बिटिया हुई कामयाब घर में खुशियाँ मनाई गयी। मिठाइयां बांटी गयी। सोहर कराया गया। कन्या खिलाया गया। दान दक्षिणा गरीबों को दिया गया जब मुकुन्दलाल को बिटि
बिटिया हुई कामयाब
घर में खुशियाँ मनाई गयी। मिठाइयां बांटी गयी। सोहर कराया गया। कन्या खिलाया गया। दान दक्षिणा गरीबों को दिया गया जब मुकुन्दलाल को बिटिया पैदा हुई थी। बहुत खुश थे मुकुन्दलाल। सुंदर कन्या का जन्म हुआ था। गोरी चिट्टी। मुकुन्दलाल को जैसे बहुत बड़ा खजाना मिल गया हो। सच में जब बिटिया घर में जन्म लेती है तो लक्ष्मी का आगमन होता है। कुछ लोग दबे जबान से कह डाला पराये घर की चीज होती है आज है कल किसी की अमानत हो जायेगी। चिंता करने की कोई जरूरत नहीं। कुछ लोगों को सोहर कराना गले से नहीं उतर रहा कि सोहर तो लड़के के जन्म पर होता है। कुछ तो कहे नाहक़ ही बिटिया के जन्म पर मिठाई बांटे। आखिर बिटिया की शादी ब्याह पर बहुत खर्च होता है। इस तरह मिठाई बांटना उचित नहीं। आगे चलकर बिटिया के लिए दिक्कत हो सकती है। यह सारी खुशी अपशकुन होती है लेकिन मुकुन्दलाल बेटी के जन्म पर बेहद खुश थे।
अब बिटिया चार-पांच माह की हो गई है अब बिटिया मुश्कराने लगी है। ऐसी खूबसूरत बिटिया आस-पास किसी को न थी। कई बार तेल मालिश की जाती। काजल लगाया जाता है ताकि बिटिया को किसी की नजर न लगे। बिटिया का मुखमंडल देखकर मुकुन्दलाल फूले नहीं समाते। बिटिया के साथ जीभर खेलते। बाल मनुहार करते। सहज कोमल मुस्कान देखकर आसपास की औरते भी बिटिया के साथ मन बहलाने चली आती। जीभर कर बिटिया की मुश्कान पर मां खुश एवं मोहित रहती। जब बिटिया को मां आंचल से ढक कर दूध पिलाती तो मां की आंखे बिटिया के दुग्धपान से मदहोश हो जाती है। ऐसी बिटिया जिसके घर हो जाती है तो घर का घरेलू कलह शान्त हो जाता है। दया, उदारता, प्रेम, स्नेह एवं मधुर भाव स्वयं पनपने लगता है।
बिटिया घर की चांदनी होती है जिस घर में बिटिया होती है। वह घर खूबसूरत हो जाता है। मन प्रसन्न रहता है। बिटिया घर को कायदे से संभालती है। साफ सफाई का ख्याल बिटिया ही तो करती है। अच्छा-अच्छा व्यंजन बनाने में माहिर होती हैं। अच्छा स्वादिष्ट खाना बिटिया ही परोस सकती है। मुकुन्दलाल की बिटिया का नाम अनुराधा रखा गया।बिटिया के लिए तरह-तरह खेलने के लिए खिलौने दिये गये। बिटिया की परवरिश में कोई कोर नहीं छोड़ा जा रहा है। धीरे- धीरे बिटिया बडी़ हो रही है। उसकी हर जरूरत पर ध्यान दिया जाने लगा है। बिटिया के अलावा मुकुन्दलाल को कोई औलाद और नहीं हुई। बिटिया ही उनकी सबकुछ है। बिटिया को बड़े नाजों से पाला जा रहा है।
कोई कहीं से आता,अनुराधा के साथ खेलना शुरू कर देता है। उसकी तोतली बातेँ लुभावनी होती है। अब वह बड़ी हो रही है। घर के आसपास खेलती रहती है। मिट्टी लगाये जब खेलती मिल जाती तो बहुत ही खूबसूरत दिखती।कभी कभी भी खाती मिल जाती। इस तरह की बाल छवि देखकर सभी लोग खुश रहते। मुकुन्दलाल की बिटिया उस परिवार की केन्द्र बिन्दु है। सब लोग बाल मनुहार करते रहते हैं। इस तरह से ऐसी सुंदर बिटिया पाकर पूरा परिवार मस्त है। बिटिया सचमुच कोई थका हारा हो अगर बिटिया के साथ खेल ले तो थकान सचमुच खत्म हो जाती है।
मुकुन्दलाल चाह रहे हैं कि बिटिया मेरी पूरी दुनिया में नाम करे। इस तरह से बिटिया का एक अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाया गया। कोचिंग की व्यवस्था की गयी। हर तरह की शिक्षा के साथ संगीत सीखने की व्यवस्था की गयी ताकि वह छोटी अवस्था से ही संगीत के मर्म को समझ सके। अब धीरे- धीरे वह निपुण होने लगी। होनहार बिटिया को पाकर सभी लोग फूले नहीं समा रहे थे। एक प्रतिभाशाली लड़की थी जो भी याद करने को दिया जाता वह झट से याद कर लेती। अध्यापक लोग भी उसकी प्रशंसा करते कि यह होनहार लड़की पूरी दुनिया में अपना नाम रौशन करेगी।
मुकुन्दलाल ने जिस तरह से अपनी बेटी को शिक्षा दिला रहे हैं। आसपास के लोगो में ईर्ष्या घर कर गई। क्यो इतना पढ़ा लिखा रहे हो। पराये घर की अमानत होती है ंं बेटियां। इस तरह से सुविधा सम्पन्न में रखना उचित नहीं। कल किसी के साथ भाग परा गयी तो मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे। बेटियों को थोड़ा बहुत तालीम दे दो बहुत है। नाम गाँव लिखना आ गया वही काफी है। डिप्टी कलेक्टर बन जायेगी तो चूल्हा चौका कौन संभालेगा। लड़का चूल्हा चौका थोड़ी संभालेगा। कुछ लोग सहमत रहे कि जो काम लड़के नहीं कर पाते हैं वह काम लड़कियां आसानी से कर लेती है ं। आजकल की लड़कियां किसी से कम नहीं है ं।
अब अनुराधा जवान हो चली है। बेहद खूबसूरती लिए अनुराधा किसी सौन्दर्यवती स्त्री की तरह मनमोहक लग रही है। संगीतमय अंदाज में लहरा कर चलती अनुराधा सबका मन मनमोह लेती है। अनुराधा की आवाज में जो खनक है वह हृदय की गहराइयों को बेध देती है। आनन्द की अनुभूति रोम-रोम में सिहरन सी दौड़ जाती है। एक बेहद करीब आत्मा एवं परमात्मा के मिलन की ओर अनुराधा का गीत संगीत ले जाता है। बिल्कुल निश्चल प्रेम प्रस्फुटित करके एक स्थायी रोमांस पैदा करता है। अनुराधा जब भी अपनी संगीत देती पूरा माहौल संगीतमय हो जाता। अनुराधा की संगीत सुनकर सूरज को कायल बना दिया। हर वक़्त अनुराधा का संगीत गुनगुनाता रहता। उस युवक केे ह्रदय में अनुराधा के प्रति प्रेमभाव जागृत हो गया।
एक कार्यक्रम में अनुराधा का मनमोहक गीत संगीत चल रहा था। संगीतमय माहौल बना था। पूरी महफ़िल सजी थी। मंत्रमुग्ध खचाखच भरा पंडाल झूम रहा था। गाते- गाते अचानक से अनुराधा को चक्कर आ गया और स्टेज पर गिर गयी। आनन फानन में हास्पिटल में भर्ती कराया गया। खून की कमी थी। उस वक्त खून की तत्काल जरूरत थी। कोई उस वक्त खून देने को तैयार नहीं था। सूरज उस वक्त वहाँ पर मौजूद था। उसने खून देने की पेशकश की। खून देने के कुछ देर बाद अनुराधा को होश आया। आंखे खुलते ही पहली नजर सूरज को देखा। जैसे आंखे खुली सूरज बहुत खुश था। हल्की मुस्कान के साथ सूरज ने अनुराधा से हालचाल जाना। अनुराधा सिर हिलाकर ठीक होने की सहमति प्रदान की। अनुराधा को बताया गया कि इस सूरज के कारण आज खून उपलब्ध हो सका। आज तुम्हारे जीवन की पहली किरण दे दिया। सूरज को पहली बार प्रेम भरी निगाहों से देखा। संगीत के सिवा प्रेम का पहला एहसास अगर हुआ तो सूरज को देखकर हुआ। सूरज ने अनुराधा को बताया कि उसके संगीत को सुनकर वह भावविभोर हो जाता है। हृदय तल में संगीत की किलकारियां गूंजने लगती है। तुम्हारी संगीत में जो ताकत है वह मेरे प्रेम भाव को जगा देता है। सचमुच तुम्हारे संगीत को मैं भूल नहीं सकता हूँ।
अनुराधा का गीत संगीत पूरी दुनिया को मुरीद कर दिया था। बेहद संजीदा। लोगों को मदहोश कर देनेवाला संगीत आज अनुराधा पूरी दुनिया में मशहूर हो गयी थी। सूरज द्वारा लिखे एक प्रेमगीत को अनुराधा ने अपने स्वर सुरों के माध्यम से रातोंरात बुलन्दियों पर पहुँचा दिया। अनुराधा के इस प्रसिद्धि से जो बेटियों को तवज्जो नहीं दे रहे थे। उनका सिर शर्मिंदा से झूक गया था। इस मुकाम पर पहुँची बिटिया को, फूले नहीं समा रहे हैं मुकुन्दलाल।
सूरज और अनुराधा दोनों प्रेम के लौ में अपने प्रेम को एक महान क्षितिज पर पहुँचा दिया। अनुराधा के निवेदन पर माता- पिता सूरज से शादी कराने का फैसला कर लिया क्योंकि सूरज के कारण अनुराधा की जान बच पाई थी। गाँव के जो लोग बेटियों पर शिकंजे कस रहे थे कि बेटियां पराये घर की चीज होती हैं। शिक्षा कोई मायने नहीं रखता। आज उनका सिर शर्म से झुक गया था।
- जयचन्द प्रजापति "जय'
हंडिया, प्रयागराज
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