ए पगली हिंदी कहानी शाम की गहन मंत्रणा के बाद कॉलेज के कुछ बच्चों के साहसिक यात्रा तय हुई। विचार-विमर्श बहुत हो रहे थे लेकिन यह चिंता पूर्ण नहीं थी
ए पगली हिंदी कहानी
शाम की गहन मंत्रणा के बाद कॉलेज के कुछ बच्चों के साहसिक यात्रा तय हुई। विचार-विमर्श बहुत हो रहे थे लेकिन यह चिंता पूर्ण नहीं थी, क्योंकि कुछ बच्चों का जाना तो तय था किंतु धीरे-धीरे एक अच्छी टीम तैयार हो गई थी।
यह टीम कॉलेज अथवा किसी क्लब की नहीं थी।यह टीम थी एक ही मोहल्ले में रहने वाले आस-पड़ोस के बच्चों की। यह यात्रा उनके स्थान से काफी दूर दिखाई देने वाले जंगली इलाके की थी। क्योंकि मार्ग थोड़ा दुर्गम था', तो सभी बच्चों को अपने परिवार के सदस्यों को मनाने की भी आवश्यकता थी किंतु उस स्थान पर मंदिर और बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण सभी के पारिवारिक सदस्यों ने हामी भर दी। हामी के पश्चात सभी में गजब का उत्साह था अगले दिन तय हुआ कि 2 दिन बाद इस यात्रा पर जाया जाएगा।
यह यात्रा मिश्रित यात्रा थी। एक प्रकार से कैंपिंग एक प्रकार से मंदिर दर्शन, पिकनिक सभी कुछ में शामिल था। बड़े ही जोश खरोश के साथ बच्चों की यात्रा शुरू हुई। बच्चे माता का जयकारा करके घर से निकले। लंबा सफर पैदल यात्रा, थका देने वाली गर्मी सबकुछ उसमें शामिल था l हाथों में डंडे थामें पीठ में बैग लटकाए, मन में उत्साह भरे सभी बातें करते हुए खिलखिलाते चलते जा रहे थे। कभी गाना गाते, कभी चुटकुले सुनाते, थकते, रुकते फिर चलते बढ़ते ही जा रहे थे।
लगभग 3 से 4 घंटे का पैदल मार्ग तय करने के बाद वह अपने गंतव्य तक पहुंच गए। कठिन चढ़ाई लंबा मार्ग किंतु पहुंचने के बाद एक लंबा सा मैदान। ऊपर पहुंच कर देखा मैदान बहुत सुंदर और लंबी लंबी घास से ढका हुआ था। हाथ में पकड़ी हुई लाठियों के बदौलत वह उस मैदान के आगे मार्ग बनाते हुए चले। उसी मार्ग में एंटी बढ़कर एक छोटा और सुंदर सा मंदिर था। जहां सभी ने दीया जलाया आराधना की। काफी देर तक सभी हंसते खिलखिलाते खुशी से झूमते हुए लेटे रहे। कुछ देर आराम करने के बाद, अब समय आगे बढ़ने का था ।
आगे बढ़ते हुए अब उन्होंने गांवों का मार्ग अपनाने का निर्णय लिया। अब था उतार का समय। पहाड़ी के ऊपर के मैदान से उतरते हुए। वहां के नजारे बदल रहे थे। पहाड़ी के ऊपर बिखरा हुआ सुंदर घास का मैदान, तो उतरते हुए हरा भरा जंगल। तेरा मेरा कुछ सूखा कुछ फिसलन भरा रास्ता, हरी-भरी बड़े पेड़ों से घिरा हुआ जिसमें पक्षी सहसा ही चह चहा उठते। यह वह रास्ता नहीं था जहां से वह लोग इस जगह पर आए थे। अब यह रास्ता कुछ अलग था। इसलिए बच्चों का मन बार-बार रोमांच से भर उठता।
जंगल की मध्य से गुजरती पानी की धारा छोटे आकार की किंतु सुंदर। उसकी कलरवता जंगल की नीरवता को चीरती हुई उस जंगल को एक सुंदर आवाज प्रदान करती l ऐसा प्रतीत होता है मानो उस जंगल को आवाज मिल गई हो। पक्षियों की चहचहाहट के बीच पानी की कल कल छल छल ऐसा लगता है मानो वीरानी पहाड़ी के बीच जंगल जाग रहा है।
सभी यात्री जंगल के सौंदर्य का आनंद लेते हुए आगे बढ़ते रहे एक पगडंडी मार्ग से होते हुए 1 गांव के बीच पहुंच गए। क्योंकि उस पहाड़ी से उस गांव के मध्य का मार्ग काफी लंबा था, इसलिए गांव के बीच एक घर के पास रुक गए। अनजानी गाँव में अनजाने लोगों का आना दोनों के लिए ही विस्मय में पूर्ण था। फिर भी क्योंकि सभी बच्चे थक गए थे इसलिए रास्ते से ही घरों की ओर आवाज लगाई कोई है? किंतु कोई उत्तर नहीं आ रहा था। क्योंकि गांव में सभी की दिनचर्या व्यस्त होती है इसलिए हर कोई खेत में या चारे के बंदोबस्त में था। फिर एक घर से एक लड़की बाहर निकली दुबली पतली सी उम्र लगभग 20 या 21 वर्ष की होगी। कर मध्यम,छहरी काया, रंग हुआ बाल कुछ उलझे उलझे, चेहरे पर कोई रंगत नहीं। जो रूप लावण्य 20 21 वर्ष की युवती में होता है वह उसमें नहीं था।
फिर भी सभी यात्री प्यासे थे तो तो सभी ने पानी की मांग की वह एक जग में पानी ले साथ में कुछ गिलास ले आई। सभी यात्रियों को जैसे अमृत मिल गया हो सब ने खूब पानी पिया। यात्रियों ने निर्णय किया कि कुछ देर यहीं पर ठहरते हैं, फिर आगे की यात्रा करेंगे।
दल में शामिल युवती या उस लड़की के साथ बातें करने लगी। उसने बताया कि यह दोपहर का समय है सब लोग इस समय खेतों में है। उसने उन लड़कियों से पूछा कि वह कहां से आ रही है? तब उन्होंने बताया कि वह यात्रा करने के लिए निकली हुई है। वह प्रश्नवाचक निगाहों से देखने लगी?
ऐसे क्यों देख रही हो? दल की एक लड़की ने पूछा ?
हमें तो बात भी नहीं करने देते लड़कों से और आप लोग घूमने निकल गए?
आपके परिवार वालों ने मना नहीं किया क्या?
नहीं मना करने की क्या बात है?
हम लोग सब आस-पास ही रहते हैं साथ ही पढ़ते हैं साथ ही खेलते हैं तो बात करने में या घूमने में क्या परेशानी है ?
नहीं?????........
हमारे यहां ऐसे ही कहते हैं.....।
अच्छा तुम कितने में पढ़ती हो? एक लड़की ने पूछा।
मैंने....... कुछ सोचते हुए बोलती है।
सातवीं कक्षा में प्रवेश लिया था।
हा हा हा हा हा.....।
कुछ बच्चे हंस पड़ते हैं और वह सहम जाती है।
चुप रहो दूसरों की मजाक नहीं बनाते। दल में सयानी एक लड़की ने डांटा।
ऐसा क्यों तुम्हें देख कर तो लगता है कि तुम कॉलेज जाती होगी।
नहीं...... वो......... और वह उदास सी हो गई।
क्या बात है बताओ?
तुम मुझे अपनी बड़ी बहन समझ सकती हो।
लेकिन.......? घबराओ नहीं हम सब साथी हैं।
कुछ यदि हमारे पास का होगा तो हम करेंगे तुम्हारे लिए।
बल्कि सभी लोगों के मन में समाज सेवा की सी भावना उत्पन्न हुई।
पर वह लड़कों से कुछ झेप रही थी।
परिस्थिति समझकर लड़के कुछ दूर जाकर बैठ गए।
तब लड़की ने बताया कि जब वह महज 11 साल की थी। तब वह अपने गांव से दूर उस शहर के पास एक विवाह में शामिल होने को आई थी। वह विवाह उनकी रिश्तेदारी में था। उसकी बुआ के बेटे की शादी थी। वह बहुत खुश थी कि उसे ही बुआ के यहां शादी में शामिल होने का मौका मिल रहा है और शहर देखने का मौका भी मिल रहा है। तूने चाहती थी कि यदि बुआ मानेगी तो वह आगे की पढ़ाई उन्हीं के यहां से करेगी।
उसने अपने लिए अपनी मां से गुलाबी रंग की फ्रॉक भी ली गई थी। खूब तैयार होकर के अपने परिवार के साथ वह अपने बुआ के यहां गई थी। नई जगह देख कर उसे खूब खुशी हुई शादी के सभी समारोह को बहुत ही खुशी के साथ एंजॉय कर रही थी।
लेकिन रिसेप्शन के दिन..........। कहते हुए वह रुक गई।
क्या हुआ बताओ????
लड़कियों का दिल अचानक से धक-धक करने लगा।
तब उसकी आंखें भर आई और उसने बताया कि घर के आँगन में रिसेप्शन चल रहा था और एक बच्चे ने मुझसे कहा की छत में कुछ सामान रखा है वह ले आओ बुआ मंगा रही है। और क्योंकि वह बुआ के साथ रहना चाहती थी इसलिए खुशी से वह भागती हुई छत पर चली गई।
लेकिन छत पर ऐसा कुछ सामान नहीं था बल्कि बुआ के बेटे के कुछ दोस्त पार्टी कर रहे थे।
वह गईं और पूछा... यहाँ बुआ का सामान रखा है???
हां है ना हमारे पास है यहां आओ।
वह डर गईं।
आप लोग झूठ बोल रहे हो ना।
झूठ क्यों बोलेंगे हम सच बोल रहे हैं।
यहां आओ।
और वह चली गई।
और.....और कहते हुए वह रोने लगी।
क्या हुआ था तब। घबराते हुए दल की लड़की ने पूछा।
उन लोगों ने मिलकर उसका बलात्कार किया।
बीच में एक बारमामी भी आई थी। लेकिन पैसा देने वाले लड़कों ने उन्हें आने नहीं दिया। और कहां सुबह मजे कर रहे हैं उन्हें आने की जरूरत नहीं है। वह शायद अनजान थी इसलिए हंसते हुए चली गई।
जब मैं नहीं मिली तो माँ ढूंढने लगी। और मैं आई तो वह लड़के छत पर से कूद कर भाग गए।
माँ रोने लगी उन्होंने कपड़े पहनाए और चुप रहने को कहा और मुझे अंदर के कमरे में सुला दिया। शाम तक मां मेरे ही साथ रही। जब मेहमान जा चुके तब घर में बहुत हंगामा हुआ । बुआ का बेटा उन्हें मारने के लिए भी तैयार हुआ। लेकिन फिर सब घर के बड़ों ने कहा कि यह इज्जत की बात है चुप रहने में ही भलाई है।
घर के सब लोगों ने इज्जत का बदनामी का तकाजा दिया। और मुझे और मां को चुप करा दिया। मैं तो बच्ची थी। कर भी क्या सकती थी। लेकिन मेरे घर के बड़े सब चुप हो गए। और मेरा घर से निकलना स्कूल जाना पढ़ाई सब बंद हो गया।
क्या सबके साथ ऐसा ही होता है????
उसकी प्रश्नवाचक निगाहें सबको अंदर तक हिला गई????
क्या हम तुम्हारे माता-पिता से बात करें????
अभी भी समय नहीं देता है तुम्हें इंसाफ मिल सकता है।
कोई फायदा नहीं होगा।
क्यों ऐसा क्यों कहती हो?
कुछ देर में आएंगे उनसे बात करके तुम्हें समझ आ जाएगा ।
थोड़ी ही देर में उसके माता-पिता घर आ गए।
ए पगली क्या कर रही है या पर??
तुझे कहा था ना किसी से बात मत करना।
और तू ने कितने लोगों को बैठा रखा है यहां पर।
तब दल की लड़की आगे आई और उसने अपनी यात्रा के बारे में बताया। उसने उनकी बेटी की तारीफ की कि उ सने उन्हें पानी पिलाया छाया में बैठने दिया ।
उनकी बेटी तो बहुत समझदार है।
फिर उसने कहां की.......।
आपकी बेटी के साथ इतना कुछ हुआ और आप चुप कैसे रहे??
माँ के चेहरे पर घबराहट के साथ गुस्सा उभर आया।
ए पगली क्या कहानी सुनाई तूने इनको????
क्या मतलब आपको अपनी बेटी का दर्द कहानी लगता है??????
साड़ी के पल्लू से मुंह पोछते हुए।
नहीं......।
यह बचपन से ही ऐसे कहानी बनाती है।
पहले तो ठीक थी, लेकिन एक बार जंगल से पता नहीं से क्या लगा। तब से ऐसी अजीब अजीब कहानियां बनाती है।
कहीं दिखाया आपने इसे डॉक्टर को???
हां क्यों नहीं????
यह ऐसी कहानियां बनाती है। 1 दिन कह रही थी कि हवाई जहाज में उड़ रही थी l कभी राजा महाराजा की कहानी सुनाती है।
लड़कियों को मां की मां बात पर कुछ भरोसा नहीं हो रहा था। तभी पड़ोस की महिलाएं बोलने लग गई आज क्या कहानी सुनाइ इसने????
देखो बच्चों तुम यात्री हो तुमने पानी किया आराम किया अब तुम अपने रास्ते हम अपने। यह पगली के चक्कर में अपना सफर क्यों खराब करते हो??
महिलाओं के भाव कुछ गंभीर होने लगे। तू सभी ने आगे बढ़ना ही ठीक समझा। आगे को बढ़ते हुए उस लड़की को कुछ छोटे से तोहफे दिए।
ए पगली जाति नहीं तू अंदर। मां ने झिड़ककर कहा तो वह हंसते हुए अंदर भाग गई।
और घर की छोटी सी खिड़की से बाहर झांकने लगी।
असमंजस के भाव के साथ सभी यात्री आगे बढ़ गए।
और वह लड़की और सभी को ऐसी निगाहों से देख रही थी, मानो मन ही मन कह रही हो आज उसकी व्यथा एक बार फिर अविश्वास की भेंट चढ़ गई हो।
- डॉक्टर चंचल गोस्वामी
पिथौरागढ़ उत्तराखंड
COMMENTS