जनभाषा के रूप में हिंदी का महत्व हिंदी भाषा का पारंपरिक महत्व जनभाषा के रूप में आदिकाल से ही हिंदी महत्वपूर्ण रही है क्योंकि हिंदी भाषा के माध्यम से
जनभाषा के रूप में हिंदी का महत्व
जनभाषा के रूप में हिंदी का महत्व - भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है।विकास प्रक्रिया में जब मनुष्य का समाज बना समाज व्यवस्था बनी तब व्यवहार व्यवस्था के संचालन के लिए भाषा की आवश्यकता महसूस हुई।
विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बीच बोली जाने वाली एक भाषा के विविध रूपों के बीच एक मानक स्वरूप निर्धारित किया गया। यही मानक भाषा सरकारी कामकाज एवम भू भाग विशेष में बसने वाले लोगों की अभिव्यक्ति का माध्यम बनी।
भाषा किसी भी राष्ट्र की पहचान और जुबान होती है । राष्ट्रभाषा के बिना देश गूंगा होता है। हिंदी हमारे देश की राष्ट्र भाषा और राजभाषा है पर उससे से भी पहले वो जनभाषा है।हिंदी भारत के अधिकांश जन के दैनिक प्रयोग की भाषा है। अहिंदी प्रदेशों में भी टूटी फूटी सही हिंदी बोल कर ही काम चलाया जाता है। संपूर्ण भारत के निवासी इसे बोल और समझ सकते हैं इसलिए इसे जनभाषा का दर्जा भी हासिल है..यहां हम देखेंगे कि हिंदी का जनभाषा के रूप में क्या महत्व है ?
हिंदी भाषा का सांस्कृतिक आधार
किसी राष्ट्र का उत्थान पतन उसकी संस्कृति के उत्थान पतन से गहरा जुड़ा हुआ होता है।संस्कृति का अवसान उस राष्ट्र की भाषा के अवसान के कारण होता है।हिंदी के पास जनभाषा होने का सांस्कृतिक आधार है।राष्ट्र की मिट्टी की गंध उसकी संस्कृति में समाहित होती है।संस्कृति सभ्यता के संस्कार और आचार व्यवहार से बनती है। इस विशाल देश की सांस्कृतिक विरासत को अभिव्यक्ति देने की क्षमता हिंदी के पास है। नए शब्द गढ़ने और नए शब्दों को आत्मसात करने की क्षमता है।यह विशेषता भारतीय संस्कृति की भी है कि उसमें नए को स्वीकार करने का गुण है। अतः संस्कृति और हिंदी भाषा दोनों जीवंत है और जीवंतता जन भाषा का आधार इसलिए संस्कृति के निर्वहन और विस्तार जनभाषा हिंदी का विशेष महत्व है।
हिंदी भाषा का ऐतिहासिक महत्व
हर भाषा का अपना एक इतिहास होता है ।अपनी ऐतिहासिकता में हिंदी ने अपना मानक रूप निर्मित करते हुए इस महादेश की संस्कृति को अभिव्यक्त करने की क्षमता प्राप्त की है। इस ऐतिहासिक यात्रा में उसने समाज निर्माण, समाज पुनर्जागरण और समाज को मूल्य धारक बनाने का महत्वपूर्ण काम किया है। लगभग 1200 वर्षों के इतिहास में हिंदी ने इतिहास और परंपरा को संयोजित करते हुए भारतीय जन को पहचान दी अपने देश की जुबान दी। जब हम हिंदी में अपनी भाषा में बात करते हैं तो विश्व स्तर पर जुड़ते हुए भी हम अपने व्यक्तित्व की पहचान के साथ अभिव्यक्त होते हैं।
हिंदी भाषा का पारंपरिक महत्व
हिंदी सिर्फ भाषा ही नहीं हमारी परंपरा, रीति रिवाज, जीवन व्यवहार और अस्मिता की परिचायक भी है। जैसा कि लेखक श्री राम परिहार जी ने कहा है कि सावन केवल चार वर्णों का मेल नहीं है बल्कि इसका प्रयोग करते ही एक विशेष महीना , वर्षा, पर्व भाई बहन का प्यार,झूले रिमझिम बूंदे, बादल, लहराती नदियां, हरी भरी वसुंधरा, कोयल, मोर, पपीहा, फसल , सब कुछ जीवन संदर्भों के साथ प्रकट हो जाता है। इसलिए भारत की आत्मा को जानने के लिए जनभाषा हिंदी महत्वपूर्ण है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जनभाषा के रूप में आदिकाल से ही हिंदी महत्वपूर्ण रही है क्योंकि हिंदी भाषा के माध्यम से ही सम्पूर्ण भारतवासी एकसूत्र में बंधते हैं, विचारों का आदान प्रदान करते हैं, प्रादेशिक संस्कृति से परिचय कर पाते हैं। इसीलिए हिंदी जन जन की भाषा है, जनभाषा है।
- डॉ ममता मेहता
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