बगोरी गांव में जाड़ जनजाति की समृद्ध संस्कृति

SHARE:

बगोरी गांव में जाड़ जनजाति की समृद्ध संस्कृति और प्रकृति प्रदत्त इनकी दुश्वारियों को समीप से देखने का अवसर मिला। किंतु यह तो तय है कि बिखरी हुई जटिलता

बगोरी की राधा


म्र का हर पड़ाव ज़िंदगी के ठहराव में स्मृतियों का अविस्मरणीय लोकगीत है इसी गीत को गुनगुनाने हेतु हम तीनों सहेलियां वाया हेलीकॉप्टर देहरादून से हरसिल आधे घंटे में ही पहुंच गये हैं। यहां मेरी सहेली के रिसार्ट "हरसिल रिट्रीट" में  हमारे लिए तीन दिन की विश्रांति के लिए व्यवस्था है। चूंकि जिस हिसाब से हरसिल अलग-अलग  ट्रैकिंग के लिए जाने वाले रास्तों का मुख्य-बिंदु है उस हिसाब से तीन दिन हमारे लिए बहुत कम हैं।  यहां घूमने,देखने और समझने के लिए दर्शनीय स्थलों का अपार सिलसिला है।फिर भी हमारी कोशिश रहेगी कि यहां कुछ भी हमसे छूट ना जाये मलाल करने के लिए। हरसिल उत्तराखंड में हिमालय की गोद में बसा हुआ वह निभृत हरी शीला है जहां जिस ओर से भी दृष्टि परावर्तित होती है यह सौंदर्य का विचित्र प्रतिमान गढ़ता है।

नाश्ते के बाद हम लगभग दो किलोमीटर जलंधरी नदी  जिसका उद्गम हिमाचल है को देखकर आ गये हैं। जलंधरी के किनारे-किनारे चलते हुए यह हमें कहीं पर झक,द्विभाजित मृदुला,कहीं अठखेलियां करती चंचला षोडसी और कहीं क्रुद्ध सर्पिणी सी अबाध और अविरल बहती हुई दृश्यमान हुई। वापस लौटने के बाद आज ही हम  राधा के गांव  गंगोत्री भी जायेंगे।हरसिल से लगभग  दो किलोमीटर दूर "हरसिल रिट्रीट" से बांयी तरफ जलंधरी नदी के ऊपर पुल को पार करके बगोरी गांव है। यहां मेरी सहेली की सहेली  राधा का मायका है।राधा ने कहा है कि बगोरी गांव जाओगे तो मेरे माता-पिता से भी ज़रूर  मिलकर आना। 

लंच के बाद थोड़ा आराम करके  हम बगोरी गांव के लिए करीब चार बजे निकल गये हैं। गांव से होकर गुजरना मात्र सैर-सपाटा नहीं  अर्थात छोटे-छोटे अनुभवों का सामाजिक परिदृश्य भी तैयार करता है।इसी दृष्टिकोण को संजोकर हम सजग होकर बगोरी गांव की ओर उद्दत हैं। सरेराह कल-कल करती जलंधरी और भागीरथी  का मिश्रित  मधुर नाद है।चारों ओर हिम मंडित सुरम्य पहाड़ और देवदार का आतिथ्य हमें बरबस आकर्षित कर रहे हैं। हृदय है कि बेलगाम हुए जा रहा है तस्वीरों को मोबाइल में कैद करने हेतु।

बगोरी गांव में जाड़ जनजाति की समृद्ध संस्कृति
हम बगोरी गांव जा रहे हैं या देवत्व स्थल के प्रथम सोपान पर चढ़ रहे हैं?  बगोरी गांव के प्रवेश द्वार के भीतर घुसते ही लाल मंदिर के दर्शन  होते हैं।हम एक चहल-पहल भरी, लंबी संकरी, गली नुमा गांव के भीतर चले जा रहे हैं कहीं,गली के किनारे लकड़ी के नक्काशीदार दो मंजिला घर हैं जिन की दीवारों पर खूबसूरत चित्रकारी है।तो दूसरी तरफ ऊनी कपड़े जैसे मोजे,दस्ताने,स्वेटरों से सजी दुकानें हैं।उन दुकानों के अंदर  हमारी ओर देखकर मुस्कराती,दोनों हाथों से सलाई चलाती जाड़ भोटिया महिलाओं का झुंड है।मजाल है कि पर्यटकों की आमदरफ़्त पर अन्यमनस्कता उनकी मुसलसल बुनाई में अवरोध पैदा करे.. उनके मुखमंडल पर  आगंतुकों के स्वागत और अपनी आमदनी होने की संभावनाओं का हर्ष- मिश्रित  भाव उपज रहा था। कितना उन्मुक्त और निर्भीक जीवन  बह रहा है बगोरी की संकरी गली में? बच्चे बगोरी गांव की संकरी सड़क पर भागा-दौड़ी कर रहे हैं।हम सूरज के छिपने की धीमी आपाधापी से हुए झुटपुटे में आगे बढ़ते जा रहे हैं। यहां जीवन इतना मद्धिम व सरस है कि जाड़ महिलाओं को घर जाने की कोई जल्दी नहीं है। (जाड़ जनजाति दरअसल भारत तिब्बत के सीमांत गांव नेलंग और जादुंग में रहा करती थी 1962 भारत -चीन के युद्ध के बाद इन सीमांत गांवों को खाली करवाकर जाड़-जनजाति को बगोरी गांव में विस्थापित कर दिया गया है)महिलायें सड़क के किनारे बैठकर  बुनाई डालने में तल्लीन हैं।साथ में पुरुष खड़े होकर उनसे गप्पबाजी कर रहे हैं।एक दुकान पर मेरी नजर पड़ी  वहां फरंण (एक प्रकार की दाल में डालने वाली जड़ी), राजमा,हींग, लाल चावल,सूखे सेब,गारे वाला नमक मिल रहा है।हमने लाल चावल और हींग खरीद लिया है।हर समाज की संस्कृति के अपने-अपने अमूल्य कारक होते हैं यही अमुल्य कारक हर संस्कृति और परिवेश को परस्पर  विछिन्न करते हैं और खास बनाते हैं।

विभिन्न सांस्कृतिक रंगों और परंपराओं की भव्य प्रदर्शनी है बगोरी गांव।जिस घर की ओर सिर घुमाओ वहीं से जीवन मूल्यों का मधुर लोक संगीत फूट रहा है।कहीं मां अपनी बेटी के बाल काढ रही है, कहीं महिला अपने बुजुर्ग पति को टोपी पहना रही है। औधोगिक रंग,श्रम और अपनी सभ्यताओं की सुगंधि कूट-कूट कर यहां के समाज में रची-बसी है। यहां की महिलायें चरखा कातती हैं,ढाबा और अपना होमस्टे भी चलाती हैं।

हम आगे बढ़ते जा रहे हैं कहीं पर पुराने जर्जर नक्काशीदार मकानों के भग्नावशेष हैं किंतु ये घर भग्न अवस्था में भी  बहुत खूबसूरत दिख रहे हैं।कहीं पर घर के नीचे बछिया बंधी हुई है।बगोरी गांव मात्र जाति-विशेष के अद्भुत परिवेश और संस्कृति को झांकने का प्रवेश द्वार ही नहीं,जलंधरी और भागीरथी के मध्य शहर की तड़ाक-फड़ाक से अछूता, साधनहीन परिस्थितियों में भी गमकता हुआ जाड़ जीवन का लोकगीत है।यहां के बाशिंदे हष्ट-पुष्ट और प्रसन्न दिखाई दे रहे हैं।कहते हैं यहां मशरूम बहुत होता है। यहां महिलाओं ने गले में तिमड़ियां पहना हुआ है सिर पर काथुरिया और कोलक (लंबा फ्राकनुमा वस्र) पहनती हैं।मौसम का मिजाज कुछ ताम्र,पीत वर्ण मिश्रित हो गया है।हवाओं में मीठी सिहरन और जड़ी-बूटियों की सुगंधि का तीखापन है। संभवतः  बगोरी गांव की गलियों में सजी हुई जड़ी-बूटीयों से नि:सृत सुगंध हवाओं के स्वभाव में रच-बस गई है।हमने शाल पहन लिया है।बगोरी गांव में एक बौद्ध मठ भी है उसके बाहर गोल-गोल पत्थरों पर संभवतः बौद्ध मंत्र लिखें हुए हैं या  यह चित्रकारी भी हो सकती है।खैर! जो भी है नयनाभिराम है। बगोरी गांव की हर हर स्त्री अधरों पर मधुर स्मित धारण किये हुए पर्यटकों का स्वागत करती है। युवतियों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं तक सभी के चेहरों पर विशेष भौगौलिक वातावरण प्रदत्त दिव्य आभा का आवरण है। जब भी ये महिलायें हंसती हैं इनकी दोनों आंखें सिकुड़ कर  एक आकर्षक तिलिस्म बिखेरती हैं। राधा की मां के फोन-पर फोन आ रहे हैं वह चाय पर हमारा इंतज़ार कर रही हैं।हम रास्ते भर राधा का घर ढूंढते हुए जा रहे हैं। बगोरी में रिहायश सीमित है अंतः राधा का घर हमें आसानी से मिल गया है।राधा लकड़ी का गुटमुटा व ठोस नक्काशीदार दो मंजिला मकान है।राधा की मां सीढ़ियों पर खड़ी हुई हमसे मिलने को आतुर दिख रही है। मेरी सहेली ने अपना परिचय दिया किंतु राधा की मां उसे नाम से पहले ही  पहचानती है। जिज्ञासा वश मैंने बातों-बातों में उनके रीति-रिवाज और संस्कृति से संबंध  जानकारी हासिल कर ली है।

राधा की मां चूंकि बुजुर्ग है इसलिए राधा की मौसी की बेटी सरोज पड़ोस से चाय बनाने आयी है।सरोज ने बताया कि उसका भी यहां अपना होम स्टे है।राधा के घर के बरामदे में पैर से चलाने वाली  सूत कातने की मशीन रखी हुई है जिसे लूम भी कहा जा सकता है।बाहर बरामदे में ही एक बेंच है जिस पर हम राधा  की मां के साथ बैठ गये हैं।हमसे बातें करते-करते राधा की मां हथकरघे पर भेड़ की ऊन कात रही है।यात्रा सीजन जो है ऐसा प्रतीत होता है कि वह अपना समय समय बिल्कुल बर्बाद नहीं करना चाहती है।  ऊनी कपड़े बनाने में बहुत सी ऊन की आवश्यकता जो होगी उन्हें, वह मेरी सहेली को कभी नहीं मिली लेकिन उसके बारे में बख़ूबी जानती है।राधा की माता जी से हमने बहुत बातें की। उन्होंने हमें बताया कि यह समय सेब बगोरी में सेब के फलने-फूलने का वक्त है इसलिए अपने बगीचों की देखभाल के लिए हम अभी बगोरी में ही रहेंगे।बातों-बातों में उन्होंने बताया की यहां बहुत बर्फ पड़ती है, इतनी बर्फ कि जैसे ही हम खाने की थाली बाहर रखते हैं उस पर बर्फ जम जाती है।उन्होंने बताया कि सर्दियों में हमारे लिए सरकार ने डुण्डा में घर बनाकर दिये हैं इसलिए सर्दियों के छः महीने वे डुण्डा (उत्तरकाशी )रहने चले जाते हैं।

सरोज हमारे लिए चाय बनाकर ले आयी है साथ में बिस्कुट भी जैसा बगोरी गांव की चाय के बारे में सुना था,चाय में जड़ी-बूटियों की विशेष महक है। जाड़ जनजाति के लोगों को जड़ी-बूटियों की खास पहचान होती है यह चाय की सुगंधि ने प्रमाणित कर दिया है।सरोज ने हमें दूसरे दिन अपने घर आने का निमंत्रण दिया है। इस वादे के साथ की वह हमें लूण चाय यानि कि नमकीन चाय पिलायेगी। सरोज ने हमें यह भी बताया है कि कल बारह बजे हमारी जाड़ समुदाय की पूजा है वहां पांडु नृत्य होगा तुम लोग भी आना।सरोज  धाराप्रवाह हिंदी बोलती है क्योंकि वह अधिकतर उत्तरकाशी में ही रहती है किंतु  आजकल यात्रा सीजन में यहां बगोरी गांव में अपना होम स्टे चलाने आयी है।राधा की मां हमसे टूटी-फूटी हिंदी में निरंतर बात कर रही है।उन्होंने हमें चरखे पर कपड़ा बुनना भी सिखाया है। अभी-अभी राधा के पिताजी भी कहीं बाहर से आये हैं। राधा के घर में मेरी सहेली का नाम  इतना उच्चरित कि उसके घर वाले मेरी सहेली को ना जानते हुए भी बहुत अच्छी तरह से जानते हैं।

हमने राधा के माता-पिता से जाने की अनुमति मांग ली है।उन्होंने कहा, कि आओ हम आपको अपना खेत -बगीचा दिखाते हैं।

घर के पीछे सीढ़ियों से उतरकर हम उनके बगीचे में जा रहे हैं।घर के पीछे  नहर की प्रबल लीक बगीचे के बीचों-बीच बह रही है।नहर के दोनों तरफ दूर तक फैला हुआ सेब के बगीचे का कारवां है बीच-बीच में राजमा  और आलू की नन्हीं- नन्हीं पौधें बीच में उमग-गमक रही हैं।अकस्मात मेरी दृष्टि सेब के पेड़ों पर लटकर रही कोल्डड्रिंक की भरी बोतलों पर पड़ी..जिज्ञासा शमन हेतु पूछने से स्वयं को संवरण नहीं कर सकी,राधा की मां ने बताया कि पेड़ से लटकी हुई इन बोतलों में गोमूत्र भरा हुआ है।सेब की पत्तियों में बहुत जल्दी कीड़ा लग जाता है इसलिए सेब के पेड़ों पर गोमूत्र का छिड़काव किया जाता है। फसलों पर लगे कीड़ों को मारने का यह सस्ता और टिकाऊ उपचार मुझे बहुत भाया।अब राधा की मां से हमने विदा ले ली है।एक अजीब सा अपनापन लिए हुए थी राधा की माता जी से यह मुलाकात। सीढी पर खड़े होकर वह देर तक हमारे लिए हाथ हिलाती रहीं।हम उनकी गर्मजोशी से भरी आत्मीयता ह‌दय में संजोकर आगे बढ़ गये।हवाओं का वेग और तीव्र हो गया है।हम वापस अपने गंतव्य की ओर हैं अभी भी बगोरी गांव की औरतें बुनाई डालने में व्यस्त हैं।बच्चे अंधकार बढ़ने की भयावहता से विरत ऊपर से नीचे की ओर दौड़-भाग  रहे हैं।मैंने देखा कि सूरज की प्रचंड लालिमा जैसे ही हिम- आच्छादित हरसिल हौर्न पर पड़ी,हरसिल हार्न स्वर्णिम होकर ऐसा महसूस हो रहा है मानो श्रंग के सींगों  ने सुनहरा कवच धारण कर लिया हो।।हरसिल हार्न यहां एक दो सींग की आकृति जैसा दिखने वाला पहाड़ है कहते हैं  किसी विदेशी पर्यटक ने दो सींग जैसी आकृति वाले पहाड़ को यह नाम दिया था।थोड़ा आगे बढ़ने पर सहसा सर्द हवाओं की पीठ पर एक मधुरिम संगीत मेरे कर्णों को सरोबार कर गया। जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी एक मंत्र-मुग्ध  ध्वनि ओम तारे तू तारे तुरे सोहा.. और प्रगाढ हुए जा रही थी मैंने यह ध्वनि कभी नहीं सुनी संभवतः यह कोई तिब्बती मंत्र है..कदम खुद बखुद बौध मठ, गोपा की ओर प्रवृत्त हो गये।बौद्ध मठ बहुत सुंदर सुसज्जित है।ना जाने किस मोह पाश से विमुक्त हम तीनों  ओम तारे तू तारे तूरे सोहा के हठीले सम्मोहन में कैद होकर रह गये।  मठ के ओसारे में रंग-बिरंगे गुलाब और भिंडी  के  फूल जैसे खिले हुए फूलों के बीच एक बेंच पर ना जाने कितनी देर तक हम जड़वत हुए आंखें बंद करके बैठे रहे।तभी बच्चों की सरगोशी ने हमारी ध्यान और चेतनाभूति  के चरम तक पहुंचने की असफल तंद्रा तोड़ी और हम वहीं  वापस पहुंच गये अपने द्वारा ही बुने गये अपने भौतिक मायाजाल में।


बगोरी गांव में जाड़ जनजाति की समृद्ध संस्कृति और प्रकृति प्रदत्त इनकी दुश्वारियों को समीप से देखने का अवसर मिला। किंतु यह तो तय है कि बिखरी हुई जटिलताओं के मध्य व्यक्ति व समाज के रूप में हमारे समक्ष स्वयं का अस्तित्व बनाये रखने हेतु एक अदृश्य विकल्प हमेशा मौजूद होता है।जिसे बगोरी गांव के निवासियों ने बखूबी ढूंढा है और उस विकल्प को प्रसन्नतापूर्वक जी रहे हैं। परिणाम स्वरूप 23 दिसंबर 2017 को बगोरी ग्राम को भारत सरकार द्वारा प्रथम गंगा ग्राम  एवं स्वच्छ भारत पुरूस्कार से सम्मानित किया गया है।


- सुनीता भट्ट पैन्यूली

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1480,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,40,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,53,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,77,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,141,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,50,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,88,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,438,हिंदी लेख,537,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,187,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,430,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,77,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,24,kavyagat-visheshta,26,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,59,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: बगोरी गांव में जाड़ जनजाति की समृद्ध संस्कृति
बगोरी गांव में जाड़ जनजाति की समृद्ध संस्कृति
बगोरी गांव में जाड़ जनजाति की समृद्ध संस्कृति और प्रकृति प्रदत्त इनकी दुश्वारियों को समीप से देखने का अवसर मिला। किंतु यह तो तय है कि बिखरी हुई जटिलता
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEivdep1P8jl8LsPeEXdug1ev0SWXod-CNRN9ke1C_1HbsXQtvrh7gEX3wqBbKHnNCUS0hzhF9A2siJeJO9kMqMcIPoH2EM3tmkgN6owd5TGvMeFAHwABVZAlCYsnTFJtk9tAYjAVn-WowyvYn1QwX3Casceo_oeJe56pSysWtUXz232lZR6qVmNrR1Eh6yx/w320-h259/bori.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEivdep1P8jl8LsPeEXdug1ev0SWXod-CNRN9ke1C_1HbsXQtvrh7gEX3wqBbKHnNCUS0hzhF9A2siJeJO9kMqMcIPoH2EM3tmkgN6owd5TGvMeFAHwABVZAlCYsnTFJtk9tAYjAVn-WowyvYn1QwX3Casceo_oeJe56pSysWtUXz232lZR6qVmNrR1Eh6yx/s72-w320-c-h259/bori.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2024/06/bagori-gaon-ki-samridh-sanskriti.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2024/06/bagori-gaon-ki-samridh-sanskriti.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका