भावनात्मक ब्लैकमेल एक खतरनाक हथियार

SHARE:

हमारे समाज और देश में लोग अक्सर अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए दूसरों की मानसिक भावनाओं को बेरहमी से आहत करते हैं। यह न केवल मानसिक और भावनात्मक छति क

लोग अपने फायदे के लिए दूसरों की मानसिक भावनाओं  का बेरहमी से क़त्ल कर डालते हैं


जकल के समाज में कुछ लोग अपने स्वार्थ और व्यक्तिगत लाभ के लिए दूसरों की मानसिक भावनाओं  को जानबूझकर आहत करते हैं, जिससे मानसिक और भावनात्मक चोटें पहुँचती हैं। इस प्रकार का संवेदनहीन और बेरहम व्यवहार न केवल रिश्तों में दरार पैदा करता है, बल्कि समाज में असंतुलन और अविश्वास का वातावरण भी उत्पन्न करता रहता है। ऐसे लोग अपने ही फायदे के लिए दूसरों के दिलों को बिना किसी संवेदना के तोड़ते रहते हैं, जो सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों को नुकसान पहुँचाता रहता है। यह लेख इस बात पर लोगों का विचार करता है कि लोग अपने ही स्वार्थ के लिए दूसरों की मानसिक भावनाओं  का शिकार कैसे करते हैं, और इसके नकारात्मक परिणामों को हम कैसे रोक जा सकते है। इस विषय पर चर्चा करते हुए हम इसके विभिन्न कारणों, मानसिक और सामाजिक प्रभावों को समझेंगे। साथ ही, इस लेख के माध्यम से स्पष्ट किया जाएगा कि इस समस्या से निपटने के लिए हमें कौन-कौन से प्रमुख कदम उठाने चाहिए। लेख में वास्तविक जीवन के उदाहरण और केस स्टडीज के माध्यम से इस पर गहरी चर्चा की जा रही है  और इसके समाधान के लिए उपाय प्रस्तुत किए जाएंगे। समस्या का समाधान भावनात्मक सहानुभूति, संवेदनशीलता और स्वार्थ से ऊपर उठने की मानसिकता से किया जा सकता है। इस तरह से हम समाज में एक भावनात्मक, सकारात्मक और सहायक वातावरण बना सकते हैं, जिससे मानसिक भावनाओं  का शोषण कम हो सकेगा।

समाज में कुछ लोग अपनी व्यक्तिगत भावनात्मक इच्छाओं और लाभ के लिए दूसरों की मानसिक भावनाओं  का पूरी तरह से ख्याल न रखते हुए उन्हें आहत करते रहते हैं, जिसे भावनात्मक शोषण कहा जाता है। यह शोषण कार्यस्थल पर, व्यक्तिगत रिश्तों में और सामाजिक संदर्भों में आमतौर पर देखा जा सकता है। इसके कारण न केवल व्यक्ति की मानसिक स्थिति प्रभावित होती है, बल्कि पूरे समाज में नकारात्मक वातावरण उत्पन्न होता है। स्वार्थ के चलते लोग दूसरों की मानसिक भावनाओं  को नुकसान पहुँचाते हैं, जिसका गहरा मानसिक और सामाजिक प्रभाव पड़ता है। यह शोषण व्यक्तिगत रिश्तों और सामाजिक विश्वास को तोड़ता जाता है, जिससे मनोवैज्ञानिक समस्याएं, अवसाद और तनाव पैदा हो सकते हैं। चाहे वह कार्यस्थल पर हो, परिवार हो या दोस्ती के रिश्ते, मानसिक भावनाओं  का शोषण किसी भी प्रकार से नकारात्मक असर डालता है। इस लेख में हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि क्यों लोग दूसरों की मानसिक भावनाओं  का शिकार करते हैं और इसके समाज पर क्या असर डालते हैं। साथ ही, हम इस समस्या के समाधान के उपायों पर भी विचार करेंगे, जिससे भावनात्मक एवं मानसिक शोषण को रोका जा सके और एक सकारात्मक सामाजिक व्यवस्था के वातावरण को बढ़ावा दिया जा सके।

जब कोई व्यक्ति अपने लाभ के लिए दूसरे की मानसिक मानसिक भावनाओं  को जानबूझकर आहत करता है उससे अपना फायदा उठाया जाता है और इसे मानसिक भावनाओं  का शिकार करना भी कहा जाता है। यह स्वार्थपूर्ण मानसिकता व्यक्ति को दूसरों की स्थिति या भावना के प्रति संवेदनहीनता की तरफ ले जाती है। चाहे यह व्यक्तिगत जीवन, कार्यस्थल, या सामाजिक दायरों में हो, इसके परिणाम हमेशा नकारात्मक और दुस्परिनाम को जन्म देते हैं। इस मानसिकता के कारण किसी के दु:ख,अवसाद या असुरक्षा का फायदा उठाया जा सकता है, जिससे रिश्तों में  मन मिटाव,  दरार और मानसिक आघात पहुँचने की संभावना बनी रहती है। इस प्रकार की मानसिकता समाज और व्यक्तिगत जीवन में भारी नुकसान का कारण बनती चली जाती है।

लोग अपने फायदे के लिए दूसरों की मानसिक भावनाओं  का बेरहमी से क़त्ल कर डालते हैं
स्वार्थपूर्ण मानसिकता का मतलब है केवल अपनी खुशी, संतुष्टि या लाभ के लिए दूसरों की संवेदनाओं, मानसिक भावनाओं  और मानसिक स्थिति को नजरअंदाज करना  होता है। इस प्रकार की मानसिकता में व्यक्ति यह सोचने लगता है कि "जो मेरे लिए उपयुक्त, सुलभ  एवं अच्छा है, वही मुझे करना चाहिए, चाहे दूसरे को इससे नुकसान ही क्यों न हो।" इस प्रकार की सोच इंसान को अपने निर्णयों और कार्यों में संवेदनहीनता की तरफ ले जाती है। स्वार्थी मनुष्य अपनी इच्छाओं और फायदे को ही प्राथमिकता देते  हैं, भले ही इससे दूसरों को कष्ट पहुँचता रहे। ऐसे लोग ही अपनी सफलता और संतुष्टि के लिए किसी भी हद को पार कर सकते हैं, बिना यह सोचे कि दूसरों की ही मानसिक भावनाओं  का सम्मान करना कितना जरूरी है। इस प्रकार की मानसिकता से रिश्तों में मन मिटाव, दरारें, संघर्ष और मानसिक तनाव बढ़ते चले जाते हैं, जो लंबे समय में सामाजिक असंतुलन को स्थापित करेंगे। मनुष्य का स्वार्थी व्यवहार न केवल दूसरे को नुकसान पहुँचाता है, बल्कि खुद को भी असंतुष्टि की तरफ धकेलता है।

जब कोई व्यक्ति दूसरों की मानसिक मानसिक भावनाओं  का शिकार करता है, तो इसका प्रभाव केवल उस व्यक्ति पर नहीं, बल्कि समाज, रिश्तों और परिवार पर भी नकारात्मक असर डालता है। यह मानसिक आघात, अवसाद, और आत्मविश्वास की कमी जैसी समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। लंबे समय में, इस प्रकार का व्यवहार रिश्तों एवं परिवार की स्थिरता को नुकसान पहुँचाता है और सामाजिक असंतुलन पैदा करता है। मानसिक और भावनात्मक आघातों एवं चोटों के कारण व्यक्ति आत्म-संकोच, चिंता, और अवसाद जैसी समस्याओं का सामना करने लगता है। इस प्रकार के मानसिक तनाव और असुरक्षा के परिणामस्वरूप आत्मविश्वास घटता है, जिससे रिश्तों और समाज में अविश्वास बढ़ता चला जाता है। इस प्रकार के नकारात्मक प्रभाव न केवल व्यक्तिगत भावना को नुकसान पहुँचाते हैं, बल्कि समग्र सामाजिक वातावरण पर भी बुरा असर डालते चले जाते हैं।

केस अध्ययन 1: जिस कार्यस्थल पर कुछ लोग अपनी पदोन्नति या व्यक्तिगत लाभ के लिए दूसरों की मानसिक भावनाओं को बेरहमी से आहत करते हैं। उदाहरण स्वरूप, एक टीम लीडर अपने सहकर्मियों का अपमान करके, उन्हें दबाव में डालकर काम जल्दी पूरा करने की कोशिश करता है, तो इससे सहकर्मियों के आत्मविश्वास टूटते हैं और टीम की कार्य क्षमता पर भी नकारात्मक असर डालते हैं। एक अन्य उदाहरण में, जब कोई प्रबंधक सहकर्मियों पर अत्यधिक दबाव डालता चला जाता है, उनका अपमान करता रहता है और खुद उनकी मेहनत का क्रेडिट लेता चला जाता है। इस प्रकार के स्वार्थपूर्ण व्यवहार से न केवल कार्यस्थल का माहौल खराब होता चला जाता है, बल्कि कंपनी अथवा संस्था की उत्पादकता पर भी नकारात्मक असर पड़ता चला जाता है। कार्यक्षेत्र में मानसिक भावनाओं का शोषण एक सामान्य समस्या दिखती है, जिसके दूरगामी प्रभाव देखने को मिलते हैं।

केस अध्ययन 2: जब पारिवारिक रिश्तों में भी कभी-कभी लोग अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए दूसरों की मानसिक भावनाओं का शिकार करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि एक परिवार का सदस्य दूसरे की मेहनत और संघर्ष की अनदेखी करता चला जाता है, तो यह उसकी मानसिक भावनाओं को आहत करता है। इस प्रकार का व्यवहार परिवार में दूरियाँ और अविश्वास पैदा करने की परिस्थिति  को दर्शाता है, जो रिश्तों में दरार डाल सकता है। जब एक सदस्य अपनी स्थिति का फायदा उठाकर दूसरे के संघर्षों को नजरअंदाज करता चला जाता है, तो यह भावनात्मक शोषण कहलाता है। उदाहरण स्वरूप, अगर कोई सदस्य दूसरे के भावनात्मक संघर्ष का मजाक उड़ाता चला जाता है या उसे उपेक्षित करता रहता है, तो यह पारिवारिक रिश्तों में तनाव और संघर्ष का कारण बनता चला जाता है। इस तरह के व्यवहार से पारिवारिक संबंधों में दरारें उत्पन्न होती चलीं जातीं हैं।

केस अध्ययन 3: आजकल सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर भावनाओं का शिकार करने की घटनाएँ बढ़तीं जा रहीं हैं। कुछ लोग ख़ुद की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए दूसरों को निशाना बनाते हैं, उनका मजाक भी उड़ाते हैं, या नकारात्मक टिप्पणियाँ करते रहते हैं। उदाहरण के तौर पर, किसी व्यक्ति के निजी जीवन या उसकी ही असुरक्षा को सार्वजनिक रूप से उजागर करना, या उसके मानसिक एवं भावनात्मक संघर्ष पर ताना कसना, यह सभी भावनात्मक शोषण के रूप हैं। इससे न केवल उस व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है, बल्कि समाज में नकारात्मकता और संवेदनहीनता फैलती चली जाती है। सोशल मीडिया पर लोग दूसरों को अपमानित करने, तंग करने और उनका मजाक उड़ाने के लिए विभिन्न पोस्ट और टिप्पणियाँ करते रहते हैं। इन गतिविधियों से व्यक्ति के आत्मविश्वास पर गहरा असर पड़ता है, और वह भावनात्मक मानसिक तनाव का सामना करता है। इस तरह की घटनाएँ समाज में गलत मानसिकता जन्म देतीं हैं और संवेदनहीनता को बढ़ावा देती रहतीं हैं।

यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम अपनी भावनात्मक-संवेदनशीलता को अपने भीतर बढ़ाएं और दूसरों के प्रति सहानुभूति विकसित करें। जब हम दूसरों की मानसिक और भावनात्मक स्थिति को समझने की कोशिश करते हैं, तो हम उनके प्रति बेरहम आघात अथवा गलत करने से बच सकते हैं। लोगों के प्रति सहानुभूति न केवल दूसरों को बेहतर समझने में मदद करती है, बल्कि यह हमें अपने कार्यों के प्रति अधिक जिम्मेदार भी बनाती है। यदि हम दूसरों की स्थिति और मानसिक भावनाओं  को समझने का प्रयास करेंगे, तो हम जानबूझकर उनकी मानसिक भावनाओं  को आहत नहीं कर पाएंगे। सहानुभूति हमें यह समझने में मदद करती है कि किसी के दर्द और संघर्ष को दिल से महसूस किया जाए और उसे सम्मान दिया जाना चाहिए। इस भावनात्मक-मानसिकता से हम रिश्तों को मजबूत कर सकते हैं और समाज में सकारात्मक माहौल बना सकते हैं।

लोगों को आज के वक्त में अपने स्वार्थ से ऊपर उठने की आवश्यकता है, क्योंकि किसी और की मानसिक भावनाओं  का शिकार करने से न केवल दूसरे व्यक्ति को नुकसान पहुँचता है, बल्कि हम खुद को भी नुकसान पहुँचाते हैं। दूसरों को अपने लाभ के लिए चोट पहुँचाना एक अस्थिर और दीर्घकालिक समाधान नहीं हो सकता, इससे केवल नकारात्मक परिणाम उत्पन्न होते हैं। इस बदलाव के लिए हमें अपने दृष्टिकोण में सुधार करना ही होगा और दूसरों के प्रति अधिक विचारशील और सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाना होगा। यदि हम स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों की भलाई के बारे में सोचेंगे, तो यह समस्या काफी हद तक हल हो सकती है। किसी की मानसिक भावनाओं  को आहत करना अस्थायी लाभ ही दर्शाता  है, लेकिन इससे रिश्तों और समाज पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। हमें यह समझना चाहिए कि दूसरों की मानसिक भावनाओं  का सम्मान करना उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना कि अपनी इच्छाओं को पूर्ण करना होता है। स्वार्थ से परे उठकर हम समाज एवं देश  में एक बेहतर और संवेदनशील वातावरण बना सकते हैं।

सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और समाज का जिम्मेदारी-पूर्ण  दृष्टिकोण इस समस्या में महत्वपूर्ण योगदान है, क्योंकि फिल्मों, टीवी शो और सोशल मीडिया में भावनात्मक शोषण को बढ़ावा देने वाले दृश्य समाज पर गहरा प्रभाव डालते हैं। क्यों कि फिल्मों के हीरो एवं हिरोइन लोगों के रोल मोडल होते हैं इस प्रकार मीडिया को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए ऐसी सामग्री का निर्माण करना चाहिए जो समाज में सकारात्मक मानसिकता और सहानुभूति को बढ़ावा दे। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को भी अपनी नीतियाँ सख्त करनी चाहिए, ताकि वे किसी की मानसिक भावनाओं  का शिकार करने को बढ़ावा न दें। मीडिया का समाज पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ता है, और इसे अपनी जिम्मेदारी का पालन करते हुए मानसिक भावनाओं  का शिकार करने वाली घटनाओं को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। फिल्मों, टीवी शो और सोशल मीडिया को इस मुद्दे पर अधिक जिम्मेदारी से काम करने की आवश्यकता है और उन्हें ऐसे कंटेंट को बढ़ावा देना चाहिए जो समाज में सकारात्मकता, सहानुभूति और समझदारी को बढ़ावा दे।

वेब सीरीज समाज के विभिन्न पहलुओं को वास्तविकता के करीब से दिखाती हैं। इसमें गरीबी, भ्रष्टाचार, मानसिक स्वास्थ्य, समानता, धार्मिक भेदभाव, और लैंगिक समानता जैसे मुद्दे प्रकट होते हैं। उदाहरण के तौर पर, "सेक्रेड गेम्स" और "पाताल लोक" जैसी सीरीज ने भारतीय समाज की जटिलताओं और कुप्रथाओं को उजागर किया। वेब सीरीज समाज की विविधता को सही तरीके से दर्शाने में मदद करती हैं। इसमें विभिन्न जाति, धर्म, और लिंग के पात्र होते हैं, जो सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देते हैं। जैसे " मेड इन हेवन" में सर्वश्रेष्ठ और "फोर मोर शॉट्स प्लीज़" में महिलाओं के अधिकारों की बात की गई है। वेब सीरीज दर्शकों को नए दृष्टिकोण और विचारों से अवगत कराती हैं। यह लोग अपनी पुरानी सोच को चुनौती देने और समकालीन मुद्दों पर विचार करने के लिए प्रेरित करती हैं। उदाहरण के लिए, " द फैमिली मैन" ने जॉब और परिवार के संतुलन की समस्याओं को समझाया, जबकि "देहली क्राइम" ने दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले को संवेदनशीलता से दिखाया। वेब सीरीज की बढ़ती लोकप्रियता ने युवा पीढ़ी को काफी प्रभावित किया है। वे यह माध्यम पसंद करते हैं क्योंकि इसमें मनोरंजन के साथ-साथ जीवन के वास्तविक पहलुओं को समझने का मौका मिलता है। यह पीढ़ी को सामयिक मुद्दों पर सोचने और अपने दृष्टिकोण को बदलने की प्रेरणा देती है।

इस समस्या से निपटने के लिए शिक्षा और जागरूकता जरूरी है। स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को यह सिखाना चाहिए कि दूसरों की मानसिक भावनाओं  का सम्मान कैसे किया जाए और क्यों यह महत्वपूर्ण है। बच्चों को यह समझाना चाहिए कि किसी की मानसिक भावनाओं  को आहत करना गलत है और हमें अपनी बातों और कार्यों में संवेदनशीलता का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही, समाज में लोगों को यह जागरूक करना आवश्यक है कि स्वार्थ और संवेदनहीनता केवल व्यक्तिगत ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी खतरनाक हैं। इस दिशा में सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को भी जागरूकता अभियान चलाने चाहिए, ताकि समाज में भावनात्मक शोषण के प्रति संवेदनशीलता बढ़े।

हमारे समाज और देश में लोग अक्सर अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए दूसरों की मानसिक भावनाओं  को बेरहमी से आहत करते हैं। यह न केवल मानसिक और भावनात्मक छति का कारण बनता है, बल्कि समाज में अविश्वास, असंतुलन और नकारात्मकता का वातावरण भी उत्पन्न करता है। इस समस्या का समाधान  भावनात्मक-संवेदनशीलता, सहानुभूति, और स्वार्थ से ऊपर उठने की मानसिकता में छिपा हुआ है। यदि हम इन उपायों को अपनाएं और जिम्मेदारी पूर्ण दृष्टिकोण से कार्य करें, तो हम इस समस्या से उबर सकते हैं और समाज में एक सकारात्मक वातावरण बना सकते हैं। स्वार्थ से परे उठकर और दूसरों की मानसिक भावनाओं  को समझकर हम रिश्तों को मजबूत बना सकते हैं, जो समाज में अधिक विश्वास और संतुलन की स्थिति को बढ़ावा देगा इन उपायों से हम न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, सामाजिक स्तर पर बल्कि सामूहिक रूप से भी इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।


- डॉ.(प्रोफ़ेसर) कमलेश संजीदा गाज़ियाबाद , उत्तर प्रदेश

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1483,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,41,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,53,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,140,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,79,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,8,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,142,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,51,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,35,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,45,समसामयिक हिंदी लेख,276,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,88,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,441,हिंदी लेख,540,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,189,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,433,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,682,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,20,hindi-notes-university-exams,80,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,25,kavyagat-visheshta,27,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,21,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,rangbhumi-upanyas-munshi-premchand,2,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,speech-in-hindi,5,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,59,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: भावनात्मक ब्लैकमेल एक खतरनाक हथियार
भावनात्मक ब्लैकमेल एक खतरनाक हथियार
हमारे समाज और देश में लोग अक्सर अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए दूसरों की मानसिक भावनाओं को बेरहमी से आहत करते हैं। यह न केवल मानसिक और भावनात्मक छति क
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgN2E4AWcjTZM4t-E1tA9k7AD1ymlS0XicG_yygxHbHIkevlzYHxUDzv-mS7MgpCuXkLaFtH7rJEEp8gdLR8qNgacbizWt0ZjEc_oSDi7mYpbvWoCfwU5SwkYNWpOgK-QYxNCf85sa24kjK2X4Y_4tk_aDlKcZmKLyEg-LAd5m_vzv3YsG1-xGIjZkBbcbi/w320-h320/blackmail.png
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgN2E4AWcjTZM4t-E1tA9k7AD1ymlS0XicG_yygxHbHIkevlzYHxUDzv-mS7MgpCuXkLaFtH7rJEEp8gdLR8qNgacbizWt0ZjEc_oSDi7mYpbvWoCfwU5SwkYNWpOgK-QYxNCf85sa24kjK2X4Y_4tk_aDlKcZmKLyEg-LAd5m_vzv3YsG1-xGIjZkBbcbi/s72-w320-c-h320/blackmail.png
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2025/01/bhavnatmak-blackmail-ek-khatarnak-hathiyar.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2025/01/bhavnatmak-blackmail-ek-khatarnak-hathiyar.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका