वाणिज्यिक अनुवाद का अर्थ महत्व क्षेत्र समस्याएँ और समाधान वाणिज्यिक अनुवाद विभिन्न भाषाओं में व्यावसायिक दस्तावेजों और सामग्री के अनुवाद को संदर्भित
वाणिज्यिक अनुवाद का अर्थ महत्व क्षेत्र समस्याएँ और समाधान
वाणिज्यिक अनुवाद विभिन्न भाषाओं में व्यावसायिक दस्तावेजों और सामग्री के अनुवाद को संदर्भित करता है। इसमें विज्ञापन, मार्केटिंग सामग्री, वेबसाइटें, कानूनी दस्तावेज, तकनीकी दस्तावेज, और वित्तीय रिपोर्टें शामिल हो सकती हैं।
एक भाषा की वाणिज्य-विषयक सामग्री का दूसरी भाषा में अनुवाद ही वाणिज्य-अनुवाद है। वाणिज्य-अनुवाद के अन्तर्गत मुख्यतः व्यापार, उद्योगधन्धे, बैंक, विज्ञापन, फ़िल्म, पर्यटन तथा व्यवसाय आदि क्षेत्र से सम्बन्धित सामग्री का अनुवाद आता है। वर्तमान काल में इस प्रकार के अनुवाद की आवश्यकता उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है, क्योंकि राष्ट्र के सभी प्रदेशों में वाणिज्य विषयक व्यवहार का क्षेत्र फैला होने के कारण, यहाँ तक कि उसे अन्तरराष्ट्रीय स्वरूप प्राप्त होने के कारण इस अनुवाद को काफ़ी महत्त्व प्राप्त हुआ है। व्यापारियों तथा उद्योगकर्त्ताओं को व्यापार तथा उद्योग हेतु व्यापक क्षेत्र प्रदान करने का अनुवाद एक महत्त्वपूर्ण साधन बन गया है। अतः इस प्रकार के अनुवाद की भूमिका व्यापार-क्षेत्र में अहम बनी है। व्यापार-क्षेत्र में विज्ञापन का विशेष महत्त्व होता है। फलत: वाणिज्य-अनुवाद का प्रमुख रूप विज्ञापन- कला में दृष्टिगोचर होता है, क्योंकि वर्तमान युग स्पर्धा का युग है और यह स्पर्धा वाणिज्य-क्षेत्र में तो सर्वाधिक होती है। इसमें प्रभावी विज्ञापन की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। विज्ञापन में समाज मनोविज्ञान, सौन्दर्यशास्त्र, प्रभावान्विति एवं ग्राहकाकर्षण-क्षमता का पूरा निर्वहन होता है। अतः विज्ञापनानुवाद में भी इसका पूरा-पूरा ध्यान रखना पड़ता है। इसमें भी लक्ष्य भाषा-भाषियों के मनोविज्ञान, सौन्दर्य- संकल्पनाओं एवं स्थान-काल आदि का ध्यान रखता पड़ता है। यह अनुवाद दूरदर्शन, आकाशवाणी, समाचार-पत्र आदि के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। अतः इसमें आवश्यकतानुसार दृश्यात्मकता एवं ध्वन्यात्मकता का अनुसरण आवश्यक होता है, जिससे अनुवादक की कलाधर्मिता का परिचय मिलता है।
वाणिज्यिक अनुवाद का क्षेत्र और स्वरूप
वाणिज्य अनुवाद में विज्ञापन के अतिरिक्त फ़िल्म- डबिंग, व्यावसायिक पत्र, निविदाएँ, सूचनाएँ, नियमावली, निर्देश, उद्घोष और तत्सम्बन्धी सभी प्रकार की सामग्री आती है। इस सामग्री का सम्बन्ध प्रशासन एवं कानून से भी होता है, फलतः उसके अनुवाद में पारिभाषिक शब्दों का प्रयोग भी होता है। किन्तु इसमें मुख्यतः जनभाषा का प्रयोग ही अपेक्षित है। बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो जाने के पश्चात् उस क्षेत्र में भी इस प्रकार के अनुवाद का प्रयोग बढ़ता गया। संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को, विश्वबैंक, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों जैसी अनेक अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं, राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सवों तथा ओलम्पिक जैसे खेलों आदि के कारण वाणिज्यानुवाद की माँग और आवश्यकता बढ़ती जा रही है। इस प्रकार का अनुवाद भी मूलत: तकनीकी प्रकृति का होता है और इसका विषय-क्षेत्र भी अत्यन्त व्यापक होता है। इसके हर क्षेत्र के अनुवाद की संभावनाएँ भी अनेक हैं। इसलिए इसमें विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसका विशिष्ट तंत्र, प्रशिक्षण एवं अभ्यास ही अनुवाद को सफल बनाने के आधारभूत तत्त्व हैं। एक कुशल वाणिज्यानवाद के लिए इन तत्त्वों का अंगीकार अनिवार्य होता है।
आधुनिक युग विशेषतः भौतिकतावादी युग है। भौतिक उन्नति मानव-जीवन की प्राथमिकता बन गयी है । विश्वसमुदाय में वही राष्ट्र सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, जो आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक समृद्ध है, सम्पन्न है। इस समृद्धि में वाणिज्य का व्यवहार-क्षेत्र विस्तृत होता जा रहा है। वाणिज्य का यह क्षेत्र किसी प्रदेश या राष्ट्र तक ही सीमित नहीं है, अपितु इसका विस्तार अन्तरराष्ट्रीय स्तर तक हो गया है। एक देश के विभिन्न प्रदेश वाणिज्य-व्यवहार के द्वारा एक दूसरे के सम्पर्क में आते हैं। आर्थिक आदान-प्रदान, व्यापारिक गतिविधियाँ उन्हें एक-दूसरे के सम्पर्क में लाती हैं। इतना ही नहीं, विश्व के विभिन्न राष्ट्र वाणिज्य के द्वारा एक दूसरे से सम्पर्क स्थापित करते हैं। पर हर देश की अपनी विशिष्ट भाषा होती है। अतः एक देश का दूसरे देश के साथ घनिष्ठ वाणिज्यिक सम्बन्ध तभी स्थापित हो सकता है, जब दोनों एक-दूसरे की वाणिज्य-विषयक सामग्री से परिचित हों। इसके लिए अनुवाद ही एक सशक्त-सार्थक माध्यम के रूप में सामने आता है। इतना ही नहीं, एक ही देश के विभिन्न प्रदेशों के मध्य भी वाणिज्यिक सम्बन्ध के लिए भी 'अनुवाद' महती भूमिका अदा करता है। प्रत्येक उद्योगपति-व्यापारी को अपने व्यापार हेतु एक विस्तृत क्षेत्र की आवश्यकता होती है। उन्हें यह क्षेत्र अनुवाद उपलब्ध कराता है।
वाणिज्य अनुवाद का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। इसके अन्तर्गत बैंक, व्यापार, विभिन्न उद्योग, फ़िल्म, पर्यटन, विज्ञापन आदि आते हैं। इन सभी को अपने कार्य-क्षेत्र के विस्तार के लिए अनुवाद' की आवश्यकता होती है। कोई भी बैंक अपनी विशिष्ट सूचनाओं को देश के विभिन्न बैंकों में प्रसारित करने के लिए उस क्षेत्र की भाषा में उसका अनुवाद प्रस्तुत करेगा, जिसमें वह बैंक स्थित है।
वाणिज्यिक अनुवाद का महत्व
इस प्रकार, यह स्पष्ट होता है कि वाणिज्यिक अनुवाद का विशेष महत्त्व है। इसमें विज्ञापन का विशिष्ट स्थान है। आधुनिक युग स्पर्धा का युग है। यह स्पर्धा वाणिज्य के क्षेत्र में और भी तीव्र हो जाती है। विज्ञापन भी एक कला है। इसमें केवल भाषा-शैली का वैशिष्ट्य ही आवश्यक नहीं है, अपितु समाज-मनोविज्ञान, ग्राहकों को आकर्षित करने का सामर्थ्य, अचूक प्रभाव-क्षमता, सौन्दर्य-बोध आदि से भी इसे युक्त होना चाहिए। एक प्रभावपूर्ण विज्ञापन एक साधारण वस्तु को भी बाज़ार में लोकप्रिय बना देता है। अतः विज्ञापनानुवाद करते समय उसकी इन विशेषताओं को ध्यान में रखना बहुत आवश्यक है। विज्ञापन का स्रोत भाषा से लक्ष्यभाषा में अनुवाद करते समय लक्ष्य भाषा के समाज-मनोविज्ञान, सौन्दर्य-बोध, परिवेश, आदि पर ध्यान देना आवश्यक होता है। विज्ञापन के प्रयोग-विस्तार में समाचारपत्र, आकाशवाणी, दूरदर्शन की प्रमुख भूमिका होती है। ये संचार माध्यम विज्ञापनानुवाद में भी महत्त्वपूर्ण योगदान करते हैं।
वाणिज्य- अनुवाद में विज्ञापन के अतिरिक्त व्यावसायिक पत्र, निविदाएँ, नियमावली, सूचनाएँ, निर्देश, फ़िल्म- डबिंग आदि की भी प्रमुख भूमिका होती है। इन सभी से सम्बन्धित सामग्री के अनुवाद में पारिभाषिक शब्दावली का विशेष योगदान रहता है। पर इसके साथ ही जनभाषा का भी अपना महत्त्व होता है। वाणिज्यिक गतिविधियों का जनसामान्य से सीधा, सहज तथा घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। अतः प्रशासनिक शब्दावली के साथ जनसामान्य की भाषा का सहारा लेना आवश्यक होता है। अनुवाद की यही प्रक्रिया 'बैंक-सेवा' में भी लागू होती है। राष्ट्रीयकरण के / बाद 'बैंक' की गतिविधियों का विस्तार हुआ है। अतः बैंक से सम्बन्धित अनुवाद में भी प्रशासनिक शब्दावली के साथ जनभाषा के शब्दों का भी प्रयोग अपेक्षित है।
वाणिज्यिक अनुवाद की समस्याएँ और समाधान
आधुनिक युग वैश्वीकरण का युग है। उदारीकरण के इस दौर ने समूचे 'विश्व' को एक 'बाज़ार' के रूप में प्रस्तुत कर दिया है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का क्षेत्र-विस्तार तीव्र गति से हो रहा है। इस अभूतपूर्व वाणिज्यिक विस्तार ने देश-काल की सीमाएँ तोड़ दी हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ की अनेक शाखाओं, जैसे यूनेस्को, विश्व बैंक आदि की सेवाओं का विस्तार हो रहा है। फलस्वरूप इन क्षेत्रों में भी वाणिज्य-अनुवाद की माँग ज़ोर पकड़ रही है। क्योंकि इस अनुवाद द्वारा ही विभिन्न भाषा-भाषी क्षेत्रों में इन अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं आदि की गतिविधियों का विस्तार हो सकता है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव, क्रीड़ा प्रतियोगिताओं, कला-संस्कृति सम्बन्धी आयोजनों आदि की विशिष्ट तथा उपयोगी सूचनाओं, गतिविधियों के, विभिन्न देशों में, क्षेत्रों में, प्रचार-प्रसार के लिए 'अनुवाद' एक सशक्त, सार्थक तथा प्रामाणिक माध्यम है।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि वाणिज्य-अनुवाद का क्षेत्र काफ़ी विस्तृत है। इसके कारण उसके अनुवाद में भी कई व्यावहारिक कठिनाइयाँ आती हैं। उनका निराकरण किये विना सटीक, सार्थक तथा प्रामाणिक वाणिज्य-अनुवाद सम्भव नहीं है। वे प्रमुख कठिनाइयाँ निम्नलिखित हैं -
सटीक समानार्थी शब्द का चयन
वाणिज्य-अनुवाद करते समय सटीक समानार्थी शब्द का चयन एक कठिन कार्य है। समानार्थी शब्द वस्तुतः अर्थ की दृष्टि से 'एक-समान' नहीं होते हैं। उनमें सूक्ष्म अर्थ-विभिन्नता होती है। अतः कभी-कभी स्रोत भाषा (मूल भाषा) के किसी शब्द के लिए, लक्ष्य भाषा (जिस में अनुवाद किया जा रहा है) में एकदम वही अर्थ ध्वनित करने वाला शब्द-चयन एक कठिन कार्य हो जाता है। उदाहरण के लिए, हिन्दी तथा अँगरेज़ी भाषा के कुछ शब्दों के पारस्परिक अनुवाद को लेकर इस कठिनाई को समझा जा सकता है! अँगरेज़ी भाषा के Data, Economy, Form, Out-standing शब्दों के हिन्दी भाषा में समानार्थी शब्दों का चयन करते समय उनके कई रूप मिलते हैं-
Data- सामग्री, आँकड़े, सांचयिकी
Form- प्रपत्र, रूप, फार्म
Economy- अर्थव्यवस्था, मितव्ययिता, किफ़ायत
Out-standing- बाकी/अप्राप्त / उत्कृष्ट
अँगरेज़ी के उपर्युक्त शब्दों के हिन्दी में कई समानार्थी शब्द हैं। अतः उपयुक्त शब्द का चयन कठिन कार्य बन जाता है। इसी प्रकार, हिन्दी से अँगरेज़ी में अनुवाद करते समय भी यही कठिनाई सामने आती है; यथा-
निवेश- Investment, Concentration, Penetration
स्थानान्तर- Substitution, Transfer
हिन्दी 'निवेश ' या ' स्थानान्तरण' शब्दों का अँगरेज़ी में अनुवाद करते समय सटीक समानार्थी शब्द का चयन कष्ट साध्य कार्य हो जाता है।
सटीक समानार्थी शब्दों की अल्पता
पूर्व में स्पष्ट किया जा चुका है कि आधुनिक भौतिकतावादी युग में वाणिज्य-क्षेत्र का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। नयी अवधारणाएँ, नयी मान्यताएँ, नयी परिस्थितियाँ, सम्पर्क के नये क्षेत्र आदि ने मिलकर 'वाणिज्य' के स्वरूप में क्रान्तिकारी परिवर्तन ला दिया है। फलस्वरूप इसके विभिन्न क्षेत्रों में नये-नये शब्द व्यवहत होने लगे हैं। अतः अनुवाद करते समय स्रोत भाषा के किसी शब्द का लक्ष्य भाषा में सटीक समानार्थी शब्द का अभाव एक अहम समस्या उत्पन्न कर देता है। स्रोत भाषा के किसी शब्द का लक्ष्य भाषा में एक से अधिक समानार्थी शब्द मिलने से समस्या केवल उपयुक्त शब्द के चयन की होती है। पर जब स्रोत भाषा के किसी विशेष शब्द, वाणिज्यिक - प्रयुक्ति, अवधारणा, मुहावरा आदि का सटीक समानार्थी शब्द लक्ष्य भाषा में मिले ही नहीं तो समस्या विकट हो जाती है। उदाहरण के लिए 'बोफ़ोर्स' तोपों की खरीद में हुए घोटाले के आरोप, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अथक संघर्षरत मेधा पाटेकर से सम्बन्धित कुछ नवीन संकल्पनाएँ उभरी हैं और उनका प्रयोग भी हो रहा है। जैसे- 'इस योजना का तो 'बोफ़ोर्स' हो गया !' (अर्थात् यह योजना तो भ्रष्टाचार या घपले का शिकार हो गयी।)
इसी प्रकार, कभी-कभी किसी स्थान विशेष की कोई वस्तु सुप्रसिद्ध हो जाए, तो वह स्थान-सूचक शब्द स्थान का नहीं अपितु उस वस्तु-विशेष का सूचक हो जाता है। "मैं दार्जिलिंग ही पीता हूँ।" - वाक्य में दार्जिलिंग शब्द वहाँ उत्पन्न होने वाली प्रसिद्ध चाय को संकेतित कर रहा है। इसी प्रकार, 'मलीहाबादी के क्या कहने' वाक्य में 'मलीहाबाद' शब्द से मलीहाबाद के प्रख्यात 'आम' का अर्थ ध्वनित हो रहा है। 'कोल्हापुरी बहुत आरामदायक तथा लाजवाब है। वाक्य में 'कोल्हापुरी' शब्द कोल्हापुर में बनने वाली विश्वप्रसिद्ध जूतियों की ओर संकेत कर रहा है। जब इन नवीन संकल्पनाओं, मुहावरों का दूसरी भाषा में अनुवाद करना होता है, तब सटीक समानार्थी शब्द का अभाव एक विकट समस्या खड़ी कर देता है।
संक्षिप्त रूप
किसी लम्बे शब्द को 'संक्षिप्त' करके प्रयोग करने का चलन काफ़ी बढ़ गया है। सम्भवतः इसके मूल में भाषाविज्ञान का 'प्रयत्न- लाघव' नियम काम कर रहा है। यह 'प्रयत्न- लाघव' न केवल भाषा के मौखिक रूप अपितु 'लिखित रूप' में भी शब्दों के 'संक्षिप्त रूप' में देखा जा सकता है। जैसे 'यूनाइटेड कामर्शियल बैंक' के लिए 'यूको' बैंक; कानपुर इलेक्ट्रिक सप्लाई कम्पनी के लिए 'केसा'; राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन के लिए 'राजग', 'जवाहर लाल नेहरू यूनीवर्सिटी' के लिए 'जे. एन. यू.' आदि। आधुनिक युग में ऐसे संक्षिप्त रूपों का प्रयोग बहुत बढ़ रहा है। वाणिज्य के क्षेत्र, जैसे उद्योग-धन्धे, बाजार-व्यवसाय, विज्ञापन आदि में तो इनका प्रयोग काफ़ी बढ़ गया है। पर इन संक्षिप्त रूपों के उपयुक्त पर्याय या इनके सटीक समानार्थी रूप बनाने के लिए अभी तक कोई योजनाबद्ध कार्य नहीं किया गया है। इस सन्दर्भ में भवानीदास पांड्या का यह कथन द्रष्टव्य है, "खेद का विषय है कि संक्षिप्तियों के पर्याय निश्चित करने की दिशा में अभी तक कोई व्यवस्थित प्रयास नहीं किये गये हैं। "
शब्दानुवाद अथवा भावानुवाद
वाणिज्य-क्षेत्र की व्यापकता तथा वैविध्य 'अनुवाद' के लिए एक चुनौती बनकर सामने आते हैं। यहाँ यह ध्यातव्य है कि वाणिज्य का आम जनता से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है, क्योंकि वही इसके विभिन्न उत्पादों की उपभोक्ता होती है। अतः वाणिज्य-अनुवाद के लिए जितनी आवश्यकता पारिभाषिक शब्दावली की होती है, उतनी ही महत्त्वपूर्ण जनभाषा होती है। इसलिए हर स्थान पर शब्दशः अनुवाद से काम नहीं चलता है, तब भावानुवाद' का सहारा लेना पड़ता है। कभी-कभी विशिष्ट अभिव्यक्तियों का शब्दानुवाद अर्थ का अनर्थ कर देता है। इस स्थिति को बचाने के लिए भावानुवाद का सहारा लेना आवश्यक हो जाता है। उदाहरण के लिए अँगरेजी के कुछ शब्द, हिन्दी अनुवाद के साथ द्रष्टव्य हैं-
1. People save money against retired life.
शब्दानुवाद : लोग सेवानिवृत जीवन के विरुद्ध धन की बचत करते हैं। भावानुवाद : लोग सेवानिवृत जीवन में काम आने के लिए धन की बचत करते हैं।
2. The income from pension is his only support.
शब्दानुवाद- पेंशन से आय उसका मात्र सहारा है।
भावानुवाद- पेंशन की आय उसके गुज़ारे का एकमात्र साधन है।
उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि कहीं-कहीं केवल शब्दानुवाद का सहारा लेने से स्रोत भाषा के वाक्यों में निहित मूलार्थ स्पष्ट नहीं हो पाता है। अतः उसके लिए भावानुवाद का ही सहारा लेना पड़ता है।
वाणिज्यिक अनुवाद व्यवसायों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने और नए बाजारों में प्रवेश करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। योग्य अनुवादकों और उचित प्रक्रियाओं का उपयोग करके, व्यवसाय यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके अनुवाद सटीक, सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील और प्रभावी हों।
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