यदि मैं पुलिस अधिकारी होता पर निबंध yadi main police adhikari hota par nibandh If I Were a Police Officer in Hindi Language policeman essay in hindi
यदि मैं पुलिस अधिकारी होता पर निबंध
यदि मैं पुलिस अधिकारी होता पर निबंध yadi main police adhikari hota par nibandh If I Were a Police Officer in Hindi Language मैं एक पुलिस अधिकारी क्यों बनना चाहता हूँ पर निबंध - जब जब मैं किसी पुलिस अधिकारी को वर्दी पहने और उस वर्दी में अनेक स्टार लगे देखता हूँ तो मेरे मन में पुलिस अधिकारी बनने की इच्छा जागृत होती है। साथ ही समाज में फैले भ्रष्टाचार व हिंसा के वातावरण को देखकर भी यह इच्छा बलवती होने लगती है।
मेरी अभिलाषा
अक्सर ही मेरे मन में यह विचार उठता है कि यदि मैं पुलिस अधिकारी होता तो सबसे पहले समाज विरोधी तत्वों को जड़ से उखाड़ने का प्रयास करता। आम धारणा है कि समाज में जितने भी समाज-विरोधी कार्य हो रहे हैं, वे सभी पुलिस की जानकारी और मिलीभगत से ही हो रहे हैं, जैसे एन्काउण्टर के नाम पर जिसे चाहा मार दिया या जिसे चाहा रौब दिखाकर, डाँट-डपट कर थाने में बन्द कर दिया। जब चाहा लाठी चार्ज कर अपना आतंक जमा दिया। सामान्य ठेले पर सामान बेचने वालों से लेकर हर दुकानदार तथा टेम्पू वालों और ट्रक वालों से पुलिसवालों ने महीना बाँध रखा है। रिश्वत लिए बिना उनकी शिकायत भी दर्ज नहीं करते।
पुलिस प्रशासन की वर्तमान स्थिति
इस प्रकार जिनके कंधों पर देश की रक्षा का व साधारण नागरिकों की देखभाल का भार है, वही उनके रक्षकं की जगह भक्षक का रूप धारण किए हुए हैं। यद्यपि सभी ऐसा नहीं करते लेकिन केवल कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के कारण सभी के विषय में यह गलत धारणा बन गई है। यदि मैं पुलिस अधिकारी होता तो सबसे पहले ऐसे पुलिस कर्मियों को ढूँढकर उन्हें समझाने व सुधारने का कार्य करता । अगर वे नहीं मानते तो उनका तबादला ऐसी जगह करता जहाँ वह ऐसे भ्रष्टाचारी कार्य कर ही नहीं सकें। मैं अपने कर्मचारियों को कर्त्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी, परिश्रम व संयम का पाठ पढ़ाता । स्वयं भी इसी प्रकार के जीवन-मूल्यों को ध्यान में रखता ताकि मेरे साथी मुझे एक आदर्श उदाहरण मान कर अपना काम ईमानदारी से कर सकें। उन्हें मानवता की सेवा करने की प्रेरणा देता। इसमें बाधा डालने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करता और सजा दिलवाता ।
पुलिस तंत्र में सुधार
यदि मैं पुलिस अधिकारी होता तो मैं अवकाश प्राप्त नागरिकों से परामर्श कर उन्हें भी समाज को सुधारने के कार्य के लिए प्रेरित कर उनसे अवश्य सहायता लेता क्योंकि उनके अनुभव, सोच और कार्य मेरी योजनाओं को सफलता की ओर ले जाने में सहायक होते, ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है। मैं इनके साथ-साथ अन्य नागरिकों के सहयोग से कुछ समितियाँ बनाता जिन्हें समाज में कुव्यवस्था फैलाने वाले लोगों के ऊपर निगरानी रखने के लिए कहता। इस काम में मैं युवा-शक्ति का सहयोग अवश्य लेता। क्योंकि युवाशक्ति में जोश, ओज व उत्साह अधिक होता है।
सजा प्राप्त लोगों के भावी जीवन को व्यवस्थित करने के लिए आदर्श प्रबन्ध करता ताकि वे सुधर कर अपना शेष जीवन सम्मान से जी सकें। मैं किरण बेदी को अपना आदर्श समझता हूँ। उन्होंने भी दिल्ली के तिहाड़ जेल में सुन्दर व्यवस्था की थी। वैसे भी भय और आतंक से मन पर नहीं शरीर पर राज्य किया जाता है। मुझे भारतीय जनता की इच्छाओं पर राज्य करना है।
उपसंहार
भाईचारे के साथ-साथ सहयोग, प्रेम और उपकार की भावना को ध्यान में रखते हुए निष्पक्ष भाव से अपने कर्त्तव्य का पालन करने पर ही हम एक सुन्दर व सुसंगठित समाज का निर्माण कर सकते हैं। मेरा विश्वास है कि में इन सभी गुणों को अपनाकर समाज में पुलिस की बिगड़ती छवि को भी सुधारने में सफल होता तथा अपने देश को पुनः जीवन-मूल्यों से सुसज्जित कर ऐसा पवित्र बनाने का प्रयास करता जिससे वह विश्व के अन्य देशों के लिए एक उदाहरण बन सके।
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