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बच्चों को स्कूल में मोबाइल फोन का प्रयोग उचित या अनुचित
आज के डिजिटल युग में, मोबाइल फोन हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं।बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर कोई इनका इस्तेमाल करता है।शिक्षा के क्षेत्र में भी इनका प्रभाव बढ़ रहा है।लेकिन, स्कूलों में बच्चों को मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने की अनुमति देना उचित है या नहीं, यह एक ज्वलंत प्रश्न है।
2020 में जब से कोरोना ने कहर ढाया है तब से स्मार्ट फोन की आवश्यकता इतनी ज़्यादा बढ़ गई है कि आज हर दूसरे बच्चे के पास इसे उपयोग करने की आजादी सी मिल गई है हालांकि फोन की सुविधा के कारण हमारे कई कार्य आसानी से सिद्ध हो जाते हैं चाहे खरीदी हो, बिल भरना हो, भोजन मँगाना हो, सिनेमा टिक हवाई टिकट आदि बस एक अँगुली की दूरी पर सब कुछ हो जाता है। वहीं एक ऑनलाइन कक्षा में भी बच्चों को पढ़ने की सुविधा होती है।
मोबाइल फोन के इस्तेमाल के पक्ष में तर्क
जहाँ तक़ बात है स्मार्ट फोन का विद्यालयों में विद्यार्थियों को उपयोग करने की अनुमति देने की तो जहाँ इसके अनेक लाभ हैं वहीँ इनकी हानियाँ भी हैं। स्मार्ट फोन के उपयोग से बच्चे अपना सारा कार्य (word, वर्ड फाइल या पी.डी.एफ फाइल में कर सकते हैं। वहीं गणित और विज्ञान के लिए तो स्मार्ट फोन वरदान समान साबित होगा। जहाँ गणित के सवालों को हल करना आसान होगा, वहीं विज्ञान के बारे में नई-नई जानकारियाँ रोज़ ही प्राप्त होंगी।
साहित्य दर्शन, इतिहास, भूगोल हर विषय अपने आप में इतना रूचिकर होगा कि बच्चे उसे पूरे मन से पढ़ेंगे भी और रोज़ नया कुछ सीखेंगे भी। इसके साथ ही देश-विदेश के बारे में जानकारी, अंतरिक्ष की जानकारी और बहुत-सी जानकारियों स्मार्ट फोन के ज़रिये उनकी ज्ञान- पीपासा को संतुलित करेगी। साथ ही साथ वह अपने भविष्य में किसी कौशल या तकनीक या कोई नया आविष्कार कर देश व स्वयं को लाभान्वित करना चाहे तो वह भी कर सकते हैं अर्थात् उनके लिए अथाह सम्भावनाओं का सागर लहराता-सा उनका स्वागत करता नज़र आएगा।
मोबाइल फोन के इस्तेमाल के खिलाफ तर्क
वहीं बात करें हानि की तो बच्चे नादान होते हैं साथ ही नई चीज़ों के प्रति आकृर्षित भी शीघ्र होते हैं इसलिए स्मार्ट फोन से बहुत सारी जानकारियाँ ऐसी भी उन्हें मिल सकती है जो उन्हें गलत राह पर ले जाएँ जिससे उनका भविष्य खतरे में पड़ सकता है । हैक करना, किसी भी साइट व किसी भी संस्था के पासवर्ड हैक करना कभी-कभी यह ज्ञान फायदे के लिए हो सकता है किन्तु अधिकतर नुकसान के लिए ही उपयोग किया जाता है। साइबर, क्राइम जैसी चीजें आम बात हैं इसलिए बच्चों के लिए जहाँ स्मार्ट फोन वरदान है वहीं अभिशाप भी बन सकता है।
किसी वस्तु का सही उपयोग उन्नति व प्रगति का कारण बनता है तो उससे सभी लाभान्वित होते हैं वही अगर उसका उपयोग गलत कार्य व स्वार्थपूर्ती के लिए हो तो वह अभिशाप भी बन जाता है इसलिए यह हमें तय करना होता है कि इस स्मार्ट फोन का उपयोग किस संदर्भ में कितना, कहाँ और कैसे कर रहे है।तभी हम उससे लाभान्वित हो पाएँगे वरना अगर यह एक नशे की लत की तरह उपयोग में लाई गई, तो सिर्फ और सिर्फ़ सर्वनाश को आमंत्रण देना ही होगा।
बच्चे मोबाइल मांगे तो क्या करना चाहिए?
यह निर्णय लेना कि बच्चों को स्कूल में मोबाइल फोन का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं, एक कठिन निर्णय है। कोई आसान जवाब नहीं है, और प्रत्येक स्कूल और प्रत्येक माता-पिता को यह तय करना होगा कि उनके लिए सबसे अच्छा क्या है।
यह महत्वपूर्ण है कि यदि बच्चों को स्कूल में मोबाइल फोन का उपयोग करने की अनुमति है, तो उनके उपयोग के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश और नियम निर्धारित किए जाएं। इन दिशानिर्देशों में यह शामिल होना चाहिए कि फोन का उपयोग कब और कैसे किया जा सकता है, और दुरुपयोग के परिणाम क्या होंगे।अंततः, यह निर्णय कि बच्चों को स्कूल में मोबाइल फोन का उपयोग करना चाहिए या नहीं, माता-पिता पर निर्भर है। माता-पिता को अपने बच्चे की परिपक्वता, जिम्मेदारी और स्वतंत्रता के स्तर पर विचार करना चाहिए। उन्हें यह भी तय करना चाहिए कि वे मोबाइल फोन के संभावित नुकसानों से कितने चिंतित हैं।
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि तकनीक लगातार विकसित हो रही है। जैसे-जैसे मोबाइल फोन अधिक परिष्कृत होते जाते हैं, स्कूलों को यह तय करने की आवश्यकता होगी कि उनकी नीतियां इन परिवर्तनों को कैसे प्रतिबिंबित करेंगी।
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