मेरी जीत कहानी की समीक्षा यशपाल यशपाल द्वारा लिखित मेरी जीत कहानी मेरी जीत कहानी की नायिका का चरित्र चित्रण भारतीय स्त्री की वास्तविक स्थिति पति की
मेरी जीत कहानी की समीक्षा यशपाल
यशपाल द्वारा लिखित मेरी जीत कहानी में लेखक ने स्त्री यदि जीतना चाहती है उसका उपाय है हारते चले जाना कथन के माध्यम से भारतीय स्त्रियों की व्यथा को व्यक्त किया है। कहानी की नायिका एक कुत्ते के पिल्ले को खरीद कर उसे पालना चाहती है पर घर के मालिक यानी उसके पति को यह पसंद नहीं है तो वह दिल पर पत्थर रखकर अपने पिल्ले को माली के घर भेज देती है।वह उस पिल्ले से अपने पति की अनुपस्थिति में ही लाड दुलार कर पाती है,उससे खेल पाती है। जब उसके प्रति को स्वयं उस पिल्ले पर दुलार जाता है तो वह उसे घर में रखने की अनुमति दे देता है व पत्नी को लगता है कि वह जीत गई पर क्या यह वास्तव में जीत थी ? जब वह चाह रही थी कि पिल्ला घर में रहे तो वह नहीं रख सकती थी क्योंकि उसके पति को पसंद नहीं लेकिन जब पति चाहता है कि पिल्ला घर में रहे तब वह रख सकती थी।
इस प्रकार एस कहानी के माध्यम से लेखक ने भारतीय स्त्री की वास्तविक स्थिति को प्रकट किया है कि चाहे वो अमीर हो या गरीब घरों में सब की स्थिति समान है । अपने पति की पसंद नापसंद,इच्छा अनिच्छा, को अपनाना उसकी अपनी इच्छा कोई न हो , उसकी अपनी कोई राय नहीं हो, उसकी अपनी कोई पसंद ना हो। वह अपने पति को ही सब कुछ समझे खुद को कुछ नहीं ,तभी वह सुखी रह सकती है, पति के घर सकती है।
इस प्रकार इस कहानी के माध्यम से लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि स्त्री के हारने में ही उसकी जीत है और यह जीत हार से भी बुरी है।
मेरी जीत कहानी की नायिका का चरित्र चित्रण
यशपाल द्वारा लिखित मेरी जीत कहानी पुरुष प्रधान मानसिकता को अत्यंत ही साधारण बात को लेकर दर्शाती भावपूर्ण कहानी है। स्त्रियां बेजान पुतले की तरह हैं जिन्हें सिर्फ पति की इच्छानुसार चलना है..इस आधार पर मेरी जीत कहानी की नायिका का चरित्र चित्रण निम्नांकित बिंदुओं के माध्यम से कर सकते हैं -
सहज सरल
कहानी की नायिका सीधी सरल है। लड़ने झगड़ने या बहस करने की प्रवृत्ति से दूर सहज बात स्वीकारने वाली है।
पति की पसंद को स्वीकारने वाली
कहानी का आरंभ ही इस वाक्य से होता है, "कटहल इन्हें बहुत पसंद है इसलिए कटहल की तरकारी , बेसन देकर सदा अपने ही हाथों बनाती हूं "यह वाक्य बताता है कि वह अपने पति की पसंद का कितना ख्याल रखती है।कुत्ते का पिल्ला लेने पर भी कुत्ते के पिल्ले को घर में रखना पति को नापसंद है तो वह उसे घर से दूर माली के घर भिजवा देती है ।इस प्रकार वह पति के प्रसंग नापसंद को अपनाने वाली है।
सहनशील
कहानी की नायिका सहनशील है ।पति द्वारा कुछ भी कहे जाने पर वह चुपचाप सुन लेती है प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करती और पति की पसंद को मान देते हुए वही करती है जो उसके पति कहते हैं।
मूक प्राणियों के प्रति दया भाव
जब उसके पति कहते हैं, " फेंको इस गंदे को." तो डर और रहम से उसकी आंखों में आंसू भर आते हैं। वह कहती हे कि "कहां फेकू इसकी मां का भी तो पता मालूम नहीं अगर और कहीं चला गया तो मर जाएगा बेचारा।" यह बातें उसके रहम दिल होने और मूक जानवरों के प्रति उसकी चिंता को करता है।
मातृत्व से परिपूर्ण
कुत्ते के पिल्ले को घर में लाने के बाद वह उसका ध्यान एक बच्चे की तरह ही रखती है। पिल्ला रात में भूख से चिल्लाता या ठंड लगने से कू कू करता तो वह थोड़ी-थोड़ी देर बाद उठकर उसे पुचकार कर चुप कराने की कोशिश करती है, किसी छोटे बच्चे के समान ही।
पति की नाराजगी की परवाह करने वाली
जब पति उसके पिल्ला लेने पर गुस्सा होते हैं उसे कहते हैं कि इसे बाहर फेंको और उसके ना करने पर नाराज होते हैं उससे बात नहीं करते हैं और यह कहते हैं कि "खाना खाने नहीं आएंगे हमारा इंतजार मत करना" तो वह व्यथित हो जाती है और कहती है कि "पिल्ले को मैं अभी माली किया भिजवाए देती हूं अब तो आएंगे ना खाना खाने" इस तरह वह पति की बात को तवज्जो देने वाली भारतीय स्त्री है।
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