अरुण कमल का साहित्यिक जीवन परिचय अरुण कमल, आधुनिक हिंदी कविता के उन चमकदार सितारों में से एक हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज और जीवन के व
अरुण कमल का साहित्यिक जीवन परिचय
अरुण कमल, आधुनिक हिंदी कविता के उन चमकदार सितारों में से एक हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं को बड़ी ही मार्मिकता से उजागर किया है। बिहार के रोहतास में जन्मे अरुण कमल ने अपनी कविताओं में जीवन की जटिलताओं, सामाजिक असमानताओं और मानवीय भावनाओं को बड़ी ही सहजता से व्यक्त किया है। उनकी भाषा सरल और सहज होने के साथ-साथ गहरी भावनाओं से ओत-प्रोत होती है।
अरुण कमल का जन्म 15 फरवरी सन् 1954 में नासरी गंज (रोहतास), बिहार में हुआ था। तीन कविताएँ 'अपनी केवल धार' (1980), 'सबूत' (1980), 'नये इलाके में' (1996) तथा एक आलोचनात्मक पुस्तक कविता और समय (1999) में प्रकाशित हुआ। 'पुतली में संसार' इनका चौथा कविता संग्रह है। इनके अलावा वियतनामी कवि 'तोहूँ' की कविताओं - टिप्पणियों की एक अनुवाद पुस्तिका, मायकोवस्की की आत्मकथा का अनुवाद। अंग्रेजी में 'वॉयसेज़' नाम से भारतीय युवा कविता के अनुवादों की किताब प्रकाशित हुई। किपलिंग की 'जंगल बुक' का अनुवाद भी इन्होंने किया।देश विदेश के अनेक साहित्यकारों की कविताओं तथा लेखों के हिन्दी अनुवाद विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कराया।
इनके द्वारा संचालित 'अनुस्वार' नामक एक अनुवाद स्तम्भ 'प्रभात खबर (राँची से प्रकाशित) में हर पखवाड़े प्रकाशित होते हैं। बीच में नव भारत टाइम्स (पटना) के लिए 'जन-गण-मन' स्तम्भ में सामयिक टिप्पणियाँ लिखीं तथा इंटरनेट पत्रिका 'लिटरेट वर्ल्ड' के लिए भी स्तम्भ लेखन किया। 'अरुणजी' को कविता के लिए भारत भूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार (1980), सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार (1889), श्रीकान्त वर्मा स्मृति पुरस्कार (1990), रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार (1996), शमशेर सम्मान (1997) तथा 'नये इलाके' में कविता पुस्तकों के लिए वर्ष 1998 का साहित्य एकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ये अफ्रीएशियाई युवा लेखक सम्मेलन ब्राजाविले, कांगो में भारत के प्रतिभागी भी रह चुके हैं। इन्होंने रूस, चीन, तथा इंग्लैण्ड की साहित्यिक यात्राएँ भी की हैं। इनकी अनेक देशी-विदेशी भाषाओं में कविताएँ भी अनूदित हुई हैं। इनकी कविताएँ उर्दू तथा पंजाबी पुस्तकों में भी प्रकाशित हुई हैं।
अरुण कमलजी की साहित्य अकादमी की सामान्य परिषद एवं सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में नियुक्ति हुई है। ये हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग की कार्य समिति के सदस्य भी हैं।अरुण कमलजी अभी पटना विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में अध्यापन कार्य में संलग्न हैं।
अरुण कमल का साहित्यिक योगदान
कविता के अलावा, अरुण कमल ने साहित्य आलोचना, अनुवाद और संपादन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कई विदेशी रचनाओं का हिंदी में अनुवाद किया है और लंबे समय तक साहित्यिक पत्रिका 'आलोचना' का संपादन भी किया। उनकी रचनाओं में समाज में व्याप्त कुरीतियों और असमानताओं के खिलाफ एक गहरा विद्रोह झलकता है।अरुण कमल को उनके काव्य संग्रह 'नए इलाके में' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनकी रचनात्मक प्रतिभा का प्रमाण है। उनकी कविताएँ न केवल साहित्यिक दृष्टि से समृद्ध हैं बल्कि समाज और जीवन के प्रति गहरी संवेदनशीलता को भी दर्शाती हैं। उनकी रचनाएँ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।
अरुण कमल की कविताएँ जीवन की वास्तविकता को बड़ी ही सटीकता से चित्रित करती हैं। उनकी कविताओं में आप जीवन के उतार-चढ़ाव, प्यार-मोहब्बत, ख्वाब और हकीकत सब कुछ पाएंगे। उनकी कविताएँ आपको सोचने पर मजबूर करती हैं और जीवन के प्रति एक नया दृष्टिकोण देती हैं।अरुण कमल ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी है। उनकी रचनाओं ने हिंदी कविता को एक नई पहचान दी है। वे एक ऐसे कवि हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को बदलने का प्रयास किया है। उनकी रचनाएँ हमेशा प्रासंगिक रहेंगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।
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