आज की बचत कल का सुख एक प्रसिद्ध कहावत है जो हमें भविष्य के लिए बचत करने के महत्व को सिखाती है। यह हमें याद दिलाता है कि आज हम जो थोड़ा पैसा बचाते हैं
आज की बचत कल का सुख
आज की बचत कल का सुख पर निबंध | Aaj Ki Bachat Kal Ka Sukh आज की बचत कल का सुख एक प्रसिद्ध कहावत है जो हमें भविष्य के लिए बचत करने के महत्व को सिखाती है। यह हमें याद दिलाता है कि आज हम जो थोड़ा पैसा बचाते हैं, वह भविष्य में हमारे लिए बहुत बड़ा सुख बन सकता है।
मानव का जीवन अनेक आकस्मिक घटनाओं का परिणाम है। कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जिनकी कल्पना ही नहीं की जा सकती। उदाहरण के लिए, अचानक आने वाला अतिथि और बीमारी। इसके अतिरिक्त अचानक नौकरी का छूट जाना। इसी प्रकार किसी मित्र या सम्बन्धी के घर होने वाला उत्सव भी इसी श्रेणी में आता है। यह उत्सव शादी, जनेऊ, मुण्डन अथवा मृत्यु के रूप में हमारे सामने जटिल परिस्थिति उपस्थित कर देता है। ऐसे अवसर पर अधिक मात्रा में आकस्मिक रूप में धन की आवश्यकता सामने आ जाती है। आज की महँगाई में सामान्य स्थिति के मनुष्य के लिए धन की व्यवस्था करना अगर असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य है। ऐसी दशा को ध्यान में रखकर ही व्यक्ति भविष्य के जीवन के लिए योजना बनाता है। इस योजना का उद्देश्य बचत करना होता है।
संचय की प्रवृत्ति को महत्त्व
प्राचीन युग से ही मनुष्य ने भविष्य के लिए संयम की प्रवृत्ति को महत्व दिया है। उस युग में लोग अपनी आय का 30% से 40% तक भविष्य के लिए बचाते थे। यही कारण था कि व्यक्ति समाज के प्रति अपने दायित्वों को पूर्ण करने के बाद भी अपने तथा परिवार के प्रति समस्त कर्त्तव्यों को सफलता से पूर्ण करता था। अगर हम आरम्भ से ही संयम की प्रवृत्ति को नहीं अपनाते तो अक्सर विषम संकट का सामना करने को बाध्य हो जाते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जीवन में बचत का महत्व है। हमारी आज की बचत कल का सुख बन जाता है। अत: हमें निरन्तर बचत करते रहना चाहिए ।
बचत का महत्व
संयम के सम्बन्ध में निम्नांकित श्लोक विचारों को स्पष्ट करता है-“जलबिन्दु निपातेन क्रमशः पूर्यते घटः।” भाव यह है कि जल की एक-एक बूँद बराबर गिरते रहने पर धीरे-धीरे घड़ा भर जाता है। उसी प्रकार बचत का एक-एक रुपया भी धीरे-धीरे सैकड़ों और हजारों रुपयों में बदलकर हमारी स्थिति को मजबूत बनाकर आत्मसम्मान की रक्षा करता है। यह धन की निरन्तर आपूर्ति पर ही सम्भव है। मानव होने के कारण हम ईश्वर की सृष्टि के श्रेष्ठ प्राणी हैं। चींटी एवं मधुमक्खी का जीवन भी हमें बचत की शिक्षा देता है। जैसा कि ऊपर कहा गया है कि थोड़ा-थोड़ा संचय करने से धन जुटता है। इसके लिए हमें मितव्ययता (कम खर्च करने की आदत) विकसित करनी चाहिए। मनुष्य आय से नहीं, बल्कि उचित ढंग से धन व्यय करके ही धन सम्पन्नता को प्राप्त करता है। इसके विपरीत आचरण करने वाला जल्दी ही अपनी आय का अधिक भाग व्यर्थ के कार्यों पर व्यय करके सब कुछ खो देता है। उसे जीवन भर अपमान एवं धनाभाव का सामना करना पड़ता है। वह जीवन भर पैसे-पैसे के लिए परेशान रहता है। उसे हर समय लज्जा और तनाव का सामना करना पड़ता है।
संचय करना अनिवार्य है
बचत करने से अगर घड़ा (भण्डार) भरता तो व्यर्थ व्यय करने पर वह खाली भी हो जाता है; "सकल धन संचय करै, आवै कोई काम ।।" अतः हर व्यक्ति के लिए संचय करना अनिवार्य है। हमारा व्यवहार भी यह कहता है; "तेते पाँव पसारिए जेती लम्बी सौर।।” उधार लेना और देना, दोनों ही पारस्परिक सम्बन्धों को खत्म करके स्नेह कम कर देते हैं। इससे सम्बन्धों में दरार आ जाती है। प्रदर्शन के लिए धन व्यय करना मूर्खता है। अतः जीवन में बचत करने से मानव को सच्ची शान्ति और सन्तोष प्राप्त होता है।
कवि के शब्दों में - “खाए - खरचे जो बचै, तो जोरिए करोर।।" कहीं ऐसा न हो कि हम धन कमाकर उसे मिट्टी में दबा दें और माता-पिता, बाल-बच्चे रोटी के लिए तरसते रहें। यह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है।
उपसंहार
अतः धन कमाओ, उचित प्रकार खर्च करो, पर बचाओ अवश्य। आज सरकार द्वारा बैंक, डाकघर, जीवन बीमा तथा अन्य साधनों द्वारा बचत की योजनायें चलाई गई हैं उनकी सहायता से धन संचय करो। यही धन हमारे काम आएगा। अतः हम कह सकते हैं कि आज की बचत, कल का सुख है। "आज की बचत कल का सुख" एक महत्वपूर्ण कहावत है जो हमें भविष्य के लिए तैयार रहने और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है। थोड़ी सी बचत आज भविष्य में एक बड़ा बदलाव ला सकती है।
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