विश्व पटल पर भारत का बढ़ता प्रभाव पर निबंध देश में बढ़ा मान दुनिया में सम्मान मुखर राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बढ़ाता भारत भारतवर्ष की गौरवगाथा संपू
विश्व पटल पर भारत का बढ़ता प्रभाव पर निबंध
आज के वैश्विक परिदृश्य में, भारत एक उभरती हुई शक्ति के रूप में तेजी से अपनी जगह बना रहा है। राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्रों में भारत की बढ़ती प्रभावशाली उपस्थिति को नकारा नहीं जा सकता। इस निबंध में, हम भारत के बढ़ते प्रभाव का विश्लेषण विभिन्न पहलुओं पर गौर करेंगे।
भारतवर्ष की गौरवगाथा
आदिकाल से ही भारतवर्ष की गौरवगाथा संपूर्ण संसार में प्रख्यात है। प्रत्येक क्षेत्र में भारत ने अपनी धाक जमाई है और विश्व में अपना सम्मानपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने अपनी कविता में विश्व राज्य की कल्पना की है। उनका यह विश्वास है कि विश्व में एक ही राज्य हो और सभी संसारवासी प्रेमपूर्वक अपने देश में रहें। यह उच्च कल्पना निश्चित रूप से प्रंशसनीय है। उन्होंने अपनी कविता में सर्वस्व संसार के लिए एक ही कल्पना की है-
"एक भूमि है एक व्योम है,
एक सूर्य है एक सोम है,
एक प्रकृति है, एक पुरुष है, अगणित रूपाकार ।
कहो तुम्हारी जन्मभूमि का कितना है विस्तार?
बौरे-ठौर का गुण अपना है,
ऋतुओं का कँपना तपना है,
समशीतोष्ण एक रस हमको, होना है अविकार।
कहा तुम्हारी जन्मभूमि का कितना है विस्तार? "
निःसंदेह कविता की ये पंक्तियाँ हमें 'विश्वबंधुत्व' की भावना की ओर प्रेरित करती हैं।
आज भारत अपनी अनेक विशेषताओं, सांस्कृतिक विश्वास, धार्मिक सद्भावना, सत्य, प्रेम, अहिंसा आदि के कारण विश्व व्यापक है। सभी देश भारत के गुणों से परिचित हैं। इन्हीं सब विशेषताओं से भारत का नाम विश्व में सम्मानपूर्वक लिया जाता है।
सत्य व अहिंसा का मार्ग
हमारे देश के अनेक महापुरुषों ने हमारे देश को एक सफल व विकासशील देश के रूप में सराहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने हमारे देश को सत्य व अहिंसा का मार्ग दिखाकर पूरे विश्व में एक नैतिक मापदंड स्थापित किया है। महात्मा गाँधी ने हिंसक प्रवृत्ति को कभी भी पनपने नहीं दिया, अपितु हिंसा करने वाले को अहिंसा का पथ दिखाया। यही नहीं सत्य की राह दिखाने वाले बापू को विश्व में कौन नहीं जानता। उनके कार्यों का बिगुल तो संपूर्ण विश्व में विख्यात है। उन्होंने कहा भी है- 'अहिंसा परमो धर्मः'
मानव जीवन में अहिंसा ही परम धर्म होना चाहिए उनका यह संदेश विश्वव्यापी है। हमारे देश में 'अतिथि देवो भव' की परंपरा है अर्थात् भारतवर्ष में अतिथि को देवता के समान माना जाता है। किसी के भी घर कोई अतिथि आता है तो उसको देवता के समान सम्मान दिया जाता है। इसलिए भारत की यह विशेषता विश्वव्यापी है। विश्व के सभी देश भारत की इस विशेषता से भी परिचित हैं। भारत में कई सांस्कृतिक व नैतिक मूल्य हैं, जिनसे भारत की जड़ें अत्यंत मजबूत हैं। विविधता में एकता के सूत्र में ये जुड़ा हुआ भारत विश्वविख्यात है। घर में छोटों को मान और बड़ों को सम्मान, नारी-पूजा, जियो और जीने दो आदि विश्वास ने भारत को विश्व में और भी अधिक सशक्त बना दिया है। भारत की नारी-पूजा तो विश्व के प्रत्येक देश में प्रसिद्ध है, तभी तो कहा जाता है- "यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते, रमन्ते तत्र देवता" अर्थात् जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में भी भारत विश्व में किसी से पीछे नहीं है।स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में तो भारत विश्व में सर्वोच्च माना जाता है। भारत ने विश्व में पंचशील सिद्धांत, अहिंसा, विश्व-बंधुत्व, विश्व-शांति का प्रचार व प्रसार किया है। भारत ने ही संपूर्ण विश्व को कुटुंब अर्थात् परिवार के समान माना है। भारत का यह विचार 'वसुधैव कुटुम्बकम्' विश्व ने भी स्वीकार है।
सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव
इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणी सुखी हों, सभी निरोगी हों, सभी ज्ञानी हों तथा सभी भाईचारे की भावना से युक्त हों किसी को कोई दुख व कष्ट न हो। यही भारत की सोच है और यही उसका उद्देश्य है इसीलिए कहा भी कहा गया है -
"सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वो भद्राणि पश्चन्तु मा कश्चित् दुःखभाग्भवेत्॥"
भारत का बढ़ता प्रभाव बहुआयामी है और यह विभिन्न क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। राजनीतिक रूप से, भारत एक सक्रिय और जिम्मेदार वैश्विक नागरिक के रूप में उभर रहा है। आर्थिक रूप से, यह एक प्रमुख आर्थिक शक्ति बन रहा है। सांस्कृतिक रूप से, यह अपनी समृद्ध विरासत के माध्यम से दुनिया को प्रभावित कर रहा है। निश्चित रूप से, भारत के सामने कुछ चुनौतियाँ भी हैं, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह आने वाले वर्षों में वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत का प्रभाव अभी भी विकसित हो रहा है और इसकी पूरी क्षमता का अभी पूरी तरह से एहसास नहीं हुआ है।आने वाले वर्षों में भारत कैसे अपनी भूमिका निभाता है यह देखना दिलचस्प होगा।
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