जिसको जितनी है जरूरत ईश्वर ने उसको उतना ही प्रदान किया ये हकीकत है कि जिसको जितनी है जरूरत ईश्वर ने उसको उतना ही प्रदान किया जरूरत से ज्यादा ना कि
जिसको जितनी है जरूरत ईश्वर ने उसको उतना ही प्रदान किया
ये हकीकत है कि जिसको जितनी है जरूरत
ईश्वर ने उसको उतना ही प्रदान किया
जरूरत से ज्यादा ना किसी को मिला ना मिलेगा
जंगल के राजा सिंह को सींग नहीं मिला
सींग आया गाय बैल बकरी हिरण भैंसा के हिस्सा!
लाख कोशिश और सियासत कर ले
वेद पुराण अवेस्ता एंजिल बाइबिल कुरान पढ़ ले
पूजा नमाज अरदास करके मन्नत मांगे
सिंह बाघ भालू भेड़िया सियार कुत्ता बिल्ली कुल के
परभक्षियों को कोई ईश्वर अल्लाह खुदा परवरदिगार
मनवांछित वरदान देगा नहीं सींग उग आने का!
रावण की चाहत थी स्वर्ग में सीढ़ी लगाने की
और त्रिशंकु ने चाहा था सशरीर स्वर्ग जाने का
आज भी चाहता है आदमी आदमी को मारकर
स्वर्गलोक जन्नत में हूर परी अप्सरा पाने का
जो पहले भी किंवदंती थी आज भी है ढकोसला!
कुदरत का कानून है ऐसा
कि निरीह तृणभक्षी हिरण भैंसा सींग घुसेड़कर
खूंखार सिंह बाघ भालू तेंदुआ चीता से
अपना वंश स्वयं ही बचा लेता
अक्सर चीते की रफ्तार बिना सींग वाली
मादा हिरणी की चौकड़ी से मात खा जाती!
ये गदहे और इंसान के हक में है खुदा का फैसला
कि गदहे के सिर से सींग गायब कर दिया
जो जंगल से जान बचाकर भागा
और इंसानों के बीच बोझ उठाने आ गया
वर्णा गदहा बेचारा जंगल में जीवित नहीं बच पाता!
यह कुदरत का करिश्मा है कि धरती के
सबसे बड़े शाकाहारी हाथी को हाथ व सींग दोनों नहीं मिला
जिससे ताकतवर घोड़ा और हाथी इंसानों का साथी बन गया!
जल का सबसे बड़ा जीव ब्लू व्हेल मछली इतनी बड़ी होती
कि स्थल का सबसे बड़ा प्राणी दो चार हाथी एकसाथ खा सकता
मगर विडम्बना है कि ये जलचर थल में आते ही मर जाते!
फलाहारी बंदर चिम्पांजी घास और मांस नहीं खाता
सींग नहीं खूंखार दांत नहीं लंबी पूँछ मिली पेड़ों पर जीता
पक्षी छोटा और मांसल होता थल में जी नहीं सकता
जिससे पंख मिला नभ में उड़कर वृक्ष में रहकर जी लेता!
सीधी साधी गाय के थन में कुदरत ने इतना दूध भर दिया
कि उसने मानव माता का दर्जा पाकर गोवंश को बचा लिया!
ये समस्त जीव जंतुओं के प्रति ईश्वरीय न्याय है
कि आदमी को बुद्धि विवेक देकर पशुता का हरण किया
आदमी को ना खाल मिली ना सींग मिला ना बघनखा
फिर भी आदमी है कि ‘हिम्मते मर्दा मददे खुदा’ पा गया!
आदमी ने हिम्मत किया हाथी बांधा बाघ सिंह कुत्ता पाला
आदमी अपने बुद्धि विवेक संकल्प से मालामाल हो गया
आदमी में आदमियत से उमदा कोई गुण नहीं हो सकता
मगर आदमी जब आदमियत खोता फिर कुछ नहीं बचता
ईश्वर अल्ला खुदा रब सबके सब आदमी से दूर हो जाता
इस जहाँ में आदमी का शत्रु कोई नहीं है आदमी के सिवा!
त्रिदेवों ने पहले भी ब्रह्मास्त्र वैष्णवास्त्र पाशुपतास्त्र बनाया
अताताईयों ने ब्रह्मा से ब्रह्मास्त्र इन्द्र से अमोघ अस्त्र पाया
आज भी आदमी को ओपेन हाईमर ने परमाणु अस्त्र दिया!
मगर सृष्टि नाश का जब जिसने भी कुविचार किया
वो ब्रह्मास्त्र संधान मंत्र भूलकर काल के गाल में समा गया
चाहे हो नापाक भातृद्रोही दुर्योधन कर्ण अश्वत्थामा या पाक चीन
महाकाल को अति ज्यादती अनीति फिरकापरस्ती पसंद नहीं
कृष्ण ने कहा अर्जुन से ओपेन हाईमर तक ने सुना गुना चेताया
‘कालः अस्मि लोकक्षयत्प्रविद्धो लोकान्समाहर्तुमिह प्रवृतः’(गीता)
उस एटम बम की कीमत दो जून की रोटी से कम ही होती!
- विनय कुमार विनायक
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