अंतरजातीय विवाह के फायदे और नुकसान अन्तर्जातीय विवाह का कारण अन्तर्जातीय विवाह ऐसा विवाह है जो एक पुरुष तथा एक स्त्री को जोकि विभिन्न जाति समूहों के
अंतरजातीय विवाह के फायदे और नुकसान
विवाह एक सामाजिक संस्था है. इस संस्था का उद्गम मनुष्य समाज के साथ हुआ. समय तथा काल के साथ चाहे इसका स्वरूप भिन्न रहा हो, परन्तु विवाह तो विवाह ही था और है जनजाति समाज से लेकर आधुनिक समाज के बीच विवाह की संरचना तथा स्वरूप भिन्न रहे हैं, परन्तु विवाह का आधार अपरिवर्तित रहा है.
अन्तर्जातीय विवाह ऐसा विवाह है जो एक पुरुष तथा एक स्त्री को जोकि विभिन्न जाति समूहों के हैं जब वह परिवार नामक समिति का गठन करने के लिए एक सूत्र में बँधते हैं, तो वह विवाह अन्तर्जातीय विवाह कहलाता है,अन्तर्जातीय विवाह का स्वरूप प्राचीनकाल से इस विवाह का प्रचलन ही गन्धर्व विवाह तथा मुगलों के समय में हिन्दू-मुस्लिम विवाह राजपूत राजाओं तथा मुस्लिम राजाओं के घरानों में एक प्रथा के रूप में था.
अन्तर्जातीय विवाह का कारण
समाज में मान्यता न मिलने पर तथा एक व्यवस्थित ढाँचा न मिलने के बाद भी आज अन्तर्जातीय विवाह पहले की अपेक्षा अधिक हो रहे हैं तथा इसके विरोध की गहनता भी छट रही है. शिक्षा, दूरसंचार माध्यमों की सुविधा व आवागमन की सुविधा से सम्पर्क सुविधा ने इस क्षेत्र का प्रसार अधिक किया है तथा इस प्रकार की वैवाहिक नातेदारी (Affinal Kinship) को बनाने में सहायता प्रदान की है. आधुनिक युग में शिक्षा की विधि तथा समझने के तरीके में नवीनीकरण (Innovation) हुआ है. आज आधुनिकीकरण व औद्योगिकीकरण के इस दौर में नए समाज का समाजी- करण (Socialisation) हुआ है जो पुराने लोकाचार प्रथाओं (Tradition) से बाहर आकर नूतन उन्नति की ओर परिवार के रूप में उभर रहा है जो नित्य नयापन चाहता है. नए सांस्कृतिक आयाम तथा परसंस्कृति को देखने व परखने की जिज्ञासा तथा भेदभाव रहित जन्य में विश्वास करने वालों का एक तबका उभर कर सामने आ रहा है जो अन्तर्जातीय विवाह का पक्षधर है जो मानवता तथा लहू के एक रंग पर विश्वास करता है. जहाँ जाति- जाति की हीन भावना साँस नहीं ले पाती, वहाँ अन्तर्जातीय विवाह के पुष्प पल्लवित तथा पुष्पित होते हैं. इसके लिए स्वच्छ मन का वातावरण तथा प्रेम की खुशबू से उद्यान सींचने वाले माली ही इसके उत्तराधिकारी होते हैं.
सफल अन्तर्जातीय विवाह के अनेक उदाहरण मिल जाएंगे, किन्तु यदि इसको व्यवस्थित विवाह की तरह सामाजिक मान्यता मिल जाए, तो समाज की बहुत-सी कुरीतियाँ दूर हो जाएंगी.
अन्तर्जातीय विवाह से निम्नलिखित लाभ हैं-
- जातिवाद का भेदभाव दूर होना.
- जीवन साथी के चुनाव में व्यापकता.
- बौद्धिक उपलब्धि
- पर्दा प्रथा की समाप्ति
- विधवा विवाह को प्रोत्साहन
- दहेज प्रथा की समाप्ति
- बाल विवाह पर पाबन्दी
जातिवाद का भेदभाव दूर होना
अन्तर्जातीय विवाह से जातिवाद का भेदभाव दूर होता है, जो राष्ट्र के हित में है. जातिवाद की ज्वाला में आज हमारा देश धू-धू कर जल रहा है. हर क्षेत्र में यह समस्या हमारा पीछा कर रही है. चाहे वह नौकरी हो, सामाजिक व्यवस्था हो या निजी संस्थान हो. हर मार्ग पर जाति-पाति का सर्प कुण्डली मारे बैठा है तथा न जाने कितनी प्रतिभाएं इसका शिकार हो रही हैं और हो चुकी हैं. वैवाहिक सम्बन्ध इस प्रकार इस समस्या को दूर करने में मलहम का काम करेगा. अन्तर्जातीय विवाह सौहार्द और प्रेम का द्योतक है. जीवन को कुंठाओं के घेरे से निकालकर जाति-पाति के भेदभाव से दूर विशालता की ओर ले जाने वाला वह मार्ग है जिस पर चलकर ही इससे मिलने वाले सुख और प्रसन्नता का अनुभव किया जा सकता है. यह विवाह दो विपरीत जाति के लोगों को एक दाम्पत्य सूत्र में पिरो देता है तथा एक-दूसरे के धर्म व जाति की संस्कृति के आदान-प्रदान में सहायक है.
जीवन साथी के चुनाव में व्यापकता
अन्तर्जातीय विवाह सुयोग्य जीवन साथी के चुनाव में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, क्योंकि एक ही धर्म व जाति के छोटे से दायरे से बाहर आकर व्यापकता से जीवन साथी चुनने से संकीर्ण विचार धाराओं से मुक्ति मिलती ही है तथा अन्तःविवाहों (Endogamous) की समस्याओं से उसको जो कठिनाइयाँ होती हैं उससे वह परे हो जाता है.
बौद्धिक उपलब्धि
कुछ बीमारियाँ आपस में रक्त सम्बन्धियों से विवाह करने से होती हैं तथा अन्तर्जातीय विवाह करने से अपने सम्बन्धियों तथा गोत्र (Clan) में विवाह करने से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है तथा बहुत हद तक इसको कम किया जा सकता है. सर्वेक्षण द्वारा यह आँका गया है कि अन्तर्जातीय विवाह से उत्पन्न बच्चों का बौद्धिक मापन (I.Q.) अधिक होता है।
पर्दा प्रथा की समाप्ति
अन्तर्जातीय विवाह के आपसी मेल-जोल से पर्दा प्रथा की समाप्ति होती है. पर्दा सांस्कृतिक अवरोधक का कार्य करता है. धार्मिक आंचल में विशेषकर मुस्लिम समुदाय में इसका विशेष महत्व है, परन्तु इसको कुछ अन्य समुदायों में भी विभिन्न प्रकार से स्वीकार किया जाता है तथा स्त्रियों की प्रतिभाओं को कुचलने के साधन के रूप में भी पुरुष वर्ग इसे प्रयोग करता रहा है, परन्तु पुरुष वर्ग में भी एक वर्ग खुले मस्तिष्क वाला है वह समूह यदि अन्तर्जातीय विवाह को प्राथमिकता देकर आगे आता हैं, तो अन्य दमनकारी शक्तियों के लिए वह प्रतिरोधक की तरह कार्य करेगा तथा समाज के पुराने ढाँचे को जोकि हितकारी नहीं है, समाप्त कर आधुनिक समाज में एक नवीन संरचना का निर्माण करेगा।
विधवा विवाह को प्रोत्साहन
आज भी हमारे भारतीय समाज में विधवा विवाह को सामाजिक स्वीकृति खुले मन से नहीं मिली है. अतः अन्तर्जातीय विवाह से दूसरे धर्मों की जातियों में, जहाँ यह स्वीकार किए जाते हैं, होने से विधवा विवाह की स्वीकृति की ओर सूक्ष्म विकास प्रारम्भ हो जाएगा.
दहेज प्रथा की समाप्ति
अन्तर्जातीय विवाह दो हृदय को एक सूत्र में बाँधने वाला बन्धन है. जहाँ केवल भावों और प्राकृतिक विचारों का पुंज होता है और माया मोह से दूर लालच तथा आर्थिक कुंठाओं से ग्रसित लोगों के लिए एक पाठ है.
बाल विवाह पर पाबन्दी
बाल विवाह हमारे देश का घुन है जो ग्रामीण परिवेश में अधिक पाया जाता है, जहाँ पर परम्पराओं तथा प्रथाओं को धर्म की संज्ञा दी जाती है. इस विचारधारा से बाहर निकलने के लिए नवीनीकरण (Innovation) होना आवश्यक होता है. जिसका मतलब होता है कि समाज में पुरानी चीज की जगह नए का नियम स्वीकार होना, अन्तर्जातीय विवाह जीवन साथी को अपने ढंग से चुनने तथा अपनी पसन्द का जीवन साथी चुनने में सहायक होता है तथा निर्णय लेने की क्षमता परिपक्वता पर ही आती है. इस प्रकार बाल विवाह पर एक प्रकार से अन्तर्जातीय विवाह अंकुश लगाता है. एक बात और अन्तर्जातीय विवाह के नाम पर प्रत्येक व्यक्ति अपेक्षाकृत उच्चतर जाति में विवाह करना चाहता है. शूद्र ब्राह्मण, बनिया, ठाकुर आदि के साथ सम्बन्ध करके प्रगतिशील बनना चाहता है, परन्तु वह किसी चाण्डाल परिवार से सम्बन्ध नहीं करना चाहेगा कहने का सारांश यह है कि अन्तर्जातीय विवाह के मार्ग में तथाकथित निम्न वर्ग पर श्रेष्ठता का मिथ्यामिभान है.
अन्तर्जातीय विवाह की समता वनस्पति जगत् में होने वाले Cross Pollination से की जा सकती है, जिसके परिणामस्वरूप उत्पन्न प्रजाति अधिक श्रेष्ठ एवं पुष्ट होती है. अतः जैविक दृष्टि से स्वस्थ एवं अधिक संतति की उत्पत्ति में अन्तर्जातीय विवाह सहायक होता है, परन्तु वनस्पति जगत की यह श्रेष्ठ उपलब्धि पशुओं में नहीं है-यह भी एक विचारणीय प्रश्न है.
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