पत्रकार की समाज के प्रति जिम्मेदारी पत्रकार की समाज के प्रति जिम्मेदारी एक महत्वपूर्ण विषय है। पत्रकारिता का उद्देश्य समाज को सच्ची और विश्वसनीय जानका
पत्रकार की आवाज सपनों की परवाज़
पत्रकार की समाज के प्रति काफी जिम्मेदारी है. वह अपने विवेक के अनुसार पाठकों को सही मार्ग पर ले जा सकता है, उन्हें मार्ग दिखा सकता है, सही गलत की पहचान करवा सकता है.. वह जो कुछ लिखे उसके लेख सदैव शुद्ध और विवेकशील रहे. पैसा कमाना नहीं बल्कि लोक सेवा ही पत्रकार का ध्येय है.
पत्रकारिता एक पावन पवित्र व्यवसाय है अतः इस क्षेत्र में कार्यरत व्यक्ति को भी उतना ही पावन एवं निर्मल विचारधारा का होना पड़ेगा. पत्रकारों से सामाजिक चेतना जगाने की अपेक्षा करते हुए श्री जवाहरलाल नेहरू ने उनके कर्तव्य निर्धारण के प्रसंग में कहा था कि जीवन में जो कुछ निकृष्ट है उसको बढ़ने से रोकने का दायित्व पत्रकारों का है पत्रकारों को अधिक उज्जवल सामाजिक चेतना के निर्माण में भी सहायता करनी चाहिए.'
वर्तमान में अनेक युवा कैरियर के रूप में पत्रकारिता को अपना रहे हैं. एक सजग, जागरूक, कर्मठ, निडर पत्रकार बनने की चाह में कई युवा पत्रकारिता का कोर्स कर मीडिया जगत में अपनी योग्यता का प्रदर्शन करना चाह रहे हैं व कर भी रहे हैं. डॉक्टर, इंजीनियर आईएएस, बैंक की नौकरी के अलावा अब मीडिया में भी सशक्त रोजगार की संभावना दिखाई देने लगी है.. इसका आकर्षण युवाओं को अपनी ओर खींच रहा है जनता की सशक्त आवाज बनने के साथ ही मीडिया महत्वाकांक्षी मैं कुछ कर गुजरने की चाह रखने वाले युवाओं की पहली पसंद बनता जा रहा है ना केवल शहरों में बल्कि गांव में भी युवा इसके प्रभाव व आकर्षण से अछूते नहीं हैं..मीडिया का क्षेत्र आज के युवाओं का सपनों का क्षेत्र है.संचार क्रांति के परिणाम स्वरूप इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का अंबार लग गया है वर्तमान युग सूचना प्रौद्योगिकी का युग या इलेक्ट्रॉनिक युग कहा जाता है. प्रिंट मीडिया के साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के इस दौर ने अपार संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं.
अपने आप में एक व्यापक शब्द है मीडिया अंग्रेजी शब्द मीडियम का बहुवचन रूप है जिसका अर्थ होता है "माध्यम". परिभाषिक रूप में मीडिया शब्द संचार के साधनों यथा रेडियो टेलीविजन समाचार पत्र इत्यादि के लिए समूह बोधक संज्ञा की तरह किया जाता है.. अर्थात संचार के दो या दो से अधिक साधनों को सामूहिक रूप में मीडिया कहा जाता है..
मीडिया विशेषज्ञों द्वारा बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंच रखने वाले,सूचना पहुंचाने वाले संचार साधनों के लिए 'मास मीडिया' शब्द का प्रयोग किया जाता है..मीडिया जन संचार के साधनों के लिए प्रयुक्त होने वाला संक्षिप्त शब्द है जिसके अंतर्गत सूचनाओं तथ जनमत और मनोरंजन का प्रसार करने वाले सभी माध्यम आते हैं जिनमें समाचार पत्र,पत्रिकाएं,सिनेमा, रेडियो,टेलीविजन,इंटरनेट, मोबाइल और वर्तमान में सोशल मीडिया भी सम्मिलित है जिसे मास मीडिया या हिंदी में 'जनमाध्यम' कहा जाता है..मीडिया चाहे प्रिंट हो या इलेक्ट्रॉनिक अपार संभावनाओं से भरा क्षेत्र है.समाचार पत्र सिर्फ खबरें ही नहीं देता अन्य कई परिशिष्ट भी उपलब्ध करवाता है जिसमें अलग-अलग विषयों पर जानकारी दी जाती है.खेल,सिनेमा,मैनेजमेंट,साहित्य, मनोरंजन, बाल जगत, विज्ञापन सब कुछ आपको सुबह की गरमा गरम चाय के साथ घर बैठे मिल जाता है.. यही सब कुछ टेलीविजन और इंटरनेट भी परोस रहा है. वहां समाचार पढ़े जाते हैं, ज्वलंत समस्याओं पर चर्चा मंथन किया जाता है, विश्लेषण होता है फिर मनोरंजन तो है ही..इन सब के व्यवस्थित उत्तम प्रकाशन प्रसारण के लिए योग्य व्यक्तियों की आवश्यकता होती है..अगर युवा इस क्षेत्र में आना चाहते हैं अपने शौक जुनून और जज्बे को चुनौतियों के साथ पूरा करना चाहते हैं तो कुछ विशेष गुणों को अपने अंदर समाविष्ट विकसित कर इस क्षेत्र में पदार्पण कर सकते हैं पत्रकारिता को कैरियर के रूप में अपनाने और एक पत्रकार बनने के लिए उनमें निम्नांकित गुण अपेक्षित हैं-----
भाषा
भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है.. तथ्यों को प्रकट करने के लिए और संदेशों को जनता तक पहुंचाने के लिए भाषा ही प्रमुख माध्यम होती है.. भाषा का प्रयोग करते समय पत्रकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जो संदेश वह पाठकों तक, जनसामान्य तक पहुंचाना चाहता है उसके लिए उसी तरीके की भाषा का प्रयोग किया है या नहीं भाषा जन सामान्य की दृष्टि से जटिल नहीं हो ना ही छिछली या असभ्य हो ..शालीन सरल भाषा पाठकों और श्रोताओं के मन पर प्रभाव डालती है. जब पाठक या श्रोता प्रभावित होंगे तभी भाषा संप्रेषण सफल माना जाएगा.भाषा हमारी संस्कृति व मूल्यों की परिचायक होती है..अपनी भाषा में संप्रेषण आपका भाषा के प्रति गौरवमय भाव को दर्शाता है तो अपनी भाषा का प्रयोग ही ज्यादा किया जाना चाहिए पर वह कार्यक्रम व वर्ग के अनुसार हो ..जैसे यदि कार्यक्रम बच्चों का है और आपको बच्चों के लिए कुछ लिखना है तो बहुत ज्यादा क्लिष्ट या भारी-भरकम भाषा का प्रयोग कार्यक्रम के उद्देश्य को विफल कर देगा. सांस्कृतिक कार्यक्रम या लेखन में अति साधारण भाषा वह प्रभाव नहीं छोड़ेगी जो साहित्यिक भाषा का पड़ेगा.. इस प्रकार कार्यक्रम व लेखन के विषय अनुसार भाषा का प्रयोग करना पत्रकार के लिए अत्यंत आवश्यक है ताकि उसके विचार, भाव पाठक, दर्शकों या श्रोताओं तक सहजता से पहुंच सकें. इसके लिए सतत पठन-पठन करना चाहिए तथा निरंतर चिंतनशील पढ़ने और सीखने के प्रति आस्थावान रहना चाहिए पत्रकार अपना ज्ञान जितना बड़ा सके उतना बढ़ाना चाहिए. उसे अपने लिखने की क्षमता का विकास करना चाहिए और भाषा पर पकड़ बनानी चाहिएक्योंकि मीडिया के लिए लेखन चाहे वह प्रिंट हो या इलेक्ट्रॉनिक वही पत्रकार सफल माना जाता है जो भाषा विद् हो.. भाषा सरल, प्रवाहपूर्ण, सुस्पष्ट और रोचक हो तो कही कई बात जनता द्वारा जल्दी स्वीकार ली जाती है.. छोटे वाक्य, छोटे पैराग्राफ तथा जनता के मनोभावों को समझ उसके अनुरूप लेखन तैयार करना या किसी पक्ष से विरोध होने पर जोशीली भाषा का प्रयोग असर दायक सिद्ध होता है.. समाचार लेखन हो, समाचार लिखकर उसका वाचन हो, किसी कार्यक्रम का संचालन हो, समाचार के किसी विशिष्ट परिशिष्ट का लेखन हो.. पत्रकार को भाषा संबंधी निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए---
- उद्दात भाषा का प्रयोग जिसमें पाठकों से श्रोताओं से सीधा सवाल किया जाए," क्या आप जानते हैं? क्या आपने कभी इस तरीके की कोई कलाकृति देखी है ?क्या आप देखना चाहेंगे या जानना चाहेंगे जादूगरी का यह विशेष कौशल? तो आइए हम दिखाते हैं आपको.."’ या "जानिए हमारे इस विशेष आलेख द्वारा".. इस तरह के प्रयोग से दर्शकों, श्रोताओं या पाठकों का ध्यान आकर्षित होता है और रुचि जागृत होती है..
- आत्मीय वाक्यों का प्रयोग जिससे श्रोता या पाठक के साथ आत्मीयता भरा संबंध स्थापित हो सके और पाठक आपकी लेखनी की प्रतीक्षा करें व श्रोता आपके बोलने की..
- सहज भाषा का प्रयोग जिससे सभी वर्गों को समझने में आसानी रहे पढ़ने या सुनने में जिज्ञासा व रोचकता बनी रहे.. ज्यादा क्लिष्ट भाषा का प्रयोग ना समझने की स्थिति में पाठकों व श्रोताओं को कार्यक्रम या लेखनी से विमुख कर देता है..
- वाक्य छोटे पर पूर्णता से परिपूर्ण होने चाहिए..
- ऐसे शब्दों का प्रयोग ना करें जो श्रुतिसम हो इनमें अर्थ बदलने की संभावना होती है .करें भी इस तरह प्रयोग हो कि भाव अर्थ व संप्रेषण उसी अर्थ में हो जिस अर्थ में आप करना चाहते हैं.
- शब्दों की आवृत्ति बार-बार ना हो..
- भाषा प्रवाहमय, संवादात्मक तथा संवेदना से परिपूर्ण हो..
- लिखते समय या बोलते समय उचित आरोह,अवरोह विराम चिन्हों का उचित स्थान पर प्रयोग किया गया हो.
यह पत्रकार का दायित्व है कि वह अपने लेखन कार्य की गति से भाषा को समृद्ध बनाए रखें ताकि उसका लेखन जनता के लिए अमूल्य दस्तावेज सिद्ध हो सके..
ज्ञान से परिपूर्ण होना
पत्रकार जनता को देश-विदेश में होने वाली घटनाओं, कार्यक्रमों या सूचनाओं से अवगत कराता है. पत्रकार द्वारा कही गई, परोसी गई बात पर जनता सहज विश्वास करती है.इसलिए पत्रकार जो भी जानकारी दर्शको या पाठकों के सामने रखे उस पर उसे पहले स्वतः मंथन मनन करना चाहिए, तथ्य इकट्ठे करने चाहिए, घटना या कार्यक्रम से संबंधित भौगोलिक सांस्कृतिक परिवेश परिदृश्य का ज्ञान होना चाहिए, जनता को जनता के लाभार्थ किए जाने वाले कार्यक्रमों, सुधारों या कानूनों की जानकारी देना भी पत्रकार का ही काम होता है इसलिए उसे स्वयं इन विषयों का ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है इसलिए पत्रकार को सामाजिक परिवर्तनों राजनीति व राजनीतिक उठापटक विभिन्न राज्यों को देशों की संस्कृति व सांस्कृतिक परिदृश्य धार्मिक क्रियाकलापों आयोजनों के बारे में विस्तृत जानकारी व ज्ञान होना आवश्यक है ताकि जनता के सामने वह सही तथा सच्ची खबरें प्रस्तुत कर सके... जैसे मकर संक्रांति के अवसर पर विभिन्न राज्यों में होने वाली अलग-अलग पूजा गतिविधियां कार्यक्रमों के बारे में समाचार देना हो तो उसे स्वयं भी इन सब के बारे में पता होना चाहिए जैसे पंजाब में लोहिड़ी के रूप में मनाई जाती है. गुजरात में उत्तरायण कहा जाता है इस अवसर पर पतंग उत्सव किया जाता है तमिलनाडु में पोंगल तो असम में बिहू के रूप में मनाई जाती है.. हर प्रांत का मनाने का तरीका अलग है.. इस अवसर पर बनाए जाने वाले पकवानों में भी विविधता है तो इस सब का ज्ञान पत्रकार को होना चाहिए ताकि वह रोचकता व तथ्यों के साथ खबर जनता के सामने रख सके. साथ ही उसे इतिहास, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र व कानून विषयों की आधारभूत जानकारी होनी चाहिए.. समाज राजनीति और अर्थव्यवस्था में बदलाव होते रहते हैं इसलिए उसे समय-समय पर इन बदलावों के बारे में जानकारी लेते हुए अपने ज्ञान में वृद्धि करते रहना चाहिए.. इतिहासकार जॉन सिली ने कहा था, "इतिहास अतीत की राजनीति है और वर्तमान राजनीति भविष्य का इतिहास" इस दृष्टि से देखा जाए तो पत्रकार अपने लेखन के माध्यम से आने वाली पीढ़ी के लिए इतिहास लिख रहे हैं इसलिए वर्तमान राजनीति और स्थितियों में सच्चाई और तथ्यों का होना आवश्यक है और पत्रकार को इसका ज्ञान होना चाहिए साथ ही निरपेक्षता और बिना दबाव के इन बातों को लिपि बंद करना चाहिए.. राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, कानून जैसे कई विषय है जिसमें एक पत्रकार के लिए अपने ज्ञान की वृद्धि सतत चलने वाली प्रक्रिया है क्योंकि जैसा कि हमने कहा कि इन में निरंतर परिवर्तन होते हैं इसलिए इन विषयों में अपडेट रहना अत्यावश्यक होता है.पत्रकार में सदैव जिज्ञासा प्रवृत्ति बनी रहनी चाहिए.. नहीं तथ्यों को जानने बनाय ज्ञान प्राप्त करने को उसे हमेशा तत्पर रहना चाहिए. छह ककार कब, कहां, क्या, किसने, क्यों, कैसे एक पत्रकार की जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण है और इसके लिए उसे जिज्ञासु रहना अनिवार्य है..
खबरें इकट्ठा करना
प्राचीन काल से ही मनुष्य समाचार देने व लेने के लिए उत्सुक रहता आया है.पुराणों के बहुचर्चित पात्र देवर्षि नारद घूम-घूम कर इधर-उधर खबरें पहुंचाते रहते थे.. धृतराष्ट्र ने महाभारत युद्ध की पूरी खबरें संजय के जरिए प्राप्त की.. प्राचीन काल में खबरें व सूचनाएं मौखिक रूप में दी जाती थी. मुद्रण के विकास के साथ ही समाचारों का स्वरूप बदल गया और समाचार पत्रकारों द्वारा घर-घर तक पहुंचाए जाने लगे इसलिए पत्रकार का यह प्रमुख काम हो गया कि वह खबरें इकट्ठा करें, उसकी सत्यता की जांच करें तथा तथ्य इकट्ठे कर प्रकाशित व प्रसारित करें.. जिसमें खबरें सूंघने की क्षमता हो.. यह हुनर जन्मजात भी हो सकता है और पत्रकार बनने के बाद तराशा भी जा सकता है. अभ्यास और प्रशिक्षण से इसे विकसित किया जा सकता है व निखारा जा सकता है. खबर सूंघने ने की प्रवृत्ति पत्रकार की छोटी से छोटी चीज पर नजर रखने की दक्षता की परिचायक होती है. पत्रकार को हर समय अपने आसपास की हर हलचल, हर गतिविधि के प्रति सजग रहना पड़ता है. छोटी से छोटी घटना भी उसके लिए बड़ी खबर बन सकती है खबर जितने लोगों से जुड़ी हो उसका महत्व उतना ही बढ़ जाता है इसलिए एक पत्रकार में खबरों को देखने की, परखने की व सुनने की शक्ति होना अनिवार्य है.. तभी वहां एक प्रभावी महत्वपूर्ण समाचार तैयार कर सकेगा साथ ही उसकी खबर में शामयिता रोचकता सच्चाई व मानवीयता वाले तत्व भी होना चाहिए ताकि देश-विदेश में होने वाली घटनाओं और उनकी सच्चाई के बारे में जानने को उत्सुक पाठक व दर्शकों को संतुष्टि मिल सके.. यह दक्षता, कौशल व प्रवृत्ति समाज की भलाई की ओर इंगित करती है.पत्रकार को इस बात की फिक्र नहीं होना चाहिए कि इससे मालिक के हितों को लाभ होता है या हानि वह सिर्फ जनता की भलाई उसके हितों के लिए फिक्र मंद होता है इसलिए गलत झूठी या दबाव में आकर खबरें देने के बजाय वह जनता को समाज की सच्चाई से रूबरू करवा कर उनके हितार्थ काम कर अपने कर्तव्य का निर्वाह करता है.. जोसेफ पुलितजर ने ऐसे पत्रकारों को परिभाषित करते हुए कहा था कि, "पत्रकार ना बिजनेस प्रबंधक है न मालिक बल्कि पत्रकार जहाज पर खड़ा एक पहरेदार है जो समुद्र में दूर-दूर तक हर संभावित छोटे बड़े खतरे पर नजर रखता है. वह लहरों में बह रहे उन डूबतो पर भी नजर रखता है जिन्हें बचाया जा सकता है व धुंध और तूफान के पीछे खतरों के बारे में भी आगाह करता है. उस समय वह स्व हित या अपने मालिक के हितों के बारे में नहीं बल्कि उन लोगों की सुरक्षा भलाई और हितों के लिए तत्पर रहता है जो उस पर भरोसा करते हैं."
पत्रकार को चाहिए कि वह जनता जनार्दन का सम्मान करते हुए खबरें खट्टी करें और उन्हें उन तक पहुंचाएं जनता को यह अहसास होना चाहिए कि पत्रकार उनके हितों की रक्षा में संलग्न एक सजग प्रहरी है खबरें जीवन की अनिवार्य आवश्यकता बन गई है और इन खबरों को जनता तक सही जानकारियों के साथ पहुंचाना सर्जक पत्रकार का कर्तव्य होता है पत्रकार की अहम भूमिका होती है कि वह अपनी खबरों द्वारा जनता को समाज को जागरूक बनाएं राष्ट्रीय सुरक्षा तथा समाज की ज्वलंत समस्याओं को जनता के सामने लाना उन पर विचार विमर्श करना पत्रकार की जिम्मेदारी है खबरें खट्टी करते समय उसे इस बात का ज्ञान भी होना चाहिए कि इन खबरों का लोगो समाज और देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा किसी भी घटना को समाचार रूप में परिवर्तित करने के लिए उसका दूरदर्शी होना आवश्यक है जब स्वयं उसे घटना की स्थिति का वास्तविक ज्ञान होगा तभी वह उसे जनता के सामने ला पाएगा पत्रकारों की कलम जीवन दर्शन व कर्म की परिचायक होती है वह जो कुछ लिखता है या बोलता है वह यथार्थ का बोध कराता है और सीधे सीधे पाठक के मन मस्तिष्क को प्रभावित करता है..
जनता उसके समाचारों की प्रामाणिकता, निष्पक्षता पर सहज विश्वास करती है. उसकी खबरों की संवेदना से भी पाठक जागरूक पर सचेत होता है. वर्तमान में कोरोना जैसी महामारी से जनता को सजग और जागरूक करने का काम पत्रकारों ने अपनी जान जोखिम में डालकर किया है. कोरोना के काल में सभी खबरें, सभी सूचनाएं एवं फीडबैक प्रशासन को भी मीडिया व पत्रकारों के माध्यम से ही मिल रहा था इसी कारण जनता कोरोना वायरस से बचने के लिए सावधानी बरत रही है और इसी कारण जनता पत्रकारों पर भरोसा करती है जो उनके जीवन के बारे में खबरें देते हैं, राजनीतिक घटनाक्रम को ज्यों का त्यों जनता के सामने लाते हैं, भ्रष्ट नेताओं की करतूतों का भंडाफोड़ करते हैं, अव्यवस्था व अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हैं.. जनता का पत्रकारों पर यह विश्वास इसलिए है कि वह मानती है कि पत्रकार अपना काम बहुत कर्मठता व साहस से करते हैं तथा उनकी आवाज को ऊपर तक पहुंचाने में मददगार साबित होंगे.. इसी वजह से आज सभी वर्ग के लोग पत्रकारों से खुलकर बात करते हैं, अपनी समस्याएं अपनी परेशानियां उनके सामने रखते हैं ताकि प्रशासन तक उनकी आवाज पहुंच सके. जब सरकार या पुलिस उनकी बात नहीं सुनती है तो देश भर में पीड़ित वर्ग सबसे पहले मीडिया से या पत्रकारों से संपर्क करता है. इसलिए पत्रकार का यह महत्वपूर्ण दायित्व हो जाता है कि वह इन खबरों को सूंघने,उन्हें परखे, उनके परिणामों की जांच करें और उन्हें जनता प्रशासन के सामने ले आए.. पत्रकार का दायित्व है कि वह नाइंसाफियों और सरकार की खामियों को उजागर करते रहे, सत्य को रेखांकित करते रहे..
संशय व सतर्कता
एक पत्रकार को सदैव शकी रहना चाहिए.जो भी समाचार या तथ्य उसे प्राप्त हो उन पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए. प्रकाशित करवाने से पहले उनकी गहन छानबीन स्वयं करनी चाहिए अपने आंख व कान खुले रख सतर्कता बरतनी चाहिए ताकि जनता तक अफवाह नहीं सच्चाई पहुंच सके भ्रामक खबरें ना पहुंचे और विरोध होने पर पत्रकार अपने तथ्य व पक्ष जनता के सामने रख सके. पत्रकार विविध घटनाओं से उन्मादित होता है तथा अपनी विवेचना शक्ति के बल पर जनमानस को प्रभावित करता है.अपनी सतर्कता के दम पर उसे पाठकों, दर्शकों पर कुछ थोपना नहीं है बल्कि तथ्यों, प्रमाणों और आंकड़ों को प्रस्तुत कर सहमति का वातावरण तैयार करना है…
निडरता या नैतिक साहस
खबरों को तथ्यों के साथ प्रस्तुत करने पर जब उसकी स्टोरी कसौटी पर खरी उतरती है तो कोई ताकत कोई शक्ति उसे उसके कर्तव्य पथ से विचलित नहीं कर सकती.सच्चाई को जनता के सामने लाने के लिए पत्रकार का निडर होना आवश्यक है. कई बार पत्रकार भी दबाव में आकर परिस्थितियों के सामने घुटने टेक देते हैं. बेफिजूल पचड़ो में पढ़ कर अपनी जान जोखिम में कोई नहीं डालना चाहता साहसी पत्रकार ही अपने विवेक बुद्धि के बल पर ऐसी स्थितियों का सामना कर सकता है.हालांकि ये अंदरूनी गुण होते हैं जो सिखाएं नहीं जाते हैं स्व संचालित होते हैं. पर मार्शल आर्ट की तरह पत्रकारों में भी नैतिक साहस व निडरता का संचार किया जा सकता है उसे विकसित किया जा सकता है. नैतिक साहस ही पत्रकार को भ्रष्टाचार, अन्याय व अवांछित तत्वों के खिलाफ आवाज उठाने का हौसला देता है. इसके लिए जरूरी नहीं है कि उसमें 10 10 गुंडों से लड़ने का शारीरिक बल हो पर यदि नैतिक साहस है तो वह ताकतवर से अपना बचाव करते हुए टकरा सकता है. भले फिर उस पर आक्षेप लगे, ताकतवर लोग अपनी ताकत का प्रयोग करें, परेशान करें, धमकाये ,समाचार पत्र या चैनल बंद करने की धमकियां दे या बंद करवा दें पर उसने बिना साहस खोए अपना काम कर दिखाया यही इसकी उपलब्धि होती है बाकि जनता जनार्दन के विवेक समझ और सूझबूझ पर निर्भर करता है. पत्रकार को अपनी दृष्टि साफ व पैनी रखनी चाहिए हर परिस्थिति से टकराने का हौसला व मुकाबला करने की हिम्मत रखनी चाहिए. साहस दिखाते समय भी बुद्धिमता से काम लेने की आवश्यकता है ताकि ना आपकी बात काटी जाए ना नौकरी से ही निकाला जाए. अपने तर्कों बस सूझबूझ से आप वरिष्ठ हो को अपने पक्ष में कर सकते हैं पत्रकार का पहला कर्तव्य झूठ अन्याय के खिलाफ लड़ना है भले उसके लिए उसे कितने ही परेशानी क्यों ना उठानी पड़े पर लोकतंत्र का चौथा मजबूत स्तंभ इन परेशानियों से डरकर धराशाही नहीं हो सकता.
कुछ अन्य आवश्यक गुण
वर्तमान दौर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी सबसे ज्यादा टीवी व यूट्यूब का दौर है. इस क्षेत्र में पैर जमाने के लिए उसमें उपर्युक्त गुणों के अलावा कुछ अन्य गुण भी होने चाहिए जैसे------
- कैमरा फेस करना- टीवी व युटयुबर के लिए सबसे पहला काम होता है कैमरे का सामना करना. इसके लिए उसे कैमरा फ्रेंडली होना आवश्यक है. कई बार कैमरा ऑन होते ही जुबान लड़खड़ा जाती है पसीना पसीना हो जाता है ऑफ कैमरा बेझिझक अपनी बात रखने वाला धाराप्रवाह आत्मविश्वास से बोलने वाला पत्रकार भी कैमरे के सामने आते ही गड़बड़ा जाता है. इसके लिए उसे कैमरे के सामने स्वयं को प्रस्तुत करते समय आत्मविश्वास बढ़ाना होगा और प्रॉपर ट्रेनिंग द्वारा इसमें दक्षता हासिल की जा सकती है..
- उच्चारण - पत्रकार को उच्चारण का भी ध्यान रखना चाहिए एक पत्रकार के नाते चाहे समाचार पढ़ना हो या किसी कार्यक्रम का संचालन करना हो पत्रकार को शब्दों का चयन व उच्चारण पर विशेष ध्यान देना होता है ना तो बहुत जल्दी जल्दी बोलना है ना अटक अटक कर और ना बहुत धीरे-धीरे साफ संयमित आवाज में सहजता से प्रवाहमयता से बोले ताकि दर्शकों की, श्रोताओं की रुचि बनी रहे..
- व्यक्तित्व को उभारना - टीवी पत्रकार बनते समय पत्रकार सिर्फ पढ़ा या सुना ही नहीं जा रहा होता बल्कि देखा भी जा रहा होता है. सलीका और चेहरे पर झलकता आत्मविश्वास व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाता है और देखने वालों को लुभाता है. भले कितनी बार कहा जाए कि सुंदरता नहीं बुद्धिमता मायने रखती है पर पहली नजर में तो सुंदरता और आकर्षक व्यक्तित्व ही देखा जाता है और टीवी पत्रकार बनने के लिए यह दोनों बातें आवश्यक हैं. सुंदर होना ना होना मायने नहीं रखता कैमरे में उसकी छवि और उसका प्रस्तुतीकरण अच्छा है तो बहुत जल्दी तरक्की की जा सकती है..
- प्रेस विधि का ज्ञान होना---------- प्रेस विधि की जानकारी रखना पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने की पहली आवश्यकता है. पत्रकारिता में भी आचार संहिता है और इसका पालन करना आवश्यक होता है इसमें प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश करना जिससे गुप्त जानकारी शत्रु को मिलने की संभावना हो, मानहानि का दावा, कॉपीराइट एक्ट इत्यादि शामिल हैं. इन सब कानूनों की जानकारी पत्रकार को होनी ही चाहिए ताकि वह निष्पक्षता, सच्चाई व ईमानदारी से प्रेस के कर्तव्य को निभा सके वह आक्षेपों व परेशानियों से बच सके..
उपर्युक्त गुण ही एक पत्रकार को सशक्त कर्मठ जागरूक व सचिव पत्रकार बनाते हैं. यदि आप में जोश है, जुनून है यदि आप लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का एक आधार बनना चाहते हैं, अपना काम निडरता, निष्पक्षता व ईमानदारी से कर सकते हैं तो आप इस चुनौतीपूर्ण व्यवसाय में रोजगार पा सकते हैं..
विकेम स्टीड ने कहा है, "आदर्श पत्रकार वह है जो प्राचीन ज्ञान, आधुनिक दर्शनों, वैज्ञानिकों के ज्ञान,इंजीनियरों की जानकारी, इतिहास, आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन के मुख्य तथ्यों को अच्छी तरह बोधगम्य करके इन्हें जनता के सामने रख सके." इस दृष्टिकोण से वास्तविक पत्रकार वही है जो समय और समाज का कुशल पारखी हो तथा जिसमें दायित्व बोध हो. इसलिए----
- पत्रकार को घमंडी नहीं होना चाहिए अपनी ताकत और प्रभाव का बेजा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए..
- उसे सतत गतिशील और ज्ञान प्राप्ति की ओर अग्रसर रहना चाहिए.. जड़ता पत्रकार के लिए मृत्यु समान है.
- पत्रकार में प्रतिस्पर्धा होना आवश्यक है तभी वह समाचारों को त्वरित गति से पाठकों या दर्शकों के सामने ला पाएगा. उसे आलसी नहीं बल्कि फुर्तीला, जोशीला व सजग होना चाहिए.
- दृढ़ता निडरता आवश्यक है पर हठी व जिद्दी पना नहीं. अपनी बात मनवाने के लिए या अपना ही पक्ष उठाने के लिए अड़ जाना या झगड़ा करना पत्रकार के लिए उचित नहीं..
- बौद्धिक संतुलन और सौम्य शालीन व्यक्तित्व पत्रकार को प्रभावशाली बनाते हैं..
- पत्रकार का मूल लक्ष्य सेवा व त्याग होता है..
श्री प्रकाशचंद्र भुवालपुरी ने पत्रकार के दायित्व बोध को विभिन्न उपायों द्वारा परिभाषित करते हुए लिखा है कि, " पत्रकार को देवर्षि नारद सा भ्रमण शील, संजय सा दूरदृष्टि संपन्न ,अर्जुन सा लक्ष्य निष्ठ, एकलव्य सा अध्यवसायी, अभिमन्यु सा निर्भीक, परशुराम सा साहसी, सुदामा सा संतोषी, दधीचि सा त्यागी, धर्मराज सा सत्यव्रति, भीम सा अडिग,गणेश सा प्रतिभा संपन्न, कृष्ण सा ज्ञानी एवं कर्मयोगी, राम सा मर्यादा वादी और भगवान शिव सा लोकमंगल के लिए विषपाई होना पड़ता है और ऐसा पत्रकार ही सच्ची पत्रकारिता का परिचायक बनकरअपने दायित्व का निर्वहन कर सामाजिक सम्मान और आदर का सच्चा अधिकारी बनता है...
- डॉ. ममता मेहता
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