राहु की महादशा : वरदान या अभिशाप

SHARE:

राहु की महादशा: वरदान या अभिशाप राहु की महादशा का नाम सुनते ही लोगों में एक अनजाना भय व्याप्त हो जाता है, उन्हें लगता है की राहु जैसे क्रूर ग्रह की म

राहु की महादशा : वरदान या अभिशाप


राहु की महादशा का नाम सुनते ही लोगों में एक अनजाना भय व्याप्त हो जाता है, उन्हें लगता है की राहु जैसे क्रूर ग्रह की महादशा के कारण उन्हें जीवन में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन वास्तव में राहु की महादशा हर एक जातक के लिए अलग-अलग फल लेकर आती है, क्योंकि हर एक जातक की कुंडली अलग होती है तथा उनमें स्थित ग्रहों की स्थिति ही महादशा के फल का निर्धारण करती है। राहु पर यदि शुभ ग्रह की दृष्टि पड़ रही हो तो राहु के बुरे प्रभावों में कमी हो जाती है। यदि किसी जातक की कुंडली में राहु अच्छी स्थिति में बैठा हो, जैसे केंद्र या त्रिकोण में हो या आय भाव में हो, तब राहु की महादशा में जातक को बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं, लेकिन यदि कुंडली में राहु की स्थिति अच्छी न हो, तो राहु की महादशा जातक को बड़ी परेशानियों में भी डालने में सक्षम है।

राहु एक छाया ग्रह है, वह जिस भाव में बैठता है उस भाव के भावेश की भांति ही व्यवहार करता है क्योंकि उसकी कोई अपनी राशि नहीं होती। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विष्णु भगवान ने सुदर्शन चक्र से स्वारभानु नामक दैत्य के दो टुकड़े कर दिए थे जिसमें सिर का नाम का नाम राहु तथा धड़ का नाम केतु पड़ा। अतः राहु एक दैत्य का सिर है इसलिए उसमें दैत्यों के गुणधर्म हैं। राहु एक प्रवर्धक की भांति व्यवहार करता है। अर्थात् यह जातक की पत्रिका में अपनी स्थिति के अनुसार अच्छे या बुरे फलों को बढ़ाने का कार्य करता है।

यदि किसी जातक की कुंडली में राहु लग्न में स्थित हो तो ऐसा जातक राहु की महादशा में स्वयं के बारे में अत्यधिक चिंतन करना आरंभ कर देता है। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि ऐसी स्थिति में जातक स्वार्थी हो जाता है तथा येन केन प्रकारेण अपनी उन्नति के लिए प्रयासरत हो जाता है। अपने इस प्रयास में वह कई बार बिना सोचे समझे, जल्दबाजी में, अपने संबंधों को भी खराब कर बैठता है और यहीं पर वह सबसे बड़ी गलती करता है। यदि जातक सोच समझकर कदम बढ़ाकर अपनी उन्नति करते हुए संबंधों को भी बरकरार रखे तो राहु की महादशा उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी।

राहु की महादशा: वरदान या अभिशाप
राहु यदि धन भाव में हो अर्थात् पत्रिका के द्वितीय भाव में हो तो राहु की महादशा आने पर जातक बहुत सारा धन एकसाथ कमाने के बारे में सोचने लगता है। चूँकि राहु एक प्रवर्धक है साथ ही दैत्यों के गुणधर्म वाला भी है इसलिए राहु की महादशा आने पर ऐसे जातकों में किसी भी प्रकार से धन कमाने की दिशा में उद्विग्नता होना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में जातक अनैतिक रूप से धन कमाने के बारे में भी सोच सकता है अथवा इस दिशा में जल्दबाजी में गलत निर्णय भी ले सकता है। जातक कई बार अपनी वाणी का गलत उपयोग भी कर सकता है अथवा अपने कुटुंब में धन को लेकर संबंधों को बिगाड़ने का काम भी कर सकता है। यदि धनेश की स्थिति अच्छी होती है तथा धन भाव की स्थिति अच्छी हो तो संभव है कि राहु के महादशा में जातक को अत्यंत धन लाभ भी हो। लेकिन जातक को सदैव सावधान रहना चाहिए और नैतिकता की राह पर चलकर ही धन कमाने के बारे में सोचना चाहिए। अपनी वाणी का उपयोग सदा सोच समझकर करने तथा कुटुंब में मधुर संबंध बनाए रखते हुए यदि जातक धन लाभ की चेष्टा करे तो राहु की महादशा कभी खराब नहीं होगी। समझदार जातक वही है जो ग्रहों की चाल को समझ कर अपनी इच्छा शक्ति का प्रयोग करके अपने जीवन के उन्नति के लिए प्रयास करे।


यदि राहु तृतीय भाव में हो तो यह राहु की एक बहुत अच्छी स्थिति मानी जाती है क्योंकि राहु एक साहसिक ग्रह है और तृतीय भाव स्वयं पराक्रम का ही भाव है। अतः इस भाव में स्थित होने पर राहु के अच्छे फल प्राप्त होते हैं। यदि किसी जातक के तृतीय भाव में राहु हो तथा राहु की महादशा आ गई हो तो ऐसी स्थिति में जातक को अपने पराक्रम के बल पर कुछ अच्छा अथवा बड़ा कार्य करने के बारे में अवश्य सोचना चाहिए तथा यह सावधानी भी रखना चाहिए कि वह छोटी-छोटी बातों में न उलझे क्योंकि राहु एक प्रवर्धक ग्रह है, वह छोटी बातों को भी बड़ा कर देता है इसलिए यदि जातक छोटी बातों में न उलझकर अपनी उन्नति के लिए कुछ बड़ा कार्य करने की सोचे तो राहु उसमें जातक की सहायता करेगा। यदि तृतीय भाव अच्छी स्थिति में हो तथा तृतीय भाव का भावेश भी अच्छी स्थिति में हो तो राहु की महादशा में जातक के द्वारा किए गए बड़े कार्यो में सफलता अवश्य मिलती है।

चतुर्थ भाव सुख और शांति का भाव है। लेकिन राहु तो महत्वाकांक्षाओं का ग्रह है और महत्वाकांक्षाएँ हो तो सुख और चैन कहाँ? अतः यदि राहु जातक के चतुर्थ भाव में हो तो यह स्थिति बहुत अच्छी नहीं कहीं जा सकती। यदि राहु जातक की पत्रिका के चतुर्थ भाव में हो तो राहु की महादशा में जातक में सुख पाने की चाहत अत्यधिक बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में जातक बड़ा घर, बड़ी गाड़ी और ब्रांडेड चीजों की तलाश में भटक कर अपने सुख और चैन का सत्यानाश कर देता है। हाँलाकि यदि चतुर्थ भाव और चतुर्थ भावेश की स्थिति अच्छी हो तो राहु की महादशा में जातक बड़ा घर, बड़ी गाड़ी इत्यादि प्राप्त करने में सफल भी हो जाता है। यह भाव माता का भी भाव है, अतः इस महादशा में जातक का अपनी माता से विवाद अथवा संबंध खराब होने का अंदेशा भी रहता है। यदि राहु सुख भाव में हो तथा राहु की महादशा चल रही हो तो जातक को अपने मन पर नियंत्रण रखकर घर की सुख शांति को बरकरार रखते हुए ही घर से संबंधित अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति करना चाहिए, अन्यथा जातक को मानसिक संताप अथवा भावनात्मक उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।

पंचम भाव विद्या, बुद्धि, संतान, प्रेम, मौज-मजे का भाव है। यदि जातक की पत्रिका में राहु पंचम भाव में हो तो राहु की महादशा आने पर जातक मौज-मजे में समय व्यतीत करना चाहेगा साथ ही जातक में कुछ नया करने, नया सीखने या लीक से हटकर कुछ अलग विद्या जानने की ललक बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में यदि पंचम भाव तथा पंचमेश की स्थिति अच्छी हो तो जातक मौज मजे के साथ अपनी इच्छानुसार पढ़ाई करने या कुछ नया सीखने में सफल भी हो जाता है। पंचम में राहु के होने पर जातक को यह सावधानी जरूर बरतना चाहिए कि वह अपने संतान के साथ बहसबाजी से बचे तथा उनके साथ अपने संबंधों निर्वाहन शांतिपूर्वक करते रहें। कुल मिलाकर राहु कि यह स्थिति अच्छी कही जा सकती है क्योंकि राहु की महादशा आने पर ऐसे जातक कुछ नई विद्या ग्रहण की दिशा में प्रेरित होते हैं।

छटवाँ भाव रोग, ऋण और रिपु का होता है। यदि किसी जातक की पत्रिका में राहु षष्ठम भाव में स्थित हो तो वह शत्रुहंता योग बनाता है। छटवें भाव में राहु स्थित हो और राहु की दशा चल रही हो तो वह जातक के मन को ढेर सारी प्रतियोगी भावनाओं से भर देता है। ऐसे में यदि जातक हर बात में लोगों से प्रतियोगिता की भावना रखने लगे तो उसका मानसिक सुख चैन छिन जाता है। जातक को चाहिए कि ऐसी स्थिति में जातक स्वयं से ही प्रतियोगिता करके बेहतर कार्य करने की कोशिश करे तथा उन्नति के पथ पर अग्रसर हो। यदि षष्ठम भाव तथा षष्ठमेश की स्थिति अच्छी हो तो राहु की महादशा में जातक प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होते है इसलिए षष्ठम भाव का राहु अच्छा माना जाता है। षष्ठम भाव में यदि राहु स्थित हो तो राहु की महादशा में जातक को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। यदि षष्ठम भाव पीड़ित हो तो जातक को सर्पदंश अथवा गलत दवा के कारण रिएक्शन जैसी बीमारियाँ हो सकती है।

सप्तम भाव विवाह, कामवासना, व्यवसाय तथा काम-काज की बढ़ोत्तरी का होता है। सप्तम भाव चतुर्थ का चतुर्थ भी है, अतः यह ज़मीन जायदाद का भी भाव है। सप्तम भाव का राहु बहुत अच्छा नहीं माना जाता। राहु एक प्रवर्धक है इसलिए चीजों की बढ़ोत्तरी करता है अतः यदि किसी जातक के कुंडली में सप्तम भाव में राहु स्थित हो तथा उसकी महादशा भी चल रही हो तो ऐसी स्थिति में जातक कामवासना की पूर्ति हेतु विवाहेतर संबंध बना सकता है तथा अपने विवाह की नींव को कमजोर कर सकता है, परिणामस्वरूप बदनामी से पीड़ित भी हो सकता है। हाँलाकि यदि सप्तम भाव अथवा सप्तमेश पर बृहस्पति की शुभ दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसा नहीं होगा। जातक अपने व्यवसायिक उन्नति अथवा जमीन जायदाद की बढ़ोत्तरी हेतु भी अत्यधिक प्रयासरत हो सकता है। यदि जातक अपना ध्यान कामवासना से हटाकर अपने व्यावसायिक उन्नति तथा जमीन जमीन जायदाद की बढ़ोत्तरी पर लगा दे तो जातक की व्यावसायिक उन्नति के साथ उसका वैवाहिक जीवन भी सुरुचि पूर्ण ढंग से चलेगा। यदि सप्तम भाव अथवा सप्तमेश शुभ स्थिति में हो तो इस स्थिति में राहु की महादशा में जातक के व्यवसाय में अच्छी उन्नति होती है।

अष्टम भाव आयु तथा मृत्यु का भाव है। यदि किसी जातक की पत्रिका में राहु अष्टम भाव में स्थित हो तो यह स्थिति राहु के लिए बहुत अच्छी नहीं मानी जाती क्योंकि ऐसे में राहु की महादशा आने पर जातक को अवसाद से गुजरना पड़ सकता है। इसका कारण यह है कि अष्टम भाव अचानक होने वाले परिवर्तनों को बताता है और राहु अगर इसमें स्थित हो जाए तो वह जीवन में अच्छे और बुरे, अचानक आने वाले परिवर्तनों की भी वृद्धि करता है। बुरे परिणामों के फलस्वरूप अवसाद होना स्वाभाविक है। अष्टम भाव गुप्त विधाओं का भी भाव है। अतः राहु की महादशा आने पर अवसाद से बचने हेतु जातक को अपना ध्यान ज्योतिष शास्त्र, अनुसंधान, दर्शन शास्त्र या आध्यात्म की ओर मोड़ना चाहिए। अष्टम भाव अथवा अष्टमेश की स्थिति अच्छी होने पर राहु की महादशा में जातक को इन विधाओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त हो सकता है। यदि जातक अपना ध्यान इन विधाओं में लगाएगा तो वह अवसाद से भी बच जाएगा और साथ ही ज्ञान का लाभ भी ले लेगा।

नवम भाव धर्म भाव तथा पिता का भाव होता है। यह उच्च शिक्षा का भाव भी है। यदि किसी जातक की कुंडली में राहु नवम भाव में स्थित हो तो वह अपनी महादशा में यह जातक को कई तरह की लंबी यात्राएँ तथा विदेश यात्राएँ करवा सकता है, जातक अपनी उच्च शिक्षा के लिए आतुर हो सकता है। चूँकि राहु वर्जनाओं को तोड़ने वाला तथा सीमाओं को लाँघने वाला ग्रह है, इसलिए कुंडली में नवम भाव में स्थित राहु जातक को अत्यधिक धार्मिक अथवा अत्यधिक अधार्मिक बना सकता है। अतः राहु की महादशा आने पर जातक को चाहिए कि वह अपने पिता, अपने धर्म तथा अपने गुरु के लिए श्रद्धा भाव रखकर उनके अनुभवों का लाभ उठाएं तथा अपना जीवन को सुधारने का प्रयास करे, अन्यथा राहु की महादशा उसे अधर्म की ओर मोड़ सकती है। यदि जातक अपने पिता, पितृतुल्य व्यक्तियों तथा अपने गुरु का सम्मान कर धर्म के राह पर चलेगा तो नवम भाव का राहु अपनी महादशा में उसे कई धार्मिक यात्राएं भी करवा सकता है। नवम भाव का राहु, अपनी दशा में उच्च शिक्षा के लिए भी विदेश यात्रा भी करवा सकता है।

दसवाँ भाव कर्म भाव कहलाता है यह उपचय भाव भी है यदि यहां पर राहु स्थित हो तो यह राहु की एक अच्छी स्थिति मानी जाती है क्योंकि राहु अपनी महादशा में ऐसी स्थिति में कर्म अथवा कैरियर में वृद्धि प्रदान करता है। जातक अपने कैरियर की वृद्धि के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तत्पर हो जाता हैं। यदि दशम भाव का भावेश तथा दशम भाव अच्छी स्थिति में हो तो राहु की महादशा में जातक अच्छी उन्नति प्राप्त कर सकता है। इस स्थिति में जातक को सदैव नैतिकता का ध्यान रखना चाहिए तथा अपने अधिकारियों से अच्छे संबंध बनाकर अपने कैरियर की उन्नति का प्रयास करना चाहिए।

ग्यारहवाँ भाव लाभ भाव कहलाता है यह इच्छापूर्ति का भाव है। राहु स्वयं इच्छाओं को बढ़ाने वाला ग्रह है इसलिए इस भाव में राहु की स्थिति अच्छी कही जाती है क्योंकि राहु अपने महादशा में जातक की इच्छा पूर्ति के लिए कार्य करता है। यदि ग्यारहवें भाव का भावेश तथा ग्यारहवाँ भाव अच्छी स्थिति में हो तो राहु की दशा में जातक की इच्छा पूर्ति अवश्य होती है लेकिन जातक को अपनी इच्छा पूर्ति के लिए सदैव सही राह का चुनाव करना चाहिए।

बारहवाँ भाव व्यय भाव कहलाता है। यह भाव मोक्ष स्थान, भोग स्थान, विदेश यात्रा, जेल, अस्पताल आदि का भी भाव है। इस स्थान पर राहु होने पर, सीमाओं को लाँघते हुए वह, जातक को या तो मोक्ष की तरफ अथवा भोग की तरफ मोड़ देता है। यदि बारहवें भाव का स्वामी अच्छी स्थिति में हो तो वह विदेश यात्राएं भी करवा सकता है, अन्यथा अस्पताल, जेल इत्यादि में व्यय भी करवा सकता है। जातक यदि अपनी नैतिकता और मानसिक शक्ति का प्रयोग करके राहु से संबंधित अच्छी चीजों का चुनाव करे तो यह महादशा ठीक रहेगी अन्यथा यह राहु के लिए बहुत अच्छा स्थान नहीं है।

राहु की महादशा में जातक को माँ दुर्गा की स्तुति अवश्य करनी चाहिए ताकि जातक सही राह का चुनाव कर सके। राहु जातक को सदैव दोराहे पर खड़ा करता है। जातक को चाहिए कि वह अपनी इच्छा शक्ति का प्रयोग करके तथा नैतिकता के पथ पर चलकर राहु से संबंधित अच्छी बातों को ग्रहण करें तथा ऋणात्मक चीजों का त्याग करता चले, तभी राहु की महादशा जातक के लिए वरदान साबित हो सकती है।




- डॉ. सुकृति घोष (Dr. Sukriti Ghosh)
प्राध्यापक, भौतिक शास्त्र
शा. के. आर. जी. कॉलेज
ग्वालियर, मध्यप्रदेश

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,6,कविता,1471,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,38,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,76,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,7,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,3,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,201,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,139,प्रयोजनमूलक हिंदी,37,प्रेमचंद,45,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,17,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,13,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,7,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,56,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,2,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,32,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,266,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,20,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,86,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,424,हिंदी लेख,529,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,179,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,10,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,19,hindi essay,416,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,677,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,50,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,22,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,11,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,48,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: राहु की महादशा : वरदान या अभिशाप
राहु की महादशा : वरदान या अभिशाप
राहु की महादशा: वरदान या अभिशाप राहु की महादशा का नाम सुनते ही लोगों में एक अनजाना भय व्याप्त हो जाता है, उन्हें लगता है की राहु जैसे क्रूर ग्रह की म
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvm4wF_AGDhyNvLF17wz5YyUNYq9FE97gEwbovgWN05KwY-E3tWxRjQqt1RBjqdj5bYswtdvNaVBB2v1y8bP36rGSCGbJPTBS3oh7tPM2jtjfEoTLofLy9Ts5Phad8GpWVJpL2JUdAoPlhyphenhyphenhRc2UExipQtgXw3WGc7f8_bEuEq7J18n6U2GRr_rOQHJUnR/w306-h320/Rahu_graha.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjvm4wF_AGDhyNvLF17wz5YyUNYq9FE97gEwbovgWN05KwY-E3tWxRjQqt1RBjqdj5bYswtdvNaVBB2v1y8bP36rGSCGbJPTBS3oh7tPM2jtjfEoTLofLy9Ts5Phad8GpWVJpL2JUdAoPlhyphenhyphenhRc2UExipQtgXw3WGc7f8_bEuEq7J18n6U2GRr_rOQHJUnR/s72-w306-c-h320/Rahu_graha.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2024/04/rahu-ki-mahadasha-vardan-ya-abhishap-lekh.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2024/04/rahu-ki-mahadasha-vardan-ya-abhishap-lekh.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका