वैदिक ज्योतिष और शिक्षा

SHARE:

वैदिक ज्योतिष और शिक्षा शिक्षा का हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा मानव को समाज में उच्च स्थान, मान सम्मान ,पद और प्रतिष्ठा प्रदान करत

वैदिक ज्योतिष और शिक्षा


म सभी जानते हैं कि शिक्षा का हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा मानव को समाज में उच्च स्थान, मान सम्मान ,पद और प्रतिष्ठा प्रदान करती है।वर्तमान समय में जातक के माता-पिता सदैव ही इस बात के लिए चिंतित रहते हैं कि वे किस प्रकार से अपने बच्चों को एक बेहतर कैरियर देते हुए उसके भविष्य को सुरक्षित कर सकेंगे। सही कैरियर के चुनाव के लिए शिक्षा के सही क्षेत्र का चुनाव अत्यंत आवश्यक हो जाता है। आज के समय में जो सामान्य प्रश्न हमारे सम्मुख उपस्थित होते हैं वे कुछ इस प्रकार होते हैं कि...क्या जातक शिक्षा ग्रहण कर पाएगा??? जातक कहां तक विद्या अध्ययन कर पाएगा??? जातक किस क्षेत्र में विद्या अध्ययन कर पाएगा???क्या जातक का शिक्षा का क्षेत्र उसके करियर अथवा व्यवसाय का क्षेत्र बन पाएगा??? क्या जातक विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाएगा अथवा नहीं... इत्यादि इत्यादि।

भारतीय ज्योतिष परंपरा में मनीषियों द्वारा ज्योतिष शास्त्र के विभिन्न धर्म ग्रंथो में इस प्रकार के अनेकानेक प्रश्नों का उत्तर अत्यंत की सरल और सारगर्भित ढंग से दिया है। वैदिक ज्योतिष में बारह खानों वाली जातक की जन्म पत्रिका के माध्यम से जातक की शिक्षा के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जातक की जन्म कुंडली में शिक्षा के अध्ययन के लिए द्वितीय भाव, चतुर्थ भाव, पंचम भाव, नवम भाव और एकादश भाव का अध्ययन किया जाता है। दूसरा भाव बचपन की पढ़ाई और विकास के चरणों को इंगित करता है। चौथा भाव सीखने और समझने के प्रति भावनात्मक संवेदनशीलता का प्रतिनिधित्व करता है। इस भाव को औपचारिक शिक्षा के भाव के रूप में भी जाना जाता है। चतुर्थ भाव के कारक ग्रह बुध देव और चंद्र देव बताए हैं। बुध देव सीखने के लिए मानसिक संकाय का प्रतिनिधित्व करता है। चंद्र देव मन के कारक ग्रह बताए गए हैं और ये ज्ञान प्रदान करते हैं। पंचम भाव ज्ञान और बुद्धिमत्ता का भाव कहलाता है। उच्च शिक्षा को स्नातक स्तर तक देखने के लिए पंचम भाव की जांच की जाती है। इस भाव के कारक ग्रह बृहस्पति देव हैं। बृहस्पति देव पराविद्या अर्थात सत्य पर आधारित ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं। नवम भाव स्नातकोत्तर या उच्च शिक्षा का भाव है। इस भाव से जातक के अनुसंधान कार्य की भी जांच की जाती है। यह धर्म का भाव भी है। इस भाव के कारक सूर्य देव और बृहस्पति देव हैं। शास्त्रों में शिक्षा से संबंधित भावों पर कहीं कहीं पर विद्वानों में मतभेद हैं। यहां हम भिन्न भिन्न भावों पर  एक-एक करके विचार करके देखेंगे कि किस भाव का संबंध शिक्षा के किस क्षेत्र से है। बुद्धि का कारक ग्रह बुध देव बताए गए हैं। साथ ही ज्ञान के कारक बृहस्पति देव हैं। इसके अलावा शिक्षा के लिए बुध देव से दूसरे स्थान का भी अध्ययन किया जाता है। चंद्र देव भी व्यक्ति के लिए विद्या अध्ययन का कारक बताया गया है। परंतु मुख्य रूप से बुध देव और बृहस्पति देव को ही क्रमशः शिक्षा और ज्ञान का कारक माना जाता है। इसी संदर्भ में चतुर्विशांश वर्ग कुंडली  शिक्षा और विद्या अध्ययन के संदर्भ में जातक की जन्म कुंडली में बन रहे योगों की पुष्टि करने और विस्तृत अध्ययन में अत्यंत सहायक सिद्ध होती है।

आइए अब एक-एक करके उपरोक्त विचारणीय बिंदु पर प्रकाश डालते हैं और यह समझने का प्रयत्न करते हैं कि हमारे शास्त्रों में इस विषय में क्या क्या जानकारी प्रदान की गई हैं और इन संदर्भित बिंदुओं का जातक के विद्या अध्ययन और शिक्षा प्राप्ति में क्या योगदान होता है।

द्वितीय भाव:
हम सभी जानते हैं कि काल पुरुष की पत्रिका में द्वितीय भाव वाणी का स्थान माना गया है। यहां से हम यह समझ सकते हैं कि बच्चा सबसे पहले बोलना सीखता है। जन्म कुंडली का दूसरा भाव कुटुंब को भी दर्शाता है। हम सभी जानते हैं कि जातक की शुरुआती शिक्षा उसके घर से ही प्रारंभ होती है। घर परिवार के सानिध्य में रहते हुए थोड़ा बहुत बोलने सीखने के पश्चात जातक स्कूल में नर्सरी कक्षा में भेजा जाता है और वहां उसे विधिवत रूप से बोलना, लिखना और पढ़ना सिखाया जाता है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में द्वितीय भाव से हम जातक की कक्षा पाँच तक की शिक्षा समझ सकते हैं।

चतुर्थ भाव:
चतुर्थ भाव औपचारिक शिक्षा का भाव है। कक्षा बारह अर्थात स्नातक पूर्व तक की शिक्षा का विचार इसी भाव से किया जाता है। चतुर्थ भाव से  पारिवारिक जीवन अथवा सुख का विचार भी किया जाता है। जातक यहां पर अपने पारिवारिक सदस्यों, इष्ट मित्रों और आसपास के वातावरण से सभ्यता, संस्कार,आचार विचार, व्यवहार कुशलता इत्यादि सीखता है। मित्रों के साथ चरित्र निर्माण और सामाजिक प्रतिष्ठा और नियमों की जानकारी प्राप्त करता है। चतुर्थ भाव के शुभ होने, शुभ प्रभाव में होने की स्थिति में जातक स्नातक पूर्व तक की पढ़ाई बिना किसी रूकावट के पूर्ण कर लेता है। परंतु कभी-कभी चतुर्थ भाव की विषम परिस्थितियाँ उसे पढ़ाई बीच में ही छोड़ने को मजबूर कर देती हैं। इन परिस्थितियों में जातक की आर्थिक स्थिति (षष्ठम भाव), विवाह (सप्तम भाव) आदि कभी-कभी विद्या अध्ययन में बाधा के रूप में सामने खड़े होते हैं। यदि रूकावटों को दूर कर दिया जाए तो जातक अपनी पढ़ाई पूर्ण कर लेता है। डॉ बी वी रमन भी शिक्षा के भाव के रूप में चौथा भाव ही लेते हैं।

पंचम भाव:
पंचम भाव जातक की स्मरण शक्ति, योजना बनाने की शक्ति एवं बुद्धिमत्ता को दर्शाता है। इस भाव से स्नातक तक की शिक्षा का विचार किया जाता है। इसके कारक ग्रह बृहस्पति देव बताए गए हैं। पंचम में बुद्धि परिपक्व हो जाती है। सुख का त्याग कर कर्म को प्रधानता देने की बात आ जाती है। पंचम भाव तक आते-आते जातक बाल्यावस्था से किशोर अवस्था में प्रविष्ट कर चुका होता है और यहां वह अपना अच्छा बुरा सोचने की स्थिति में आ चुका होता है। वह इस योग्य हो जाता है कि अपने भविष्य के बारे में विचार करके उन्नति प्राप्त की योजना बना सके। पंचम स्थान तक आते-आते जातक यह भी निश्चय करने की स्थिति में होता है कि उसे मेडिकल, अभियांत्रिकी ,चार्टर्ड अकाउंटेंसी, प्रशासनिक अथवा कंपनी सेक्रेट्री इत्यादि किस क्षेत्र में शिक्षित होना है। पंचमेश शुभ ग्रह से दृष्ट हो अथवा युत हो अथवा पंचम स्थान शुभ ग्रह से दृष्ट अथवा युत हो या बृहस्पति से पंचम स्थान का स्वामी केंद्र त्रिकोण में स्थित हो तो जातक की स्मरण शक्ति अच्छी होती है।

नवम भाव:
स्नातक से आगे की शिक्षा अर्थात स्नातकोत्तर शिक्षा को नवम भाव से देखा जाता है। यहां शिक्षा तभी प्राप्त होती है जब जातक की इच्छा शक्ति प्रबल होती है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले जातक बड़े ही धैर्यवान और प्रबल इच्छा शक्ति के स्वामी होते हैं। इस भाव के प्रारंभ होने के पूर्व जातक बहुत समझदार हो जाता है और यह भली प्रकार से  जान जाता है कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने से उसके जीवन में क्या लाभ हो सकते हैं। साथ ही उसे यह भी विदित होता है कि उच्च शिक्षा ग्रहण करने की चाह रखने से जीवन में स्थिरता प्राप्ति में विलंब होता है। अन्यथा जातक षष्ठम भाव (अर्थ भाव), सप्तम भाव (जीवनसाथी) तथा अष्टम भाव (वैवाहिक सुख) के प्रभाव में फंसकर रह जाता है।

दशम भाव:
दशम भाव शिक्षा से मान्यता, नाम और प्रसिद्धि के लिए देखा जाता है।

एकादश भाव:
एकादश भाव शिक्षा में प्रवीणता का भाव है। जातक शिक्षा और आय दोनों साथ-साथ प्राप्त करता है। लाभ वृद्धि का भाव होने के कारण जातक का आय से भी सीधा संबंध हो जाता है।

चतुर्विशांश वर्ग कुंडली:
वैदिक ज्योतिष और शिक्षा
चतुर्विशांश वर्ग चार्ट का अध्ययन जातक की शैक्षिक उपलब्धियां, असफलताओं अथवा रूकावटों के लिए किया जाता है। इस वर्ग कुंडली के बारह भागों से जातक के शिक्षा के संबंध में भिन्न-भिन्न आयामों को देखा जाता है। प्रथम भाव शिक्षा के प्रति जातक के एक सामान्य दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह बताता है कि एक विशेष प्रकार की शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए जातक की रुचि क्या है? दूसरे भाव से परिवार का समर्थन और बुनियादी शिक्षा को देखा जाता है। साथ ही शिक्षा प्राप्त करने में परिवार से प्राप्त होने वाला वित्तीय समर्थन का विचार भी इसी भाव से किया जाता है। तीसरा भाव शिक्षा के लिए जातक के प्रयास और छोटी यात्रा, चतुर्थ भाव औपचारिक शिक्षा और शिक्षा से प्राप्त संतुष्टि या खुशी और पंचम भाव बुद्धि और स्नातक शिक्षा को दर्शाता है जिसे जातक को प्राप्त करना है। षष्ठम भाव से समस्याएं और बाधाएं, सप्तम भाव शिक्षा के समय साथी छात्रों से सहायता और सहयोग एवं अष्टम भाव शिक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग, छिपे हुए दृष्टिकोण और शिक्षा में रुकावट बताता है। नवम भाव गुरु और शिक्षक, शिक्षा के लिए लंबी यात्रा और शिक्षा में ईमानदारी का सूचक है, दशम भाव शिक्षा में प्रदर्शन, एकादश भाव शिक्षा के दौरान मित्रों और वरिष्ठों से लाभ तथा द्वादश भाव जन्म स्थान के अलावा शिक्षा,शिक्षा में खर्च और विदेशी भाषा दर्शाता है।

आइए अब चतुर्विशांश वर्ग कुंडली की व्याख्या के कुछ प्रमुख सिद्धांतों पर दृष्टि डालते हैं।अच्छी शिक्षा के लिए चतुर्विशांश वर्ग चार्ट में लग्न का बली होना आवश्यक है। चतुर्विशांश वर्ग चार्ट में सबसे बली ग्रह के शैक्षिक प्रवाह को जानने के लिए निर्णायक कारक होता है। शुभ ग्रह गैर तकनीकि शिक्षा देते हैं जबकि अशुभ ग्रह तकनीकि शिक्षा के पक्ष में होते हैं। नवम भाव में बृहस्पति देव की दृष्टि विषय में गहन शोध का कारक है। शिक्षा के मुख्य कारक बुध देव और बृहस्पति देव हैं। बुध देव सीखने की प्रवृत्ति को दर्शाते हैं, इन्हें वाकपटुता का कारक भी माना गया है। बृहस्पति देव ज्ञान और बुद्धिमत्ता के लिए कारक माने जाते हैं। इसी तरह मंगल देव तर्क के लिए जबकि शनि देव गहरी सोच और अनुसंधान के लिए उत्तरदायी माने गए हैं। तृतीय, नवम और द्वादश भाव से जन्म स्थान के अलावा अन्य स्थान से शिक्षा का होना देखा जाता है। इन भावों का मजबूत होना शिक्षा के लिए जातक की यात्रा का योग बनाता है। चतुर्विशांश वर्ग चार्ट में लग्न पत्रिका के दशम भाव के स्वामी की स्थिति शिक्षा से आजीविका/पेशे की स्थिति को जोड़ती है। यदि बुध चतुर्विशांश वर्ग चार्ट में चर राशि में हो तो यह बताता है कि जातक बहुत तेजी से सोचने में सक्षम होगा और तुरंत ही निष्कर्ष पर पहुंच जाएगा। बुध देव की राशि में मंगल देव का स्थान इस गुण को और बढ़ाता है। जातक की जन्म पत्रिका में चतुर्थ भाव अथवा नवम भाव का स्वामी यदि बुध देव की राशियों में स्थित होता है तो जातक के उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाने की प्रबल संभावनाएं बनती हैं। जातक की चतुर्विशांश कुंडली में यदि केंद्र और त्रिकोण भाव के स्वामी आपस में संबंध स्थापित किए हुए  हैं तो जातक के पास इंजीनियरिंग या प्रौद्योगिकी जैसे एप्लीकेशन ओरिएंटेड क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करने के प्रबल अवसर प्राप्त होते हैं। वर्ग चार्ट के एकादश भाव में यदि नैसर्गिक रूप से शुभ ग्रहों का संबंध बनता है तो जातक को अच्छी शिक्षा प्राप्त होती है। साथ ही जातक किसी प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान में व्यवसायिक योग्यता भी प्राप्त कर सकता है। विदित हो कि एकादश भाव लाभ अथवा बढ़ोतरी का भाव है। लग्न या पंचम भाव में किसी भी प्रकार के शुभ प्रभाव के बिना राहु या केतु की उपस्थिति औपचारिक शिक्षा के लिए हानिकारक मानी गई है।चतुर्विशांश वर्ग चार्ट में चंद्र देव की स्थिति जातक के मन को निरूपित करती है। यदि पत्रिका में चंद्र देव स्थिर राशियों में उपस्थित है तो जातक एकाग्रचित होकर शिक्षा ग्रहण करता है। इस प्रकार के जातकों में शिक्षा के प्रति लगन होती है और बड़े ही धैर्य पूर्वक अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर अग्रसर रहते हैं। और यदि चंद्र देव स्थिर राशि में नहीं है तो जातक पूरी एकाग्रता के साथ अध्ययन नहीं कर पाता है। सूर्य देव संपूर्ण जगत को ज्ञान के प्रकाशित से आलोकित करते हैं इसलिए उन्हें ज्ञान का श्रोत माना गया है। पंचम भाव में सूर्य देव की उपस्थिति जातक को ज्ञानी बनाती है। वहीं नवम भाव में जातकों को ज्ञान उच्च शिक्षा के माध्यम से प्राप्त होता है। यदि सूर्य देव पर राहु का भी प्रभाव है तो जातक विदेश से ज्ञान प्राप्त कर सकता है। और अध्ययन किसी न किसी रूप से विदेशी संस्कृति से प्रभावित हो सकता है। तृतीय भाव, चतुर्थ भाव से द्वादश है अर्थात तृतीय भाव चतुर्थ भाव का व्यय स्थान हुआ। चतुर्थ भाव चूंकि औपचारिक शिक्षा का स्थान होता है अतः यदि वर्तमान दशा स्वामी का तृतीय भाव से संबंध होता है तो वह जातक के लिए औपचारिक शिक्षा में बाधा उत्पन्न कर सकता है। दशम स्थान,नवम स्थान से दूसरा पड़ता है। अतः दशम भाव, नवम भाव के लिए मारक स्थान हुआ। नवम स्थान से हम उच्च शिक्षा की बात करते हैं तब दशम भाव उच्च शिक्षा के लिए मारक स्थान हुआ। यहां से हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं की दशम भाव उच्च विद्या अध्ययन की समाप्ति के साथ-साथ एक नए पेशे की शुरुआत की ओर भी संकेत करता है। अतः यदि वर्तमान दशा स्वामी का दशम भाव से संबंध बनता है तो वह उच्च शिक्षा की समाप्ति या किसी नए पेशे की शुरुआत की ओर इशारा करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जन्म से लेकर के शिक्षा ग्रहण करने तक जातक की जन्म पत्रिका में द्वितीय भाव, चतुर्थ भाव पंचम भाव और नवम भाव और कारक ग्रहों के रूप में बुध देव और बृहस्पति देव का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। जहां तक दशम और एकादश भाव का प्रश्न है तो शिक्षा से मान्यता और प्रसिद्धि के लिए दशम भाव और शिक्षा में प्रवीणता और आय से संबद्ध करने के लिए एकादश भाव पर विचार किया जाता है। वहीं चंद्र देव भी उच्च शिक्षा अर्थात पी एच डी कराने में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं।

पारंपरिक वैदिक ज्योतिषियों द्वारा विभिन्न ग्रहों को शिक्षा के क्षेत्र से बहुत ही सुंदर तरीके से संयोजित किया था।
1. सूर्य देव जातकों को राज विद्या और आयुर्वेद में पारंगत बनाते हैं। वर्तमान में इसके अंतर्गत प्रशासन और चिकित्सा क्षेत्र की शिक्षा और विद्या अध्ययन को रखा जा सकता है।
2. चंद्र देव से सम्बन्ध वाले जातक ज्योतिष, अनुसंधान और पी एच डी इत्यादि क्षेत्र में सफलता अर्जित करते हैं।
3. मंगल देव के जातक युद्ध विद्या जिसे वर्तमान संदर्भ में सेना और युद्ध से समानता करके देखा जा सकता है।
4. बुध देव के शुभ प्रभाव वाले जातक गणित में प्रवीणता हासिल करते हैं।
5. बृहस्पति देव जातक को वेद,वेदांत,दर्शन इत्यादि के अध्ययन के लिए प्रेरित करते हैं।वर्तमान समय के अनुसार हम इसे आध्यात्मिकता कहते हैं।
6. शुक्र देव जातक को संगीत, कला इत्यादि में पारंगत करता है।
7. शनि देव व्यापार विद्या अर्थात व्यवसाय में निपुण बनाता है।
8. राहु एक ओर जहां गरुड़ विद्या में तो केतु तंत्र-मंत्र की शिक्षा में जातक को आगे बढ़ता है।

आइए अब कुछ सर्वाधिक प्रचलित शिक्षा के क्षेत्र बारे में जानकारी हासिल करने का प्रयत्न करते हैं कि किन विशेष प्रकार के योगों के निर्माण होने पर जातक इन्हें प्राप्त कर सकता है।

1. व्यापार और वाणिज्य शिक्षा
मुख्य रूप से मेष,मिथुन,कर्क, कन्या, तुला, धनु अथवा मीन लग्न के जातक इस क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं। कारक ग्रहों के रूप में बुध देव और बृहस्पति देव का चतुर्थ,पंचम एवं दशम भाव से संबंध होने पर जातक व्यापार वाणिज्य के क्षेत्र में तरक्की करता है।

2. विज्ञान शिक्षा
विज्ञान विषय संबंधी विद्याध्यन ग्रहण करने के लिए जन्म कुंडली में जातक का लग्न वृषभ, मिथुन, सिंह, कन्या, मकर या मीन का होना चाहिए। मंगल देव ,बुध देव, शुक्र देव, शनि देव और राहु शुभ प्रभाव में हों तथा इनका चतुर्थ, पंचम और दशम भावों के साथ संबंध जातक को विज्ञान के विषय में शिक्षित होने का मार्ग प्रशस्त करता है।

3. चिकित्सा शिक्षा
चिकित्सा की शिक्षा ग्रहण करने के लिए जातक की जन्म पत्रिका  मिथुन,कर्क सिंह,कन्या या तुला लग्न का होना चाहिए। साथ ही शनि देव, बुध देव, मंगल देव और सूर्य देव का दशम या पंचम भाव से संबंध हो और बृहस्पति देव का केंद्र में होना आवश्यक है। शनि देव, मंगल देव की युति या स्थान परिवर्तन और बृहस्पति देव की केंद्र में स्थिति भी मेडिकल शिक्षा की ओर इशारा करती हैं।

4. अभियांत्रिकी शिक्षा
इंजीनियरिंग क्षेत्र में शिक्षा ग्रहण करने वाले जातक वृषभ, मिथुन,सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक,मकर या मीन लगने के हो सकते हैं। केतु, बुध देव, शुक्र देव और शनि देव का चतुर्थ और पंचम भाव में संबंध इन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ाता है। पंचम भाव में शनि देव और शुक्र देव का संयोजन वास्तु इंजीनियरिंग में राह दिखाता है। यदि पंचम भाव में सूर्य और बुध की युति हो रही है और उस पर शनि की दृष्टि पड़ रही है तो इस प्रकार के योग वाले जातक कंप्यूटर इंजीनियर बन सकते हैं। इसी प्रकार कुंडली के पंचम भाव में यदि बुध देव और शुक्र देव की युति होती है तो ऐसा जातक केमिकल इंजीनियरिंग या इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में शिक्षा ग्रहण करता है।

5. खेल शिक्षा
मेष, कन्या, तुला, धनु, मकर, कुंभ और मीन लग्न के जातक इस क्षेत्र में अपना भाग्य आजमा सकते हैं। खेल को अपने शिक्षा का आधार और करियर बनाने के दृष्टिकोण से जातक की पत्रिका में राहु, मंगल देव, शुक्र देव तथा एक,तीन, छह और दशम भाव बली होने चाहिए।

6. कानून शिक्षा
शनि देव, बुध देव या बृहस्पति देव का प्रथम, द्वितीय और नवम में संबंध जातक को कानूनी पढ़ाई हेतु प्रेरित करता है। ऐसे जातक मेष, कन्या,धनु, मकर या कुंभ लग्न के हो सकते हैं।

7. भूगोल शिक्षा
भूगोल विषय के अध्ययन के लिए जातक के पत्रिका में मंगल देव,बुध देव, शनि देव और द्वादश भाव को शुभ प्रभाव में होना चाहिए।

8. पुरातत्व शिक्षा
पुरातत्व विषय के अध्ययन के लिए और शिक्षा के क्षेत्र में इस विषय को आधार बनाने के लिए जातक की पत्रिका में शनि देव, केतु और चौथे,आठवें, और दसवें भाव को बली होना चाहिए।

9. धार्मिक शिक्षा
धार्मिक शिक्षा के अध्ययन के लिए मेष,कर्क सिंह, कन्या, धनु, कुंभ और मीन लग्न की पत्रिका के जातक प्रयास कर सकते हैं। साथ ही इसके लिए प्रथम,चतुर्थ, पंचम, नवम और दशम भावों के साथ बृहस्पति देव का संबंध होना चाहिए।

10. कला क्षेत्र में शिक्षा
ऐसे जातक जिनका जन्म लग्न वृषभ ,मिथुन, कन्या, तुला, या कुंभ है कला और ललित कला के क्षेत्र को शिक्षा के रूप में अपना सकते हैं। बुध देव और शुक्र देव का बली होना और चतुर्थ और पंचम और दशम  भावों से इनका संबंध जातक को कला और ललित कला के क्षेत्र में शिक्षा दिला सकता है।

वर्तमान शिक्षा नीति के अंतर्गत हम भारतीय शिक्षा व्यवस्था को मुख्य रूप से चार स्तरों में बांट सकते हैं। अर्थात कक्षा पांच तक की शिक्षा, कक्षा बारह तक की शिक्षा( स्नातक पूर्व शिक्षा), स्नातक तक की शिक्षा और स्नातकोत्तर शिक्षा/उच्च शिक्षा। आईए अब एक एक करके इन चारों प्रकार की शिक्षाओं को ज्योतिष के परिप्रेक्ष्य में विवेचित करते हैं।

कक्षा पांच तक शिक्षा:
जातक के जन्म कुंडली के दूसरे भाव से पांचवी कक्षा तक की शिक्षा का अध्ययन किया जाता है। इस भाव पर शुभ प्रभाव होने और किसी भी प्रकार की बाधा न होने की स्थिति में जातक बड़ी आसानी से शिक्षा का यह पड़ाव पार कर लेता है।

कक्षा बारह तक शिक्षा/स्नातक पूर्व शिक्षा:
यदि चतुर्थ भाव अशुभ ग्रह से पीड़ित हो और चतुर्थ भाव में किसी ग्रह स्थित या दृष्टि ना हो तो जातक स्नातक पूर्व शिक्षा प्राप्त करता है।यदि चतुर्थेश चंद्रमा राहु या केतु के साथ
स्थित हो तो शिक्षा में व्यवधान होता है। यदि पंचम भाव में राहु स्थित हो तो जातक की शिक्षा स्नातक पूर्व तक रहती है। यदि चतुर्थेश का संबंध मंगल देव या केतु से हो जाए तो शिक्षा बारहवीं तक रहती है। पंचमेश या गुरु देव नीच के हों,चंद्र देव पीड़ित हों, राहु पंचम भाव में हो तो शिक्षा स्नातक पूर्व तक रहती है।

स्नातक तक शिक्षा:
यदि चतुर्थ भाव पाप ग्रहों से पीड़ित ना हो और यदि पंचमेश या पंचम भाव का कारक ग्रह केंद्र में स्थित हो तो जातक स्नातक तक शिक्षा प्राप्त कर पाता है।

स्नातकोत्तर शिक्षा/उच्च शिक्षा:
यदि राहु अथवा शनि देव चतुर्थ भाव में स्थित हो तो स्नातकोत्तर तक शिक्षा हो पाती है परंतु राहु शिक्षा के अंत में व्यवधान भी लाता है।  चतुर्थेश बली हो और केंद्र में स्थित हो तो स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त होती है।यदि चतुर्थ भाव में कोई शुभ ग्रह स्थित हो जाए तो पोस्ट ग्रेजुएशन तक शिक्षा मिलती है। यदि चतुर्थ भाव या चतुर्थेश शनि देव, राहु द्वारा दृष्ट हो तो जातक की उच्च शिक्षा होती है। यदि चतुर्थेश नवम भाव में स्थित हो जाए तो जातक की उच्च शिक्षा होती है। यदि चंद्र देव नवम भाव में स्थित हो जाए तो जातक पी एच डी करता है। केतु या मंगल देव चतुर्थ भाव में स्थित हो या चतुर्थ भाव को दृष्टि दें इसके कारण शिक्षा में व्यवधान आता है।

और अब चलते चलते विदेश में शिक्षा का जिक्र भी कर लिया जाए। आज हमारे पास अधिकतर जातक यह प्रश्न लेकर आते हैं कि वे विदेश में शिक्षा ग्रहण कर  पाएंगे अथवा नहीं। आजकल हर किसी को विदेश में पढ़ाई करने का मोह रहता है। आइए कुछ सामान्य योग के विषय में जानने का प्रयास करते हैं जो विदेश में शिक्षा की ओर इंगित करते हैं...
1. यदि चतुर्थ, पंचम या नवम भाव के स्वामी द्वादश भाव के साथ संबंध बनाता है या द्वादश भाव में स्थित हो अथवा दृष्ट हो अथवा द्वादशेश पर दृष्ट ग्रहों की दशा हो, तो जातक शिक्षा के लिए विदेश जाता है। विदित हो कि द्वादश भाव विदेश गमन से संबंध रखता है।
2. जब शनि देव का गोचर तृतीय,षष्ठम, दशम और द्वादश भाव में हो रहा हो या राहु या गुरु का गोचर चतुर्थ,अष्टम या द्वादश भावों पर से हो रहा हो।

जातक के जीवन में कभी-कभी शिक्षा प्राप्त करने में विभिन्न कारणों से व्यवधान भी उत्पन्न होता है। जिनके मुख्य कारण हैं...
पारिवारिक समस्याएं स्वास्थ्य का खराब होना, विषय परिवर्तन, शिक्षा से विकर्षण, एक लंबे अंतराल के बाद पुनः शिक्षा प्रारंभ अन्य कारणवश पढ़ाई से ध्यान हटना। मूल रूप से देखा जाए तो चतुर्थ और पंचम भाव तथा कारक ग्रह बुध देव और बृहस्पति देव पर अशुभ प्रभाव होने की वजह से जातक की शिक्षा में व्यवधान उत्पन्न होता है। शिक्षा में बाधा के समय शनि देव का गोचर जिस भाव पर से हो रहा होता है उस आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि अवरोध किस वजह से पैदा हुआ होगा। यदि शनि देव का गोचर प्रथम भाव के ऊपर से है तो शिक्षा में व्यवधान स्वयं के कारण आएगा यदि शनि का गोचर द्वितीय भाव के ऊपर से हैं तो खराब आर्थिक स्थिति के कारण, तृतीय भाव के ऊपर से होने से स्वेच्छा से,चतुर्थ भाव के ऊपर से शनि देव का गोचर होने से परिवार अथवा कोचिंग की वजह से, पंचम भाव के ऊपर से शनि देव का गोचर होने पर संतान या कोचिंग की वजह से, षष्ठम,अष्टम अथवा द्वादश भाव के ऊपर से गोचर होने पर स्वास्थ्य की वजह से, सप्तम भाव पर गोचर होने की वजह से प्रेम संबंध कोचिंग या परिवार के कारण ,नवम भाव के ऊपर से गोचर होने पर स्थान परिवर्तन के कारण, दशम और एकादश भाव के ऊपर से यदि शनि का गोचर होता है तो खराब आर्थिक स्थिति शिक्षा में अवरोध का कारण बनती है।
वर्तमान समय में ऐसे अनेक उपाय उपलब्ध हैं जिस वजह से इन कारणों को विलोपित अथवा कम करते हुए जातक उच्च शिक्षा ग्रहण कर समाज और देश का नाम रोशन कर सकता है।

इस प्रकार से यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि भारतीय वैदिक ज्योतिष विद्याध्ययन अथवा शिक्षा के क्षेत्र में जातक के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराती है। जातक की जन्म कुंडली का अध्ययन कर हम यह जान सकते हैं कि जातक शिक्षा के किस क्षेत्र में विद्या अध्ययन कर सकता है या शिक्षा के किस क्षेत्र का उसे अपने विद्या अध्ययन के लिए चयन करना चाहिए। इस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में  ज्योतिषीय मार्गदर्शन वरदान साबित हो रहा है। आज आवश्यकता है तो केवल इस बात की कि ज्योतिष के इन विभिन्न आयामों, सूत्रों ओर श्लोकों का कितनी सूक्ष्मता और सटीकता के साथ विश्लेषण कर शिक्षा के क्षेत्र में इनका उपयोग किया जाता है।

इति।


- इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश 481001

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,36,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,6,कविता,1460,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,30,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,34,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,74,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,198,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,137,प्रयोजनमूलक हिंदी,37,प्रेमचंद,41,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,87,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,7,भक्ति साहित्य,142,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,15,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,7,मोहन राकेश,13,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,7,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,55,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,31,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,42,समसामयिक हिंदी लेख,254,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,18,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,80,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,412,हिंदी लेख,521,हिंदी व्यंग्य लेख,13,हिंदी समाचार,178,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,90,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,9,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,19,hindi essay,404,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,674,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,43,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,20,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,10,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,44,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: वैदिक ज्योतिष और शिक्षा
वैदिक ज्योतिष और शिक्षा
वैदिक ज्योतिष और शिक्षा शिक्षा का हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा मानव को समाज में उच्च स्थान, मान सम्मान ,पद और प्रतिष्ठा प्रदान करत
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgMkUiV-q1nWIvRjyD5ZY0nmlEHhvhpNVuMGVhn8nYiNLggGUnHe7HCoO5OTpvzjEh7duwkWivcSkVxfnJlZ6WFvMSaNPxn_KNIsPkmmEOn7sLSO72c1gDCIJ1d_ogDhyjEz45rClRTDDOfhxWib7Nu8w3PEvn9aopOYjnxSk0Nbc3bMfGCb3Ks9PQvb8J_/w320-h259/vaidik-shiksha.jpeg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgMkUiV-q1nWIvRjyD5ZY0nmlEHhvhpNVuMGVhn8nYiNLggGUnHe7HCoO5OTpvzjEh7duwkWivcSkVxfnJlZ6WFvMSaNPxn_KNIsPkmmEOn7sLSO72c1gDCIJ1d_ogDhyjEz45rClRTDDOfhxWib7Nu8w3PEvn9aopOYjnxSk0Nbc3bMfGCb3Ks9PQvb8J_/s72-w320-c-h259/vaidik-shiksha.jpeg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2024/08/vaidik-jyotish-aur-shiksha-lekh.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2024/08/vaidik-jyotish-aur-shiksha-lekh.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका