कबड्डी भारत का एक लोकप्रिय खेल है, जो अपनी सादगी, रोमांच और उत्साह के लिए जाना जाता है। यह खेल दो टीमों के बीच खेला जाता है, जिसमें प्रत्येक टीम में स
किसी कबड्डी मैच का आंखों देखा हाल पर निबंध
किसी कबड्डी मैच का आंखों देखा हाल पर निबंध खेलने का शौक ज़िंदादिली तथा पौरुष का लक्षण है। ऐसे खेल जिनमें दो खिलाड़ी परस्पर भिड़ जाते हैं - जैसे कबड्डी, फुटबॉल और हॉकी, मुझे विशेष प्रिय हैं। कबड्डी मेरा प्रियतम खेल है। इस खेल की एक विशेषता यह है कि इसमें टीम के सभी खिलाड़ी समान उत्साह, सावधानी तथा रुचि से खेलते हैं। इस खेल के लिए किसी प्रकार के साज-सामान की भी ज़रूरत नहीं पड़ती। निर्धन से निर्धन व्यक्ति भी इस खेल को बिना कुछ खर्च किए खेल सकता है।
इस खेल में दोनों दलों में 9-9 खिलाड़ी होते हैं। 20 + 25 फुट के क्षेत्र में रहकर दोनों दल एक-दूसरे का मुकाबला करते हैं। निर्णायक के संकेत पर बारी-बारी से दोनों दलों का एक-एक खिलाड़ी दूसरे दल में एक ही साँस में कबड्डी-कबड्डी बोलता हुआ घुसता है। उस दल में किसी भी एक खिलाड़ी को छूकर उसे अपने दल में सुरक्षित लौट आना होता है। विरोधी दल का कोई भी खिलाड़ी उसे पकड़कर इस ढंग से दबोचे रखने का प्रयास करता है कि उसका साँस टूट जाए। परंतु वह साँस तोड़े बिना वापस अपने दल में लौट आने का प्रयत्न करता है। इसी आधार पर दल को अंक मिलता है। अतः भारत का यह खेल खिलाड़ियों की जीवंतता, पौरुष तथा साहस को प्रकट करता है।
पिछले सप्ताह मैं हरियाणा तथा पंजाब की टीमों के बीच कबड्डी देखने गया। हरियाणा की टीम के कप्तान भीमसिंह तथा पंजाब की टीम के कप्तान भूपिंदर सिंह थे। टॉस होने पर पहले पंजाब की टीम का खिलाड़ी हरियाणा के दल में कबड्डी-कबड्डी कहता हुआ बड़ी तेज़ी और जोश से घुसा। देखते ही देखते बिजली की गति से हरियाणा की टीम के खिलाड़ी ने पंजाब की टीम के खिलाड़ी की टाँग पकड़ ली तथा उसे कसकर दबोच लिया। उसे तब तक नहीं छोड़ा, जब तक उसका साँस नहीं टूट गया। इस प्रकार पहला अंक हरियाणा की टीम को मिला।
अब हरियाणा की ओर से सुरेंद्रपाल सिंह ने कबड्डी डाली। देखते ही देखते उसकी दोनों टाँगे पंजाब टीम के एक खिलाड़ी जसवंतसिंह ने पकड़ लीं। इतने में उस टीम के अन्य खिलाड़ी उस पर झपट ही रहे थे कि ज़मीन पर गिरते ही सुरेंद्रपाल बिजली की गति से घूमा और उसका हाथ पाले को छू गया। इस प्रकार दूसरा अंक भी हरियाणा की टीम को ही मिला। पंजाब की टीम के चेहरों पर निराशा की हल्की-सी रेखा दिखाई दी। इसके बाद एक-एक करके चार कबड्डियाँ बिना अंक दिये-लिये खाली ही चली गईं। इसके पश्चात् पाँचवाँ अंक पंजाब की टीम के गुनिंदर सिंह ने लिया। हरियाणा की टीम में दुगुना उत्साह हो आया। अबकी बार उनके चौधरी जयहिंदर ने ऐसी कबड्डी डाली कि वह एक ही बार में दो अंक लेकर पलक मारते-मारते अपनी टीम में सुरक्षित लौट गया। पंजाब की टीम देखती रह गई। अब बारी पर पंजाब का खिलाड़ी गुरदीप ज्यों ही कबड्डी डालने के लिए हरियाणा दल में घुसा कि उसे उनके दल के दो खिलाड़ियों ने ऐसा दबोचा कि लाख हाथ-पैर मारने पर भी वह उनकी पकड़ से छूट न सका।
इस प्रकार हरियाणा के पांच अंक बने और पंजाब टीम का केवल एक। पंजाब टीम के चेहरों पर निराशा और पराजय के लक्षण दिखाई देने लगे। अबकी बार हरियाणा के खिलाड़ी ने कबड्डी डाली, परंतु पंजाब टीम की सावधानी के कारण वह कोई अंक बनाए बिना ही लौट आया। पंजाब टीम का खिलाड़ी अपनी बारी पर एक ही बार में दो अंक ले गया, मानो अपनी घटत को पूरा करने का संदेश दे गया हो। अब तक हरियाणा पाँच और पंजाब के तीन अंक थे। यह खेल 45 मिनट की अवधि का था। शेष समय में कोई भी टीम अंक न बना पाई। अतः मैच 5 : 3 पर ही समाप्त हो गया। हरियाणा की टीम 3 के मुकाबले 5 अंकों से विजयी घोषित हुई।
मैच के अंत में दोनों टीमों के कप्तानों ने हाथ मिलाए और वे गले मिले। दर्शकों में से हरियाणा के समर्थकों ने हर्ष - ध्वनि की । इस प्रकार कबड्डी का यह रोचक मुकाबला उत्साहप्रद मैच संपन्न हो गया।
COMMENTS