चंद्रयान 3 मिशन पर निबंध भारत का चंद्रयान 3 मिशन, देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस मिशन के माध्यम से भारत ने चंद्रमा
चंद्रयान 3 मिशन पर निबंध
भारत का चंद्रयान 3 मिशन, देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस मिशन के माध्यम से भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बनने का गौरव प्राप्त किया। इस उपलब्धि ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में वैज्ञानिक समुदाय को उत्साहित किया है।
मनुष्य और विज्ञान के बीच का सम्बन्ध बहुत पुराना रहा है। यूं कहा जाए कि आज विकास की जो बयार बह रही है वह विज्ञान की ही देन है। यह इस विकास का ही परिणाम है कि आज मनुष्य ने पूरी दुनिया बल्कि कहा जाय तो पूरे ब्रह्मांड पर विजय प्राप्त कर लिया है। देश के संदर्भ में जब बात की जाती है तब यह कहने में थोड़ी भी कठिनाई नहीं होती कि भारत भी विज्ञान के क्षेत्र में दिन प्रतिदिन अपने सफलता के परचम लहरा रहा है। आज स्थिति यह है कि भारत अमेरिका और रूस जैसे शक्तिशाली देशों को भी विज्ञान क्षेत्र में चुनौती दे रहा है।
पिछले दिनों इसका एक बेहतरीन उदाहरण देखने को मिला जिसने भारत को विकसित देशों की पंक्ति में अग्रिम श्रेणी में ला खड़ा किया। 23 अगस्त 2023 यह वह दिन था जिसने इतिहास के पन्नों में अपनी महत्त्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज की। यही वह दिन था जब चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली थी। यह खबर आते ही हमारे देश चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करनेवाला विश्व का पहले देश बन गया। हालांकि हमारे देश ने पहले भी चांद तक पहुँचने का सफर शुरू किया था लेकिन वह सफर बीच रास्ते में ही खत्म हो गया था। आपको याद होगा कि इसरो ने लैंडर और रोवर को चंद्रमा पर लगभग 70 डिग्री दक्षिण के अक्षांश पर सॉफ्ट लैडिंग करवाने की पूरी कोशिश की थी लेकिन इसरो की यह कोशिश सफल नहीं हो पाई थी। उस समय चंद्रयान का लैंडर विक्रम चांद की सतह से टकरा गया था और उसी समय चंद्रयान 2 का मिशन असफल हो गया था। इस विफलता से वैज्ञानिकों को भारी दुःख पहुँचा था लेकिन वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी। वह लगातार प्रयास करते गए और आखिरकार उनका प्रयास चंद्रयान- 3 से सफल हुआ। अब चंद्रयान 3 की सफलता ने यह तय कर दिया है कि भारत चंद्रमा की सतह पर एक नया इतिहास रचेगा। यह वास्तव में एक ऐसी उपलब्धि है जो चंद्रयान 3 के विषय में जानने की उत्सुकता को जन्म देती है। इसलिए यह जाने लेना आवश्यक है कि आखिर यह चंद्रयान 3 है क्या ?
चंद्रयान-3 भारत का एक ऐसा महत्वाकांक्षी मिशन है जिससे चंद्रमा की सतह से जुड़ी कई सारी जानकारियाँ हासिल होंगी। इस मिशन का सारा श्रेय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को जाता है। चंद्रयान-3 जैसे महत्त्वपूर्ण मिशन को इसरो द्वारा 14 जुलाई 2023 को लांच किया गया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य यह था कि कैसे चंद्रयान चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करेगा। लांचिंग और लैंडिंग के बीच 40 दिनों का समय था । इस चंद्रयान 3 को बनाने में भारतीय टेक्नोलॉजी का ही पूर्ण रूप से इस्तेमाल किया गया है। इसरो के वैज्ञानिक इस मिशन को सफल बनाने के लिए दिन-रात जुटे हुए थे। चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केन्द्र से लांच होने की हरी झंडी मिली थी। जैसे चंद्रयान 2 में एक लैंडर और एक रोवर था। ठीक उसी प्रकार चंद्रयान-3 में भी एक लैंडर और एक रोवर शामिल है। इसी के साथ इस बार लैंडर और रोवर के साथ एक आर्बिटर भी रखा गया है। तीनों चीजों का अपना अलग महत्त्व है। लैंडर का काम होगा यान को सफलतापूर्वक तरीके से चाँद पर उतारना। रोवर चांद की सतह पर रहकर काफी सारी चीजों की खोज करेगा। तो वहीं आर्बिटर यह अध्ययन करेगा कि चांद पर किस तरह का वातावरण है। चंद्रयान-3 पूरी तरह से भारतीय तकनीक से बनकर तैयार हुआ है।
अंततः चंद्रयान की सफलता इस बात को सिद्ध करती है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। चंद्रयान-2 की असफलता के बावजूद भी भारतीय वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी और चंद्रयान के दक्षिणी ध्रुव पर भारत का परचम लहरा दिया। चंद्रयान-3 की सफलता न सिर्फ मनुष्य और विज्ञान के मधुर सम्बन्धों को दर्शाता है कि बल्कि इस बात की भी पुष्टि करता है कि अब हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना कर सकते हैं जिसके बारे में हमने कभी सोचा तक नहीं था।
चंद्रयान 3 मिशन भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। इस मिशन की सफलता ने भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। यह मिशन युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
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