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सब दिन होत न एक समान पर निबंध
सब दिन होत न एक समान पर निबंध sab din hot na ek saman essay in hindi Sbai din hot n ek samaana Essay writing sab din hot na ek saman Smy hot balwan Sab Din Hot Na Ek Saman - सब दिन जात न एक समान यह उक्ति संसार की परिवर्तनशीलता का प्रतिपादन करती है। इसका सरल सा अर्थ है कि हमारे जीवन के सभी दिन एक जैसे नहीं बीतते । जीवन में कभी हम सुख और आशा की झलक देखते हैं तो कभी निराशा में डूब जाते हैं। इस प्रकार समय कभी हमारे अनुकूल होता है तो कभी प्रतिकूल। कहने का तात्पर्य है कि समय-चक्र के निरन्तर घूमते रहने से हमारा जीवन भी हर पल परिवर्तित होता रहता है। इसी परिवर्तन के पहिए के चलने से हमारा जीवन सुख-दुख की आँख-मिचौनी का खेल खेलता रहता है।
सब दिन एक जैसे नहीं होते हैं
समय चक्र के घूमने से मनुष्य अपने जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव, उत्थान-पतन, हानि-लाभ, जय-पराजय आदि का अनुभव करता है। यह परिवर्तन चक्र प्रत्येक क्षण इस संसार की प्रत्येक जड़ और चेतन वस्तु को प्रभावित किया करता है। परिवर्तन के प्रभाव से ही आज के गुलदस्ते में सजे फूल कल कूड़ेदान में पड़े होंगे। फल-फूलों से लदे वृक्ष समय के परिवर्तन होने पर सूखे और पत्तों से विहीन नजर आते हैं। जहाँ कभी निर्जन जंगल थे, आज वहाँ विद्युत प्रकाश से प्रकाशित सुन्दर-सुन्दर ऊँचे भवन खड़े दिखाई देते हैं। आज जिन खण्डहरों और टूटे-फूटे भवनों की ओर कोई नहीं देखता और जिनमें दीपक का प्रकाश भी नहीं होता, जहाँ केवल जंगली पशु-पक्षी ही रैन- बसेरा करते हैं. वे स्थान प्राचीन काल में हजारों दीपकों की पंक्तियों से आलोकित होते थे। उस समय वे ही वैभव और विलास के केन्द्र थे। समय की गति अपूर्व है। जो आज राजा है, वह कल भिखारी भी बन सकता है। समय निरन्तर गतिशील और परिवर्तनशील है, इसे रोकना किसी के वश में नहीं होता। बड़े-बड़े भी इसके आगे घुटने टेक देते हैं।
समय की परिवर्तनशीलता
समय की परिवर्तनशीलता प्रकृति के कण-कण में दृष्टिगोचर होती है। रात के बाद दिन का आगमन होता है, पतझड़ के बाद वसंत के सौन्दर्य से सुसज्जित धरती, भौंरों का गुजंन, फूलों का उड़ता पराग और हरियाली अत्यन्त सुन्दर दृश्य उपस्थित करते हैं। वसन्त के बाद गर्मी की तेज लू से सारी शोभा झुलस जाती है। तत्पश्चात् पृथ्वी के हृदय को शीतल करने के लिए वर्षाकाल का आगमन होता है। यह क्रम निरन्तर चलता रहता है। प्रकृति हमें कदम-कदम पर इस परिवर्तनशीलता के द्वारा अपना धैर्य बनाए रखने की शिक्षा देती है।
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में यह उतार-चढ़ाव अवश्य आता है, परिस्थितियाँ अवश्य बदलती हैं; उसका कारण मनुष्य ही होता है। महान लोगों के जीवन के उदाहरण हमें बहुत कुछ शिक्षा देते हैं - महाराजा हरिश्चन्द्र को न्याय और सत्य की रक्षा के लिए एक चाण्डाल के हाथों बिकना पड़ा। भगवान राम ने राज्याभिषेक के स्थान पर वनवास के लिए प्रस्थान किया। धर्मराज युधिष्ठिर काल की विपरीत गति के कारण ही जंगलों में भटके। राणा प्रताप ने समय प्रतिकूल होने पर ही जंगलों में रहकर विपत्तियों का सामना किया। जीवन में परिवर्तन सभी वर्गों के लोगों को प्रभावित करता है ।
व्यक्ति तथा प्रकृति की भाँति समाज और देश भी परिवर्तन के प्रभाव से अछूते नहीं रहते। प्राचीन काल में यूनान, मिस्र और रोम के वैभवशाली साम्राज्य उन्नति के शिखर पर चढ़े हुए थे। समस्त योरोप पर इनकी धाक थी। सभ्यता, संस्कृति व ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में कोई इनकी समता नहीं करता था। इन देशों ने सुकरात, प्लेटो, अरस्तू आदि महान व्यक्तियों को जन्म दिया। वर्तमान युग में इन देशों की सभ्यता, संस्कृति तथा राजनीति का महत्त्व कम हो गया है।
प्राचीन काल में हिन्दू जाति अपने पूर्ण उत्कर्ष' पर थी। हिन्दू संस्कृति ने अनेक प्रतिभाशाली पुरुषों को जन्म दिया जिन्होंने अपनी प्रतिभा से सारे संसार को आलोकित किया। साहित्य, संगीत, कला तथा विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व उन्नति की। आज नई सभ्यता प्राचीन संस्कृति को ताक पर रखकर स्वयं को अँग्रेजी सभ्यता के रंग में रंग रही है तथा अपने को अधिक सभ्य बता रही है। खान-पान, रहन-सहन, वेशभूषा तथा आचार-विचार में अँग्रेजी सभ्यता का अंधानुकरण किया जा रहा है।
सृष्टि में निरन्तर होने वाले इस उत्थान-पतन के क्रम से को मनुष्य विचलित नहीं होना चाहिए। मनुष्य को सुख-दुःख, लाभ-हानि, जय-पराजय में समान भाव रखते हुए अपने सभी कार्य ईमानदारी तथा तत्परता से करने चाहिए।
मनुष्य का कर्तव्य
मनुष्य का कर्त्तव्य है कि वह समय के प्रभाव से कभी हताश न हो। परिस्थितियाँ प्रतिकूल होने पर धैर्य तथा साहस के साथ उनका सामना करना चाहिए। अपने कर्त्तव्यों पर दृढ़ रहकर विपत्तियों से संघर्ष करना चाहिए। यदि उसके पुरुषार्थ में शक्ति है तो दुःखों को हटना पड़ेगा। किसी के दिन एक समान नहीं रहते, यह उक्ति सर्वथा सत्य है।
संसार में किसका समय है एक सा रहता सदा ।
निशि-दिवस रहती घूमती सर्वत्र विपदा सम्पदा ।।
जो आज एक अनाथ है नरनाथ कल होता वही।।।
अर्थात सभी के दिन सदा एक जैसे नहीं रहते। अच्छा समय तथा बुरा समय एक के बाद एक उसी प्रकार आते हैं जैसे रात के बाद दिन। जो आज निर्धन है वह कल राजा भी हो सकता है।
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