कुंडली के अनुसार कौन सा रोजगार या व्यापार करें ? कुंडली का दसवाँ भाव कर्म भाव कहलाता है। जातक अपने जीवन में कौन से कर्म करता है इसकी व्याख्या दसवाँ भा
प्रोफेशन का चुनाव
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन |
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि ||
इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को बता रहे हैं कि "तुम्हारा अधिकार सिर्फ कर्म करने में है, कर्मफल पर नहीं, इसलिए कोई भी कर्म फल के लिए नहीं किया जाना चाहिये। अतः तुम कर्मफल की चिंता मत करो और अकर्मण्यता में भी आसक्त मत बनो।"
कुंडली का दसवाँ भाव कर्म भाव कहलाता है। जातक अपने जीवन में कौन से कर्म करता है इसकी व्याख्या दसवाँ भाव ही कर पाता है। साथ ही दसवाँ भाव जातक के करियर को भी दर्शाता है।पाराशरी ज्योतिष में षोडश वर्ग कुंडलियों का उपयोग, घटनाओं को सटीकता से जानने के लिए किया जाता है।दशमांश कुंडली भी षोडश वर्ग कुंडलियों में से एक है। दशमांश कुंडली अथवा D10 चार्ट, लग्न पत्रिका के दशम भाव का ही विस्तृत स्वरूप है। इसका उपयोग करके जातक के कामकाज अथवा करियर की विस्तृत व्याख्या की जा सकती है।
दशमांश पत्रिका में दशम भाव का स्वामी सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। अतः दशमांश पत्रिका के दशमेश की विभिन्न भावों में स्थिति को देखकर, अन्य ग्रहों के साथ इसकी युति को जानकर तथा इसपर पड़ने वाली दृष्टियों के द्वारा जातक के करियर का सही विश्लेषण किया जा सकता है।
किसी भी वर्ग कुंडली का लग्न बहुत महत्वपूर्ण होता है। उसी प्रकार D10 कुंडली का भी लग्न जातक के कामकाज अथवा करियर की नींव को बताता है। यदि D10 कुंडली का लग्न भाव अच्छा हो तो तभी जातक अपने करियर अथवा प्रोफेशन में अच्छा होगा। प्रथम भाव करियर के प्रति जातक के रवैए को बताता है अर्थात् यदि D10 का प्रथम भाव शुभ प्रभाव में हो तभी जातक अपने कामकाज के प्रति ईमानदार और मेहनती होगा। दशमांश पत्रिका में यदि दशमेश लग्न भाव में स्थित हो जाए तो जातक को उसके करियर के क्षेत्र में सफलता व यश की प्राप्ति होती है। इस स्थिति में जातक दिमागी डाक्टर (psychiatrist) या फिजिओथेरेपिस्ट या फिजिकल इंस्ट्रक्टर के रूप में अच्छी सफलता प्राप्त कर सकता है। चूँकि लग्न भाव सिर व शरीर को इंगित करता है, इसलिए जातक को इनसे जुड़े हुए करियर में जाने की कोशिश करना चाहिए।
D10 पत्रिका का द्वितीय भाव उन सभी संसाधनों को भी बताता है जो जातक के व्यवसाय को बनाए रखने में अहम् भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए यदि D10 पत्रिका के द्वितीय भाव में बुध विराजमान हो तो जातक का वाक् चातुर्य, यदि गुरु स्थित हो तो जातक का ज्ञान, सूर्य स्थित हो तो जातक की नेतृत्व क्षमता, मंगल हो तो कार्यक्षेत्र में जातक की ऊर्जावान कार्यशैली, शुक्र स्थित हो तो जातक की कलात्मकता, चंद्र स्थित हो तो जातक का ममत्व, शनि हो तो जातक का अनुशासित व्यवहार व मेहनत ही जातक के व्यवसाय के लिए संसाधन का कार्य करेंगे। यदि दशमांश पत्रिका में दशमेश द्वितीय भाव में स्थित हो जाए तो जातक को फूड इंडस्ट्री, परिवार का व्यवसाय (family business), बैंकिंग या गहनों के क्षेत्र में अथवा वाणी के उपयोग से संबंधित क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहिए क्योंकि द्वितीय भाव भोजन, परिवार, धन, वाणी इत्यादि का ही भाव है।
दशमांश पत्रिका का तीसरा भाव व्यवसाय के अंतर्गत जातक के संचार कौशल को दर्शाता है, अर्थात् बातचीत के माध्यम से जातक लोगों में अपनी बात पहुंचाने में कितना सक्षम है, यह बताता है। यह भाव व्यवसाय के सिलसिले में की जाने वाली छोटी यात्राएँ, मार्केटिंग, सोशल नेटवर्किंग तथा व्यवसाय के लिए किए जाने वाले प्रयत्नों को भी दर्शाता है। यदि दशमांश पत्रिका का दशमेश तृतीय भाव में स्थित हो जाए तो जातक को अपने कार्य को सुचारु रूप से चलाने के लिए काफी प्रयास करना पड़ सकता है तथा उसे अपने करियर के क्षेत्र में छोटी-छोटी यात्राएँ (टूरिंग जॉब) भी करना पड़ सकता है। जातक मार्केटिंग, मीडिया, कमीशनिंग इत्यादि कार्यों में सफलता हासिल कर सकता है। इस स्थिति में जातक का जल्दी-जल्दी तबादला होता है अथवा उसकी नौकरी बदलती रहती है।
दशमांश कुंडली का चतुर्थ भाव कार्य क्षेत्र के वातावरण तथा कार्य क्षेत्र में प्राप्त होने वाली मानसिक शांति और सुख को इंगित करता है। यदि दशमांश कुंडली का चतुर्थ भाव शुभ प्रभाव में हो तो जातक को कार्य क्षेत्र में मानसिक शांति का अनुभव होता है। इसके विपरीत यदि यह भाव पीड़ित हो तो यह कहा जाता है कि जातक को अपने निवास स्थान से दूर जाकर ही कोई कार्य करना चाहिए। यदि दशमांश पत्रिका का दशमेश चौथे भाव में स्थित हो तो जातक राजनीति के क्षेत्र में कार्य करने मे सक्षम होता है क्योंकि चतुर्थ भाव राजसिंहासन को भी इंगित करता है। इस स्थिति में जातक का प्रोफेशन उसके गृह नगर में होता है अथवा उसे उसके गृह नगर में ही कार्य में सफलता प्राप्त होती है। चतुर्थ भाव भूमि, भवन और वाहन का भी है इसलिए जातक प्रॉपर्टी डीलिंग, वास्तु शास्त्र, रियल एस्टेट अथवा हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र में अपना कैरियर बन सकता है।
दशमांश कुंडली का पंचम भाव कार्य के संदर्भ में जातक की बुद्धिमत्ता को इंगित करता है। यदि दशमांश कुंडली का दशमेश पंचम भाव में स्थित हो जाए तो यह स्थिति बहुत अच्छी नहीं मानी जाती ऐसी स्थिति में जातक कार्य के क्षेत्र में बुद्धिमान तो होता है परंतु पंचम भाव दशम का अष्टम है इसलिए उसे एक ही कार्य अथवा प्रोफेशन को को बनाए रखने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति में यदि जातक पूरी तरह से पंचम भाव के कार्यकत्वों को अपने प्रोफेशन में अपना ले उसे काफी राहत मिल सकती है जैसे प्रोफेशन के अंतर्गत रचनात्मकता, पढ़ाई इत्यादि।
दशमांश कुंडली का षष्ठम भाव कार्यक्षेत्र में जातक के शत्रुओं को तथा झगड़ों, मनमुटाव इत्यादि को बताता है। षष्ठम भाव रोग ऋण और रिपु का भाव है इसलिए यदि दशमांश कुंडली का दशमेश षष्ठम भाव में स्थित हो जाए तो जातक को डॉक्टरी, वकालत अथवा फाइनेंस से जुड़े कार्यों में सफलता प्राप्त हो सकती है।
दशमांश कुंडली का सप्तम भाव विशेष रूप से व्यापार तथा व्यापारिक साझेदार की व्याख्या करता है। यदि दशमांश पत्रिका का दशमेश सप्तम भाव में स्थित हो जाए तो इस स्थिति में जातक स्वयं का व्यवसाय अथवा साझेदारी में व्यापार करके सफलता प्राप्त कर सकता है। जातक पति/पत्नी को अपने व्यवसाय में साझेदार बनाकर भी सफल हो सकता है।
अष्टम भाव कार्यक्षेत्र में जातक के द्वारा भोगी जाने वाली पीड़ा, विरोध तथा विरोधियों द्वारा किए जाने वाले षडयंत्रों की जानकारी देता है। दशमांश पत्रिका का दशमेश अष्टम भाव में स्थित हो जाए तो जातक के करियर में अप्रत्याशित बदलाव होने की संभावना रहती है। जातक अपने प्रोफेशन को लेकर तनाव की स्थिति में रह सकता है। इस स्थिति में जातक ऑडिट, टैक्सेशन, इन्वेस्टिगेशन, साइंस व रिसर्च, मैनुफैक्चरिंग, टेक्नोलॉजी इत्यादि के क्षेत्रों में अपना करियर बना सकता है।
नवम भाव कार्यक्षेत्र में प्राप्त होने वाले मार्गदर्शन को इंगित करता है। यदि दशमांश कुंडली का नवम भाव शुभ प्रभाव में हो तो कार्य क्षेत्र में जातक को उचित मार्गदर्शन प्राप्त होता है। यदि दशमांश पत्रिका का दशमेश नवम भाव में स्थित हो जाए तो जातक प्रोफेसर, अध्यापक, काउंसलर, ट्रेनर, कंसल्टेंसी प्रोवाइडर, धर्मगुरु इत्यादि बनकर सफल हो सकता है।
दशमांश कुंडली का दशम भाव अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। यह जातक की कैरियर अथवा प्रोफेशन की पर्याप्त व्याख्या करने में सक्षम होता है। यदि दशमांश पत्रिका का दशमेश दशम भाव में ही स्थित हो जाए तो जातक सरकार से संबंधित कोई काम अथवा सरकारी नौकरी अथवा एडमिनिस्ट्रेटिव कार्य कर सकता है।
दशमांश कुंडली का ग्यारहवाँ भाव करियर या प्रोफेशन में होने वाले लाभ की सूचना देता है। ग्यारहवाँ भाव इच्छा पूर्ति तथा लाभ का भाव होता है इसलिए यदि दशमांश पत्रिका का दशमेश ग्यारहवें भाव में स्थित हो जाए तो यह स्थिति बहुत अच्छी मानी जाती है, क्योंकि इस स्थिति में जातक को करियर से संबंधित इच्छाओं की पूर्ति होती है साथ ही उसे समयानुसार लाभ भी मिलता है। किसी स्थिति में जातक क्लब, सोसाइटी या एंजिओ इत्यादि में कार्य कर सकता है।
बारहवाँ भाव कामकाज के क्षेत्र में जातक के छुपे हुए शत्रुओं के बारे में बताता है। इसके अतिरिक्त यह भाव करियर में होने वाली हानि की भी सूचना देता है। यदि दशमांश पत्रिका का दशमेश द्वादश भाव में स्थित हो जाए तो अक्सर जातक का करियर पूरी तरह से बदल सकता है। इस स्थिति में जातक विदेश से संबंधित कार्य जैसे एक्सपोर्ट इंपोर्ट का कार्य कर सकता है। इसके अतिरिक्त जेल, आश्रम या हॉस्पिटल से संबंधित कार्य भी कर सकता है। यदि दशमेश द्वादश भाव में पाप प्रभाव में हो तो यह करियर में होने वाली हानि को इंगित करता है।
इसप्रकार दशमांश कुंडली के दशमेश की स्थिति जातक के करियर अथवा प्रोफेशन के बारे में बता सकती है, इसके साथ ही दशमेश की अन्य ग्रहों के साथ युति तथा दृष्टि को भी ध्यान में रखना चाहिए। दशमेश के साथ युति करने वाले ग्रह जिन भावों के भावेश होते हैं, उनसे संबंधित प्रोफेशन भी जातक के लिए उपयुक्त हो सकते हैं। यदि दशमांश कुंडली का दशमेश अपने शत्रु गृह में बैठा हो तो उस भाव से संबंधित प्रोफेशन जातक के लिए कष्टदायक सिद्ध हो सकता है। ऐसी स्थिति में दशमेश के साथ युति करने वाले ग्रह को देखना चाहिए। युति करने वाला ग्रह जिन भावों का भावेश हो, उनसे संबंधित प्रोफेशन जातक के लिए उपयुक्त होते हैं। यदि शत्रु गृह में स्थित दशमेश के साथ कोई भी ग्रह युति नहीं कर रहा हो लेकिन उस पर कोई ग्रह दृष्टि डाल रहा हो तब यह देखना चाहिए कि दृष्टि डालने वाला ग्रह किन भावों का भावेश है। उन भावों से संबंधित प्रोफेशन जातक के लिए उपयुक्त होते हैं। यदि दशमांश कुंडली का दशमेश शत्रुगृह में स्थित हो, उसके साथ किसी ग्रह की युति भी न हो और उसपर किसी ग्रह की दृष्टि भी न हो तो ऐसी स्थिति में दशमेश शत्रुगृह में बैठकर जिन अन्य भावों पर दृष्टि डाल रहा हो, उन भावों से संबंधित प्रोफेशन जातक के लिए उपयुक्त होते हैं।
जिन ग्रहों की अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशाएँ चल रही हों वे ग्रह दशमांश कुंडली में कहाँ स्थित हैं यह देखना चाहिए, साथ ही वे ग्रह जिन भावों के स्वामी हों उन भावों को भी देखना चाहिए, क्योंकि यही भाव अंतर्दशा व प्रत्यंतर दशा की अवधि में जाग्रत हो जाते हैं तथा जातक के प्रोफेशन में तदनुसार फल देते हैं।
दशमांश कुंडली का दशमेश किसी भाव में यदि चर राशि में हो तो जातक उस भाव से संबंधित कार्यों को घूम-घूमकर करता है या वह ऐसे प्रोफेशन में अधिक सफल होता है जिसमें छोटी-छोटी यात्राएँ करना पड़ता हो। यदि वह स्थिर राशि में हो तो वह उस भाव से संबंधित कार्यों को एक जगह स्थित होकर करता है अथवा वह एक स्थान पर बैठकर करने वाले कार्यों में अधिक सफल होता है। यदि द्विस्वभाव राशि में हो तो दशमेश की डिग्री देखना चाहिए। 0° से 15° के बीच होने पर स्थिर और 15° से 30° के बीच होने पर चर राशि की तरह मानना चाहिए।
यदि दशमांश कुंडली का दशमेश अग्नितत्व (1,5,9) राशि में हो तो जातक अपने प्रोफेशन के अंतर्गत किसी अधिकारी की भांति निर्णय लेता है, भले ही वह किसी भी पद पर हो। यदि पृथ्वीतत्व राशि (2,6,10)में हो तो वह अपने प्रोफेशन में व्यावहारिक दृष्टिकोण रखता है। यदि वायुतत्व राशि (3,7,11) में हो तो वह अपने प्रोफेशन में बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय लेता है। यदि जलतत्व (4,8,12) राशि में हो तो जातक अपने प्रोफेशन में भावना प्रधान निर्णय लेता है।
इस प्रकार दशमांश कुंडली का उपयोग करके जातक के प्रोफेशन की बारीकियाँ जानी जा सकती है और उसके लिए उपयुक्त प्रोफेशन के बारे में बताकर उसकी सहायता की जा सकती है।
- डॉ. सुकृति घोष
प्राध्यापक, भौतिक शास्त्र,शा. के. आर. जी. कॉलेज
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
COMMENTS