अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता की भूमिका उपभोक्ता किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का केंद्र बिंदु होता है आधुनिक अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता की भूमिका विद्यार्थ
अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता की भूमिका
अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता की भूमिका निबंध में बापूराव देसाई लिखते हैं कि उपभोक्ता किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का केंद्र बिंदु होता है। कहा जाता है कि वस्तु का निर्माण ही उपभोक्ता की पसंद, आवश्यकता, इच्छा के अनुरूप किया जाता है। वस्तुतः अर्थशास्त्र में उपभोक्ता को राजा समझा जाता है जैसे राजा सार्वभौम रहता है वैसे ही वस्तु की खरीद में उपभोक्ता सार्वभौम रहता है। लेखक कहते हैं कि इस दृष्टि से अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। निबंध के अनुसार अर्थशास्त्र में उपभोक्ता की भूमिका के निम्नांकित पहलू हो सकते हैं -
- सजगता - बाजार में कभी किसी वस्तु की कीमत में हेरफेर हो जाती है, कभी गड़बड़ हो जाती है कभी वह वस्तु ही बाजार से गायब हो जाती है तो वस्तु की सही कीमत की जानकारी, कौन सी वस्तु उपलब्ध है पर गायब कर दी गई है इस पर उपभोक्ता का सजग रहना अति आवश्यक है।
जानकारी रखना - सरकार कभी-कभी विभिन्न प्रसार माध्यमों द्वारा किसी वस्तु की खरीदी बिक्री पर पाबंदी लगा देती है उसकी उपभोक्ता को जानकारी होना चाहिए। कौन सी वस्तु की एक्सपायरी डेट कहां तक है वो अभी चल सकती है या एक्सपायरी डेट क्रॉस कर दी है, इसकी जानकारी भी ग्राहक को रखनी चाहिए ।जीवन मृत्यु का निर्धारण करने वाली दवाओं के बारे में भी उसे पूरी जानकारी लेकर ही खरीदना चाहिए तथा सेवन करना और कराना चाहिए।- वस्तु के वजन की जानकारी - बाजार में वस्तुओं की खरीद खासतौर पर डिब्बाबंद या पैकेट की वस्तुओं को खरीदते समय उसे पैकेट पर वस्तु के वजन की जानकारी होना चाहिए ।उन्हें देखना चाहिए कि पैकेट पर वजन लिखा हुआ है या नहीं और लिखा हुआ है तो उतना वजन सचमुच में है या नहीं। कम होने पर जांच कर उपभोक्ता शिकायत दर्ज करवा सकता है और विक्रेता की धांधलियों को पकड़कर उन पर रोक लगवा सकता है।
- गलत चीजों के इस्तेमाल पर रोक - विक्रेता या उत्पादक द्वारा अगर खाद्य पदार्थों में कोई गलत वस्तु, कृत्रिम पदार्थ या नुकसानदायक रंग मिलाया जा रहा हो जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो तो भी उपभोक्ता उस उत्पादक के खिलाफ शिकायत कर वस्तु के उत्पादन को रोकने की तथा उत्पादक द्वारा सुधार करवा लेने की क्षमता रखता है।
- अधिकार प्रयोग - विक्रेता द्वारा विज्ञापन या अन्य तरीकों से वस्तु विशेष के लिए दी गई विशेषताओं उसकी गुणवत्ता उत्तमता तथा सुविधाओं का या प्रयोग के पश्चात अगर वस्तु दी गई बातों और उपभोक्ता के मानदंड पर खरी न उतरे तो उपभोक्ता विक्रेता के विरुद्ध जनमत तैयार कर आवाज उठा सकता है तथा उत्पादक को दी गई विशेषताओं के अनुसार वस्तु बनाने के लिए बाध्य कर सकता है या बिक्री पर रोक लगवा सकता है।
- गारंटी वारंटी के अंतर के बारे में जानना - गारंटी वारंटी के अंतर के बारे में भी ग्राहक को पता होना चाहिए । अगर वस्तु गारंटी पीरियड में है जो साल भर से लेकर तीन साल तक का हो सकता है, उस पीरियड में अगर कोई वस्तु बिगड़ गई तो बदल कर देना या दुरुस्त करके विक्रेता को उसे देना पड़ेगा। इस प्रकार के व्यवहार के संबंध में उपभोक्ता का सतर्क रहना जरूरी है।
- उपभोक्ता संरक्षण कानून के बारे में जानकारी होना - 1986 में भारत सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण कानून पारित का इसके अनुसार केंद्रीय आयोग, राज्य आयोग, जिला मंच की स्थापना की है। आज अनेक वस्तुओं पर आई एस आई का प्रमाण पत्र तथा एगमार्क उपभोक्ता की भलाई के लिए ही अत्यावश्यक कर दिया है। अर्थात यह सब लिखित कानून के तहत, उपभोक्ता की भलाई के लिए बनाए गए हैं ।उपभोक्ता को इसकी जानकारी होना आवश्यक है।
निष्कर्षत कह सकते हैं आधुनिक अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता की भूमिका विद्यार्थी के समान होनी चाहिए। हरदम बदलने वाली परिस्थिति का अध्ययन कर जागृत रहकर, बाजार की जानकारी रखकर वस्तु क्रय करनी चाहिए तथा बेवकूफ बनाए जाने या विक्रेताओं द्वारा लूटे जाने पर अधिकार प्रयोग कर आवाज उठाना चाहिए।
- डॉ ममता मेहता
Fact is Fact..!! Some people may not like, can't help much.
जवाब देंहटाएंCBSE has not made payment to teachers for the last session board exam 2022-23 Evaluation work. They are habitual of delaying the payment becoz they know well that they can go away with no penalities. If they did the same thing in countries like US or UK, they wud have been sued and heftly penalized. These are actually educational mafias running a fraud businnes in the name of conducting school exams. Actually they are run by corrupt beurocrates to fool people and enjoy the surplus. They could do this becoz people here are not aware of their rights. A total mess thriving in our system.. creating a pathetic and disgusting environment for normal educators.
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