पापा खो गए एकांकी का सारांश प्रश्न उत्तर | विजय तेंदुलकर

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पापा खो गए एकांकी का सारांश प्रश्न उत्तर विजय तेंदुलकर Hindi Papa Kho Gaye Question Answers लड़की के पापा का पता लगाने के लिए सभी पात्रों ने क्या किया

पापा खो गए एकांकी का सारांश प्रश्न उत्तर | विजय तेंदुलकर


विजय तेंदुलकर द्वारा लिखित "पापा खो गए" एक अत्यंत प्रसिद्ध एकांकी नाटक है। यह नाटक 6 वर्षीय बालक रॉनी की कहानी है जो बाजार में अपनी मां से खो जाता है। नाटक में रॉनी के डर, असहायता और मां को खोजने की तीव्र इच्छा का चित्रण बखूबी किया गया है।

"पापा खो गए" एक उत्कृष्ट एकांकी नाटक है। यह सरल, दिलचस्प और भावनात्मक रूप से प्रभावशाली है। नाटक का संदेश भी महत्वपूर्ण है। यह नाटक सभी उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त है और इसे अवश्य पढ़ा जाना चाहिए।

पापा खो गए पाठ का सारांश

पापा खो गए एकांकी का सारांश प्रश्न उत्तर | विजय तेंदुलकर
विजय तेंदुलकर की एकांकी 'पापा खो गए' विभिन्न निर्जीव पात्रों के द्वारा असंवेदनहीन होती मानव की कथा को व्यक्त किया गया है। नाटक का आरंभ एक ऐसे दृश्य से होता है जहाँ एक पेड़, एक खंभा, एक पोस्टर जिसपर एक नृत्यांगना का चित्र, एक लैटरबक्स और एक कौवा है। एक पेड़ और खंभा आपस में बोरियत से भरे रात-दिन का जिक्र करते हैं। साथ ही बरसात के विकट रातों और बिजली की भयावहता की बातें भी करते हैं। इसी के साथ खंभे और पेड़ अपने दोस्त होने वाली घटना को भी याद करते हैं। इसी वक्त लैटरबक्स के चोरी छिपे सबकी चिट्टियों को पढ़ने का भी खंभा मजाक उड़ाता है। ठीक उसी वक्त एक आदमी एक छोटी सी बच्ची को सोई हुई अवस्था में उठाकर ले आता है और पेड़ के पास रखकर अपनी भूख मिटाने के लिए कहीं चला जाता है। वह बात-चीत और शक्ल से बदमाश उठाईगीर लगता है। अतः पेड़ जल्दी से कौवे को उठाता है और उस बदमाश से बच्ची को बचाना चाहते हैं। बच्ची सोकर उठती है और अपने आस-पास ऐसे निर्जीव तत्वों को बातचीत करते, चलते देखकर आश्चर्य से भर जाती है। तभी वह बुरा आदमी आता है, लेकिन सभी निर्जीव उस लड़की को छिपा लेते हैं तथा बुरे आदमी को डराकर भगा देते हैं। लड़की को अपने घर परिवार का पता नहीं मालूम है, अतः कौवा लड़की को उसके घरवालों से मिलाने के लिए सबको उपाय बताता है। पेड़ देर तक छाया करता है जिससे लड़की देर तक सोती रहे। खंभा टेड़ा होकर ऐसा संकेत देता है मानो वहाँ कोई दुर्घटना घटी हो, जिससे पुलिस वहाँ आये और बच्ची को उसके घर तक पहुँचाए। कौवा काँव-काँव करके लोगों को उस ओर आकर्षित करता है, जबकि पोस्टर पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है- पापा खो गए। इसके साथ ही पोस्टर की नृत्यांगना उसी अंदाज में खड़ी है। लैटरबक्स लोगों को उस लड़की को उसके घर तक पहुँचाने की भावुक अपील करता है।

विजय तेंदुलकर का जीवन परिचय

प्रसिद्ध मराठी नाटककार, लेखक, निबंधकार, फिल्म व टीवी पटकथा लेखक, राजनीतिक पत्रकार और सामाजिक टिप्पणीकार विजय तेंदुलकर का जन्म 6 जनवरी, 1928 ई० को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता नौकरी के साथ ही प्रकाशन से जुड़ा काम भी सम्भालते थे। इसी कारण विजय तेंदुलकर को पढ़ने-लिखने का मौका घर में ही प्राप्त हो गया। केवल छः साल की उम्र में उन्होंने पहली कहानी तथा ग्यारह साल की उम्र में अपना पहला नाटक लिखा। अपने लेखन के आरंभिक दिनों में इन्होंने अखबारों में लेखन कार्य किया। उन्होंने स्वाधीनता पूर्व 'भारत छोड़ो आंदोलन' में सक्रियता पूर्वक भाग लिया। अपने जीवन के आरंभिक संघर्षशील दिनों में ये ‘मुंबई के चॉल' में रहे। इनकी रचनाओं में हिंसा, मृत्यु, भ्रष्टाचार, गरीबी, स्त्री आदि विषय पर जबरदस्त लेखन देखने को मिलता है। इन ज्वलंत मुद्दों पर बेवाकी से कलम चलाने के कारण सत्तर के दशक में इन्हें कई बार विवादों से भी जूझना पड़ा, लेकिन आज विवादास्पद रचनाओं का भी लगातार मंथन उनकी स्वीकृति को दर्शाता है। विजय तेंदुलकर ने सिनेमा और टेलीविजन की दुनिया में पटकथा लेखक के रूप में एक विशिष्ट पहचान बनाई। इन्हें 1970 ई० में 'संगीत नाटक अकादमी' पुरस्कार और 1984 ई० में 'पद्मभूषण' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 19 मई, 2008 ई० को इनका निधन हो गया । इनकी प्रमुख रचनाओं के रूप में घासीराम कोतवाल, निशांत, मंथन, सिंहासन, गहराई, आक्रोश, अर्धसत्य आदि का नाम लिया जा सकता है।
 

पापा खो गए पाठ का प्रश्न उत्तर

प्र। पेड़ और खंभे में किस प्रकार दोस्ती हुई? 
उत्तर : एक दिन जोरों की आँधी में खंभा पेड़ के ऊपर गिर गया। पेड़ ने खंभे को जमीन पर गिरने से बचा लिया। इसके पहले दोनों कभी एक दूसरे से बात तक नहीं करते थे। लेकिन इस घटना के बाद खंभे का अहंकार खत्म हो गया और दोनों में दोस्ती हो गई।
 
प्र। लैटरबक्स हेडमास्टर होने की इच्छा क्यों प्रकट करता है? 
उत्तर : लैटरबक्स को पढ़ने-लिखने का शौक है, अतः शिक्षा के प्रति वह सचेत है।' लेकिन उसे यह जानकर दुःख होता है कि परीक्षित जैसे बच्चे पढ़ाई के बजाय अपना ध्यान बंटे खेलने में लगाते हैं। एक ओर सबके परिजन कठिन परिश्रम करके बच्चों की शिक्षा के लिए पैसे जुटाते हैं, जबकि बच्चे उन पैसों का दुरुपयोग करते हैं। इसी वजह से लैटरबक्स को लगता है कि यदि वह हेडमास्टर हो जाय तो परीक्षित जैसे बच्चों को कड़ा दण्ड देकर उन्हें सुधार देगा।

प्र। नाटक में आप किसे सबसे अधिक बुद्धिमान पात्र समझते हैं, और क्यों? 
उत्तर : नाटक में सबसे बुद्धिमान पात्र कौआ है। सबसे पहले जब पेड़ लड़की को दुष्ट आदमी के चंगुल में देखता है; तो वह कौवे को जगाता है। सबको मालूम है कि कौआ ही बच्ची को छुड़ाने का कोई उपाय बताएगा। वैसे भी कौआ दूर-दूर तक घूमता रहता है और दुनियाँ की खबर रखता है। अंत में कौआ ही बच्ची को उसके पापा तक पहुँचाने का इंतजाम करता है। सभी के सभी कौवे की सलाह को मानते भी हैं। अतः यह सारे तथ्य इस बात को प्रमाणित करने के लिए काफी हैं कि सभी पात्रों में कौआ सबसे बुद्धिमान है।
 
प्र। लड़की के पापा का पता लगाने के लिए सभी पात्रों ने क्या किया? 
उत्तर : लड़की के पापा का पता लगाने के लिए सभी पात्रों ने अपने-अपने तरह से स्वांग किया। पेड़ झुककर लड़की को छाया देता रहता है, जिससे वह देर तक सोती रहे। खंभा टेढ़ा होकर झुक गया, जिससे पुलिस को वहाँ कोई दुर्घटना प्रतीत हो और वे वहाँ पहुँचे तथा उनके द्वारा लड़की के पापा को खोजा जा सके। इसके साथ ही कौवा जोर-जोर से चिल्लाकर सभी आने-जाने वालों का ध्यान लड़की की ओर आकर्षित कर रहा था। इसके साथ ही सिनेमा के पोस्टर पर लैटरबक्स ने बड़े- बड़े अक्षरों में 'पापा खो गए' लिख दिया और पोस्टर पर बनी नृत्यांगना उसी मुद्रा में खड़ी हो गई। साथ ही लैटरबक्स लोगों से अपील करता है कि इस लड़की के पापा खो गए हैं, जिस व्यक्ति को वे मिल जाय, उन्हें लेकर आये।
 
प्र। कल्पना कीजिए की बच्ची के अकेली होने के क्या कारण हो सकते हैं? चोर ने जब उसे उठाया तो वह किस परिस्थिति में थी? 
उत्तर : बच्ची के अकेली होने के कारण के रूप में कहा जा सकता है कि बच्ची के अभिभावक लापरवाह हो सकते हैं। जिसके कारण उसे अकेला ही छोड़ दिया गया होगा अथवा उसके अभिभावक अपने काम में इतने व्यस्त होंगे कि बच्ची को परिचारिकाओं के सहारे छोड दिया गया होगा और उनकी लापरवाही के कारण ही उसे चोर उठा ले गया होगा। जब चोर ने बच्ची को उठा ले गया होगा तब वह नितांत अकेली गहरी निद्रा में सो रही होगी।

प्र। जिस प्रकार बच्ची प्राकृतिक उपादानों के बीच भयमुक्त हो जाती है उसी प्रकार प्रकृति के बीच में आप स्वयं को कितना सहज पाते हैं? अपना विचार प्रकट करते हुए बताइये कि प्रकृति आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण है? 
उत्तर : प्रकृति का आँगन हम सब का वास्तविक घर है। अतः बच्ची की तरह ही खुले प्राकृतिक वातावरण में पहुँच कर हम सहजता का अनुभव करते हैं। इस वातावरण में आकर जीवन के भाग-दौड़ से मुक्त होकर जीवन के वास्तविक आनंद का लुत्फ मिलता है। प्रकृति हमारे जीवन का आधार है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त धरती पर हम रहते हैं और आकाश हमारे सिर पर छत की तरह खड़ा रहता है। स्वच्छ प्रकृति में हम उन्मुक्त होकर श्वास लेते हैं और उसी की नदियों के मीठे जल को पीकर हम धन्य होते हैं। प्रकृति के महत्त्वपूर्ण अंग वृक्षों से लेकर उसकी लकड़ी, फल, फूल सभी हमारे जीवन को एक दृढ़ आधार प्रदान करते हैं। हम कह सकते हैं कि प्रकृति के वगैर हमारा जीवन असंभव है। यदि हम सही विवेचना करें तो मानव प्रकृति से कोई अलग नहीं बल्कि वह प्रकृति का एक अंश में आनेवाली बाधाएँ एवं चुनौतियों का वह अपने बुद्धि-कौशल के बल पर उनका समाधान ढूँढ़ लेता है। अन्य प्राणियों की तरह ही मानव भी एक प्राणी का प्रजाति है जो भौगोलिक सीमाओं को लाँघते हुए विषम जलवायुवीय परिवर्तनों के बावजूद आज वह इस धरती के सभी महादेशों पर निवास कर रहा है। मानव प्रजाति जो कभी हिंसक पशुओं का शिकार हो जाया करता था, आज वह उन खुंखार हिंसक : पशुओं को भी अपना गुलाम बना लिया है। अतः इस प्रकार हम मानव प्रजाति बड़े सहज ढंग से प्रकृति का अंग होते हुए भी प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर अन्य जीव-जंतुओं से बेहतर जीवन-यापन कर पा रहे हैं। 

प्र। छोटी बच्ची की तरह यदि आप किसी हादसे का शिकार होते हैं तो अपनी रक्षा कैसे कीजिएगा? 
उत्तर : अगर मैं छोटी बच्ची की तरह इस तरह के हादसे का शिकार होता अथवा मेरा अपहरण होता, तब मैं यही कोशिश करता कि किसी तरह उस अपहरणकर्ता को धोखा देकर उसके चंगुल से भाग निकलूँ। इसके अलावा मैं शोर मचाकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता और लोगों को अपने अपहरण की घटना की जानकारी देता जिससे वे मुझे छुड़ाकर मेरी मदद कर सकें। उसके हाथ से मुक्त होने के बाद मैं वहाँ के स्थानीय थाने जाकर पुलिस से सहायता माँगता, जिससे वे मुझे मेरे घर और परिजनों तक पहुँचाने में मेरी मदद कर सकें। 

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