पिताजी के मार्गदर्शन से ही आज मैं इस योग्य बना हूँ पिताजी का मार्गदर्शन जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है वे हमारे जीवन के प्रथम गुरु और प्रेरणा स्त
पिताजी के मार्गदर्शन से ही आज मैं इस योग्य बना हूँ
पिताजी का मार्गदर्शन जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।वे हमारे जीवन के प्रथम गुरु और प्रेरणा स्त्रोत होते हैं।उनके मार्गदर्शन और सहयोग से ही हम जीवन में सफलता प्राप्त कर पाते हैं।पिताजी का मार्गदर्शन हमें जीवन में सही दिशा प्रदान करते हैं।वे हमें सिखाते हैं कि कैसे चुनौतियों का सामना करना चाहिए, कैसे जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और उन्हें कैसे प्राप्त करना चाहिए। वे सदैव हमारे समर्थन में खड़े रहते हैं और हर मुश्किल घड़ी में हमारा हौसला बढ़ाते हैं।
मेरी अपनी कहानी
मैं एक मध्यम परिवार से सम्बन्धित अंग्रेजी माध्यम विद्यालय का 12वीं कक्षा का छात्र हूँ और अभी मार्च में मेरी परीक्षा समाप्त हुई है।अपने परिवार में हम दो भाई-बहन और माता-पिता हैं।मेरी माता एक सुशिक्षित गृहिणी हैं और मेरे पिता एक स्थानीय विद्यालय में अध्यापक हैं। बहन दसवीं कक्षा की छात्रा है और अपनी परीक्षा से मुक्त होकर बुआ के यहाँ चली गई है। मेरी बहन के ऊपर माताजी का नियन्त्रण और मार्गदर्शन रहा और मेरे ऊपर मेरे पिताजी का नियन्त्रण और मार्गदर्शन रहा।
मेरे पिताजी की शिक्षा-दीक्षा हिन्दी माध्यम विद्यालयों में हुई, लेकिन विज्ञान के अलावा अन्य विषयों का भी उन्हें ज्ञान था, अंग्रेजी तो उनका प्रिय विषय रहा। उनका मानना था कि विज्ञान के साथ-साथ अंग्रेजी में भी दक्षता होना आवश्यक है। इसी विचार से उन्होंने मुझे अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में नर्सरी से प्रवेश दिलवाया। मुझे विद्यालय पहुँचाने के लिए वह मुझे साइकिल पर बिठाकर ले जाते थे और दोपहर को मुझे लेने भी आते थे। उनके आने जाने में विद्यालय में व्यवधान पड़ता था इसलिए उन्होंने मेरे लिए रिक्शा लगवा दिया। हालांकि इससे घर के खर्च में कटौती करनी पड़ी थी। मैं तो उस समय इस बात को समझता नहीं था। बाद में मुझे यह बात ज्ञात हुई तो मन को दुःख भी हुआ कि हमारे उत्थान के लिए हमारे पिता ने स्वयं कष्ट सहकर हमारी शिक्षा के लिए सहयोग किया। मेरे पिताजी ने पग-पग पर मेरी सहायता की और मेरा मार्गदर्शन किया। बिना उनके सहयोग के मेरा इतना पढ़ना सम्भव ही नहीं था।
पिताजी का मार्गदर्शन महत्वपूर्ण है
जब मैं कक्षा 6 में आया तो मुझे पढ़ने में दिक्कत का सामना करना पड़ा। उस समय हमारी स्थिति ऐसी नहीं थी कि ट्यूशन का प्रबन्ध कर सकें। इसका हल यह निकाला कि पिताजी ने स्वयं मेरी किताबों से देखकर मेरे लिए नोट्स बनाए और मुझे पढ़ाया। मेरी मुसीबत कम हुई और मैं पास हो गया। सातवीं कक्षा से लेकर 9वीं कक्षा तक मेरे पिताजी मेरी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देते थे। यहाँ तक कि उन्होंने मेरा पढ़ने का और खेलने का टाइम-टेबिल बना दिया था। वह पूरा ध्यान रखते कि मैं उसका पालन कर रहा हूँ या नहीं। सन्तुलित भोजन के भी वह पक्षधर रहे। आज मैं इस बात को याद करता हूँ कि पिताजी का मार्गदर्शन कितना महत्वपूर्ण है।
दसवीं कक्षा में आकर मेरे पिताजीपिताजी ने मुझे विज्ञान और गणित पर विशेष ध्यान देने को कहा क्योंकि वह चाहते थे कि में 12वीं कक्षा के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई करूँ। 10वीं कक्षा में अच्छे अंकों से पास होने के बाद मैंने 11वीं कक्षा में पिताजी के निर्देशानुसार विज्ञान और गणित के विषय में ही प्रवेश लिया। हिन्दी के स्थान पर मैंने कम्प्यूटर विषय लिया। इसमें मेरे पिताजी का ही मार्गदर्शन रहा। इस कक्षा में भी आर्थिक परेशानियाँ आई, लेकिन मैंने हिम्मत न हारी और कठिन परिश्रम करता रहा।आखिर वार्षिक परीक्षा आई और मैंने अपने कठिन परिश्रम का परिचय देकर प्रश्न-पत्र अच्छी तरह हल किए।आशा है कि परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करूँगा। अब मैंने बी.टेक की तैयारी शुरू कर दी है और प्रवेश परीक्षाओं में भाग लूँगा। आशा है कि मुझे कहीं न कहीं सफलता मिल जाएगी। पिताजी के मार्गदर्शन से ही आज मैं इस योग्य बना हूँ।
COMMENTS