आधुनिक युग में शिक्षा का महत्व और विशेषताएं आधुनिक शिक्षा, शिक्षा का एक नया स्वरूप है जो पारंपरिक शिक्षा प्रणाली से हटकर, 21वीं सदी की आवश्यकताओं को
आधुनिक युग में शिक्षा का महत्व और विशेषताएं
आधुनिक शिक्षा, शिक्षा का एक नया स्वरूप है जो पारंपरिक शिक्षा प्रणाली से हटकर, 21वीं सदी की आवश्यकताओं को पूरा करने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना ही नहीं, बल्कि छात्रों को कौशल, मूल्यों और महत्वपूर्ण सोच विकसित करने में भी मदद करना है।
आधुनिक शिक्षा का उद्देश्य
आधुनिक शिक्षा आधुनिक मानव के ज्ञान की परिचायिका है।विश्व-मानवता को एकता, समानता और सौख्य की त्रिवेणी में मज्जित' करना है, मानव की शारीरिक, मानसिक और नैतिक शक्तियों को समन्वित रूप से विकसित करना है। व्यक्ति के विकास द्वारा सामाजिक हित को अधिकाधिक निखारना है। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में से फल निकालकर खाना है, छिलका फेंक देना है। धर्म और मोक्ष को नया अर्थ देकर उन्हें जन-सुलभ और सामान्य बनाना है। मानव के चारित्रिक विकास पर, विश्व के समक्ष प्रकृति पर विजयिनी मानवता को स्थापित कर चिरकाल तक प्रतिष्ठित रखना है। आधुनिक शिक्षा प्रत्येक राष्ट्र की अपनी नीति के अनुसार नागरिकों को तैयार करना चाहती है। उसका उद्देश्य नागरिकों को देश और समाज सेवा के साथ विश्व बन्धुत्व की विशाल वेदी पर प्रतिष्ठित करना है । यह शिक्षा जीविका देना चाहती है।
शास्त्रों का परिचय सुयोग्य छात्रों तक सीमित रखना चाहती है। उसे मानव को खेतिहर, कामगर, खनिज-मिस्त्री, वैज्ञानिक, नेता, इंजीनियर, बैरिस्टर, प्रोफेसर, सैनिक और प्रशासक बनाना है। मानव को पूर्ण बनाने अथवा उसे सम्पूर्णता के साथ उभारने एवं धर्मज्ञान अथवा आत्मज्ञान कराने की आवश्यकता कम, किन्तु चलता-पुर्जा बनाने की आवश्यकता अधिक है।
इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आज की शिक्षा विशाल आयोजन कर रही है। स्वतन्त्र भारत की अनेक समस्याओं में शिक्षा की समस्या अधिक महत्वपूर्ण है।
शिक्षा के स्तर प्राथमिक, माध्यमिक, महाविद्यालयी एवं विश्वविद्यालयी मात्र बने हैं। प्राथमिक शिक्षा में कई भाषाओं में से कम से कम मातृभाषा को सीखना, देश- काल का सामान्य परिचय करना, गणित के आधारभूत सिद्धान्त बताना तथा महापुरुषों के महान जीवन का स्थानीय परिचय देना है। माध्यमिक कक्षाओं की शिक्षा उन्हीं आधारों पर कामचलाऊ शिक्षा देकर अधिकाधिक संख्या में युवकों को काम करने योग्य बनाना तथा मेधावी छात्रों को विश्वविद्यालयों तक पहुँचाना है। विश्वविद्यालयों में मेधावी छात्रों को राष्ट्रनीति एवं आवश्यकतानुसार शासक और शासित दो भागों में विभक्त कर देना है । गणतन्त्र में शासक और शासित के वास्तविक सम्बन्ध क्या होंगे, यह बात अभी स्पष्ट नहीं हुई। सिद्धान्ततः जो समाज के सेवक हैं उन्हें स्वामी और प्रशासक बनाकर बहकाने अथवा दबाने की ही शिक्षा दी जाती-सी दिखाई पड़ती है।
आधुनिक शिक्षा प्रणाली के लाभ
भारत की आधुनिक शिक्षा के गुण अनेक हैं। यह सम्पूर्ण भारत को समान शिक्षा अथवा ज्ञान प्रदान करना चाहती है। नागरिक चेतना और राष्ट्रीय भावना को जगाकर उन्हें भारत का विशिष्ट नागरिक और देशभक्त बनाना चाहती है। साथ ही वह भारत का विश्व के साथ सुमधुर, सक्षम अथवा योग्य सम्पर्क बनाये रखना चाहती है। अतः मातृभाषा, द्वितीय भाषा, धर्म की भाषा, जो प्राचीन भाषा के नाम से चलती है, और अन्तर्राष्ट्रीय भाषा, विशेषतः अंग्रेजी में लिखना चाहती है। गणित और विज्ञान की दौड़ में पिछड़ने वाला देश आजकल कहीं भी आगे नहीं बढ़ सकता। अतः इनकी शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। यह कार्य भी प्रशंसनीय है। तीसरा स्थान भारत और उसके लोगों का है। इतिहास और भूगोल को युगों तक उपेक्षित रखने तथा ऐच्छिक बनाने की भावना आज टल गयी है। सभी शिक्षितों को उनके इतिहास और भूगोल का ज्ञान रहे, यह बात राष्ट्रीय महत्व की है। अपने को स्मरण रखना साधारण उद्देश्य नहीं है। कार्य-शिक्षा चौथी विशेषता है। उसमें नाना प्रकार के प्रचलित व्यवसायों को, कला- कौशल को, युवकों को सीखने देना आवश्यक है। यह काम भी सराहनीय है।
आधुनिक शिक्षा प्रणाली के दोष
दोष भी इस शिक्षा प्रणाली के कम नहीं है। माध्यमिक शिक्षा को आधार मानकर कुछ बातें कहीं जा सकती हैं। पहली बात यह है कि भाषाओं का भार अधिक है। सुकुमारमति किशोरवय बालक भाषाओं का इतना बोझ नहीं सँभाल पायेंगे। प्रयोग अपेक्षित हैं। देख रहे हैं, यह प्रयोग भारी पड़ता है। किताबों का भार अत्यधिक है। एक छात्र अपनी सभी किताबों का नाम भी याद नहीं रख पायेगा। इसके अतिरिक्त अनेक ऐच्छिक विषय हैं। इनमें एक-दो, जो भी छात्र की क्षमता के अनुरूप हो, अवश्य ले। फीस और ट्यूशन फीस का भार भी कम नहीं है। मध्यम वर्ग के छात्र इसे सहन नहीं कर पाते। शिक्षा का भार दुस्सह है ।
उपसंहार
इतना ही पर्याप्त है कि मानव को जितनी अधिक सुविधायें मिलती हैं वह उतना ही आलसी और अकर्मण्य हो जाता है। उसके विपरीत उसे कठिनाइयों में जितना ही अधिक सिखायें-पढ़ायें वह सब सीख-पढ़ लेता है। यह सब होते हुए भी आधुनिक शिक्षा प्रयोग की दिशा में नये-नये कदम उठा रही है। यदि अभिभावक, नेता, सरकार और शिक्षक सहयोग कर पायें तो यह शिक्षा वरदान बनेगी। एकरूपता और सक्षमता के दोनों बाजुओं को पकड़े मनुष्य बहुत ऊँचा उठ सकता है।
आधुनिक शिक्षा शिक्षा का एक क्रांतिकारी रूप है जो छात्रों को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करती है। यह शिक्षा प्रणाली कई लाभ प्रदान करती है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियां भी जुड़ी हुई हैं। सरकार, शिक्षण संस्थानों और अभिभावकों को मिलकर काम करना होगा ताकि सभी छात्रों के लिए आधुनिक शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके।
COMMENTS