केमद्रुम योग: कैसे बनता है और इसके प्रभाव

SHARE:

केमद्रुम योग अथवा केमुद्रम योग संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है, केमु और द्रम। केमु का अर्थ है, एक ऐसा फल जिसे उपयोग न किया जा सके, दूसरे शब्दों म

केमद्रुम योग


केमद्रुम योग अथवा केमुद्रम योग संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है, केमु और द्रम। केमु का अर्थ है, एक ऐसा फल जिसे उपयोग न किया जा सके, दूसरे शब्दों में इसे विषैला फल भी कहा जा सकता है और द्रम का अर्थ है वृक्ष। अतः केमुद्रम का अर्थ है वृक्ष का एक ऐसा फल जिसका उपयोग नहीं किया जा सकता। यदि कोई व्यक्ति जंगल में फल की खोज में जाता है और उसे इस प्रकार का विषैला फल प्राप्त हो जाए जिसका वह उपयोग न कर पाए तो उसके समय का अपव्यय तो होता ही है साथ ही उसका प्रयास भी विफल हो जाता है। शायद इसी उदाहरण को ध्यान में रखते हुए हमारे मनीषियों ने ज्योतिष शास्त्र में केमुद्रम नामक एक विशिष्ट योग की चर्चा की है। केमुद्रम योग को ही कई स्थानों पर केमद्रुम योग भी लिखा जाता है।

केमद्रुम योग
केमद्रुम योग चंद्रमा से संबंधित एक बड़ा योग है। मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि पंच तारा ग्रह कहलाते हैं पत्रिका में जिस भाव में चंद्रमा स्थित हो उसके दूसरे भाव में सूर्य, राहु और केतु को छोड़कर, पंच तारा ग्रहों में से कोई भी ग्रह स्थित हो तो सुनफा योग बन जाता है। इसी प्रकार यदि चंद्रमा से बारहवें भाव में सूर्य, राहु और केतु को छोड़कर पंच तारा ग्रहों में से कोई भी ग्रह स्थित हो तो अनफा योग बन जाता है। यदि चंद्रमा से दूसरे और बारहवें दोनों भावों में कोई ग्रह हो (सूर्य, राहु और केतु को छोड़कर) तो इसे दुरधरा योग कहते हैं। चंद्रमा मन का कारक है इसलिए वह जहाँ स्थित होता है, उससे द्वितीय भाव से वह प्रेरणा लेने का प्रयास करता है। इसलिए यदि चंद्रमा से दूसरे भाव में यदि कोई ग्रह होता है, तो चंद्रमा अर्थात् मन उससे प्रेरित होता है और इसके विपरीत यदि वह स्थान ग्रहों से हीन हो तो कोई भी ग्रह चंद्रमा रूपी मन को प्रेरित नहीं कर पाता। इसी प्रकार चंद्रमा से बारहवें भाव में उपस्थित ग्रह के लिए चंद्रमा स्वयं प्रेरक बनने का कार्य करता है अर्थात वह बारहवें भाव में उपस्थित ग्रह की जिम्मेदारी उठाता है। लेकिन यदि वहाँ पर कोई ग्रह उपस्थित न हो तो चंद्रमा किसी को भी प्रेरणा नहीं दे पाता। अतः यदि चंद्रमा से दूसरे और बारहवें भाव में कोई ग्रह न हो तो चंद्रमा न तो किसी से प्रेरणा ले पाता है और न ही किसी को प्रेरणा दे पाता है। ऐसी स्थिति में चंद्रमा अकेला पड़ जाता है।

वराहमिहिर के अनुसार, चंद्रमा से दूसरे और बारहवें भाव में पंच तारा ग्रहों में से कोई ग्रह न हो तो इसे केमद्रुम योग कहा जाता है। सूर्य, राहु और केतु को इस योग में नहीं लिया जाता है। कालांतर में मनीषियों के द्वारा शोध के उपरांत यह पाया गया कि यदि चंद्रमा के साथ अथवा चंद्रमा से केंद्र में कोई ग्रह स्थित हो तो केमद्रुम योग भंग हो जाता है। इसके अलावा कई ज्योतिषियों का मानना है कि यदि चंद्रमा को कोई ग्रह दृष्टि भी दे रहा हो तब भी इस योग की तीव्रता कम हो जाती है। इसका कारण यह है कि चंद्रमा के साथ युति में कोई ग्रह हो अथवा उससे केंद्र में (अर्थात् चंद्रमा जहाँ पर स्थित हो उससे पहले, चौथे, सातवें या दसवें स्थान में) कोई ग्रह हो तो ऐसी स्थिति में चंद्रमा अकेला नहीं होता और तब केमद्रुम योग पूरी तरह से नहीं बनता अथवा इस योग की तीव्रता कम हो जाती है। इसके अलावा केमद्रुम योग तभी पूरी तरह से बना हुआ माना जाएगा जब नवांश में भी वह इसी स्थिति में हो। अर्थात् यदि लग्न चार्ट तथा नवांश दोनों में चंद्रमा के दोनों और कोई भी ग्रह न हो तथा उसके साथ युति में या उससे केंद्र में भी कोई ग्रह न हो तो यह कहा जा सकता है कि केमद्रुम योग जातक की पत्रिका में पूर्ण रूप से हावी है।

चंद्रमा मन का कारक है। यह हमारी भावनाएं, हमारा  व्यवहार, हमारी संवेदनशीलता, हमारा दृष्टिकोण, हमारी अभिव्यक्ति को निर्देशित करता है। चंद्रमा तीव्र गति से चलने वाला ग्रह है इसलिए इसे मन का कारक कहा गया क्योंकि मन भी सदैव चंचल होता है। यदि चंद्रमा के आसपास कोई ग्रह न हो तो जातक का मन किसी की सहायता तथा सहारे के बगैर अनियंत्रित तथा निरंकुश हो सकता है। इस योग को अच्छा नहीं माना गया, क्योंकि यह योग जातक को स्वेच्छाचारी, एकांतप्रिय, भावुक, अतिसंवेदनशील तथा अंतर्मुखी भी बना सकता है। इस योग के कारण जातक अक्सर सामाजिक सीमाओं की चिंता नहीं करता। इसके अतिरिक्त जातक हर बात की तह तक पहुँचने में सक्षम होता है तथा वही करता है जो उसे ठीक लगता है, क्योंकि इस योग में उसका मन स्वतंत्र होता है और उस पर किसी अन्य ग्रह का कोई प्रभाव नहीं होता। अंतर्मुखी और एकांतप्रिय स्वभाव के होने के कारण ऐसे व्यक्ति व्यावहारिक नहीं होते तथा अपनी बात को दूसरों के समक्ष रख पाने में असमर्थता महसूस करते हैं। ऐसे जातक सैद्धांतिक रूप से हर बात समझते हैं परंतु उनका व्यवहारिक उपयोग करने में पीछे रह जाते हैं। चूँकि जातक के मन पर किसी अन्य ग्रहों का प्रभाव नहीं होता इसलिए ये हर चीज को बहुत गहराई से और शीघ्रता से सीख और समझ लेते हैं। ऐसे जातक मानसिक रूप से कमजोर नहीं होते लेकिन अत्याधिक भावुकता और अव्यवहारिकता के चलते कभी-कभी लोग ऐसे जातकों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ भी कर सकते हैं। केमद्रुम योग के अंतर्गत कई जातक एकांत में रहकर ध्यान, साधना, पढ़ाई यदि करना अत्यधिक पसंद करते हैं इसलिए कभी-कभी वे समाज से कट जाते हैं।

यदि चंद्रमा केमद्रुम योग में हो लेकिन उससे केंद्र में बृहस्पति स्थित हो जाए तो केमद्रुम योग की तीव्रता तो भंग होती ही है साथ ही चंद्रमा पर बृहस्पति का प्रभाव पड़ने से जातक बहुत अच्छा सलाहकार या काउंसलर या प्रतिभावान् अध्यापक भी बन सकता है। लेकिन केमद्रुम योग में स्थित चंद्रमा पर यदि शनि का प्रभाव पड़ जाए तो केमद्रुम योग तो भंग हो जाता है परंतु शनि जैसे पाप ग्रह के प्रभाव से जातक और अधिक एकांतप्रिय, जिद्दी और असामाजिक बन सकता है।

इस योग का सबसे बड़ा फायदा यही होता है कि जातक बहुत बड़ा ज्ञानी, दार्शनिक या साधक बन सकता है। जातक किसी भी विषय की गहराई में जाकर शोध इत्यादि करने में सफल होता है। ऐसे जातकों को किसी व्यावहारिक व्यक्ति का सहारा मिल जाए तो वे जीवन में सफलता प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं। अर्थात् ऐसे जातकों को किसी व्यावहारिक व्यक्ति की सहायता लेना चाहिए जो उनके ज्ञान को दुनिया के सामने रख पाए। कई सफल व्यक्तियों की पत्रिकाओं में विशेषकर सफल दार्शनिकों की पत्रिकाओं में यह योग बनता हुआ देखा गया है। सफल होने के लिए किसी भी व्यक्ति को एकाग्रचित होकर, अपने अंदर झाँककर, अपनी कमियों को सुधारकर कार्य करना पड़ता है, और इसके लिए कई बार केमद्रुम योग जातकों की बहुत सहायता करता है। उदाहरण के लिए बिल गेट्स की पत्रिका में भी केमद्रुम योग है। किस योग के अंतर्गत जातक को निर्धन होते हुए नहीं देखा गया।

पत्रिका में केमद्रुम योग का चंद्रमा यदि धनु, मीन अथवा कुंभ राशि में हो तब जातक स्वयं ही आध्यात्म तथा साधना में रुचि रखने वाला होगा। जातक का लग्न भी देखना चाहिए, यदि जातक का लग्न इन राशियों में हो तब भी जातक की रुचि आध्यात्म, साधना तथा परमात्मा में होगी। इसके अलावा चंद्रमा अथवा लग्नेश 4, 8, 12वें भाव अर्थात मोक्ष भाव में हों तथा पत्रिका में गुरु और शनि की स्थितियां भी अच्छी हो तो केमद्रुम योग के बुरे प्रभाव लगभग समाप्त हो जाते हैं क्योंकि ऐसी स्थिति में जातक स्वयं ही परमात्मा से जुड़ना चाहता है तब केमद्रुम योग जातक की बहुत सहायता करता है और वह उसे साधना की गहराइयों तक पहुंचाने में सफल हो सकता है। इसके विपरीत यदि जातक सामाजिक रूप से बहुत सक्रिय रहने की इच्छा रखता हो और और उसका चंद्रमा केमद्रुम योग में बैठा हो तो उसकी अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पाती, केवल इस स्थिति में ही जातक के निराशा व अवसाद का शिकार होने की संभावना बनती है। यदि पत्रिका में लग्नेश बली हो तो जातक स्वयं को संभालने की पूरी क्षमता रखता है और तब केमद्रुम योग का बुरा प्रभाव कम हो जाता है। यदि सूर्य बली होकर अच्छे भाव और अच्छी राशि में स्थित हो तो जातक आत्म केंद्रित होकर स्वयं के लिए बेहतर कार्य करके अपने उत्थान का प्रयास करता है तब भी केमद्रुम योग का बुरा प्रभाव कम हो जाता है। यदि चंद्रमा पर एक से अधिक शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ती है तो चंद्रमा को बल मिल जाता है और तब भी केमद्रुम योग के बुरे प्रभाव लगभग समाप्त हो जाते हैं।

यदि पत्रिका में केमद्रुम योग अधिक तीव्रता से बन रहा हो अर्थात् यदि चंद्रमा लग्न पत्रिका और नवांश दोनों में ही अकेला हो या केमद्रुम योग में पड़ा हुआ चंद्रमा त्रिक भाव में भी स्थित हो तो जातक कई बार अत्यधिक एकांतप्रिय, आत्मघाती, उद्देश्यहीन और विचारहीन प्रवृत्ति वाला अथवा मानसिक रूप से अशांत भी हो सकता है। ऐसा जातक कभी-कभी डिप्रेशन का शिकार भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में हमें यह देखना चाहिए कि चंद्रमा कौन से भाव का स्वामी है, तब उस भाव से संबंधित बुरे परिणाम देखे जा सकते हैं। केमद्रुम योग के बुरे परिणामों से बचने के लिए चंद्रमा से तीसरे स्थान की राशि अथवा वहाँ स्थित ग्रह को देखना चाहिए तथा उनसे संबंधित कार्यों को करना चाहिए। चंद्रमा मन है और उससे तृतीय स्थान जातक की हॉबी (रुचि से किया जाने वाला कार्य) के बारे में बताता है। उदाहरण के लिए यदि चंद्रमा कुंभ में है तो उससे तृतीय स्थान में मेष राशि हो तो जातक को मंगल से संबंधित क्रियाकलाप जैसे कसरत करना, जिम जाना इत्यादि करके अपने शरीर-सौष्ठव को बेहतर बनाने की कोशिश करना चाहिए। यदि चंद्रमा मीन राशि में हो तो उसे तृतीय स्थान में वृषभ राशि होगी इस स्थिति में जातक को शुक्र से संबंधित क्रियाकलापों में के लिए थोड़ा समय देना चाहिए, जैसे संगीत, कविता, नृत्य, नाटक इत्यादि। इसतरह चंद्रमा अर्थात् मन काफी हद तक संतुलित हो जाता है तथा जातक को मानसिक शांति का अनुभव होता है, तब केमद्रुम योग के बुरे परिणाम कम हो जाते हैं। योग के बुरे प्रभाव को समाप्त करने के लिए तथा जीवन में संतुलन स्थापित करने के लिए जातक को चाहिए कि वह अपनी इच्छा शक्ति का प्रयोग करके मित्रों से तथा समाज से जुड़ने की कोशिश करें। ऐसे जातकों को अपनी माता का बहुत ध्यान रखना चाहिए तथा जहां तक हो सके अपनी माता की सेवा करके उनके साथ ही रहना चाहिए, क्योंकि चंद्रमा माता का कारक है इसलिए माता के आशीर्वाद से जातक का चंद्रमा सबल हो जाता है। माता की अनुपस्थिति में मातृ-तुल्य अन्य स्त्रियों का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। चंद्रमा भगवान शिव के माथे पर विराजमान होते हैं तथा पार्वती देवी सारे संसार की माता है। अतः इस योग की तीव्रता को कम करने के लिए शिव पार्वती की आराधना करना श्रेयस्कर होता है। चंद्रमा जल का भी कारक है अतः केमद्रुम योग के अशुभ प्रभावों को समाप्त करने के लिए जातक को जल का अधिक सेवन करना चाहिए तथा जल की बर्बादी से बचना चाहिए। धातुओं में चांदी, चंद्रमा को इंगित करती है अतः चांदी के गिलास में जल का सेवन करना भी चंद्रमा की शुभता को बढ़ाता है।

अतः पत्रिका में केमद्रुम योग को देखकर जातक को डरना नहीं चाहिए, बल्कि पूरी पत्रिका की बारीकी से विवेचना करना चाहिए और यह जानना चाहिए कि क्या केमद्रुम योग उसके लिए सचमुच परेशानी का कारण है भी अथवा नहीं।



- डॉ. सुकृति घोष
प्राध्यापक, भौतिक शास्त्र,शा. के. आर. जी. कॉलेज
ग्वालियर, मध्यप्रदेश

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,38,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,2,कबीरदास,21,कमलेश्वर,7,कविता,1507,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,43,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,53,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,140,गजानन माधव "मुक्तिबोध",16,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,80,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,8,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,30,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,8,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,40,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,204,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,142,प्रयोजनमूलक हिंदी,39,प्रेमचंद,52,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,145,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,21,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,15,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,126,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,9,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,36,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,46,समसामयिक हिंदी लेख,288,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,22,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,90,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,24,सूरदास,17,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,450,हिंदी लेख,546,हिंदी व्यंग्य लेख,16,हिंदी समाचार,199,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,442,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,107,hindi stories,685,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,21,hindi-notes-university-exams,101,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,29,kavyagat-visheshta,28,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,14,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,22,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,rangbhumi-upanyas-munshi-premchand,2,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,10,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,17,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,speech-in-hindi,7,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,62,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: केमद्रुम योग: कैसे बनता है और इसके प्रभाव
केमद्रुम योग: कैसे बनता है और इसके प्रभाव
केमद्रुम योग अथवा केमुद्रम योग संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है, केमु और द्रम। केमु का अर्थ है, एक ऐसा फल जिसे उपयोग न किया जा सके, दूसरे शब्दों म
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjc9T94oAJdrvpc8c6CgB4fqWctsaeJUDuaigYUpkukwA6iPgV2pjsqAc4U5612QsrLbY8oLwg4bhDp-xMjmXnkFFy4i5AyFKSefGDuUI0z2HQZB6Ac95_qrBMj61AQNZF2n5e7fKLg0rIyLRRvpYVlEdDYPEvCapqTKr-h4KXCKkvE0psyYyNT1pdU8LHr/s16000/kemdrum.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjc9T94oAJdrvpc8c6CgB4fqWctsaeJUDuaigYUpkukwA6iPgV2pjsqAc4U5612QsrLbY8oLwg4bhDp-xMjmXnkFFy4i5AyFKSefGDuUI0z2HQZB6Ac95_qrBMj61AQNZF2n5e7fKLg0rIyLRRvpYVlEdDYPEvCapqTKr-h4KXCKkvE0psyYyNT1pdU8LHr/s72-c/kemdrum.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2025/02/kemdrum-yog-kaise-banta-hai-prabhav.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2025/02/kemdrum-yog-kaise-banta-hai-prabhav.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका