वह सदा प्रयास करता है।
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