जांच अभी जारी है कहानी की समीक्षा | ममता कालिया

SHARE:

जांच अभी जारी है कहानी की समीक्षा ममता कालिया कहानी का सारांश जांच अभी जारी है कहानी का उद्देश्य सन्देश शीर्षक की सार्थकता प्रमुख पात्र प्रश्न उत्तर

जांच अभी जारी है कहानी की समीक्षा | ममता कालिया


जांच अभी जारी है कहानी , ममता कालिया जी द्वारा लिखी गयी एक प्रसिद्ध कहानी है । यह कहानी एक युवा लड़की, अपर्णा, के इर्द-गिर्द घूमती है, जिस पर उसके बैंक में धोखाधड़ी का आरोप लगाया जाता है। अपर्णा निर्दोष है, लेकिन उसे अपने नाम साफ करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। कहानी में पुलिस जांच, बैंकिंग प्रणाली की खामियां, और सामाजिक रूढ़ियों जैसे मुद्दों को उजागर किया गया है।

जांच अभी जारी है कहानी का सारांश

जाँच अभी जारी है एक समस्या प्रधान कहानी है जिसमें एक स्वाभिमानी लड़की के साथ बैंक के अधिकारियों की बदनीयती की दास्तान वर्णित है । अपर्णा कालेज की नौकरी छोड़कर, एक राष्ट्रीयकृत बैंक की नौकरी को सम्मानित समझकर करने लगी । इस नौकरी में अपनी हैशियत को देखकर उसे गर्व का अनुभव हुआ, जिसे वह अपने माता-पिता को समझाती तो वे भी उसकी काबिलियत पर गर्व करते । बैंक में आने वाले बड़े-बड़े व्यापारियों की फाइलों में उसका दिन कैसे कट जाता इसका उसे पता ही नहीं चलता । वह अपनी सहेलियों से इसकी प्रशंसा करती, वे भी बैंक में आतीं किन्तु इसे दस से पाँच तक का जेल कहतीं । बैंक में काम करने वाली दो अन्य महिलाओं से उसे ज्ञात हो चुका था कि यहाँ सभी मर्दे शादी शुदा और खतरनाक हैं जबकि वह किसी अविवाहित से शादी के सपने देख रही थी। तभी से वह सोच रखी थी कि किसी से भी वह कोई मतलब नहीं रखेगी।
 
बैंक के शाखा प्रबंधक मिस्टर खन्ना ने जब बैंक के किसी काम के लिए शाम को रुकने को कहा तो वह काम का बहाना बनाकर चल दी । इसी प्रकार सिन्हा ने लड़के के जन्म दिन के बहाने रोक तो लिया, किन्तु वहाँ शराब की बोतलों को देखकर अपर्णा, पार्टी छोड़कर चली गयी जिससे उन्हें अपमान का बोध हुआ । चपरासी से ज्ञात हुआ कि हर शाम यहाँ ऐसा ही होता है, जिससे उसे एक धक्का सा लगा और उसका गर्व खण्डित होता सा गया। उसके माता-पिता जगन्नाथ पुरी जानें की योजना बनाए। वह दस दिन की बैंक से छुट्टी, एल.टी.सी. लेकर जामे का निश्चय किया, किन्तु पिता की बीमारी में ही छुट्टियां बीत गयी, इस बीच अपर्णा दफ्तर के अधिकारी को सूचना दे दी थी, किन्तु जब वह अगले दिन बैंक गयी तो चपरासी ने उसे एक रजिस्टर्ड लिफाफा दिया, जिसमें लिखा था - अपने एल.टी.सी. का झूठा बिल पेश कर बैंक के साथ धोखाधड़ी और धन दुरुपयोग की चेष्टा की है। यद्यपि वह बैंक के पैसे, (एडवान्स) लौटाने ही गयी थी, किन्तु खन्ना और सिन्हा की मिली भगत के कारण, खन्ना उसके फोन की बात को झुठला दिये और उसे क्षेत्रीय कार्यालय कानपुर का चक्कर लगाने पर विवश होना पड़ा ।
 
महीनों के दिन-रात की भाग-दौड़ के बाद अंत में क्षेत्रीय कार्यालय के प्रतीम सिंह, यूनियन के एक प्रतिनिधि समीर सक्सेना और एक अन्य अधिकारी जाँच समिति में बैठे। इसके बाद प्रत्येक अधिकारियों से अलग-अलग गिड़गिड़ाने और सच्चाई को बताने के बाद भी अपर्णा को किसी भी प्रकार से अभियोग से मुक्ति नहीं मिल पा रही थी। उसने लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार का भी अपर्णा ने मामला उठाया पर साक्ष्य देने वाली सहकर्मी फरीदा भी मामले में न फँसने का कारण बताकर मुकर गयी। इस प्रकार कभी प्रीतम सिंह कभी सक्सेना साहब फाइलें देखते रहे, फाइल मोटी होती जा रही थी, अपर्णा साक्ष्य जुटाती रही और अपर्णा ढोते ढोते बेजान हो गयी। सारा शरीर सफेद होता जा रहा था। वह ऐसे अवसर पर नौकरी भी छोड़ने से लोगों में बेइज्जती होने की सम्भावना थी। अपर्णा अन्य कई प्रकार की आक्षेपों की बातों से दिन पर दिन घुलती और निराश होती जा रही थी। अब तक अठारह सौ की जाँच पर अठारह हजार खर्च हो चुके थे । अपर्णा अपनी विश्वसनीयता खो चुकने के अभियोग को मिटा न पायी । जाँच अधिकारी उसे लगातार ढाढ़स बँधाते कि तुम बिल्कुल बेफिक्र रहो, इस मामले को निपटाकर हम तबादला और पोस्टिंग ऐसी ब्राँच में करवा देंगे जहाँ किसी को इस मामले की खबर न होगी, जहाँ नये सिरे से जीवन शुरु कर सकोंगी । किन्तु अपर्णा को संदेह था कि क्या वह नये सिरे से जीवन शुरूकर सकेगी, उसे निर्दोष साबित होने के पूरे आसार होते हुए भी, उसकी मनहूसियत घट नहीं रही थी, उसे लगा कि जाँच की आँच कभी ठण्डी नहीं होगी ।

जांच अभी जारी है कहानी का उद्देश्य

जांच अभी जारी है कहानी के माध्यम से लेखिका ने यह समझाना चाहा है कि आधुनिक विकासशील समाज में भी स्त्रियाँ व्यवस्था की श्रृंखला में जकड़ी हुई हैं। बड़े-बड़े संस्थानों कालेजों और बैंकों के अधिकारियों की बदनीयती की शिकार स्त्रियों का जीवन टूटकर बिखर जाता है तो फिर उसकी सारी योग्यता और ईमानदारी, बेमानी समझा जाने लगता हैं। स्त्रियों की विवशता को अपने मनोरंजन का साधन बनाने वाले अधिकारी, अपनी असफलता को स्त्रियों के लिए कलंक बनाकर उसके जीवन की साँसों को खींच लेते हैं, वह निर्जीव लांक्षित जीवन को बोझ समझने की विवशता को जीवन का मुहावरा बना लेती है । उसके जीवन के सभी स्वप्न बालू की भीत बनकर ठह जाते हैं और वह जो कुछ होना चाहती है वह ही नहीं पाती बल्कि जो होती है वह भी रह नहीं पाती ।
 
आज अविवाहित युवा वर्ग की अपेक्षा, साधन सम्पन्न विवाहितों की कुचेष्टा की शिकार स्त्रियाँ, यदि अविवाहिता हैं तो वे अपने जीवन के बोझ के नीचे दबते जा रही हैं उन्हें एक तरफ कुआँ तो दूसरी तरफ ऐसी खाई दिखाई पड़ती है कि शिक्षा से नौकरी तक ही सफर में ऐसे अनेकों कटु अनुभवों से गुजरना पड़ता है या फिसल कर गिरना पड़ता है कि वे उसे जीवन भर भूल नहीं पाती और सफेद कागज, कोरे कागज की उसकी जिन्दगी पर एक ऐसी लकीर खिंच जाती है जिसे मिटाना जीवन को मिटाने के लिए काफी होता है। जो बन्धन मूल्यों की स्वेच्छाचारिता के लिए इतने शिथिल होते हैं कि उन्हें बन्धन का अनुभव ही नहीं होता, वे ही बन्धन स्त्रियों को परावलम्बनी दासता में इस प्रकार कस देते हैं कि उनकी सारी जीवन शक्ति शुष्क और जीवन नीरस हो जाता है यही समझाना लेखिका का मुख्य उद्देश्य है । 

जांच अभी जारी है कहानी का सन्देश 

प्रस्तुत कहानी, 'जाँच अभी जारी है' के आधार पर लेखिका ने हमें यही संदेश दिया है कि आधुनिक सभ्य समाज में भी स्त्रियों के शोषण की एक सभ्य व्यवस्था है जिसके विरूद्ध स्त्रियों को शिक्षा से लेकर जीवन-यापन की व्यवस्था तक पग-पग पर सतर्क और सावधान रहना चाहिए । जिससे प्रभावित बहुत सी स्त्रियाँ या तो अपने आपको उस व्यवस्था के सामने समर्पित करने को विवश है या व्यवस्था के प्रति जागरूकता दिखाने के कारण लांक्षित जीवन जीने के लिए विवश हैं। अर्थात् कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में आज भी स्त्रियों को नारी तुम केवल श्रद्धा हो की दृष्टि से नहीं देखा जा रहा है बल्कि उसे 'वीर भोग्या वसुन्धरा' का मुहावरा बनाकर मात्र मनोरंजन का साधन समझा जा रहा है। शिक्षा और सभ्यता के मापदण्ड बदल गये है, अतिनग्न यथार्थ को, अति सभ्यता का मापदण्ड बनाकर जिस नग्नता का नृत्य हमारे समाज में हो रहा है। उससे नारी जीवन अत्यंत संत्रस्त है। संत्रस्त ही नहीं, सम्पूर्ण जीवन एक त्रासद काव्य बन जा रहा है, अर्थात् आधुनिक नारी जीवन की विवशता को किसी न किसी अर्थ में इस प्रकार देखा जा सकता है - परिस्थितियों के वैषम्य का शिकार होकर टूटकर बिखर जाना समाप्त हो जाना उतना त्रासद नहीं है जितना कि क्षण के क्षार और स्राव को पल-पल और अनवरत विखराव को झेलते हुए भी, जीवन-जीने को विवश होना, या जीवन जीने की विवशताओं को भी जीवित रह जाने का मुहावरा बना लेना त्रासद है।" 

जांच अभी जारी है कहानी शीर्षक की सार्थकता

आलोचकों ने शीर्षक की विशेषता बताते हुआ कहा है कि किसी भी रचना का शीर्षक वह केन्द्र बिन्दु होता है जिसके चारों तरफ सम्पूर्ण यथा चक्कर काटती दिखाई पड़ती है । प्रस्तुत विशेषता के परिप्रेक्ष्य में जब हम पठित कहानी 'जाँच अभी जारी है' की समीक्षा करते हैं तो यह स्पष्ट होता है कि प्रस्तुत कहानी की नायिका अपर्णा बैंक में काम करती थी, उसपर लगाये गये अभियोग की जाँच की बात ही इस कहानी का मूल वर्ण्य विषय है, जिसके एक छोटे से अभियोग की जाँच महीनों से वर्षों तक होता रहा किन्तु अभी पूरा नहीं हुआ है, इसी बिन्दु पर आकर कहानी समाप्त हो जाती है । पाठक को बड़ी निरासा होती है कि तथा कथित पढ़े-लिखे लोगों का सभ्य समाज जाँच के नाम पर एक स्त्री के जीवन की विवशता का मजाक करता है, सच को झूठ और झूठ को सच बनाना उनकी फितरत हो गया है। मामला जाँच का इस्तीफा तक भी जान नहीं छोड़ता क्योंकि सवाल लड़की पर लगाए गए अभियोग का है। एकबार उस पर जो दाग लग जाता है उसे साफ किये बगैर उसका समाज में जीना दूभर हो जाता है । 

कहानी की शीर्षक के सम्बन्ध में और विशेषताओं में संक्षिप्त और कौतूहल वर्धकता प्रधान है। शीर्षक ऐसा होना चाहिए जिसे देखकर पाठक में ऐसी भावना पैदा हो कि इतने छोटे से शीर्षक में ऐसी कौन सी विशेषता है ? तथा ऐसा क्या लिखा है कि जाँच पूरी ही नहीं हो रही है। किसने क्या कर दिया कि नौबत जाँच तक चली आयी ? निश्चित रूप से जब पाठक के मन में एक के बाद ऐसे अनेक प्रश्न उठ खड़े होगे तभी उसमें कहानी को पढ़ने की उत्सुकता जगेगी। प्रस्तुत कहानी का शीर्षक कुछ इसी प्रकार का है जो पाठक पर अपनी छाप छोड़े बिना नहीं रहता है। अतः हम कह सकते हैं कि प्रस्तुत कहानी का शीर्षक उचित और सार्थक है ।
 

जांच अभी जारी है कहानी की प्रासंगिकता

'जाँच अभी जारी है' कहानी जीवन के जटिल यथार्थ में गुंथी एक बहुआयामी कहानी है जिसमें व्यवस्था की श्रृंखला में जकड़ी स्त्री की संघर्ष गाथा का मानचित्र दिखाई देता है । आधुनिक युग विकास का युग है जिसमें सभी शिक्षित और सभ्य हैं सभ्यता के इस युग में व्यक्ति का जीवन सुविधा भोगी और अह्मवादी बन गया है। वह अपने परिवार और परिवेश से निकलकर नवीन- जीवन शैली और नवीन परिवर्तन की ओर भाग रहा है। इसका उदाहरण बड़े संस्थान जैसे बैंक, शिक्षा-संसथान, विद्यालय, विश्वविद्यालय आदि हैं। ऐसे संस्थानों में नये लोगों को तभी अवसर प्राप्त होता है जब उनका किसी न किसी प्रकार का शोषण किया जाता है । अपर्णा इसी का शिकार है जो कालेज की नौकरी से बैंक की नौकरी को अच्छा समझकर करती है किन्तु वहाँ उससे प्रत्येक शाम छोटे-बड़े सभी अधिकारी उसकी शाम के विषय में पूछते हैं कि वह आज शाम क्या कर रही है जिनके विषय में वह वहाँ काम करने वाली अन्य दो महिलाओं से जानकारी प्राप्त कर ली थी कि -
जांच अभी जारी है कहानी की समीक्षा | ममता कालिया 

'ये शादीशुदा मर्द बड़े खतरनाक होते हैं। पहले आतुर बनेगें, फिर कातर, एकदम, पन्ना लाला हैं सबके सब । ...ऐसी स्थिति में अपर्णा की सावधानी कहीं-कहीं उसकी भूल भी बन जाती है और आवश्यक कार्य में सहयोग की भावना को भी स्वार्थ की भावना समझकर नकार देती है । जिससे किसी की सहानुभूति नहीं मिलती, बल्कि बदले की भावना पनपने लगती है और उसपर ऐसा अभियोग लगाया जाता है कि जाँच आरम्भ हो जाती है और इस्तीफे के लिए भी विवश होना पड़ता है । 

राष्ट्रीयकृत संस्थानों में अधिकारी एक से बढ़कर एक घाघ होते हैं। उनके मातहद चपरासियों का भी कुछ कहना नहीं ? सभी एक ही थैले के चट्टे-बट्टे । अपर्णा को अपने अभियोग से संबंधित अधिकारियों से मुलाकात करते अपने को निर्दोष साबित करते महीनों हो गये । प्रमाण के कागजों को जुटाते फाइल मोटी हो गयी उसके बोझ को सँभालते वह दुबली पतली हो गयी किन्तु जाँच जारी रही, खत्म होने के नाम ही नहीं ले रही थी। महज अठारह सौ की बात थी, उसके बदले अठारह हजार लग गये । छुट्टी लेने और पिता की बिमारी की सूचना देने पर भी अस्वीकार करने, सभी मामलों को अधिकारियों की मिली भगत से लीपा पोती करके अपर्णा के जीवन को नरक बनाने की साजिश से सम्पन्न प्रस्तुत कहानी आधुनिक नारी जीवन की विवशता की कहानी है जो आधुनिक युग के लिए प्रासंगिक है उचित है । 

जांच अभी जारी है कहानी के प्रमुख पात्र

प्रस्तुत कहानी नायिका प्रधान है जिसका प्रमुख पात्र एक नारी अपर्णा है जो पढ़ी लिखी सभ्य और एक राष्ट्रीयकृत बैंक में काम करती है। वह कम उम्र की अविवाहित महिला है ।
 

अपर्णा का चरित्र चित्रण

अपर्णा के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताओं को इस प्रकार देखा जा सकता है - 
  1. दूरदर्शी नारी - अपर्णा पढ़ी-लिखी होने के साथ-साथ जीवन से संबंधित सभी मामलों को बड़ी गहराई से सोचने-समझने वाली महिला है। वह नौकरी के प्रश्न पर इसी विशेषता का परिचय देती है और कालेज की नौकरी छोड़कर राष्ट्रीयकृत बैंक में नौकरी करने का निश्चय करती है उसके अनुसार - सच्चाई नैतिकता जैसे मूल्यों का एहसास जितना बैंक में हो सकता है उतना अन्य किसी नौकरी में नहीं ।" जबकि शिक्षक और प्राध्यापक उसे बासी और निरीह लगते थे ।
  2. परिश्रमी नारी - वह बैंक के काम को बड़ी मेहनत और एकाग्रता से करती थी, जब तक मन एकाग्र नहीं होता, सही दिशा में मेहनत नहीं हो सकेगा । उसे काम करते हुए समय कब बीत जाता है आने का बाद दो कब बजता है इसका पता ही नहीं चलता क्योंकि वह पब्लिक डीलिंग का समय होता है। इसके बाद हिसाब-किताब का काम शुरु होता। दोनों ही स्थितियों में उसे सतर्क रहना पड़ता है जिसमें तन्मय हो जाने पर भला समय का ज्ञान कैसे हो सकता है । 
  3. आत्म प्रशंसक - अपर्णा बैंक की नौकरी को अपनी बहुत बड़ी उपलब्धि मानती थी जिसकी प्रशंसा उसके माता-पिता भी करते थे, तो सुनकर वह फूली नहीं लगाती थी उसके पिता जी कहते हमारी बेटी ने अपनी लियाकत के बूते पर यह जगह पायी है। वह अपने पिता जी से कहती कि "घर में जितनी बड़ी चार पाई है उतनी बड़ी तो मेरी मेज है वहाँ । लाखों रुपयों का टर्नओवर होता है इतनी बड़ी बैंक है।" वह अपनी सहेलियों से भी प्रशंसा करते नहीं थकती । कई बार तो वे सभी उसकी आफिस भी गयी । सहेलियों से उसकी प्रशंसा जब नहीं पची तो, उन्होंने बैंक के दस से पाँच तक के कार्य करने को जेल का जीवन बताया । किन्तु अपर्णा से उनकी कुण्ठा छिपी नहीं रही वह अपनी सफलता पर मुस्कुराती रही ।
  4. स्वप्नद्रष्टा - बैंक में काम करते हुए अपर्णा आशा और विश्वास से भरी हुई थी । उसे जगह-जगह लिखे नारे अर्थपूर्ण लगने लगे। परिश्रम ही देश को महान बनाता है। अनुशासन आज .की जरूरत है कड़ी मेहनत पक्का इरादा दूर-दृष्टि आदि । उसे रात में सपने भी इसी तरह के आने लगे जैसे दिन में उसके ख्याल थे। सपने में उसे दिखता कि वह अपनी ही शाखा में एक सहयोगी की पत्नी बन चुकी है । रोज सुबह साढ़े नौ बजे वे दोनों अपना-अपना लंच बाक्स थामकर इकट्ठे स्कूटर से रवाना होते हैं। दोनों का एक ज्वाइंट एकाउण्ट है और घर में दोनों की मर्जी से काम- काज होता है ।
  5. स्वाभिमानी - अपर्णा एक स्वाभिमानी महिला थी। वह दफ्तर के किसी अधिकारी के कहने पर शाम को बैंक में बैंक बन्द होने के बाद कभी रूकती नहीं है क्योंकि उसे मालूम है कि - “ये शादीशुदा मर्द बड़े ही खुदगर्ज होते हैं । उन्हें वह किसी भी प्रकार की छूट नहीं देती। अपने काम को समाप्त करके सीधा अपने घर चली जाती है । सिन्हा के बेटे के जन्मदिन के बहाने से बैंक में रोकने पर जब वहाँ शराब का दौर चलना प्रारम्भ होने ही वाला था कि वह उन्हें दो टूक जवाब देकर चली जाती हैं। वह न तो उनसे डरती है और न अन्य बैठे लोगों की परवाह ही करती है।

मिस्टर सिन्हा का चरित्र चित्रण

मिस्टर सिन्हा ने बड़ी चतुराई से पहले अपर्णा से यह प्रश्न किया कि वह शाम को क्या कर रही है? यह प्रश्न बैंक का हर छोटा बड़ा अधिकारी अपर्णा से कर चुका था इसलिए वह चौकन्ना रहती और माँ की बीमारी और पिता के प्रवास का बहाना बनाकर बच जाती थी। लेकिन इस शाम वह मिस्टर सिन्हा के यह आग्रह करने पर कि ऑफिस के बाद अपने बेटे का जन्मदिन मनाने का कार्यक्रम रखे हैं, दो चार को बुलाया है, आप भी रूकें। अपर्णा ने यह जानना चाहा कि वे घर जन्मदिन नहीं मनाएँगे। मिस्टर सिन्हा ने कहा कि उनका बेटा अपनी माँ के साथ बनारस गया है। सुबह से ही उसकी बड़ी याद आ रही थी, इसलिए कुछ लोगों को यहीं बुला लिया। आप केवल मुझे बीस मिनट का समय दे दें। उनकी इस बात से अपर्णा फँस गई क्योंकि उससे यह कहते नहीं बना कि वह बीस मिनट भी नहीं दे सकती।इस कहानी के माध्यम से सिन्हा के निम्नलिखित चारित्रिक विशेषताओं का पता चलता है 

  1. धूर्त और शराबी - मिस्टर सिन्हा जिस प्रकार के बहाने कर के अपर्णा को शाम को बैंक में रूकने का आग्रह करते हैं उससे उनके धूर्त होने का परिचय मिलता है। साथ ही केक काटने की रस्म अदायगी के बाद बर्फ और ह्विस्की की बोतल मंगवाना यह प्रमाणित करता है कि मिस्टर सिन्हा एक शराबी व्यक्ति है। 
  2. स्त्रियों के प्रति गलत धारणा-ऑफिस के बाद अपर्णा को रूकने के लिए कहना और उसके मना करने के बाद उस पर बैंक का फण्ड अनुचित ढंग से उपयोग करने का झूठा आरोप लगाकर उसके विरूद्ध कार्यवाही करना मिस्टर सिन्हा के चरित्र को उजागर करता है। 
  3. संसाधनों एवं पद का दुरूपयोग करनेवाला व्यक्ति- मिस्टर सिन्हा ने अपने बेटे का जन्मदिन बैंक में ही मनाने का निर्णय कर यह सिद्ध किया कि वह व्यक्तिगत कार्यों को भी ऑफिस में ही करनेवाले व्यक्ति होंगे। साथ ही उनके साथ काम करने वाले उनके अधीनस्थ कर्मचारी यदि उनकी बात नहीं सुनते तो उन्हें झूठे केस में फँसा देना उनके चरित्र को स्पष्ट करता है। 

कहानी कला के तत्वों के आधार पर जांच अभी जारी है

आलोचकों ने कहानी को उसकी कलात्मकता के आधार पर परख कर देखने की एक सीमा निर्धारित की जिसे कहानी कला के तत्व कहा जाता है जो निम्नलिखित हैं जिसके आधार पर पठित कहानी की समीक्षा भी निम्न प्रकार से की गयी है - 
  1. कथानक - प्रस्तुत कहानी का कथानक बैंक में नौकरी करने वाली एक पढ़ी-लिखी महिला के जीवन से संबंधित है जो बैंक की नौकरी को ईमानदारी कर्त्तव्यनिष्ठा और एकाग्रता से सम्पन्न मानती है किन्तु इसके विपरीत बैंक के सभी शादीशुदा खुदगर्ज मर्दों की बदनीयती का शिकार बनकर वह अभियोगी सिद्ध की जाती राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्मचारियों की केन्द्रीय, क्षेत्रीय जितनी भी शाखाएँ होती हैं उसके सभी के तार एक दूसरे से जुड़े होते हैं। परिणामस्वरूप उसके अभियोग की जाँच महीनों चलती रहती है किन्तु उसे न्याय नहीं मिलता और उसका सम्पूर्ण जीवन नष्ट हो जाता है । 
  2. कथोपकथन या संवाद योजना - प्रस्तुत कहानी में यह विशेषता भरी पड़ी है। अपर्णा के बैंक के कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों और चपरासियों सभी के साथ प्रसंगानुकूल होने वाले तर्क- वितर्क को इस सम्बन्ध में देखा जा सकता है - खन्ना साहब ने एकाएक उससे पूछा, “आज शाम क्या कर रही हैं आप ?" अपर्णा सतर्क हो गयी। उसे सारी चेतावनियाँ याद हो आयी । "जी, मुझे माँ को लेकर डॉक्टर के पास जाना ।" उसने मुँह लटकाकर कहा, 'कोई जरूरी काम क्या ?" इस प्रकार पात्रों के आपसी बात-चीत के ऐसे अनेक स्थल हैं।
  3. भाषा शैली : प्रस्तुत कहानी शुद्ध खड़ी बोली में रचित है । समस्या प्रधान कहानी में वार्तालाप शैली की प्रमुखता है। शब्दों को उसके पात्रों के अनुकूल प्रयुक्त किया है, अंग्रेजी, उर्दू, हिन्दी के शब्दों का प्रयोग बहुलता से किया गया है भाषा मुहावरेदार सरल और सरस है - यथा- दंग रह जाना, कड़ी मेहनत करना, अग्नि परीक्षा देना इत्यादि । 
  4. पात्र और चरित्र चित्रण: प्रस्तुत कहानी में पात्रों की अधिकता है। प्रत्येक पात्र जिस किसी कार्य को करते हैं उसके अनुकूल ही बातचीत करते दिखाई पड़ते हैं। जिससे उनके चरित्र का पता सहजता से चल जाता है । सिन्हा की पार्टी को छोड़कर जब अपर्णा चली जाती है उस प्रसंग में हुई बात-चीत से पात्रों के चरित्र का चित्रण हो जाता है । यथा - 'एक्सक्यूज़ मी ।' अपर्णा ने कहा और उठ गयी। "अरे, अरे आप क्या अनर्थ करती है, बैठिए ।" सिन्हा ने उसे रोका। "जी नहीं, मैं जाऊँगी।" अपर्णा ने दृढ़ता से कहा और बाहर हाल में आ गयी । 
  5. देशकाल और वातावरण : प्रस्तुत कहानीकार का शहरी वातावरण बैंक की नौकरी से संबंधित है जिसमें सभी पढ़े-लिखे सभ्य समाज के लोग हैं । सभ्य समाज के लोगों की अति मानवीयता, अहमबोध और कुण्ठा के रूप में दर्शित की गयी है। प्रस्तुत कहानी आधुनिकता के संदर्भ मानव के विचारों का दस्तावेज है। शहरी सभ्यता में पलने वाले लोगों, खासकर नौकरी पेशा वालों का शाम को ऑफिसों में कर्मचारियों के साथ मौज-मस्ती करना इसी और संकेत करता है । 
  6. शीर्षक: कहानी का शीर्षक, कथानक के अनुरूप है जिसमें एक बैंक के कर्मचारी पर लगाये गये अभियोग की जाँच की कथा है जो किसी भी प्रकार से पूरी होती नहीं दिखाई पड़ती है जिसे हैरान होकर, वह त्याग पत्र देने पर भी विवश हो जाती है किन्तु जीवन पर लगी कलंक को धोना भी आवश्यक जानकर वह फैसला पाने के लिए जी तोड़ परीश्रम करती है ।


जांच अभी जारी है कहानी के प्रश्न उत्तर

प्र। जाँच अभी जारी है पाठ के आधार पर बताइए कि समाज को किस प्रकार घृणित रूप दिया ? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर - 'जाँच अभी जारी है' ममता कालिया जी द्वारा रचित कहानी है जिसमें लेखिका ने आधुनिक सभ्य समाज में स्त्रियों के शोषण की सभ्य व्यवस्था का चित्रण किया है। पुरुष प्रधान समा में स्त्रियों की आवाज को तिस प्रकार दबाया जा रहा है, उसकी ईमानदारी, लगन, परिश्रम, दायित्वनिष्ठा, स्वाभिमान का किस प्रकार हरण किया जा रहा है। इस कहानी के माध्यम से दर्शाया गया है। इस कहानी के मुख्य पात्र अपर्णा के साथ उसके सहकर्मी अधिकारियों द्वारा किए गए गलत व्यवहार को लेखिका ने एक दृष्टांत बनाकर प्रस्तुत किया है कि यह किसी एक अपर्णा की कहानी नहीं है। किसी भी क्षेत्र में स्त्रियों की सहभागिता और उनकी कार्यक्षमता में कोई भी कमी नहीं के बाद भी पुरुषों की नजर में उनकी काबिलियत का कोई महत्त्व नहीं है।

स्त्रियों की विवशता को अपने मनोरंजन का साधन बनाने वाले अधिकारी, अपनी असफलता को स्त्रियों के लिए कलंक बनाकर उसके जीवन की सांसों को खींच लेते हैं। कहने के लिए तो 'नारी तुम श्रद्धा हो' के पाठ पढ़ाने और पढ़ने वाले लोग भी नारी को 'वीर भोग्या वसुन्धरा' क मुहावरा बनाकर मात्र मनोरंजन का साधन समझते हैं। शिक्षा और सभ्यता के मापदण्ड बदल गये हैं, अतिनग्न यथार्थ को, अति सभ्यता का मापदण्ड बनाकर जिस नग्नता का नृत्य हमारे समाज में हो रहा है उससे नारी जीवन त्रस्त है। इस कहानी के द्वारा लेखिका ने कामकाजी महिलाओं की परेशानियों को उजागर किया है। महिला सशक्तिकरण के नारे लगाने वाले केवल कथनी के माध्यम से इसका समर्थन करते हैं पर अगर कोई महिला कर्मचारी उनकी बातों को नहीं मानती तो उनके अहं को चोट पहुँचती है और वे उनको नीचा दिखाने के लिए कोई भी कुचक्र रचने से बाज नहीं आते हैं। इसके उनके सहयोगी पुरुष कर्मचारी भी उनका पूरा साथ देते हैं। मिस्टर खन्ना और मिस्टर सिन्हा इस बात का पुख्ता उदाहरण है। इस प्रकार 'जाँच अभी जारी है' कहानी निश्चित रूप से यह समझाने में सफल है कि हम अपने आपको कितना भी अग्रणी घोषित कर दें हमारे समाज में स्त्रियों को जो सम्मान प्राप्त होना चाहिए वह आज भी वास्तविक धरातल पर नहीं मिल रहा है जो पुरुष प्रधान समाज का घृणित रूप प्रस्तुत करता है। 

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1474,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,38,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,76,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,6,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,10,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,139,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,47,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,17,भीष्म साहनी,8,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,15,यशपाल,15,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,2,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,33,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,269,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,20,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,86,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,432,हिंदी लेख,532,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,182,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,11,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,424,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,679,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,67,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,22,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,11,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,7,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,4,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,51,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: जांच अभी जारी है कहानी की समीक्षा | ममता कालिया
जांच अभी जारी है कहानी की समीक्षा | ममता कालिया
जांच अभी जारी है कहानी की समीक्षा ममता कालिया कहानी का सारांश जांच अभी जारी है कहानी का उद्देश्य सन्देश शीर्षक की सार्थकता प्रमुख पात्र प्रश्न उत्तर
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhNrG8ytk0kfNYh3L_C0ne7qCuqT7vNUMrUNZArgpX2mYsvPSxFFeTZEYTFW_KfHfnzHGumvCq1klCKemzi_y9UU-Acv3h96AmTc5bobta9lEoZ6yXbtWeAzcI5q0OCYw61Js9oR0NE08DqxEgIK9LYOL3sjprOwSP7pY-Kuvvs0_k3xXRNRtqRe-SLXJTv/w204-h320/jaanc-abhi-jari.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhNrG8ytk0kfNYh3L_C0ne7qCuqT7vNUMrUNZArgpX2mYsvPSxFFeTZEYTFW_KfHfnzHGumvCq1klCKemzi_y9UU-Acv3h96AmTc5bobta9lEoZ6yXbtWeAzcI5q0OCYw61Js9oR0NE08DqxEgIK9LYOL3sjprOwSP7pY-Kuvvs0_k3xXRNRtqRe-SLXJTv/s72-w204-c-h320/jaanc-abhi-jari.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2024/04/jaanch-abhi-jari-hai-kahani-ki-samiksha-mamta-kaliya.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2024/04/jaanch-abhi-jari-hai-kahani-ki-samiksha-mamta-kaliya.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका