भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या और समाधान

SHARE:

भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या और समाधान भारत में शिक्षित बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। बड़ी संख्या में युवा, उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भ

भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या और समाधान


भारत में शिक्षित बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। बड़ी संख्या में युवा, उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी रोजगार के अवसरों की तलाश में भटक रहे हैं। यह समस्या कई कारणों से पैदा हुई है और इसके दूरगामी प्रभाव देश के विकास पर पड़ रहे हैं।

प्राचीनकाल में भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। यहाँ दूध की नदियाँ बहती थीं। फाह्यान नामक चीनी यात्री ने लिखा है कि मुझे भारत में पीने का जल मिलना दुष्कर हो गया; क्योंकि लोग जल माँगने पर दूध देते थे, किन्तु आज देश में बेकारी की समस्या दानव के सदृश देश की समस्त सुख-समृद्धि को चट किये जा रही है। सारा देश निर्धनता के चंगुल में फँसकर त्राहि-त्राहि कर रहा है। इस प्रकार वर्तमान भारत के सामने सबसे विकराल और विस्फोटक समस्या बेकारी की है; क्योंकि पेट की ज्वाला से संतप्त व्यक्ति कोई भी पाप कर सकता है—बुभुक्षितः किं न करोति पापम् ? (भूखा क्या पाप नहीं करता ?) अतः इस समस्या के कारणों और समाधान पर विचार करना आवश्यक है।
 

प्राचीन भारत की स्थिति

प्राचीन भारत अनेक राज्यों में विभक्त था। राजागण स्वेच्छाचारी न थे। वे मन्त्रि-परिषद् के परामर्श से कार्य करते एवं प्रजा की सुख-समृद्धि के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहते थे। राजदरबार से हजारों लोगों की आजीविका चलती थी, अनेक उद्योग-धन्धे फलते-फूलते थे । राजागण साहित्य और ललित कलाओं के प्रबल पृष्ठपोषक थे। प्राचीन भारत में यद्यपि बड़े-बड़े नगर भी थे,पर प्रधानता ग्रामों की थी। ग्रामों में कृषि योग्य भूमि का अभाव न था । सिंचाई की समुचित व्यवस्था थी । फलतः भूमि सच्चे अर्थों में शस्यश्यामला (अनाज से भरपूर) थी। इन ग्रामों में कृषि से सम्बद्ध अनेक हस्तशिल्पी काम करते थे; जैसे—बढ़ई, खरादी, लुहार, सिकलीगर, कुम्हार, कलईगर, गन्धी, रँगरेज, छीपी आदि। साथ ही प्रत्येक घर में कोई-न-कोई लघु उद्योग चलता था; जैसे—सूत कातना, कपड़ा बुनना, इत्र-तेल का उत्पादन करना, खिलौने बनाना, कागज बनाना, चित्रकारी करना, रंग बनाना, रँगाई का काम करना, गुड़-खांड बनाना आदि ।
 
भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या और समाधान
उस समय भारत का निर्यात व्यापार बहुत बढ़ा-चढ़ा था । यहाँ से अधिकतर रेशम, छींट, मलमल आदि भिन्न-भिन्न प्रकार के वस्त्र और मणि, मोती, हीरे, मसाले, मोरपंख, हाथीदाँत आदि बड़ी मात्रा में विदेशों में भेजे जाते थे। दक्षिण भारत गर्म मसालों के लिए विश्व-भर में विख्यात था । इस प्रकार भारत में अनेक उद्योग-धन्धे चलते थे, पर वस्त्रोद्योग सर्वाधिक विकसित था । अन्य व्यवसायों में कच्चे लोहे. को गलाकर फौलाद बनाना तथा उनसे खेती-बाड़ी के औजार तथा युद्ध-सम्बन्धी शस्त्रास्त्रों का निर्माण प्राचीनकाल से ही प्रचलित था । यहाँ काँच का काम भी बहुत उत्तम होता था। हाथीदाँत और शंख की अत्युत्तम चूड़ियाँ बनती थीं, जिन पर बारीक कारीगरी होती थी।
 
उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि प्राचीनकाल की असाधारण समृद्धि का मुख्य आधार कृषि नहीं, अपितु अगणित लघु उद्योग-धन्धे एवं निर्यात-व्यापार था । इन उद्योग-धन्धों का संचालन बड़े-बड़े पूँजीपतियों द्वारा न होकर गणसंस्थाओं (व्यापार संघों) द्वारा होता था। इस प्रकार प्राचीन भारत में बेकारी का नाम भी कोई न जानता था ।
 
इस प्रकार प्राचीन भारत के इस आर्थिक सर्वेक्षण से दो-तीन निष्कर्ष निकलते हैं- (१) देश की अधिकांश जनता किसी-न-किसी उद्योग-धन्धे, हस्तशिल्प या वाणिज्य-व्यवसाय में लगी थी। देश की समृद्धि का यही सबसे बड़ा कारण था। (२) भारत में निम्नतम स्तर तक स्वायत्तशासी या लोकतान्त्रिक संस्थाओं का जाल बिछा था । फलतः दोनों के दैनन्दिन जीवन में राजतन्त्र का कहीं हस्तक्षेप न था, जिससे जनता को अपनी प्रतिभा और रुचि के अनुसार अपना विकास करने की पूर्ण स्वतन्त्रता थी। साथ ही स्थानीय प्रतिभा को उभरने और पनपने का पूरा अवसर प्राप्त होता था। (३) सारे देश में एक प्रकार का आर्थिक साम्यवाद विद्यमान् था अर्थात् धन कुछ ही हाथों या स्थानों में केन्द्रित न होकर न्यूनाधिक मात्रा में सारे देश में फैला हुआ था। यह ठीक है कि उस समय भी कुछ लोग बहुत समृद्ध थे, कुछ कम; किन्तु गरीब और अमीर के बीच की खाई जैसी आज दिख पड़ती है, वैसी उस समय नहीं थी। जनसाधारण सामान्यतः समृद्ध था। जिस पुरातन वर्ण-व्यवस्था का आज विरोध किया जा रहा है, वह समाज की आधारशिला थी। आज के राजनेताओं ने अपने वोटों के लिए उसके गलत पहलू को देश की भोली-भाली जनता के समक्ष रखकर विद्वेष का जहर समाज में भर दिया है और जातिवाद की खाई को गहरा कर दिया है।
 

अंग्रेजों का आधिपत्य

जब अंग्रेज इस देश में आये तो उन्होंने बहुत शीघ्र ही यह समझ लिया कि आर्थिक ढाँचे के दो मूलभूत आधार हैं - (१) यहाँ की स्वायत्तशासी संस्थाएँ, (२) लघु उद्योग-धन्धे । इन दोनों को नष्ट करने के लिए इन्होंने सबसे पहले तो ग्राम-पंचायत जैसी प्रमुख स्वायत्तशासी संस्था को खत्म कर दिया। इसके स्थान पर अंग्रेजों ने सर्वोच्च प्रशासनिक इकाई के रूप में जिलों का गठन करके एक-एक जिले को एक-एक कलेक्टर के अधीन कर दिया तथा नीचे के स्तर पर परगना, तहसील आदि प्रशासनिक इकाइयों का गठन कर हर जिले को सुदृढ़ सैनिक शासन के शिकंजे में जकड़ दिया। फलतः अब प्रत्येक विषय में निर्णय नीचे से ऊपर को न जाकर ऊपर से नीचे वालों पर थोपा जाने लगा। इसके साथ ही अंग्रेजों ने भारत का शहरीकरण भी द्रुतगति से शुरू कर दिया। सारी सुविधाए शहरों में केन्द्रित होने से ग्राम उजड़ने लगे और ग्राम-व्यवस्था को अपूरणीय क्षति पहुँची। उधर देशी उद्योग-धन्धे को चौपट करके इंग्लैण्ड के उद्योग-धन्धों को पनपाने के लिए अंग्रेजों ने भारतीय कारीगरों पर अकथनीय अत्याचार किये, विशेषतः वस्त्रोद्योग के लिए विख्यात भारत के बुनकरों के हाथ कटवा दिये तथा देश का कच्चा माल इंग्लैण्ड भेजकर वहाँ की फैक्ट्रियों में बने माल से भारत के बाजार पाट मजदूर बनने को बाध्य हुए। फलतः धन का केन्द्रीकरण होने लगा, जिसमें कुछ लोग उत्तरोत्तर सम्पन्न और अधिकांश दिनों-दिन विपन्न होते गये। देश का बचा-खुचा आर्थिक ढाँचा भी चरमरा गया। इस प्रकार अंग्रेजों ने विभिन्न दुनीतियाँ अपनाकर भारत के प्राचीन अर्थतन्त्र को तोड़कर इस देश को इतना दीन-हीन और पंगु बना दिया कि अकाल पड़ने लगे, जिनमें लाखों लोगों की बलि चढ़ गयी। बंगाल का दुर्भिक्ष उनमें से एक था।
 

वर्तमान स्थिति

जब सन् १९४७ ई० में देश लम्बी पराधीनता के बाद स्वतन्त्र हुआ तो आशा हुई कि प्राचीन भारतीय अर्थतन्त्र की. सुदृढ़ता की आधारभूत ग्राम-पंचायतों एवं लघु उद्योग-धन्धों को उज्जीवित कर देश को पुनः समृद्धि की ओर बढ़ाने की योग्य दिशा मिलेगी, पर दुर्भाग्यवश देश का शासनतन्त्र अंग्रेजों के मानस-पुत्रों के हाथों में गया, जो अंग्रेजों से भी ज्यादा अंग्रेजियत में रँगे थे। फलतः उन्होंने अंग्रेजों की सारी दुर्नीतियों को और आगे बढ़ाया। ग्राम पंचायतों को पुनर्जीवित करना तो दूर, अंग्रेजों के समय में चलने वाली नगरपालिका, टाउन एरिया, जिला परिषद् जैसी स्वायत्तशासी संस्थाएँ भी ठप्प कर दी गयीं। उधर कुटीर उद्योगों एवं लघु उद्योग-धन्धों के स्थान पर पहले से भी बड़ी मिलें और फैक्ट्रियाँ स्थापित की जाने लगीं, जिससे पूँजीवादी व्यवस्था, दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ने लगी। फलतः गरीब-अमीर के बीच की खाई बढ़ती गयी । जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ यह दशा और खराब होती जा रही है। देश के शहरीकरण की प्रक्रिया और तेज हुई, जिससे नगर महानगर और कस्बे नगर बनने लगे। इससे भी सन्तोष न हुआ तो देश को २१ वीं शताब्दी में ले जाने का नारा बुलन्द हुआ, जिससे कम्प्यूटर-युग का आरम्भ हुआ। फलतः बेकारी की गति और तीव्र हुई। आज स्थिति यह है कि देश का निर्यात-व्यापार नगण्य है । प्राचीन उद्योग-धन्धे चौपट हो चुके हैं। स्थानीय प्रतिभा प्रोत्साहन के अभाव में निष्क्रिय हो चुकी है। तस्करों द्वारा विदेशी माल का अन्धाधुन्ध आयात हो रहा है। इसका एक कारण यह भी है कि अधिकांश स्वदेशी माल की गुणवत्ता इतनी घट चुकी है कि लोग आयातित माल के पीछे भागते हैं। रोजगार दफ्तरों के रजिस्टरों से ही सन् 2024 ई० तक बेरोजगारों की संख्या ९ करोड़ से ऊपर पहुँचने का पता चलता है, जबकि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है। अनुमानतः हमारे देश में लगभग 70 लाख लोग प्रतिवर्ष बेरोजगारों की पंक्ति में खड़े हो जाते हैं ।
 

समस्या का समाधान

शिक्षा प्रणाली में सुधार, कौशल विकास, स्वरोजगार को बढ़ावा देना और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना इस समस्या के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होंगे। 
  1. सबसे पहली आवश्यकता है हस्तोद्योगों को बढ़ावा देने की। इससे स्थानीय प्रतिभा को उभरने का सुअवसर मिलेगा । भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश के लिए उद्योग-धन्धे ही ठीक हैं, ताकि अधिक-से-अधिक लोगों को काम मिल सके। मशीनीकरण उन्हीं देशों के लिए उपयुक्त होता है, जहाँ कम जनसंख्या के कारण कम हाथों से अधिक काम लेना हो । 
  2. दूसरी आवश्यकता है मातृ भाषाओं के माध्यम से शिक्षा देने की, जिससे विद्यार्थी शीघ्र ही शिक्षित होकर अपनी प्रतिभा का उपयोग कर सके। साथ ही आज स्कूल-कॉलिजों में दी जाने वाली अव्यावहारिक शिक्षा के स्थान पर शिल्प-कला, उद्योग-धन्धों आदि से सम्बद्ध ऐसी शिक्षा दी जाये कि पढ़ाई समाप्त कर विद्यार्थी तत्काल रोजी-रोटी कमाने योग्य हो जाये। 
  3. बड़ी-बड़ी मिलें और फैक्ट्रियाँ सैनिक शस्त्रास्त्र तथा ऐसी ही दूसरी बड़ी चीजें बनाने तक सीमित कर दी जायें। अधिकांश जीवनोपयोगी वस्तुओं का उत्पादन घरेलू उद्योगों से ही हो । 
  4. पश्चिमी शिक्षा ने शिक्षितों में हाथ के काम को नीचा समझने की जो मनोवृत्ति पैदा कर दी है, उसे 'श्रम के गौरव' (Dignity of Labour) की भावना पैदा करके दूर किया जाए। 
  5. लघु उद्योग-धन्धों के विकास से शिक्षितों में नौकरियों के पीछे भागने की प्रवृत्ति घटेगी; क्योंकि नौकरियों में देश की जनता का एक बहुत सीमित भाग ही खप सकता है। लोगों को प्रोत्साहन देकर हस्तोद्योग एवं वाणिज्य-व्यवसाय की ओर उन्मुख किया जाना चाहिये। ऐसे लघु उद्योगों में रेशम के कीड़े पालना, मधुमक्खी पालन, सूत कातना, कपड़ा बुनना, बागवानी, साबुन बनाना, खिलौने, चटाइयाँ, कागज, तेल-इत्र आदि न जाने कितनी वस्तुओं का निर्माण सम्भव है। इसके लिए प्रत्येक जिले में जो सरकारी लघु-उद्योग कार्यालय हैं; वे अधिक प्रभावी ढंग से काम करें। वे इच्छुक लोगों को सही उद्योग चुनने की सलाह दें, उन्हें ऋण उपलब्ध कराएँ तथा आवश्यकतानुसार कुछ तकनीकी शिक्षा दिलवाने की भी व्यवस्था करें। इसके साथ ही उनके उत्पादों की बिक्री की भी व्यवस्था कराएँ। यह सर्वाधिक आवश्यक है; क्योंकि इसके बिना शेष सारी व्यवस्था बेकार साबित होगी। सरकार के लिए ऐसी व्यवस्था करना कठिन नहीं है; क्योंकि वह स्थान-स्थान पर बड़ी-बड़ी प्रदर्शनियाँ आयोजित करके तैयार माल बिकवा सकती है, जबकि व्यक्ति के लिए, विशेषतः नये व्यक्ति के लिए, यह सम्भव नहीं । 
  6. इसके साथ ही देश की तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या पर भी रोक लगाना अत्यावश्यक हो गया है।

उपसंहार-सारांश यह है कि देश के स्वायत्तशासी ढाँचे और लघु उद्योग-धन्धों के प्रोत्साहन से ही बेकारी की समस्या का स्थायी समाधान सम्भव है । शिक्षित बेरोजगारी एक जटिल समस्या है और इसका समाधान आसान नहीं है। लेकिन सरकार, शिक्षा संस्थान, उद्योग और समाज मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं।

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,36,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,6,कविता,1460,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,30,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,34,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,74,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,198,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,137,प्रयोजनमूलक हिंदी,37,प्रेमचंद,41,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,87,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,7,भक्ति साहित्य,142,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,15,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,7,मोहन राकेश,13,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,7,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,55,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,31,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,42,समसामयिक हिंदी लेख,254,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,18,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,80,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,412,हिंदी लेख,521,हिंदी व्यंग्य लेख,13,हिंदी समाचार,178,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,90,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,9,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,19,hindi essay,404,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,674,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,43,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,20,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,10,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,44,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या और समाधान
भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या और समाधान
भारत में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या और समाधान भारत में शिक्षित बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। बड़ी संख्या में युवा, उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भ
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiX5uiXUOEbqZd8_yS3U9y3t8J0CqjFS4tdo6_iVuHvXOsE4jgNXgNE_cXOU_RBZYZKBpohIcIYJ52KdrxNAnxgiYXuZWh5gDem9BUoMDHF7VtKOqlB8L1tE_LTplESrMyJlOEAEK4DehB_pPR9mTbdjgU5PCAccB8-cuzFbySGAx6i1W1a7DCJj36ykGfI/w320-h165/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4%20%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%94%E0%A4%B0%20%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%A8.jpeg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiX5uiXUOEbqZd8_yS3U9y3t8J0CqjFS4tdo6_iVuHvXOsE4jgNXgNE_cXOU_RBZYZKBpohIcIYJ52KdrxNAnxgiYXuZWh5gDem9BUoMDHF7VtKOqlB8L1tE_LTplESrMyJlOEAEK4DehB_pPR9mTbdjgU5PCAccB8-cuzFbySGAx6i1W1a7DCJj36ykGfI/s72-w320-c-h165/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A4%20%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%9C%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%20%E0%A4%94%E0%A4%B0%20%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%A8.jpeg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2024/08/bharat-me-shikshit-berojgari-ki-samasya-samadhan.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2024/08/bharat-me-shikshit-berojgari-ki-samasya-samadhan.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका