परदा कहानी की समीक्षा | यशपाल

SHARE:

परदा कहानी की समीक्षा यशपाल परदा कहानी का उद्देश्य परदा कहानी की कथावस्तु सारांश परदा कहानी के प्रमुख पात्रों का चरित्र चित्रण चौधरी पीरबख्श बबर अलीखा

परदा कहानी की समीक्षा | यशपाल


रदा कहानी यशपाल जी के तर्क का तूफान कहानी संग्रह से ली गई है। इस कहानी में एक ऐसे गरीब मुस्लिम परिवार का चित्रण है, जो निर्धन होते हुए भी अपने पुराने पारिवारिक गौरव को बचाए रखने की कोशिश करता है। इसमें चरित्र नायक की दीन दशा का चित्रण बहुत ही मार्मिक रूप से प्रस्तुत किया है। इस कहानी के द्वारा लेखक ने यह दिखाने की चेष्टा की है कि धनाभाव व्यक्ति की शक्ति एवं मर्यादाओं को कैसे मिट्टी में मिला देता है।
 

परदा कहानी का उद्देश्य

परदा कहानी यशपाल जी के 'तर्क की तूफान' कहानी संग्रह से ली गई है। इस कहानी संग्रह का प्रकाशन 1943 ई. हुआ था अर्थात् इस कहानी की पृष्ठभूमि है स्वाधीनता पूर्व का भारतीय समाज। इस संग्रह में 17 कहानियाँ संग्रहीत हैं। इन कहानियाँ का मूल स्वर लेखक का प्रगतिशील चिंतन तथा समाज परिवर्तन का आग्रह है। यशपाल जी की धारणा है कि काल बाह्य धारणाओं तथा रूढ़ियों को समय-समय पर छोड़ देने से समाज और साहित्य में परिवर्तन आ जाता है। उनका विचार है कि 'जो विचार अपनी परिस्थितियों से बिछुड़ गए हैं अर्थात् जिन विचारों और नैतिकता को जन्म देने वाली परिस्थितियाँ बदल गई हैं, वे विचार शरीर से बिछुड़ गए जीवनों की भाँति हैं। उनकी स्मृति चाहे जितनी सुखद हो, अभिमान का कारण हो, वे समाज के लिए उपोदय नहीं हो सकत। ऐसी परिस्थिति में तर्क ही मनुष्य का पथ-प्रदर्शक है। साहित्य की पारम्परिक धारणाओं को बदलने की इच्छा उनके मन में है। परिवर्तन क्रांति ही हैं और इस क्रांति के पहले 'तर्क का तूफान' अवश्य ही आयेगा। इस संग्रह की कहानियाँ समस्या प्रधान हैं। ये समस्याएँ वास्तव में पारम्परिक धारणाओं तथा जर्जर रूढ़ियों के कारण पैदा हुई हैं। अत: समाज में अपेक्षित परिवर्तन लाने के लिए इन समस्याओं पर तर्क करना लेखक अनिवार्य समझते हैं। इस संग्रह की 'परदा' कहानी तत्कालीन आर्थिक विषमता का चित्रण करने वाली मार्मिक कहानी है। इसमें लेखक ने निम्न मध्य वर्गीय जीवन की आर्थिक कठिनाइयों का चित्रण कर इस वर्ग के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट की है।
 

परदा कहानी की कथावस्तु सारांश

मनुष्य मन की खोखली कल्पनाओं का पर्दाफाश करने वाली यह कहानी है। इस कहानी का नायक है चौधरी पीरबख्श । उनके दादाजी चुंगी के महकमे में दारोगा थे। तब उन्हें उस वक्त के अनुसार अच्छी-खासी आमदनी हो जाती थी। उनका अपना छोटा-सा पक्का मकान था। वे बहुत ही ऐंठ से रहा करते थे। इसी वजह से लोग उन्हें चौधरी भी कहने लगे थे और वह छोटासा मकान अब हवेली कहलाया जाता था ।

चौधरी अपने पिता- चौधरी इलाहीबख्श-के चार बेटों में से सबसे छोटे थे। उन्हें अपने बड़े खानदान से विरासत में कुल की मर्यादा, हवेली की ठसक और बड़े-बड़े अरमान मिले थे। परंतु अब उनके लिए वह पुरानी ऐंठ रखना बहुत ही मुश्किल हो गया था। चौधरी पीरबख्श की माहवार आमदनी थी सिर्फ 12 रुपये। इस प्रकार अपने दादा से लेकर दो पुश्तों* में परिवार के सदस्यों की संख्या के साथ-साथ पीरबख्श के परिवार में विवशता और गरीबी भी दिन-ब-दिन बढ़ती गई थी। परंतु कुल की मर्यादा में कोई भी परिवर्तन नहीं आया था और चौधरी पीरबख्श की पढ़ाई भी प्राइमरी से आगे न बढ़ सकी थी।
 
परदा कहानी की समीक्षा | यशपाल
शादी के बाद हवेली में रहना मुश्किल समझकर चौधरी पीरबख्श सितवा की कच्ची बस्ती में किराये का मकान लेकर रहते थे। बस्ती में चौधरी पीरबख्श अकेले पढ़-लिखे सफेद पोश थे। खानदान की इज्जत का प्रतीक होने वाला परदा उस कच्चे घर की ड्योढ़ी पर भी लटकता था। कुछ दिनों तक तो 12 रुपये में किसी तरह गृहस्थी चलती रही। लेकिन समस्या खड़ी हो जाती तो घर के बर्तन, जेवर और कुछ सामान बेच-बेचकर गृहस्थी चलानी पड़ती थी। जच्चा-बच्चा की तकलीफ में उन्हें मजबूर होकर बबरअली खाँ नाम के एक पंजाबी खान से दो आना रुपये महीने पर चार रुपये कर्जा लेना पड़ा। 1 रुपया 1 महीने के किश्त के रूप में निश्चित हो गया था। किंतु खर्चा इतना बढ़ गया था कि, चौधरी के लिए यह 1 रुपया देना भी अब बस की बात न रही थी। इसलिए उन्होंने कई बार से अपना मुँह छुपा लिया था। "अंत में खान बहुत ही गुस्सा हो गया ।
 
वह चौधरी के द्वार पर आकर खड़ा हुआ। उसने चौधरी को पुकारा, उन्हें बहुत-सी गालियाँ दीं। इसमें चौधरी के इर्द-गिर्द रहने वाले लोग भी इकट्ठा हो गए। चौधरी पीरबख्श,खान के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगे। उसने अपने पास बिलकुल पैसा न होने की बात खान से बार-बार कही, पर उसे विश्वास न हुआ और गुस्से में खान की ड्योढ़ी का परदा खींच लिया। यह बात चौधरी के दिल के गहरी चोट लगाने वाली थी। वे वहीं पर बेहोश होकर गिर पड़े। 

चौधरी के घर की औरतों के पास अपना पूरा तन ढंकने के लिए भी कपड़े न थे। अचानक गिरने से वे सिकुड़ गईं। इकट्ठा भीड़ ने घृणा और लज्जा से अपना मुँह फेर लिया। ख़ान का गुस्सा तो हवा हो गया। परदा वहीं पर पटककर 'लाहौल बिला' कहकर खाली हाथ वह वापस लौटा।
 
चौधरी पीरबख्श का होश वापस लौटा तो भी उन्होंने गिरे हुए परदे को फिर से उठाकर लगाना न चाहा। शायद अब उसकी आवश्यकता ही न रही थी। परदे में जो छिपाना था, वह अब सबके सामने आ चुका था । 

परदा कहानी के प्रमुख पात्रों का चरित्र चित्रण

परदा कहानी में कुल आठ पात्र हैं - चौधरी पीरबख्श, उनकी वाल्दा (माँ), पत्नी, तीन लड़कियाँ, दो लड़के और बबर अलीखाँ। इनमें से चौधरी पीरबख्श तथा बबर अलीखाँ ही प्रमुख पात्र हैं। कहानी समस्या प्रधान होने के कारण चरित्रों का सूक्ष्म चित्रण करना लेखक का उद्देश्य नहीं है। फिर भी पात्रों में इतनी सजीवता है कि चौधरी पीरबख्श तथा बबर अलीखाँ पाठकों के समक्ष साक्षात् उपस्थित हो जाते हैं।
 

चौधरी पीरबख्श 

चौधरी पीरबख्श प्रमुख सक्रिय पात्र के रूप में हमारे समक्ष उपस्थित होते हैं। उन्हीं के चरित्र-चित्रण द्वारा कहानीकार ने समस्या पर प्रकाश डाला है।
 
चौधरी पीरबख्श चौधरी इलाहीबख्श के चौथे लड़के हैं। वे प्राइमरी से आगे न पढ़ सके थे। अतः एक तेल की मिल में 12 रुपये मासिक आय पर मुंशीगीरी का काम करते थे। उनके परिवार में छोटे-बड़े मिलकर खानेवाले आठ व्यक्ति थे। इतनी कम आमदनी में पूरे परिवार का गुजारा करना आसान बात तो नहीं थी। फिर भी किसी तरह वे अपने परिवार को चलाते थे। अचानक कोई समस्या खड़ी हो जाती और खर्चा बढ़ जाता तो चौधरी घर के बर्तन, कपड़े तथा जेवर गिरवी रखकर काम चलाते थे। चौधरी पीरबख्श गरीब हैं, लेकिन मेहनती और इज्जतदार हैं। सितवा की कच्ची बस्ती में वे अकेले पढ़े-लिखे सफेद पोश थे और दरवाजे पर परदा भी लगा रहता था। इसीलिए मुहल्ले में उनकी इज्जत थी।
 
चौधरी पीरबख्श एक ऐसे निम्न मध्यवर्ग के व्यक्ति हैं जिनके यहाँ पिछली दो पुश्तों से नौकरी पेशा होता आया है तथा मामूली पढ़ाई का भी सिलसिला रहा है। उनके दादा चुंगी के महकमे में दारोगा थे और पिता इलाहीबख्श डाकखाने में बाबू। उनके दादाजी की आमदनी अच्छी होने के कारण उन्होंने एक पक्का मकान बनवाया था, जो हवेली के नाम से जाना जाता था। परिणामतः पारिवारिक मर्यादा और इज्जत भी पंरपरा से मिली थी। यही कारण है कि वे उस परंपरा के व्यक्ति के रूप में हमारे सामने आते हैं, जो छोटा-मोटा व्यवसाय करने में झिझकते हैं, लेकिन उसी छोटे-से व्यवसाय में नौकरी करने में अपनी इज्जत समझते हैं। तेल की मिल में मुंरीगीरी करना इसी का परिणाम था।

पीरबख्श झूठी मान-मर्यादा को संभालने में जी-तोड़ कोशिश करते थे। कच्ची बस्ती में रहने पर भी घर की औरतों को बाहर का कोई काम करने नहीं देते थे। यहाँ तक कि कमेटी के नल से पानी भरने का काम भी पीरबख्श सुबह-शाम स्वयं ही करते थे।

आमदनी की कमी और बढ़ते खर्च के कारण पीरबख्श की विवशताएँ, दिन-ब-दिन बढ़ती ही जाती हैं। तनख्वाह बढ़कर 18 रुपये मासिक होने के बाद भी गिरवी रखी हुई चीजें भी वापस लाने में असमर्थ हो जाते हैं। अंत में उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि दरवाजे पर टांगने का टाट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते हैं। परंतु घर की मर्यादा बचाए रखने के नाम पर वह पुश्तैनी चीज दरी को टांग देते हैं। प्राय: एक वक्त रूखा-सूखा खाकर, कभी फाका करके चौधरी साहब का परिवार अपनी जिंदगी के दिन पूरे करता करता है। ऐसी स्थिति में तन ढंकने को कपड़े खरीदने की गुंजाइश का सवाल ही नहीं था।
 
बच्चा - जच्चा के कारण बढ़ते खर्च के लिए पीरबख्श को मजबूर होकर बबर अलीखाँ से चार रुपये उधार लेने पड़े। लेकिन एक रुपया महावर किश्त भरना भी असंभव हो जाता है तो पीरबख्श मुँह छिपाकर खान से बचते रहते हैं। खान अपने कर्जे को वसूल न कर सकने पर पीरबख्श को, उनकी औरतों को तथा पुरखों को बेहुदी गालियाँ देता है। पीरबख्श के खून में गरमी आती है परंतु वस्तुस्थिति उन्हें निःसत्व कर देती है। वे खान के हाथ-पाँव पड़ते हैं, उसके लिए दुआ माँगते हैं, इतना ही नहीं तो अपनी खाल उतारकर बेचने के लिए कहते हैं। लेकिन पैसे न मिलने से आग बबूला हुआ खान ड्योढ़ी पर लटके दरी के परदे को झटक लेता है और पीरबख्श बेहोश होकर गिर पड़ते हैं। पीरबख्श ने जिंदगीभर जिस तथाकथित इज्जत को बचाने के लिए जी-तोड़ कोशिश की थी, वह सबके समक्ष रास्ते पर आ जाती है। आँगन के बीच में थर-थर काँपती हुई उसकी अर्धनग्न लड़कियों और औरतों को देखकर भीड़ घृणा और शर्म से आँखें फेर लेती है। उनका मर्यादापूर्ण हृदय और सम्मान दोनों आघात सहन नहीं कर पाता और जब वे मूर्छा से जागते हैं तो परदे को फिर से लटका देने का सामर्थ्य उनमें शेष नहीं रहता।

संक्षेप में अपनी असलियत छुपाकर परम्परागत मान-सम्मान तथा झूठी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए जी-तोड़ कोशिश करने वाले पीरबख्श मुसीबतों में स्वयं फँसते चले जाते हैं, और अंत में कहीं के नहीं रह जाते।
 

बबर अलीखाँ

पंजाबी खान बबर अलीखाँ सितवा की कच्ची बस्ती में साहूकारी का व्यवसाय करता था। लोगों की रहने की जगह भर देखकर वह रुपया उधार देता था। बीकानेरी मोची, वर्कशाप के मजदूर और कभी-कभी रमजानी धोबी बबर मियाँ से कर्ज लेते रहते हैं।
 
पैसों का लेन-देन करने वाले अन्य साहूकारों की तरह खान भी कठोर और निर्दयी है। कई दफा चौधरी पीरबख्श ने खान को सूद की किश्त न मिलने पर अपने हाथ के डंडे से ऋणी का दरवाजा पीटते देखा था। खान उस समय उन्हें शैतान लगता था। खान की दहशत इतनी थी कि पीरबख्श कभी किश्त न दे सकने की हालत में अपने घर के दरवाजे पर फजीहत हो जाने की बात का ख्याल भी करते तो, उनके रोएँ खड़े हो जाते। 

बबर अलीखाँ के हृदय ऋणी के प्रति कोई इंसानियत की भावना नहीं है। पीरबख्श आठ में से सात किश्त समय पर दे देता है। आठवीं किश्त देने में देर हो जाती है और देना असंभव ही हो जाता है तो खान उन्हें धमकाता है कि-  “चार रोज में रुपिया नई देगा, तो अम तुमारा .. कीमा कर देगा।" 

खान हर ऋणी को झूठा और चोर समझता है तथा स्त्रियों को भी गालियाँ देता है। पीरबख्श के घर किश्त वसूलने आया खान ड्योढ़ी पर लटके परदे को ढेल-ढेलकर गालियाँ देता है। पीरबख्श की बीबी के कहने पर भी कि 'चौधरी पैसे लाने बाहर गए हैं' वह विश्वास न कर गाली देता है कि- "नई, बदजात चोर बीतर में चिपा है।" चौधरी के आने पर खान फिर वापस आता है और एक-से एक सड़ती हुई गालियाँ देना आरंभ करता है। ऋणी को बेइज्जत कर तथा डरा-धमकाकर पैसे वसूल करना उसका अंतिम उद्देश्य होता है।
 
पीरबख्श बेबस और लाचार होकर खान के लिए खुदा से दुआँ माँगते हैं तथा अपनी खाल तक उतरवाने के लिए तैयार हो जाते हैं, तो भी निर्दयी खान उनकी बातों पर विश्वास न कर निर्दयता से ड्योढ़ी का परदा झटक लेता है। खान का उद्देश्य था कि घर की स्त्रियों के जेवर तथा घर के बर्तन ले जाकर पैसे वसूल करें। लेकिन जब सामने का परदा टूट जाता है तो उसकी दृष्टि अर्धनग्न लड़कियों और स्त्रियों पर पड़ जाती हैं और उसकी कठोरता भी पिघल जाती है। वह ग्लानि से झुकता है, परदा आँगन में वापस फेंकता है और गुस्से भरी निराशा से 'लाहौल बिला' कहते हुए असफल हो लौट जाता है। 

COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1478,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,87,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,438,हिंदी लेख,536,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,186,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,430,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,24,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,59,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: परदा कहानी की समीक्षा | यशपाल
परदा कहानी की समीक्षा | यशपाल
परदा कहानी की समीक्षा यशपाल परदा कहानी का उद्देश्य परदा कहानी की कथावस्तु सारांश परदा कहानी के प्रमुख पात्रों का चरित्र चित्रण चौधरी पीरबख्श बबर अलीखा
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiCo9e3UZVrxda4a_NsROcJa7kGsaQXG4TWjUMkhp63KRt2kMybWqJdnMJsINZV4io7khxDtaPDNW0njzINOxUv2fX-pXzaYW2zK0sUNeQwjprTRNfYHHQnp1yz8bCr47r0WpaQHhdobzN8_-2TmrpG1Eb0BD57rU6Ys_6ldhWhyphenhyphenvV82bn8DdHZHaKfz6C2/w320-h238/yashpal.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiCo9e3UZVrxda4a_NsROcJa7kGsaQXG4TWjUMkhp63KRt2kMybWqJdnMJsINZV4io7khxDtaPDNW0njzINOxUv2fX-pXzaYW2zK0sUNeQwjprTRNfYHHQnp1yz8bCr47r0WpaQHhdobzN8_-2TmrpG1Eb0BD57rU6Ys_6ldhWhyphenhyphenvV82bn8DdHZHaKfz6C2/s72-w320-c-h238/yashpal.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2024/04/parda-kahani-ki-samiksha-yashpal.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2024/04/parda-kahani-ki-samiksha-yashpal.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका