विकलांग भी देश का अंग है विषय पर हिंदी निबंध Viklang Bhi Desh ka Ang Hai par Nibandh विकलांगता का अर्थ भारत में विकलांगता की समस्या हमारा कर्तव्य
विकलांग भी देश का अंग है विषय पर हिंदी निबंधViklang Bhi Desh ka Ang Hai par Nibandh
विकलांग भी हमारे समाज का ही एक अंग हैं।विकलांग भी देश का अंग हैं।मनुष्य इस संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी कहा जाता है, क्योंकि उसके पास सोचने-समझने और समझकर कार्य करने की शक्ति है। अपनी शक्ति या सामर्थ्य से वह दूसरों की परेशानियों को दूर कर सकता है। दूसरों के अंदर उपजी हीनभावना को अपनी परोपकारी वृत्ति के माध्यम से दूर कर सकता है।इसलिए विकलांग भी हमारे समाज का एक अंग हैं। उनकी सहायता करना हमारा धर्म और कर्तव्य है ।
विकलांगता का अर्थ
किसी अंग का न होना या होते हुए भी निष्क्रिय रहना। वह व्यक्ति, जो एक सामान्य व्यक्ति की तरह काम नहीं कर सकता है, विकलांगता की श्रेणी में आता है।
यदि किसी व्यक्ति का एक अंग खराब है; जैसे-एक आँख, एक कान या एक हाथ, पैर आदि तो वह विकलांगता का सूचक नहीं है। इसके विपरीत यदि वह व्यक्ति दोनों आँखों से अंधा है, दोनों कानों से बहरा है या उसके दोनों हाथ या पैर नहीं हैं तो वह सामान्य जीवन नहीं जी सकता है, ऐसा व्यक्ति विकलांग कहा जाएगा।
विकलांगता के कई कारण हो सकते हैं; जैसे- जन्मांध होना या कोई अंग नकारा होना। इस तरह की विकलांगता का कोई इलाज नहीं होता है। ऐसे व्यक्तियों के जीवन जीने के लिए विशेष प्रबंध या प्रयत्न की आवश्यकता होती है। इनके लिए विशेष प्रकार के विद्यालय खोले जाएँ, उन्हें पढ़ने के लिए छात्रवृत्तियाँ दी जाएँ तथा प्रशिक्षित होने के बाद उनको अनुकूल काम दिए जाएँ ।
दूसरे प्रकार की विकलांगता वह होती है, जो किसी दैवी प्रकोप; जैसे-बाढ़, भूचाल, आँधी-तूफान अथवा दुर्घटना आदि के कारण होती है। इनमें से कुछ विकलांग ऐसे होते हैं, जिनका इलाज संभव है। ऐसे व्यक्तियों के इलाज के लिए हम धन आदि देकर उनकी सहायता कर सकते हैं। उनके लिए आजकल कृत्रिम अंगों का भी प्रत्यारोपण कर सकते हैं।
भारत में विकलांगता की समस्या
भारत में विकलांगता की समस्या ने बड़ा भयंकर रूप ले लिया है। इसका मुख्य कारण गरीबी है। जन्म के बाद कुपोषण के कारण बहुत से बच्चे अंधेपन तथा पोलियो का शिकार हो जाते हैं। इनका इलाज असंभव हो जाता है, यही कारण है कि सहायता के अभाव में विकलांगों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है।
हमारे देश में विकलांगों को हेय दृष्टि से देखा जाता है। लोग उनसे सहानुभूति और मानवता दिखाने के बजाय उन पर हँसते हैं, उनकी उपेक्षा करते हैं। इसीलिए विकलांग हीनभावना के शिकार हो जाते हैं और जीवन से निराश हो जाते हैं।
इसलिए हमारा यह कर्तव्य है कि हम उनके साथ घृणा न दिखाकर मानवीयता का व्यवहार करें, उनमें आत्मविश्वास जगाएँ, उनके अंदर यह भावना भरें कि वे भी इस देश व समाज के महत्त्वपूर्ण अंग हैं। उन्हें भी सामान्य व्यक्तियों के समान अधिकार प्राप्त हैं। वे भी मतदान कर सकते हैं तथा उन्हें भी पुरस्कार पाने का अधिकार है।
विकलांगों के प्रति हमारा कर्तव्य
विकलांगों को फिर से बसाने के लिए यह ज़रूरी है कि उन्हें दूसरों के समान रोज़गार तथा वेतन आदि दिए जाएँ। इसके लिए सरकार को विशेष कदम उठाने होंगे। विकलांग व्यक्ति जो-जो काम कर सकते हैं, उन्हें वे ही काम दिए जाने चाहिए। सरकार द्वारा इस दिशा में अनेक कदम उठाए जा रहे हैं।
हमें यह स्वीकार करना होगा कि विकलांग भी देश के अंग है। जिस देश में जितने अधिक विकलांग होंगे, वह देश उतने ही अनुपात में कमज़ोर माना जाएगा। अतः सभी नागरिकों तथा सरकार का यह परम कर्तव्य है कि विकलांगों की दशा सुधारने के लिए भरसक प्रयत्न करें।
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