इंसानों से ज्यादा मशीनों पर भरोसा किया जा सकता है आजकल की दुनिया में, मशीनों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने इंसानों के जीवन में कई बदलाव आ सकते हैं। विभि
इंसानों से ज्यादा मशीनों पर भरोसा किया जा सकता है
आजकल की दुनिया में, मशीनों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने इंसानों के जीवन में कई बदलाव आ सकते हैं। विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों में, मशीनों ने इंसानों से ज्यादा सटीकता और निरंतरता प्रदान की है, जिससे यह साबित होता है कि कई कार्यों में इंसानों से अधिक मशीनों पर भरोसा किया जा सकता है। यह लेख इस पर चर्चा करता है कि क्यों मशीनें इंसानों से अधिक विश्वसनीय हो सकती हैं, और इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता/ मशीन लर्निंगके विकास और उनके प्रभाव का विश्लेषण किया गया है।
लेख में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग के उदाहरण दिए जा रहे हैं, जैसे स्वास्थ्य देखभाल, वित्त, कृत्रिम बुद्धिमत्ता अध्यापक, स्वायत्त वाहन और ग्राहक सेवा। अब तक इन तकनीकों ने मानव जीवन में सुधार किया है और कई ऐसे कार्यों में सफलता प्राप्त हो रहीं हैं, जहां पर पहले मनुष्य ही श्रेष्ठ माने जाते थे। साथ ही, लेख में इन तकनीकों के सुरक्षित और प्रभावी उपयोग के लिए आवश्यक कदमों पर भी चर्चा की जा रही है। लेख यह भी बताता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता/ मशीन लर्निंगअल्गोरिथिम की पारदर्शिता, विश्वसनीयता, और नैतिक विचारों के संदर्भ में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही, यह भी बताया गया है कि इन तकनीकों पर भरोसा बढ़ाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं, ताकि मशीनों का उपयोग अधिक प्रभावी और विश्वसनीय बनाया जा सके।
विकसित समाज में तकनीकी विकास ने मानवीय कार्यों को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। मशीनों का उपयोग न केवल कार्य की गति बढ़ाने के लिए किया जा रहा है, बल्कि वे इंसानों से अधिक सटीकता और विश्वसनीयता भी प्रदान कर रही हैं। विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग जैसे उन्नत तकनीकी क्षेत्रों में मशीनों का उपयोग अधिक सुरक्षित और प्रभावी साबित होता जा रहा है। यह लेख इस पर भी विचार करता है कि क्यों और कैसे मशीनों पर इंसानों से ज्यादा भरोसा किया जा सकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ताऔर मशीन लर्निंगकी तेजी से वृद्धि ने मानवीय त्रुटियों को समाधानों में कम किया है और कार्यों को तेज़ और अधिक प्रभावी बनाने की क्षमता प्रदान की है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता मशीनों को बुद्धिमान व्यवहार प्रदर्शित करने की क्षमता देता है, जैसे कि समस्या-समाधान, निर्णय लेना और रचनात्मकता। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का उपक्षेत्र है, जो मशीनों को डेटा से सीखने और अनुभव के आधार पर सुधारने की भी अनुमति प्रदान करता है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के अनुप्रयोगों की विस्तृत श्रृंखला है, जैसे स्वास्थ्य की देखभाल, वित्त, स्वायत्त वाहन, एनिमेसन, स्पेसल इफ़ेक्ट, ग्राहक सेवा और मनोरंजन। इसके बावजूद, कई लोग अब भी मशीनों के मुकाबले इंसानों पर ज्यादा भरोसा करते हैं। इस लेख में, यह विश्लेषित किया गया है कि इन तकनीकों का प्रभावी उपयोग कैसे किया जा सकता है और किन-किन कदमों से मशीनों पर भरोसा बढ़ाया जा सकता है।
इंसानों और मशीनों के बीच विश्वास की चर्चा करते समय कई विभिन्न पहलुओं का ध्यान रखना जरूरी होता है। मशीनों की विश्वसनीयता उनकी सटीकता, निरंतरता और प्रदर्शन पर निर्भर करती है। जबकि इंसान अत्यधिक बुद्धिमान और अनुभवी होते हैं, वे भावनाओं, विश्वाश, थकावट, मानसिक दबाव और अन्य कारकों से प्रभावित हो सकते हैं। इसके विपरीत, मशीनें बिना थकान या मानसिक दबाव के लगातार उच्च प्रदर्शन करती हैं। इस प्रकार, जब विश्वसनीयता और कार्य की निष्पक्षता की बात आती है, तो मशीनें इंसानों से अधिक प्रभावी साबित होती हैं। इंसानों की भावनात्मक और मानसिक स्थिति कार्य की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है, जबकि मशीनें निरंतर उच्च प्रदर्शन करती हैं।
मानव मस्तिष्क में त्रुटियाँ स्वाभाविक हैं, जो किसी कार्य की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं। उदाहरण के तौर पर, 2009 में एयर फ्रांस उड़ान 447 द्वारा संचालित एयरबस A330 अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी हादसा हुआ, जिसमें पायलट की गलतियाँ और घबराहट के कारण विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस स्थिति में यदि कोई ऑटोमेटेड सिस्टम होता, तो शायद यह त्रुटि नहीं होती। मानव मस्तिष्क थकावट के कारण, दबाव या जानकारी की कमी के कारण गलत निर्णय ले सकता है। एयर फ्रांस हादसे में पायलटों ने गलत तरीके से काम किया, जिससे विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यदि उस समय ऑटोमेटेड सिस्टम सही तरीके से काम करता, तो त्रुटि को रोका जा सकता था।
मशीनों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वे बिना थकान और मानसिक दबाव के लम्बे समय तक कार्य करती हैं। एक बार जब मशीन किसी कार्य को सीख लेती है, तो वह उसे लगातार बिना किसी गलती के करती रहती है। इसके विपरीत, इंसान अपनी मानसिक स्थिति और शारीरिक थकान के कारण कभी-कभी असमर्थ हो सकता है। एक उदाहरण कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा संचालित खुदरा क्षेत्र के चैटबॉट्स हैं, जो 24/7 ग्राहकों से संवाद करते हैं और मानव कर्मचारियों की तुलना में ज्यादा सटीकता से काम करते हैं। इन चैटबॉट्स में निरंतरता होती है, और वे बिना किसी थकान के लगातार उच्च गुणवत्ता की सेवा प्रदान करते रहते हैं, जिससे वे मानसिक या शारीरिक दबाव से अप्रभावित रहते हैं।
स्वास्थ्य क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का प्रभाव अत्यधिक सकारात्मक होता जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, आईबीएम वॉटसन का कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जिसे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है, ने मानव डॉक्टरों की तुलना में बेहतर परिणाम दिए। आईबीएम वॉटसन ने न केवल अधिक सटीक निदान किया है, बल्कि कुछ मामलों में जल्दी और बेहतर उपचार की योजना भी बनाई। कृत्रिम बुद्धिमत्ताऔर मशीनों के उपयोग से स्वास्थ्य देखभाल में मानवीय त्रुटियों में कमी आई है। आईबीएम वॉटसन का उदाहरण स्पष्ट रूप से दिखाता है कि मशीनों की सटीकता और निरंतरता ने डॉक्टरों से अधिक विश्वसनीय बना दिया है, जिससे स्वास्थ्य देखभाल में इन तकनीकों का उपयोग बढ़ाने की आवश्यकता महसूस हुई।
ऑटोनोमस कारों का विकास एक प्रमुख उदाहरण है, जिसमें मशीनों पर अधिक भरोसा किया जा सकता है। टेस्ला और गूगल की वाय्मो जैसी कंपनियों ने स्वचालित वाहनों को इतना सुरक्षित और प्रभावी बनाया है कि वे इंसान से ज्यादा सटीकता से ड्राइव कर सकती हैं। 2015 में, टेस्ला के ऑटोपायलट सिस्टम ने लगभग 200,000 दुर्घटनाओं को रोका, जबकि मानव ड्राइवरों की तुलना में इसे केवल कुछ ही दुर्घटनाएँ हुईं। यह दिखाता है कि अगर तकनीक सही दिशा में काम करे, तो यह इंसान से ज्यादा सुरक्षित हो सकती है। इस तकनीक को और बेहतर बनाने के लिए लगातार अपडेट्स और सुरक्षा प्रोटोकॉल तैयार किए जा रहे हैं, जिससे इन कारों की सुरक्षा में निरंतर सुधार हो रहा है।
वित्तीय क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का उपयोग तेजी से बढ़ता जा रहा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा संचालित निवेश और जोखिम विश्लेषण प्रणाली ने बाजार की गहरी समझ और सटीक भविष्यवाणी की है। उदाहरण के तौर पर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित ट्रेडिंग सिस्टम्स ने बड़ी वित्तीय कंपनियों को लाखों डॉलर का लाभ दिया है। ये सिस्टम बाजार में उतार-चढ़ाव को सही समय पर पहचानने में सक्षम होते हैं, जो इंसानों के लिए कठिन हो सकता है। 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से पहले, कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित मॉडल ने जोखिमों की चेतावनी दी थी, हालांकि मानव हस्तक्षेप की कमी के कारण संकट टला नहीं। यह उदाहरण साबित करता है कि मशीनों का सही तरीके से उपयोग इंसानों से ज्यादा लाभकारी हो सकता है।
मशीनों पर विश्वास की कमी का मुख्य कारण उनके प्रति डर और अज्ञानता भी है। लोग सोचते हैं कि मशीनें गलतियाँ कर सकती हैं या उनके निर्णयों को समझना कठिन हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित निर्णयों में अक्सर यह अस्पष्ट होता है कि सिस्टम ने किस आधार पर निर्णय लिया। इस डर को दूर करने के लिए मशीनों को पारदर्शी और समझने योग्य बनाना जरूरी है। हालांकि, विभिन्न क्षेत्रों में मशीनों की सफलता ने इस विचारधारा को बदलने में मदद की है, फिर भी लोग नई तकनीकों से डरते हैं और इंसानों पर ज्यादा भरोसा करते हैं। समाधान: अगर हम समाधान की बात करें तो, मशीनों पर विश्वास बढ़ाने के लिए जरूरी है कि उनके कार्यों और निर्णयों को स्पष्ट रूप से समझाया जाए। तकनीकी कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के निर्णय नैतिक और मानवाधिकारों के अनुरूप हों। इसके अलावा, पारदर्शिता बनाए रखने की आवश्यकता है। उदाहरण के तौर पर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता सिस्टम्स की निर्णय प्रक्रिया को समझाना और उनके परिणामों को आसान और स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत करना, लोगों का विश्वास बढ़ा सकता है। इस तरह, मशीनों के प्रति विश्वास को मजबूत किया जा सकता है और उनका प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है।
अगर हम नैतिक चिंताओं की बात करें तो, मशीनों द्वारा लिए गए निर्णयों को लेकर चिंताएँ होती हैं, जैसे कि क्या वे समाज और मानवता के लिए उचित होंगे। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कारण कुछ लोग अपने काम से हाथ धो सकते हैं, और असमानता बढ़ सकती है। मशीनों के निर्णयों में नैतिक और सामाजिक सवाल भी उठते हैं। यदि कृत्रिम बुद्धिमत्ता सिस्टम गलत निर्णय लेता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जैसे किसी के जीवन या संपत्ति को खतरे में डालने जैसी स्थिति हो। समाधान: इस समस्या का समाधान कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग मॉडल्स को नैतिक दिशानिर्देशों के तहत प्रशिक्षित करना है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता सिस्टम्स में एथिकल गाइडलाइंस और सुरक्षा प्रोटोकॉल को शामिल करना आवश्यक है, ताकि वे सही निर्णय लें सके। इन्हें पारदर्शी और जिम्मेदार तरीके से डिज़ाइन किया जाना चाहिए, जिससे गलत निर्णयों के जोखिम को कम किया जा सके।
मशीनों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता सिस्टम्स में पारदर्शिता अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि जब उपयोगकर्ता यह समझ पाते हैं कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने कोई निर्णय क्यों लिया, तो उनका भरोसा बढ़ता है। इसके लिए तकनीकी कंपनियों को अपने मॉडल्स की निर्णय प्रक्रिया स्पष्ट रूप से साझा करनी होगी। कृत्रिम बुद्धिमत्ता/ मशीन लर्निंग अल्गोरिथिम अक्सर ब्लैक बॉक्स होते हैं, जिससे उनके निर्णय लेने की प्रक्रिया समझना कठिन हो सकता है। अगर मशीनें यह बता सकती हैं कि उन्होंने किस आधार पर निर्णय लिया, तो यह उपयोगकर्ताओं को अधिक भरोसा दिलाएगा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में मदद भी करेगा।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता/ मशीन लर्निंग मॉडल को विश्वसनीय होने के लिए सटीक और स्थिर परिणाम देने में सक्षम होना चाहिए। यदि मॉडल अक्सर गलतियाँ करता है या अप्रत्याशित रूप से व्यवहार करता है, तो उस पर भरोसा करना मुश्किल हो पाएगा। व्याख्यात्मकता मॉडल के निर्णयों को समझने और समझाने की क्षमता को संदर्भित करती है। व्याख्यात्मक मॉडल उपयोगकर्ताओं को मॉडल के निर्णयों में अधिक विश्वास करने में मदद कर सकते हैं, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां निर्णय महत्वपूर्ण परिणामों को प्रभावित करते हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता / मशीन लर्निंग सिस्टम को नैतिक रूप से विकसित और तैनात किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, अल्गोरिथिम में पूर्वाग्रहों से बचना चाहिए और गोपनीयता संबंधी चिंताओं को संबोधित किया जाना चाहिए।कृत्रिम बुद्धिमत्ता/ मशीन लर्निंग सिस्टम को सुरक्षित होना चाहिए और दुर्भावनापूर्ण हमलों या अनधिकृत पहुंच से प्रतिरक्षित होना चाहिए।
मशीनों की विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिए उन्हें नियमित रूप से अपडेट करते रहना आवश्यक है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग मॉडल्स को नया डेटा और प्रौद्योगिकी अपडेट प्राप्त होना चाहिए, ताकि वे बदलती परिस्थितियों में सही काम कर सकें। यह निरंतर प्रशिक्षण और अपडेट्स के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग को एथिकल फ्रेमवर्क्स के तहत काम करना चाहिए, जो समाज और मानवता के हित में हों। इससे यह सुनिश्चित होगा कि इन तकनीकों का उपयोग सकारात्मक और सुरक्षित तरीके से हो सकता है। नैतिक रूप से जिम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग को एथिकल फ्रेमवर्क्स के तहत काम करना चाहिए सिस्टम्स के लिए सामाजिक और मानवीय मानदंडों का पालन जरूरी है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता/ मशीन लर्निंग का विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है, जिनमें शामिल हैं: कृत्रिम बुद्धिमत्ता/ मशीन लर्निंग का उपयोग रोग का निदान, दवा की खोज, व्यक्तिगत चिकित्सा और रोग की भविष्यवाणी के लिए किया जा रहा है। ऑन्कोलॉजी के लिए आईबीएम वॉटसन इस सिस्टम का उपयोग कैंसर रोगियों के लिए उपचार योजनाओं की सिफारिश करने के लिए किया जाता है। यह सिस्टम चिकित्सा साहित्य का विश्लेषण करता है और रोगी के विशिष्ट लक्षणों और चिकित्सा इतिहास के आधार पर उपचार विकल्पों का सुझाव देता है। गूगल डीपमाइंड का अल्फाफोल्ड इस प्रणाली ने प्रोटीन संरचना की भविष्यवाणी में क्रांति ला दी है, जो दवा की खोज और रोग समझ को तेज करने की क्षमता रखती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता/ मशीन लर्निंग का उपयोग धोखाधड़ी का पता लगाने, जोखिम मूल्यांकन, निवेश पोर्टफोलियो प्रबंधन और ग्राहक सेवा में किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी का पता लगाना- कई बैंक और वित्तीय संस्थान कृत्रिम बुद्धिमत्ता/ मशीन लर्निंगअल्गोरिथिम का उपयोग करके संदिग्ध लेनदेन का पता लगाने और धोखाधड़ी को रोकने के लिए करते हैं। ये सिस्टम लेनदेन पैटर्न का विश्लेषण करते हैं और असामान्य गतिविधि की पहचान करते हैं। हेज फंड और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा उच्च-फ़्रीक्वेंसी ट्रेडिंग के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता/ मशीन लर्निंग अल्गोरिथिम का उपयोग किया जाता है। ये अल्गोरिथिम बाजार की गतिशीलता का विश्लेषण करते हैं और तेजी से ट्रेड करने के लिए निर्णय लेते हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता/ मशीन लर्निंग का उपयोग स्वायत्त वाहनों को संचालित करने के लिए किया जा रहा है, जिसमें स्व-पार्किंग, लेन रख-रखाव और बाधाओं से बचाव शामिल है। उदाहरण के लिए, टेस्ला की ऑटोपायलट प्रणाली एक अत्याधुनिक ड्राइवर-असिस्टेंस सिस्टम है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता/ मशीन लर्निंगका उपयोग करके स्वायत्त ड्राइविंग क्षमताओं को सक्षम बनाती है। वेमो एक स्वायत्त राइड-हेलिंग सेवा विकसित कर रहा है जो पूरी तरह से स्वायत्त वाहनों का उपयोग करती है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता/ मशीन लर्निंग का उपयोग चैटबॉट्स और वर्चुअल सहायकों को विकसित करने के लिए किया जा रहा है जो ग्राहक सेवा प्रदान कर सकते हैं।
इस लेख में हमने यह समझा कि आने वाले वक्त में क्यों मशीनें इंसानों से ज्यादा विश्वसनीय हो सकती हैं। मशीनों में निरंतरता, सटीकता और निष्पक्षता होती है, जो उन्हें इंसान के मुकाबले अधिक विश्वसनीय बनाती है। विभिन्न उदाहरणों से यह स्पष्ट हुआ कि मशीनें कई ऐसे क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर रही हैं, जहां पहले इंसानों का वर्चस्व था। हालांकि, मशीनों पर विश्वास बढ़ाने के लिए पारदर्शिता, नैतिक दिशानिर्देशों और निरंतर सुधार की आवश्यकता है। यदि इन तकनीकों का सही दिशा में उपयोग किया जाए, तो हम एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं। मशीनें इंसानों के सहायक के रूप में काम करती हैं, न कि उनके प्रतिस्थापन के रूप में। सही दिशा में उनका उपयोग समाज के लिए फायदेमंद हो सकता है।
- डॉ. (प्रोफेसर) कमलेश संजीदा
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
COMMENTS