यदि मैं किसान होता निबंध Yadi Main Kisan Hota Par Nibandh Hindi किसान, धरती का वो अनमोल रत्न, जिसके पसीने से ही अन्न का दाना उगता है और हमारे जीवन
यदि मैं किसान होता निबंध | Yadi Main Kisan Hota Par Nibandh Hindi
किसान, धरती का वो अनमोल रत्न, जिसके पसीने से ही अन्न का दाना उगता है और हमारे जीवन का आधार बनता है। यदि मैं किसान होता, तो मेरा जीवन प्रकृति के साथ तालमेल में, कठोर परिश्रम और संतोष से भरा होता।
भारत किसानों का देश है। किसान अन्नदाता हैं। किसान ही सादा जीवन, उच्च विचार, परोपकार एवं राष्ट्र की सच्ची ताकत है। ऐसा किसान बनने के लिए मेरे अंदर एक ललक है। सृष्टि के प्रारम्भ से अन्न के आविष्कार तक किसान ने जो भूमिका निभाई है उस इतिहास को देखते हुए किसान के जीवन में आनेवाले परेशानियों के बावजूद मैं किसान बनने के लिए इसलिए प्रेरित हुआ हूँ क्योंकि आज का किसान मेरे जैसा पढ़ा-लिखा व्यक्ति होना चाहिए। किसान बनने का विचार आते ही उस प्रेरणास्रोत को बताना अनिवार्य समझता हूँ जिसने मुझे किसान बनने की प्रेरणा दी।
सहकारिता के माध्यम से कृषि
कुछ दिनों पहले दूरदर्शन पर जी चैनल के डॉ. सुभाष चन्द्रा का कार्यक्रम आ रहा था। वहाँ हर प्रकार के उद्योग के बारे में चर्चा चल रही थी। उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति से परिचय कराया जो आई. आई.टी. की परीक्षा सर्वोच्च अंक प्राप्त करके उत्तीर्ण होने के बाद एक अच्छे इंजीनियर के पद पर नियुक्ति पाने के बावजूद बिहार के अपने गाँव में नए तकनीकि से खेती कराने के उपाय किये। उन्होंने सहकारिता के माध्यम से वर्ष भर में जमीन की उर्वरता के अनुसार पौष्टिक खाद्य, पानी, कीटनाशक दवाइयाँ एवं अन्य साधनों के द्वारा खेती करने के लिए गाँव के अन्य पढ़े-लिखे नौजवानों को प्रेरित किया और यह जानकार अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि कुछ ही वर्षों में तीस हजार से अधिक सदस्य इस कार्य में जुड़ गये, जिससे उस क्षेत्र की हर प्रकार की उपज में वृद्धि हुई और वहाँ के किसान खुशहाल नजर आते हैं।
खेती ही उत्तम काम
आज देश के कई भागों से किसानों के आत्मदाह, आत्महत्या और इनके कारण होनेवाले आंदोलनों की खबरें बराबर आती हैं जिनमें कुछ सच्चाई भी है और कुछ किसानों को राजनीति से प्रेरित भी माना जा सकता है। मैं अगर किसान होता तो निश्चित रूप से अपने राष्ट्र के लिए सभी तरह की सुविधाओं के लिए उपाय निकालता और यह साबित करता उत्तम खेती, मध्यम बान, निषिध चाकरी, भीख निदान।' जिसका तात्पर्य है कि किसान का व्यवसाय खेती ही उत्तम है, व्यवसाय को मध्यम कोटि का माना गया हैं, चाकरी अर्थात् नौकरी निम्न कोटि में आती है और जब कोई चारा नहीं रह जाता तो भीख माँगते हैं।
भारत माता की सेवा
आधुनिक युग में वैज्ञानिक तकनीक का जो विकास हुआ है उसका प्रयोग हमारे देश के किसान कर रहे हैं। जिन किसानों के पास इसकी जानकारी नहीं है उसके लिए व्यापक आंदोलन चलाकर किसानों को उनके कर्म में प्रवीण करने के लिए मैं अपनी बौद्धिक क्षमता का प्रयोग करके उनमें ऐसी ऊर्जा का संचार करता जिससे वे हमारे साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर, न केवल अन्नदाता के रूप में बल्कि राष्ट्र की हर प्रकार की उन्नति में लग जाते। इस प्रकार हमारे राष्ट्र का सर्वांगीण विकास होता क्योंकि हमारे अन्दर हमेशा ये भावना काम करती है, 'तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूँ' और देश की धरती को किसान से बढ़कर और कोई नहीं दे सकता। अगर मैं किसान होता तो अपने मनोनुकूल भारतमाता की सेवा करता।
यदि मैं किसान होता, तो मेरा जीवन सरल, शांत और आत्मनिर्भर होता। प्रकृति के साथ तालमेल में रहकर, मैं न केवल अपने परिवार का पेट भरता, बल्कि समाज के लिए भी अपना योगदान देता।यह केवल एक कल्पना है, लेकिन यह कल्पना मुझे जीवन के सच्चे मूल्यों का एहसास कराती है।
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