खोई कहानी की कुंजी निबंध का आशय उद्देश्य परमेश्वरी लाल गुप्त द्वारा रचित यह निबंध भारत के महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य पर केंद्रित है। लेखक के अनुसार
खोई कहानी की कुंजी निबंध का आशय उद्देश्य
खोई कहानी की कुंजी निबंध का आशय उद्देश्य परमेश्वरी लाल गुप्त द्वारा रचित यह निबंध भारत के महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य पर केंद्रित है। लेखक के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य भारत का सबसे शक्तिशाली व लोकप्रिय सम्राट था लेकिन इतिहास में इस महान सम्राट के पराक्रम और शौर्य की चर्चा कहीं नहीं मिलती । लेखक के लिए यह आश्चर्य का विषय है। लेखक चंद्रगुप्त के पराक्रम की गाथा लिखते हुए वर्णन करते हैं कि चंद्रगुप्त ने अत्यंत साधारण स्थिति से उठकर पौरूष प्राप्त किया था घनानंद जैसे विशाल सैन्य शक्ति रखने वाले शासक को हराकर उसने नंद वंश का नाश कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। पड़ोसी राज्य कौशल को जीतने के साथ ही उसने अपने बल और पराक्रम से पंजाब तथा सिंधु तट के प्रदेश भी अपने अधिकार में ले लिए थे ।पश्चिम से लेकर गुजरात तक उसने अपने राज्य का विस्तार कर लिया था। इतना ही नहीं यवन नरेश सेल्यूकस जिसने सिकंदर से प्रभावित होकर भारत पर आक्रमण किया और पराजित हुआ और अपने दो महत्वपूर्ण प्रदेशों गदरेशिया और अराकासिया से हाथ धोना पड़ा। ऐसे महान पराक्रमी राजा का इतिहास में कहीं नाम नहीं है। लेखक के लिए यह विचारणीय प्रश्न है।
लेखक कहते हैं कि 'अपने ही देश में उसकी इस प्रकार उपेक्षा का कोई समुचित कारण नजर नहीं आता ना सिर्फ युद्ध क्षेत्र में बल्कि राज्य व्यवस्था के संचालन में भी चंद्रगुप्त कुशल शासक सिद्ध हुआ था इसकी चर्चा बाहर के देशों में जैसे सिंहल द्वीप तथा यवन लेखकों द्वारा की गई है पर हमारे यहां के इतिहासकारों ने और लेखकों ने इस महान सम्राट की उपेक्षा क्योंकि यह प्रश्न है।' पर लेखक कहते हैं कि भले ही इतिहास में इस महान शासक के पराक्रम की चर्चा नहीं हुई पर उसका शौर्य पराक्रम और उसकी लोकप्रियता तक्षशिला में प्राप्त उसके शासन काल के सिक्कों से होती है।इन सिक्कों पर मौर्य वंश का राज चिन्ह चंद्रांकित मेरु अंकित है जिसे एक सिंह चाट रहा है ।सिक्के के दूसरी तरफ वही चिन्ह हाथी की पीठ पर इस प्रकार रखा है मानो वह बैठा हो। पाटलिपुत्र के उत्खनन में मिले बर्तनों और हथियारों पर भी यही चिन्ह पाया गया है । उस काल में कलाकार, महान शासकों तथा महापुरुषों का अंकन भौतिक या सशरीर ना करके प्रतीक रूप में करते थे जैसे हाथी पर चंद्र चंद्रगुप्त का प्रतीक है पर्वत के समान स्थल और विराट व्यक्तित्व का स्वामी। इस प्रतीकात्मक चित्र के जरिए समझा जा सकता है कि चंद्रगुप्त के शासनकाल के लोग उसे कितना महान समझते थे ।
यहां लेखक का यह निबंध लिखने का आशय यही है कि जो कहानी इतिहास में या साहित्य में कहीं प्राप्त नहीं होती वह इन सिक्कों के माध्यम से जानी जा सकती है। जिस चंद्रगुप्त के शौर्य पराक्रम की चर्चा कहीं नहीं है उसे हम सिक्के के द्वारा जान सकते हैं। इसलिए लेखक कहते हैं यह जो सिक्का है वह खोई हुई कहानी की कुंजी के रूप में हमें प्राप्त हुआ है ज्यादा नहीं तो थोड़ा ही सही....
चंद्रगुप्त मौर्य के स्वभाव से पशु भी मोहित हो जाते थे
चंद्रगुप्त मौर्य मौर्य वंश का संस्थापक एक प्रतापी वीर तथा पराक्रमी सम्राट था उसने घनानंद को पराजित कर मौर्य वंश की नींव डाली । अपनी वीरता से उसने कौशल राज्य को जीता तथा पंजाब और सिंध प्रदेश को भी अपने अधिकार में ले लिया। उसने पश्चिम से गुजरात तक अपने राज्य का विस्तार कर लिया था ।यही नहीं उसने यमन नरेश सेल्यूकस को भी पराजित कर उसका भी क्षेत्र अपने राज्य में सम्मिलित कर लिया था ।चंद्रगुप्त वीर योद्धा कुशल शासक व लोकप्रिय राजा था यहां तक कि पशु भी उसकी वीरता और अच्छे स्वभाव पर मोहित हो जाते थे। कहा जाता है कि एक बार चंद्रगुप्त अपने शत्रुओं से पराजित होकर भाग रहा था बेहद थक जाने के कारण उससे आगे बढ़ना असंभव लगने लगा तो वह एक जगह आराम करने बैठ गया । बैठते ही उसे नींद आ गई और वह बेसुध पड़ा सोता रहा इस बीच उधर से एक शेर निकला चंद्रगुप्त को इस तरह बेसुध पड़ा देखकर वह रुक गया और चंद्रगुप्त के शरीर को चाटने लगा। इस तरह उसने उसके शरीर की सारी थकान मिटा दी। चंद्रगुप्त जब जागा तो स्वयं को काफी आराम में महसूस कर रहा था। उसे जागता देख सिंह जंगल में भीतर चला गया और चंद्रगुप्त भी नई स्फूर्ति लेकर आगे चल पड़ा।
इसी तरह की एक अन्य कथा भी प्रचलित है कि अपने सैनिकों को एकत्र कर चंद्रगुप्त नए जोश के साथ अपने शत्रुओं पर आक्रमण करने जा रहा था तो जंगल से एक हाथी निकला। चंद्रगुप्त को देखते ही वह उसके पास आकर बैठ गया और उसे अपनी पीठ पर बैठाकर चल पड़ा इन घटनाओं से हम समझ सकते हैं कि चंद्रगुप्त मौर्य के स्वभाव और शौर्य से पशु भी मोहित हो जाते थे।
इस प्रकार लेखक ने भारत के एक महान शासक की वीरता कुशलता और शासन व्यवस्था को जानने के लिए प्राप्त साधनों की तरफ ध्यान आकर्षित किया है. भले ये साधन सीमित ही क्यों न हो.....
- डॉ ममता मेहता
COMMENTS