महानगरीय जीवन की समस्याएं पर निबंध आज के युग में, महानगर आधुनिक विकास और प्रगति का प्रतीक बन गए हैं। लाखों लोगों को रोजगार, शिक्षा और बेहतर जीवन स्तर
महानगरीय जीवन की समस्याएं पर निबंध
आज के युग में, महानगर आधुनिक विकास और प्रगति का प्रतीक बन गए हैं। लाखों लोगों को रोजगार, शिक्षा और बेहतर जीवन स्तर के अवसर प्रदान करते हुए, ये शहर आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
लेकिन, इस चमकदार तस्वीर के पीछे कई गहरी समस्याएं छिपी हुई हैं। महानगरीय जीवन, अनेक चुनौतियों से भरा हुआ है, जो लोगों के जीवन स्तर और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
महानगरों का जीवन
भारत में गाँवों की अधिकता है पर साथ ही साथ नगरी संस्कृति का भी विकास हो रहा है। दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई, कानपुर आदि भारत के महानगर हैं। महानगरों में जनजीवन तेजतर होता जा रहा है। यहाँ जनसंख्या की सघनता बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में लोगों के मन में आंतरिक अशांति बढ़ती जा रही हैं उद्योगों को और धक्का लग रहा है। महानगर में विभिन्न प्रकार की राजीतिक हलचलें थमने का नाम नहीं ले रही है।
महानगरीय जीवन का संघर्ष
हमारे देश का महानगरी जन-जीवन विभिन्न प्रकार की जटिलताओं से भरा हुआ है। सबसे बड़ी समस्या तो यहाँ की लगातार बढ़ती जनसंख्या है, जिसे अन्य समस्याओं का जन्मदाता कहा जा सकता है। यहाँ लोग गाँवों से रोजगार और समृद्धि की आशा में आते हैं परन्तु मानव संसाधनों की माँग की तुलना में उपलब्धता अधिक होने से उन्हें बहुत कम वेतन प्राप्त होता है। ऐसे में कम आय वालों का जीवन स्तर निम्न से निम्नतर होता जा रहा है। इनमें से अधिकांश लोगों को महानगरों की गंदी बस्तियों में शरण लेनी पड़ती है जहाँ जीवन के लिए मूलभूत सुविधाओं का सर्वथा अभाव होता है। गंदी बस्तियों के फैलाव से महानगर में विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ फैलती हैं। प्रशासन तंत्र सभी लोगों को बिजली पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को मुहैया कराने में असमर्थ होता जा रहा है।
हमारे महानगरों में वायु-प्रदूषण तथा ध्वनि-प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। वायु प्रदूषण से शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालता है और ध्वनि-प्रदूषण शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से प्रभावित कर रहा है। ध्वनि-प्रदूषण नगरवासियों के तनाव को बढ़ाता है तथा मस्तिष्क को हर समय अशांत दशा में रखता है। इसके अलावा असमय बहरापन, रक्तचाप का अनियमित होना तथा हृदयरोग आदि जैसे रोग ध्वनि- प्रदूषण के कारण बनते हैं। महानगरों में पीने के लिए स्वच्छ जल का भी अभाव देखा जा रहा है। महानगरों में गाँवों की तुलना में जातिवाद और धार्मिक कट्टरता कम पायी जाती है, परन्तु आज भी रूढ़िवादिता देखी जाती है।
महानगरीय जीवन की समस्या का समाधान
महानगरीय जीवन की समस्याओं का समाधान मुख्य रूप से हम यहाँ बढ़ती हुई जनसंख्या को रोक कर कर सकते हैं। गाँवों में ही लोगों को यदि रोजगार मिल जाए तो महानगरों में बढ़ती हुई जनसंख्या को रोक सकते हैं। सरकार को भी पूर्व योजना तैयार करके समस्याओं का समाधान करना चाहिए लोगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए सामाजिक संस्थाओं एवं सरकार को जन चेतना के द्वारा, जागरूकता लानी चाहिए।
महानगरीय जीवन के साथ कई समस्याएं जुड़ी होती हैं, लेकिन इन समस्याओं का समाधान भी संभव है। हमें एक व्यापक और समन्वित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है ताकि शहरों को अधिक रहने योग्य और टिकाऊ बनाया जा सके। सरकारों, नागरिकों, व्यवसायों और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि इन समस्याओं का समाधान किया जा सके और महानगरीय जीवन को बेहतर बनाया जा सके।
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