बाल राम कथा में राम का राज्याभिषेक पाठ बाल राम कथा का अंतिम अध्याय है।इसमें, राम का लंका विजय के बाद अयोध्या लौटना, भरत से मिलना, और उनका राज्याभिषेक
राम का राज्याभिषेक | Ram Ka Rajyabhishek | Bal Ram Katha
बाल राम कथा में राम का राज्याभिषेक पाठ बाल राम कथा का अंतिम अध्याय है।इसमें, राम का लंका विजय के बाद अयोध्या लौटना, भरत से मिलना, और उनका राज्याभिषेक होना वर्णित है।लंका विजय के बाद, राम, सीता और लक्ष्मण पुष्पक विमान में अयोध्या लौटते हैं। रास्ते में, भरत से मिलते हैं, जो नंदीग्राम में वनवास काट रहे थे। भरत, राम के चरणों में गिरकर उनसे अयोध्या लौटने का अनुरोध करते हैं।
अयोध्या में राम का भव्य स्वागत होता है।शहर को दीपों से सजाया गया है और लोग खुशियों से नाच रहे हैं। राम राजमहल लौटते हैं और अपनी माता कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा से मिलते हैं।
राम का राज्याभिषेक पाठ का सारांश
विभीषण चाहते थे कि राम कुछ दिन नई लंका में रुक जायें। राम ने लंका नगरी में कदम नहीं रखा था। विभीषण के राजतिलक के समय भी राम उस नगरी से दूर ही रहे थे। राम ने लंका में रुकने के लिए इनकार कर दिया। विभीषण राम से अलग नहीं होना चाहते थे। विभीषण ने प्रस्ताव रखा कि वे राम के राज्याभिषेक में उपस्थित होना चाहते हैं। राम ने उनका आग्रह स्वीकार कर लिया। विभीषण, सुग्रीव व हनुमान, सभी अयोध्या के लिए पुष्पक विमान में बैठकर रवाना हो गए। राम, सीता के साथ बैठे हुए मार्ग में पड़ने वाले प्रमुख स्थान बताते जा रहे थे। रणभूमि, नल-नील द्वारा बनाया गया सेतुबांध, किष्किंधा (सुग्रीव की राजधानी), ऋष्यमूक पर्वत, पंपा सरोवर, गोदावरी नदी, पंचवटी आदि सभी स्थानों से सीता माँ का परिचय करवाया।
गंगा-यमुना के संगम पर ऋषि भारद्वाज के आश्रम में विमान उतरा। वहीं से राम ने हनुमान को अयोध्या भरत को उनके आगमन की पूर्व सूचना देने के लिए भेजा। राम के मन में संशय था कि इस 14 वर्ष के समय में भरत को सत्ता का मोह तो नहीं हो गया। तभी उन्होंने हनुमान को भेजते समय कहा कि ध्यान से देखना, राम के आने का समाचार सुनकर उनके (भरत) चेहरे पर कैसे भाव आते हैं?
हनुमान ने जैसे ही भरत को राम के आने की सूचना दी, भरत की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। आँखों में खुशी के आँसू थे। अयोध्या में उत्सव की तैयारियाँ होने लगीं।
राम का विमान नंदीग्राम में उतरा। उनका भव्य स्वागत हुआ। राम ने भरत को गले लगाया, माताओं को प्रणाम किया। भरत ने राम की खड़ाऊँ उठाकर राम को अपने हाथों से पहनाईं। सबके चेहरों पर प्रसन्नता थी, आँखें खुशी के आँसुओं से नम थीं।
राम-लक्ष्मण ने नंदीग्राम में तपस्वी वस्त्र उतारकर राजसी वस्त्र पहने। जन-समूह राम की जयकार करता हुआ अयोध्या की ओर चला। राम ने पुष्पक विमान कुबेर के पास भेज दिया। राजमहल पहुँचते ही मुनि वशिष्ठ ने कहा, "कल सुबह राम का राज्याभिषेक होगा।" इसकी तैयारी शत्रुघ्न ने पहले ही कर दी थी। पूरा नगर सजाया गया था, दीपों से जगमगा रही अयोध्या नगरी फूलों से सुवासित थी। पूरे चौदह वर्षों बाद।
अगले दिन मुनि वशिष्ठ ने राम का राजतिलक किया। राम व सीता सोने के रत्नजड़ित सिंहासन पर बैठे। लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न उनके पास खड़े थे। हनुमान नीचे बैठे थे। माताओं ने उनकी आरती उतारी। मंगलाचार हुआ। राम ने सीता को एक बहुमूल्य हार दिया।
सीता ने अपने गले का हार उतार कर हनुमान को दिया, उनकी भक्ति व पराक्रम के लिए। कुछ दिनों में एक-एक करके सभी अतिथि चले गए। विभीषण लंका लौट गए। सुग्रीव ने किष्किंधा की ओर प्रयाण किया। हनुमान राम दरबार में ही रहे।
राम ने लम्बे समय तक अयोध्या पर राज किया। उनके राज में किसी को कष्ट नहीं था। सभी सुखी थे। उनका राज्य रामराज्य था। आज तक स्मृतियों में है।
राम का राज्याभिषेक पाठ के प्रश्न उत्तर
प्रश्न. राम को विभीषण ने लंका में रोकने के लिए क्या कहा?
उत्तर-राम को विभीषण ने लंका में रोकने के लिए कहा, "मैं चाहता हूँ कि आप कुछ दिन यहाँ विश्राम कर लें। युद्ध की थकान उतर जाएगी। वैसे इसमें मेरा स्वार्थ भी है। आपका सान्निध्य और रीति-नीति सीखने का अवसर। आपने यह नगरी देखी भी तो नहीं है।'
प्रश्न. राम ने लंका में न रुकने का क्या कारण विभीषण से बताया?
उत्तर- "यह संभव नहीं है, मित्र," राम ने कहा। "वनवास के अब चौदह वर्ष पूरे हो गए हैं। मैं तत्काल अयोध्या लौटना चाहता हूँ। भरत मेरी प्रतीक्षा कर रहे होंगे। जाने में विलंब हुआ तो वे प्राण दें देंगे। उन्होंने प्रतिज्ञा की है । मैं उनकी प्रतिज्ञा से बँधा हूँ।"
प्रश्न. विभीषण ने क्या नया प्रस्ताव रखा?
उत्तर-विभीषण ने नया प्रस्ताव रखा कि मेरी इच्छा है कि मैं आपके राज्याभिषेक में उपस्थित रहूँ। मुझे अपने साथ चलने की अनुमति दें।
प्रश्न. राम हनुमान को अयोध्या पहले क्यों भेजना चाहते थे?
उत्तर- " हे वानर शिरोमणि, आप भरत को मेरे आने की सूचना दीजिएगा। ध्यान से देखिएगा कि यह समाचार सुनकर उनके चेहरे पर कैसे भाव आते हैं? यदि भरत को इस सूचना से प्रसन्नता नहीं हुई तो मैं अयोध्या नहीं जाऊँगा। भरत राजकाज संभालें, इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं।'
प्रश्न. हनुमान ने भरत से क्या कहा?
उत्तर-हनुमान ने भरत से कहा कि श्रीराम के वनवास की अवधि पूर्ण हो गई है। वे लौट रहे हैं। प्रयाग पहुँच चुके हैं। मैं उन्हीं की आज्ञा से आपके पास आया हूँ।
प्रश्न. नंदीग्राम में राम ने विमान से उतरकर क्या किया?
उत्तर- राम ने विमान से उतरकर भरत को गले लगाया। माताओं को प्रणाम किया। भरत भागते हुए आश्रम के भीतर गए। राम की खड़ाऊँ उठा लाए, जिन्हें सिंहासन पर रखकर उन्होंने चौदह वर्ष राजकाज चलाया था। झुककर अपने हाथों से राम को पहनाईं। मिलन का यह दृश्य अद्भुत था।
प्रश्न. अयोध्या में राम का राजतिलक किसने किया? इस दृश्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर-अगले दिन मुनि वशिष्ठ ने राम का राजतिलक किया। राम और सीता सोने के रत्नजड़ित सिंहासन पर बैठे। लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न उनके पास खड़े थे। हनुमान नीचे बैठ गए। माताओं ने आरती उतारी। मंगलाचार हुआ। शुभ गीत गाए गए। राम ने सीता को एक बहुमूल्य हार दिया। प्रजाजनों को उपहार दिए। अनेक वस्तुएँ प्रदान कीं।
प्रश्न. रामराज्य को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर- राम ने लंबे समय तक अयोध्या पर राज किया। उनके राज में किसी को कष्ट नहीं था। कोई बीमार नहीं पड़ता था। खेत हरे-भरे थे। पेड़ फलों से लदे रहते थे। राम न्यायप्रिय थे। गुणों के सागर थे। उनका राज्य रामराज्य था। आज तक स्मृतियों में है।
राम का राज्याभिषेक पाठ के कठिन शब्दार्थ
सान्निध्य =साथ।
प्रतीक्षा = इन्तजार
अनुरोध = प्रार्थना।
अस्वीकार = न मानना।
विलंब = देर।
आमंत्रित = बुलाया।
आपत्ति = मुसीबत।
सुवासित = सुगन्धित
आग्रह = निवेदन।
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