मेरा प्रिय विषय हिंदी पर निबंध My Favourite Subject Essay in Hindi मेरा प्रिय विषय हिंदी है हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है इसे अधिकांश भारतीय समझते बोलते
मेरा प्रिय विषय हिंदी पर निबंध
मेरा प्रिय विषय हिंदी है। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। इसे अधिकांश भारतीय समझते और बोलते हैं। भारत के पड़ोसी देशों में भी यह बोली जाती है। इसमें ज्ञान-विज्ञान का विशाल भंडार है। यह संस्कृत से विकसित हुई है। इसमें महान विद्वानों और विचारकों के विचार प्राप्त होते हैं। इसलिए भी यह मेरा प्रिय विषय है ।
हिन्दी भाषा मुझे प्रिय क्यों हैं ?
हिंदी, विश्व की चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा, भारत की राष्ट्रीय भाषा और सांस्कृतिक धरोहर का अमूल्य रत्न है। यह भाषा सदियों से विभिन्न क्षेत्रों, विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त करती रही है, और भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता को दर्शाती है।हिंदी भाषा का विकास संस्कृत से हुआ है। प्राचीन काल से, विभिन्न भाषाओं और बोलियों का मिश्रण, जैसे अपभ्रंश, खड़ी बोली, और अवधी, ने आधुनिक हिंदी भाषा को जन्म दिया।
हिंदी साहित्य का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण है। महाकाव्यों, कविताओं, नाटकों, उपन्यासों, कहानियों और निबंधों सहित विभिन्न विधाओं में रचित रचनाओं ने दुनिया भर के पाठकों को मंत्रमुग्ध किया है।मैंने पढ़ा है कि स्वतंत्रता संघर्ष के दिनों में हिंदी सीखना और बोलना देशभक्ति का पर्याय था। देश- भर में लोग हिंदी सीख-पढ़ रहे थे। महात्मा गांधी ने दक्षिण में हिंदी सिखाने की विशेष व्यवस्था की थी ।
स्वतंत्रता के बाद हिंदी ही ऐसी भाषा थी जो देश-भर को बाँधे रखने में समर्थ थी क्योंकि लगभग 50% भारतीय हिंदी का व्यवहार करते थे। इसलिए हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त है।
दुर्भाग्य से आज कुछ लोग हिंदी भाषा का व्यवहार करना अपनी शान के विरुद्ध समझते हैं। वे भूल जाते हैं कि भाषा ही मनुष्य की पहचान होती है, राष्ट्र की पहचान होती है। हिंदी में ऐसी शक्ति है कि यह पूरे राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाँध सकती है। यह आम आदमी की भाषा है। कश्मीर से कन्याकुमारी या कच्छ से कामरूप तक कहीं चले जाइए, बाज़ार में सामान खरीदते हुए, रिक्शा, ताँगा, कुली से बात करते हुए अंग्रेज़ी काम नहीं आती, हिंदी आती है। देश से बाहर भी पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश में भी हिंदी बोली जाती है। श्रीलंका, दुबई, सिंगापुर जैसे देशों के बाज़ारों में भी हिंदी से काम चला सकते हैं। मारीशस, ट्रिनिडाड, फ़िजी,सूरिनाम जैसे राष्ट्रों में तो हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।
हिन्दी भाषा की उपयोगिता
हिंदी मधुर और सरल भाषा है। सूर-दादू-तुलसी और मीरा के पद हिंदी में ही हैं। कबीर -रैदास जैसे संतों की वाणी हिंदी का भंडार है। पंत-प्रसाद-निराला जैसे कवि हिंदी में हुए हैं। आज हिंदी मीडिया, व्यवसाय, राजकाज की भी भाषा है, इसलिए हिंदी का भविष्य उज्ज्वल दिखाई पड़ता है ।
मैं हिंदी विषय में विशेष योग्यता प्राप्त करना चाहता हूँ। चूँकि विज्ञान के विषयों में मुझे बड़ी दक्षता प्राप्त है इसलिए मेरी योजना है कि पढ़ाई समाप्त करने के बाद मैं विज्ञान की पुस्तकें सरल हिंदी में तैयार करूँ ताकि विज्ञान संबंधी नई-नई बातें उन लोगों तक भी पहुँच सकें जो केवल हिंदी जानते हैं।
हिन्दी भाषा का भविष्य
हिंदी भाषा लगातार विकसित हो रही है और नए शब्दों और वाक्यांशों को अपना रही है। यह भाषा युवा पीढ़ी के बीच लोकप्रिय है और आने वाले वर्षों में इसकी लोकप्रियता बढ़ने की संभावना है।
हिंदी भाषा भारत की राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है। यह न केवल एक भाषा है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का माध्यम भी है। आइए हम सब मिलकर हिंदी भाषा को बढ़ावा दें और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं।हिंदी सीखें और भारत की समृद्ध संस्कृति का अनुभव करें!
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