मेरा बचपन बचपन जीवन का आधार सिद्धांत पर आधारित एक शानदार अभिनय की शुरुआत करने की मुहिम का स्वागत स्तंभ में से भी है। बचपन , गेहूं निर्मित में जीवन मू
मेरा बचपन
बचपन जीवन का आधार सिद्धांत पर आधारित एक शानदार अभिनय की शुरुआत करने की मुहिम का स्वागत स्तंभ में से भी है। बचपन , गेहूं निर्मित में जीवन मूल्यों की यात्रा पर रवाना होने की संभावना है।
सशक्त समाज बनाना
उत्प्रेरित विचार लाना।
शिक्षा समृद्धि पाना
नव कौशल दिखाना।
समाज को जगाना
बचपन को बनाना।
परिवेश से खुद को प्रारंभ करने की कोशिश की कड़ी है। बचपन वातावरण तैयार करने वाली एक कंपनी की वेबसाइट का हिस्सा है। उसमें खुद को बनाने ढालने की जरूरत है। बचपन धैर्य रूपी सरोवर में शुद्ध सत्य विमल मानस तीर्थ में उत्तम लोक की खोज करने वाला है। मोह मद लोभ से परे संयमित जीवन का आधार है।
बचपन में छोटा बड़ा कौन के बोध से संचालित परिधि के बाहर विकार से दूर निर्विकार भाव की स्थापना स्थल है।
मेरा बचपन शहर से बहुत दूर एक गांव में हुआ था। पिता जी किसान परिवार में जन्मे थे। मेरा बचपन भी उसी परिवार में हुआ था। अयोध्या की नगरी का होने के बाद भी सरयूतट से तीन किलोमीटर दूर जिसे बचपन में कोस कहा जाता था । एक कोस की दूरी पर साकेत से सैकड़ों किलो मीटर दूर पूर्व में मेरा गाँव अवस्थित है।
मेरे पिता जी किसान थे उन्हें खेती बारी का शौक था रहे भी क्यों नहीं दो भाइयों में अकेले ही बचे थे |उन दिनों वर्ष भर में खेती से जौ , गेहूं ,चना ,मटर ,सरसो , अलसी की खेती होती थी | पानी का अभाव था लोग कूप ,नदी ,तालाब से सिचाई किया करते थे | आगे चलकर नहर गाव में आई यह नहर जिसकी हम जिक्र कर रहे हैं वह जब आई मेरी उम्र लगभग आठ वर्ष की रही होगी | नहर से कोई विशेष लाभ मेरे गाँव को नहीं हुआ बल्कि जब पानी उसमे आता उस समय वारिस का समय होता जिससे धान अरहर उड़द आदि लगाईं गयी फसल बरबाद हो जाया कराती थी | कहते हैं -
बरबादी की एक निशा गाँव को घेरा लिया
जब जल चाहिए तो सूखी खेती भी लिया |
खेती में धान , बजरी - बाजरा ,मक्का ,सांवा , कोदो ,उड़द ,मूंग , साथ ही सब्जी में तरोई ,सरपतिया ,ननुआँ ,करैला ,भिंडी ,बोरा ( बोड़ा ) ,कोहड़ा ,लौकी परवल ,बैगन टमाटर गाजर - ,मूली ,चुकंदर ,आलू - प्याज ,लहसुन ,चुकंदर ,मसाले में जीरा ,चमसुर मेथी आदि पैदा होते थे | बलुवार जमीन पर कन्ना ( गंजी ) की खेती होती थी | परवल और कन्ना के लतर लगाए जाते थे | सूरन की हमारे यहां खेती नहीं होती परन्तु घर के आस -पास ,कटहल के पौधे ले अगल बगल में सूरन की भी खेती होती थी | आम - कटहल बहुत होता था उन दिनों लोग आम और कटहल को पास पड़ोस बाँट देते थे | जिनके घर इसकी कमी होती थी अथवा जिसके पास पेड़ नहीं थे ।
कहावत है कि भारत में दूध की नदियाँ बहा कराती थी | मुझे लगता है भारत में दूध की अधिकता रही होगी।मेरे बचपन में छोटे -बड़े ,अमीर -गरीब सभी के पास प्रायः भैंस ,गाय, बकरी रहती थी | किसी के पास एक - अनेक औकात भोति उतने तादात में वह जानवरों को रखता था | उसके लिए चारागग की जगह बाग़ -बगीचे ,खाली जगह , नदी का किनारा प्रमुख रूप से प्रयोग में लिया जाता था | मेरे पास उन दिनों दो भैंस हुए एक गाय थी | बकरी का दूध कहते है शरीर को अधिक पुष्ट करता है इस लिए मेरे पिता जी ने बकरी भी खरीद दिया हमनें भी बकरी का दूध साढ़ी उतार पिया |
- सुख मंगल सिंह
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