युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर निबंध आज का युवा समाज नशे की गिरफ्त में तेजी से फंसता जा रहा है। यह एक गंभीर समस्या है जो व्यक्ति, परिवार और समा
युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर निबंध
आज का युवा समाज नशे की गिरफ्त में तेजी से फंसता जा रहा है। यह एक गंभीर समस्या है जो व्यक्ति, परिवार और समाज सभी को प्रभावित करती है। नशे की लत न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बर्बाद करती है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त करती है।
मनुष्य द्वारा मादक द्रव्यों का सेवन करना कोई नयी बात नहीं है। उसकी यह प्रवृत्ति हजारों वर्ष पुरानी है। इसका प्रमाण यह है कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों में 'सोम' और 'सुरा' का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि हर्ष, उल्लास एवं विशेष अवसरों पर इसका प्रयोग किया जाता था। वेद-पुराण भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि इसका प्रयोग समय-समय पर लोगों द्वारा किया जाता था जो उल्लासवर्धन करने के साथ-साथ झगड़े का भी कारण बन जाता था। आज युवा वर्ग भी इसके सेवन से स्वयं को नहीं बचा पाया है।
युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण
मानव ने ज्यों-ज्यों सभ्यता की ओर कदम बढ़ाए वह नित नयी खोजें करता गया । इनमें विज्ञान का विशेष योगदान था। उसके आविष्कारों ने जहाँ मनुष्य को अनेक उपयोगी वस्तुओं से अवगत कराया, वहीं कुछ हानिप्रद वस्तुओं की खोज भी उससे जाने-अनजाने में हो गई। उसने धीरे-धीरे इनका प्रयोग करना सीख लिया। शुरू में ऐसी वस्तुओं का प्रयोग दर्द निवारण में, उल्लास वृद्धि तथा विशेष अवसरों पर ही किया जाता था, पर आज आम आदमी भी इसका सेवन करने लगा है। युवा वर्ग इसके सेवन को अपनी शान में वृद्धि समझते हैं। नशीली वस्तुएँ मीठे जहर के समान होती हैं, जो व्यक्ति को धीरे-धीरे मौत के द्वार की ओर ले जाती हैं। इनका दुष्प्रभाव थोड़े समय के बाद दिखने लगता है पर तब तक उस दिशा में बढ़े कदमों को वापस खींच पाना अत्यंत कठिन हो जाता है। आज युवावर्ग चोरी-छिपे, पार्टियों में या मित्रों के साथ मादक द्रव्य का सेवन करने लगा है और धीरे-धीरे उसकी गिरफ्त में आने लगा है।
भारत जैसे विकासशील देश में यह समस्या एकदम नयी नहीं है, पर पिछले एक-दो दशकों में यह समस्या अत्यंत तेजी से बढ़ी है। कुछ समय पूर्व तक जिन मादक द्रव्यों का सेवन कुछ ही लोग करते थे तथा अधिकांश लोग उससे दूर रहते थे, उन्हीं मादक पदार्थों का सेवन युवा और यहाँ तक कि स्कूल जाने वाले कुछ विद्यार्थी भी करने लगे हैं। जो युवा इसका सेवन लंबे समय से कर रहे हैं वे इसके बिना नहीं रह पाते हैं। ऐसे पदार्थों का सेवन करना उनकी आदत बन चुकी है। पाश्चात्य संस्कृति अपनाते-अपनाते भारतीय युवक तेजी से इन्हें भी अपनाते जा रहे हैं। दुख की बात है कि अब तो युवतियाँ भी इसके चपेट में आने लगी हैं। इसका असर महानगरी युवाओं पर अधिक हो रहा है। पहले यह आदत संपन्न वर्ग तक ही सीमित होती थी पर आज यह हर वर्ग में फैल रही है। ग्रामीण-शहरी, अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित, युवक-युवतियाँ तथा बेरोजगार वर्ग के व्यक्ति इसके सेवन के आदी हो रहे हैं पर युवा वर्ग इनका अधिक शिकार हो रहा है।
नशे के दुष्परिणाम
आज मादक द्रव्यों को ‘ड्रग्स' नाम से जाना जाता है। इसकी परिधि में मादक द्रव्य और दवाइयाँ दोनों ही आ जाती हैं। पहले तो इनका प्रयोग सूँघने, खाने या पीने के माध्यम से किया जाता था पर आज इसे इन माध्यमों के अलावा इंजेक्शन के माध्यम भी लिया जाता है। ये पदार्थ मनुष्य की जैविक क्रिया-प्रणाली को प्रभावित करते हैं। दुर्भाग्य से युवा वर्ग इन सभी का प्रयोग करने लगा है।
मादक द्रव्यों को मुख्यता दो वर्गों में बाँटा जा सकता है-
- कम हानि वाले मादक द्रव्य
- अधिक हानिकर मादक द्रव्य
सामान्य या कम हानिकर मादक द्रव्यों में मुख्य रूप से निकोटीन और कैफीन को लिया जा सकता है। 'निकोटीन' तंबाकू में पाया जाता है, जिसे तंबाकू, पान मसाले, गुटखा और सिगरेट के माध्यम से सेवन किया जाता है। इनका असर धीरे-धीरे स्वास्थ्य पर पड़ता है। अतः इनका प्रयोग अधिक तथा दीर्घकाल तक करने से होता है। इसके अलावा कुछ मादक द्रव्य पोस्ते के पौधे से भी तैयार किए जाते हैं, जिनमें अफीम, मॉरफीन, हेरोइन, स्मैक आदि हैं। इनका प्रयोग लोग नींद लाने, दर्द भगाने, सुखानुभूति के लिए करते हैं। इनके धीरे-धीरे प्रयोग से कुछ दिन में ही युवावर्ग इसका आदी हो जाता है। इनमें हेरोइन सबसे खतरनाक पदार्थ है जिसके सेवन से व्यक्ति स्वयं को सुखद स्थिति में महसूस करता है, किंतु इसका असर खत्म होने पर वह अजीब-सी बेचैनी और पीड़ा की अनुभूति करता है। वह बार-बार इसका सेवन करना चाहता है।
दूसरे वर्ग में शराब और एल्कोहल जैसे मादक द्रव्यों को रखा जा सकता है, जिनके सेवन से अधिक हानि होने की संभावना रहती है। शराब पीने वाले व्यक्ति की दिनचर्या ही इसी पर आधारित होकर रह जाती है। एक बात तो यह तय है कि मादक द्रव्य या ड्रग्स जो भी हैं उनका दीर्घकालीन प्रयोग गंभीर समस्या एवं मौत का कारण बन सकता है। इतना होने पर भी इनका सेवन करने वालों की कमी नहीं है, उल्टे इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है। इनके व्यसनी लोगों की चाल, बात करने का ढंग, उनकी जीवन-शैली आदि देखकर इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है।
नशे की समस्या से निपटने के उपाय
युवावर्ग को यह जान लेना चाहिए कि शौक और मौज़ के लिए अपनाए गए इन मादक द्रव्यों के लगातार लेने की आदत बनने के पहले ही छोड़ देना चाहिए। इसके लिए उन्हें स्वजागरूकता लानी होगी। मादक द्रव्यों का सेवन व्यक्ति, समाज, राष्ट्र और विश्व सभी के लिए हानिप्रद है। अतः इसका त्यागकर इनसें दूर रहने में ही युवावर्ग और सभी की भलाई है।
युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति एक गंभीर चुनौती है। इस समस्या से निपटने के लिए समाज के सभी वर्गों को मिलकर काम करना होगा। हमें युवाओं को एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण प्रदान करना होगा ताकि वे नशे की ओर आकर्षित न हों।
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