प्रकृति और हम पर निबंध प्रकृति और मनुष्य का संबंध बहुत गहरा और अटूट है। प्रकृति ने हमें जीवन दिया है, और यह हमारे अस्तित्व का आधार है। हवा, पानी, मिट
प्रकृति और हम पर निबंध
प्रकृति और मनुष्य का संबंध बहुत गहरा और अटूट है। प्रकृति ने हमें जीवन दिया है, और यह हमारे अस्तित्व का आधार है। हवा, पानी, मिट्टी, पेड़-पौधे, नदियाँ, पहाड़, और जंगल ये सभी प्रकृति के अंग हैं जो हमारे जीवन को संभव बनाते हैं। प्रकृति के बिना हमारा जीवन अधूरा है, क्योंकि यह हमें न केवल भोजन और आश्रय देती है, बल्कि हमारे मन और आत्मा को भी शांति प्रदान करती है।
'प्रकृति' एक छोटा सा शब्द है पर इस शब्द में कितना कुछ समाया हुआ है, यह हमारे सोच के परे हैं। हम स्वयं ही प्रकृति का एक छोटा सा उपादान हैं। वायु, पानी, मिट्टी, पशु- पक्षी, पेड़-पौधे, झरने, नदियाँ, जंगल, पहाड़, समुद्र आदि सभी प्रकृति के अवयव हैं। हम प्रकृति के इन अवयवों के सहारे ही जी पाते हैं। प्रकृति से हमें साँस लेने के लिए शुद्ध वायु, पीने के लिए पानी और भोजन प्राप्त होता है। प्रकृति में होनेवाले परिवर्तन हमें जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। प्रकृति हमें शारीरिक सुख सुविधा के साथ-साथ मानसिक सुख भी देती है पर हमारे पास प्रकृति को देने के लिए कोई वस्तु नहीं है। यदि कुछ है तो सिर्फ इता कि हम प्रकृति में उपलब्ध संसाधनों का सही उपयोग करें और आनेवाली पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कर सकें।
सूर्य की पहली किरण से लेकर चाँद की चाँदनी तक, मैदानों, घने जंगल और पहाड़ों, नदी के कल-कल मधुर संगीत और समुद्र में उठनेवाली बड़ी-बड़ी लहर, पेड़ पर बैठी चिड़िया की चहचहाहट सभी प्रकृति के अनमोल देन हैं जिनका हमें अनुभव करना चाहिए और आनन्द उठाना चाहिए। प्रकृति के विविध रूप के अनुभव से हमें हमारी सृजनात्मकता को बढ़ाने में मदद मिलेगी। प्रकृति में उपस्थित वस्तुओं के सौंदर्य से प्रेरित होकर हम चित्रकार, कवि, लेखक या कलाकार बनते हैं।
प्रकृति वास्तव में हमारी माँ की तरह होती है जो हमें कभी नुकशान नहीं पहुँचाती बल्कि हमारा पालन-पोषण करी है। सुबह जल्दी उठकर प्रकृति की गोद में टहलने से हम स्वस्थ एवं मजबूत बनते हैं। शुद्ध वातावरण में सुबह का टहलना हमें कई बीमारियों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय की बीमारी, पाचन सम्बन्धी बिमारी आदि से दूर रखता है।
हम प्रकृति से चाहते तो बहुत कुछ हैं लेकिन अपनी कीमत पर। मनुष्य जीवन का मशीनीकरण उसे प्रकृति से दूर करता जा रहा है। अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मनुष्य प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है जिससे प्राकृतिक संतुलन खराब होता जा रहा है। लगातार हो रही वनों की कटाई, पहाड़ों पर बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण, पहाड़ों को काटकर रास्तों का निर्माण निश्चित रूप से मानवों के उन्नति में मदद कर रही है पर इसके द्वारा प्रकृति का जो ह्रास हो रहा है उसको पूरा करना मानवों के बस में नहीं है।
हमें पीने के लिए स्वच्छ जल चाहिए परन्तु कारखानों का सारा जहरीला पानी हम नदियों में बहा देते हैं। जिस दर से पेड़ों की कटाई हो रही है उसकी तुलना में वृक्षारोपण की दर नगण्य है। खाने के लिए हमें रसायन-मुक्त फल-फूल और भोजन चाहिए परन्तु उनको उगाने के लिए हम प्रचुर मात्रा में रासायनिक खाद का प्रयोग करते हैं। यदि हमारा प्रयास केवल दिखावे मात्र तक रहेगा तो इसके प्रकृति पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे वैसा ही व्यवहार प्रकृति हमारे साथ करेगी। हमार कारनामों के कारण प्रकृति में अनेक समस्याएँ जैसे ग्लोबल वार्मिंग, बाढ़, सूखा, भू-स्खलन, बेमौसमी बरसात, सूखते जंगल आदि बढ़ती जा रही है। अगर हम समय से प्रकृति की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए तो हम अपने जीवन को स्वयं ही असुरक्षित कर लेंगे। इसलिए हमें सर्वदा इस प्रयास में रहना चाहिए कि प्रकृति के संसाधनों का उपयोग हम इस प्रकार से करें कि इसका संतुलन नहीं बिगड़े। प्रकृति को सुंदर, स्वच्छ और स्वस्थ रखने के लिए हर संभव उपाय करें अन्यथा हमारा जीवन भी स्वस्थ नहीं रह पायेगा।
अंततः, प्रकृति और मनुष्य एक-दूसरे के पूरक हैं। प्रकृति के बिना हमारा जीवन संभव नहीं है, और हमारे बिना प्रकृति का संरक्षण भी मुश्किल है। यदि हम प्रकृति के साथ सहयोग और सम्मान का भाव रखें, तो हम एक स्वस्थ और सुखी जीवन जी सकते हैं। प्रकृति हमें बिना किसी शर्त के सब कुछ देती है, और यह हमारा कर्तव्य है कि हम भी उसके प्रति कृतज्ञ बनें और उसकी रक्षा करें।
COMMENTS