जनसंचार माध्यमों में अनुवाद की भूमिका जनसंचार माध्यमों का अनुवाद एक भाषा के संचार माध्यमों के विषय को दूसरी भाषा में अनूदित करने के कार्य को संचार माध
जनसंचार माध्यमों का अनुवाद
एक भाषा के संचार-माध्यमों के विषय को दूसरी भाषा में अनूदित करने के कार्य को संचार माध्यम का अनुवाद कहा जाता है। आधुनिक युग संचार माध्यमों के अभूतपूर्व विकास का युग है। विश्व के एक कोने में बैठा मनुष्य दूसरे कोने में घटने वाली घटना की जानकारी संचार माध्यमों के द्वारा प्राप्त करता है। ज्ञान-विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले विकास की जानकारी देने में सर्वाधिक सक्षम साधन संचार माध्यम ही हैं।
विश्व-मानव-परिवार बहु-भाषा-भाषी परिवार है। हर देश की अपनी एक प्रमुख भाषा तो होती ही है, उसमें अन्य अनेक भाषाएँ भी बोली जाती हैं। उदाहरण के लिए अपने देश को ही ले सकते हैं। भारत अनेक भाषा-भाषियों का देश है। सम्पूर्ण विश्व में निरन्तर विकास की प्रक्रिया चलती रहती है। मानव-जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जो इस विकास की गति से अछूता हो । विज्ञान, तकनीक, साहित्य, कला, अर्थशास्त्र, राजनीति, व्यापार, क्रीड़ा आदि विभिन्न क्षेत्रों में होने वाली गतिविधियों की सटीक और सत्वर जानकारी, सम्पूर्ण विश्व में, संचार माध्यमों द्वारा ही प्राप्त होती है। परन्तु भाषा-वैविध्य के कारण इन जानकारियों की सहज उपलब्धता, विश्व-परिवार के सभी लोगों के लिए, अत्यन्त कठिन हो जाती है। इस जानकारी को सभी के लिए सुलभ बनाने का सर्वाधिक समर्थ साधन अनुवाद ही है। जनसंचार माध्यमों के इस अनुवाद के अन्तर्गत रूप से दैनिक समाचार, सभी प्रकार की पत्र-पत्रिकाएँ, आकाशवाणी, दूरदर्शन आदि क्षेत्रों की मुख्य सामग्री का अनुवाद आता है।
जनसंचार माध्यमों के अनुवाद और अन्य अनुवाद में अन्तर होता है। इसमें समय की अल्पता होती है। इस प्रकार के अनुवाद में गति का विशेष महत्त्व होता है। जन-संचार माध्यमों, जैसे- आकाशवाणी, दूरदर्शन, समाचार-पत्र, पत्र-पत्रिकाएँ आदि से करोड़ों मनुष्य जुड़े रहते हैं। देश-विदेश के विविध क्षेत्रों से सम्बद्ध महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ संचार माध्यमों के अनुवाद द्वारा ही उस विशाल जनसमूह तक पहुँचती हैं, जो इनसे जुड़ा होता है। नूतन आविष्कार, नवीन उपलब्धियाँ, नवीन तकनीक, नये रुझान, नवीन चिन्तन आदि संचार माध्यमों के द्वारा ही विश्व के कोने-कोने में सम्प्रेषित होते हैं। अतः इनसे सम्बन्धित सामग्री के अनुवाद में विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है। जरा-सी भी त्रुटि अर्थ का अनर्थ कर देती है और कभी-कभी बड़ी विकट स्थिति उत्पन्न कर देती है। इसका मुख्य कारण यह है कि जनसंचार माध्यमों से जनता का रागात्मक सम्बन्ध अपेक्षाकृत अधिक होता है, वे उसके नित्य-प्रति के जीवन के अभिन्न अंग बन गयें हैं। अतः जनसंचार-माध्यमों के अनुवाद में विशेष सावधानी, कुशलता और योग्यता की आवश्यकता होती है।
जनसंचार माध्यमों के अनुवाद में शब्दानुवाद के साथ ही भावानुवाद और सारानुवाद भी आवश्यकतानुसार किया जा सकता है। वस्तुतः यह एक प्रकार का मिथ्यानुवाद होता है। समाचार-पत्रों में समाचारों का अनुवाद करते समय उसके सारानुवाद पर विशेष ध्यान देते हैं। इसके लिए संक्षिप्तीकरण का सहारा लिया जाता है। परन्तु ऐसा करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि समाचार की भूल भावना सुरक्षित रहे। अनुवाद के समय भाषा की प्रकृति पर भी ध्यान देना आवश्यक होता है। क्योंकि एक भाषा की प्रकृति और दूसरी भाषा की प्रकृति के साथ-साथ उसके संरचनात्मक स्वरूप में भी पर्याप्त अन्तर होता है। अतः अनुवाद करते समय इस पर ध्यान देना आवश्यक है। उदाहरण के लिए अँगरेजी से हिन्दी अनुवाद को ले सकते हैं। अँगरेजी की वाक्य-संरचना और हिन्दी की वाक्य-संरचना में अन्तर है। अँगरेजी में पहले कर्त्ता, फिर क्रिया और उसके बाद कर्म आता है। जबकि हिन्दी में पहले कर्त्ता, फिर कर्म और उसके बाद क्रिया आती है। इसी प्रकार अँगरेजी के मुहावरों और लोकोक्तियों का शब्दानुवाद हिन्दी में नहीं हो सकता, क्योंकि दोनों की प्रकृति अलग-अलग है। उदाहरण के लिए अँगरेज़ी की कहावत है-" One bird in hand is better than two in the bush." का हिन्दी में शब्दानुवाद नहीं हो सकता। हिन्दी में इसके अर्थ को ध्वनित करने वाला मुहावरा है- “आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिले न पूरी पावे।"
अँगरेज़ी के बहुत-से शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होने लगे हैं। इनका सम्बन्ध जीवन के विविध क्षेत्रों : जैसे- विज्ञान, वाणिज्य, कला, खेल आदि से है। सम्बन्धित विभिन्न शब्द तद्भव रूप में हिन्दी भाषा में घुल- -मिल गये हैं। अतः इनके अनुवाद का प्रयत्न नहीं करना चाहिए। जैसे- इंजेक्शन, टेस्ट-ट्यूब, लेंस, आउट, ओवर, ऑफ़-साइट, लाइट वेट, शेयर मार्केट, शेयर आदि । जनसंचार माध्यमों के अनुवाद में कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्यों को ध्यान में रखने से अनुवाद कार्य में त्रुटि की सम्भावना कम-से-कम हो जाती है। ये तथ्य इस प्रकार हैं-
- स्रोत-भाषा में निहित सम्पूर्ण अर्थ लक्ष्य भाषा में उसी रूप में सम्प्रेषित होना चाहिए।
- अनुवाद में स्पष्टता का होना बहुत आवश्यक है, क्योंकि तभी स्रोत भाषा में निहित अर्थ लक्ष्य भाषा-भाषियों की समझ में आ सकता है।
- भाषा में बोधगम्यता और सरलता का होना आवश्यक है।
- अनुवाद में सूचना-परकता पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है, क्योंकि जनसंचार- माध्यमों में 'सूचना' नामक तत्त्व का विशेष महत्त्व होता है।
- अनुवादक के लिए आवश्यक है कि उसका सामान्य ज्ञान श्रेष्ठ हो तथा उसे ऐतिहासिक प्रसंगों की जानकारी भी हो।
- अनुवादक को वर्त्तनी-सम्बन्धी नियमों का भी भली प्रकार ज्ञान होना चाहिए।
संचार माध्यम अनुवाद की विशेषताएँ
यह अनुवाद ही है जिसमें एक भाषा के संचार माध्यमों की सामग्री को दूसरी में ढाला जा सकता है। वर्तमान युग के संचार माध्यमों ने मानव-विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान किया है। संचार माध्यमों के ज़रिये ही यह देश-विदेश और समग्र दुनिया की जानकारी हासिल करता है। किन्तु विविध देशों में विविध भाषाएँ होने के कारण संचार माध्यम की सामग्री का अनुवाद महत्त्वपूर्ण बना है। इस अनुवाद के अन्तर्गत मुख्यत: दैनिक समाचार, सभी प्रकार की पत्र-पत्रिकाएँ, दूरदर्शन तथा आकाशवाणी आदि क्षेत्रों की सामग्री के अनुवाद आते हैं। इन सम्पर्क-माध्यमों में. दुनिया के सारे ज्ञान-विज्ञान की सामग्री समाहित होती है। इनमें राजनीति, व्यापार, खेल, विज्ञान, साहित्य आदि की अर्थात् जीवन से सम्बन्धित सभी विषय-क्षेत्रों एवं गतिविधियों की सामग्री होती है, जिसका अनुवाद इसमें आवश्यक होता है। इस अनुवाद में अन्य अनुवादों की तुलना में समय की अधिक गुंजाइश नहीं होती है। गतिमानता आवश्यक होती है। समाचार-पत्र, दूरदर्शन, आकाशवाणी आदि के अनुवाद कम समय में करोड़ों पाठकों तक पहुँचाने पड़ते हैं। नयी खोज, उपलब्धि, समाचार, संदेश, आवाहन आदि को संचार माध्यमों के ज़रिये तत्काल लोगों तक पहुँचाना प्रासंगिक होता है। अतः इस प्रकार का अनुवाद अनुवादक को अल्पावधि में कर देना पड़ता है, लेकिन उसे इसका ख्याल रखना आवश्यक होता है कि इस कार्य में कोई ऐसी त्रुटि न हो, जिससे हंगामा खड़ा हो सके। प्रायः अन्य किसी भी सामग्री की तुलना में संचार माध्यमों से जनता अधिक लगाव रखती है। ये माध्यम जनता के रोज़ाना जीवन के अभिन्न अंग बने हैं संचार माध्यमों से प्रसारित सामग्री का अनुवाद भी करोड़ों लोगों तक संचार माध्यमों के ज़रिये पहुँचता है। अत: इस तरह के अनुवाद में निम्नांकित गुणों का होना आवश्यक है-
- संप्रेषणीय
- सुस्पष्ट
- बोधगम्य
- प्रभावोत्पादक
- सूचनापरक
इन गुणों से परिपूर्ण होने पर यह अनुवाद निश्चय ही सफल होता है। इसकी भाषा की प्रकृति तकनीकी होते हुए भी यह जनभाषा के अधिक निकट होती है। आजकल संचार माध्यम के अनुवाद-क्षेत्र में भी विशेषता, विशेषीकरण (Specialization) प्रवेश कर रहा है, जैसे- फ़िल्म, समाचार, खेलकूद, व्यापार, राजनीति, अन्तरराष्ट्रीय गतिविधियाँ, शिक्षा, विज्ञान, स्वास्थ्य 'आदि। इसका लाभ यह होता है कि हर विषय का ज्ञाता अपने विषय और उसके अनुवाद में सजगता और सतर्कता बरतता है, जिससे अनुवाद सहज बोधगम्य बनता है। इस अनुवाद की भाषा में ऊपर निर्देशित गुणों के समाहित होने से यह अत्यधिक सफल बन सकता है।
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